हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी से समय पर मिल सकेगा सही इलाज
किसी भी छोटी या बड़ी हेल्थ प्रॉब्लम्स से निपटने के लिए माता-पिता को हेल्थ इंश्योरेंस दिया जा सकता है। यह बुरे वक्त में उन्हें वित्तीय सुरक्षा प्रदान करेगा। अगर उन्होंने पहले से कोई हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी ले रखी है, तो आप उसका टॉप कराते हुए उन्हें हायर कवरेज दिलवा सकते हैं। हेल्थ इंश्योरेंस कराते हुए भी आयकर की धारा 80डी के तहत टैक्स फायदा लिया जा सकता है।
मदर्स डे: इस बार मां को दें वित्तीय मदद का उपहार, उनके लिए म्यूचुअल फंड या मंथली इनकम स्कीम में करें निवेश
मदर्स डे के खास मौके पर बच्चों का अपनी मां को गिफ्ट देने का भी चलन है। ऐसे में इस बार आप अपनी मां को कुछ ऐसा गिफ्ट दे सकते हैं जो उसे वित्तीय सुरक्षा दे और बुरे वक्त में उनके काम आए। यहां हम इस खास मौके पर मां को दिए जा सकने वाले कुछ गिफ्ट्स के बारे में बता रहे हैं।
क्रेडिट कार्ड से वो कर सकेंगी अपने हिसाब से खर्च
अगर आपकी मां के पास आय का कोई निश्चित जरिया नहीं है तो आप उनकी आर्थिक जरूरत को पूरा करने के लिए उन्हें क्रेडिट कार्ड गिफ्ट दे सकते हैं। कई लोग क्रेडिट कार्ड के दुरुपयोग होने के डर से उसका इस्तेमाल करने से घबराते हैं, ऐसे में आप उन्हें समझदारी के साथ क्रेडिट कार्ड के इस्तेमाल के फायदे बताते हुए उसे अपने पास रखने के लिए तैयार कर सकते हैं। इससे पैसों की जरूरत पड़ने पर उन्हें परेशानी का सामना नहीं करना पड़ेगा।
शेयर का रिटर्न नहीं, कंपनी का बिजनेस देखें
दिग्गज निवेशक वॉरेन बफेट (Warren Buffett) कहते हैं कि स्मार्ट इन्वेस्टर्स को किसी शेयर का रिटर्न नहीं, बल्कि कंपनी का बिजनेस देखना चाहिए. यानी शेयर नहीं, कंपनी के बिजनेस में पैसे लगाने चाहिए. जिस कंपनी का बिजनेस सफल होगा, उसका शेयर भी अच्छा रिटर्न देगा. इसलिए उन कंपनी के शेयरों की पहचान अपने पैसे का सही जगह निवेश करने में है समझदारी करें, जिनमें मजबूत ग्रोथ की क्षमता हो.
किसी कंपनी का शेयर खरीदते समय देखें कि उसका भविष्य कैसा है. कंपनी का बिजनेस मॉडल लंबे समय तक दमखम के साथ बने रहने वाला है या नहीं. यह भी देखें कि आप जिस कंपनी में निवेश करने की सोच रहे हैं, वह सेक्टर की दूसरी कंपनियों के मुकाबले कितनी इन्नोवेटिव है यानी अपने प्रोडक्ट्स और बिजनेस मॉडल में कितना नयापन ला रही है. हाई रिटर्न स्टॉक बनने के लिए जरूरी है कि कंपनी की लीडरशिप में वक्त से आगे चलने का विजन हो.
कंपनी मुनाफा ला रही है या नहीं?निवेश के पहले यह भी देख लें कि पिछले दौर में मुनाफा कमाने वाली यह कंपनी कहीं हाल के दिनों में मुनाफे के ट्रैक से उतर तो नहीं गई? अगर कंपनी लगातार मुनाफे में है तो वह निवेश के जरिए बिजनेस बढ़ाने की सोचेगी. यह भी देखना जरूरी है कि कंपनी जिस सेक्टर या प्रोडक्ट से अब तक मुनाफा कमाती रही है, उसकी व्यापक और दूरगामी संभावनाएं क्या हैं
कुछ उदाहरण:
RIL, Infosys और Maruti जैसी कंपनियां सामान्य माहौल में ज्यादातर समय मुनाफा दर्शाती हैं. इन कंपनियों में आप हमेशा नयापन देखेंगे
वहीं नए जमाने की बिजनेस वाली कुछ कंपनियां जैसे Paytm, Zomato, Cartrade Tech को अब तक मुनाफे की तलाश है. यही वजह है इन कंपनियों के अपने पैसे का सही जगह निवेश करने में है समझदारी शेयर लिस्टिंग के बाद ज्यादातर समय दबाव में नजर आते रहे हैं
शेयर का सिर्फ बाजार भाव नहीं, वैल्यूएशन भी देखें
किसी शेयर का सिर्फ बाजार भाव नहीं, बल्कि यह भी देखें कि उसका वैल्यूएशन कैसा है. हो सकता है जो शेयर पहली नजर में अपनी कम कीमत की वजह से सस्ता लग रहा है, वह दरअसल किसी ज्यादा भाव वाले शेयर की तुलना में महंगा हो. मौजूदा कीमत पर कोई शेयर कितना महंगा या सस्ता है इसका अंदाजा कुछ हद तक P/E यानी प्राइस/अर्निंग रेशियो से लगाया जा सकता है. मोटे तौर पर यह मान सकते हैं कि P/E जितना ज्यादा होगा, शेयर उतना महंगा है.
कंपनी का EPS देखने से यह पता चलता है कि कंपनी के रेवेन्यू, मार्जिन और मार्केट शेयर में बढ़ोतरी हो रही है या नहीं. जिस कंपनी के फाइनेंशियल में ग्रोथ है, उसके शेयर में हाई रिटर्न की गुंजाइश होती है.
कंपनी पर ज्यादा कर्ज तो नहीं
शेयर चुनने से पहले यह भी देखें कि कंपनी पर ज्यादा कर्ज तो नहीं है. कंपनी पर बहुत ज्यादा कर्ज है, तो उसका असर आगे के कामकाज पर पड़ सकता है. क्योंकि कर्ज की भारी लागत न सिर्फ मुनाफे को कम करती है, बल्कि बिजनेस के विस्तार में अड़चन भी पैदा कर सकती है.
अगर कंपनी फ्री कैश फ्लो (Free Cash Flow) जेनरेट कर रही है तो इसका मतलब यह हुआ कि आगे ग्रोथ के मौके अच्छे हैं. लगातार कैश फ्लो जेनरेट करने वाली कंपनी पर अगर कर्ज है, तो भी वो उसे आसानी से चुका सकती है.
क्या होता है म्यूचुअल फंड (What is Mutual Funds)
म्यूचुअल फंड जैसा कि इसके नाम से पता चल रहा है कि एक फंड में कई लोगों का पैसा लगाया जाता है। मान लीजिए आप म्यूचुअल फंड में पैसा लगाते हैं तो फंड कंपनी आपके पैसे से अलग अलग कंपनियों के शेयर खरीदती हैं। जब इन कंपनियों के शेयर बढ़ते या घटते हैं तो आपको उसी के हिसाब से नफा या नुकसान होता है। यहां आप सीधे पैसे नहीं लगाते हैं। आपकी ओर से अनुभवी फंड मैनेजर कंपनी की बैलेंस शीट और अन्य आंकड़े देखकर मजबूत शेयरों में पैसा लगाते हैं।
आप जो पैसा निवेश करते हैं उससे म्यूचुअल फंड कंपनियां शेयर, बॉन्ड और कई अन्य वित्तीय उपकरण खरीदती हैं। परिणामस्वरूप, व्यक्ति म्यूचुअल फंड स्कीम में निवेश करके, विभिन्न उपकरणों में निवेश कर सकते हैं। इसका फायदा यह होता है कि आपका पैसा अपने पैसे का सही जगह निवेश करने में है समझदारी एक जगह नहीं लगाया जाता। मान लीजिए कि आपको शेयरों में नुकसान हुआ और बॉण्ड में फायदा तो आपका नुकसान की संभावना बहुत कम होगी।
कैसे खुलवाएं खाता
म्यूचुअल फंड्स में निवेश करना इतना आसान और सरल हो गया है कि कोई व्यक्ति निवेश करने के बारे में सोच सकता है। म्यूचुअल फंड में पहली बार निवेश करने वाले निवेशकों को अपना केवाईसी पूरा करना होगा जो एक बार की प्रक्रिया है। केवाईसी का मतलब है कि आपको अपनी जानकारी देनी होगी, आपका आधार और पैनकार्ड इसमें मदद करते हैं। केवाईसी सत्यापन पूरा करने में आपकी मदद करने के लिए आप किसी डिस्ट्रिब्यूटर या निवेश सलाहकार के पास जा सकते हैं या आप ऑनलाइन ई.केवाईसी कर सकते हैं।
केवाईसी सत्यापन के बाद निवेश करने के लिए तैयार होने पर, आप किसी म्यूचुअल फंड डिस्ट्रिब्यूटर, रजिस्टर्ड निवेश सलाहकार, स्टॉक मार्केट ब्रोकर या बैंक जाकर भी म्युचुअल फंड खरीद सकते हैं। ऑनलाइन के जमाने में आप सीधे कंपनी की वेबसाइट पर जाकर फंड चुन सकते हैं।
सलाहकार के साथ शुरुआत करना बेहतर
सीधे निवेश करने या किसी डिस्ट्रिब्यूटर के माध्यम से निवेश करने के बीच चुनाव आपका फैसला है। अगर आपको खुद अपने निवेश करना पसंद है, तो आप बेशक फंड की वेबसाइट या किसी ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म के माध्यम से ऑनलाइन निवेश कर सकते हैं। लेकिन अगर आप सलाह लेना चाहते हैं या आपको निवेश करने में मदद की ज़रूरत है, तो आप किसी प्रतिनिधि के माध्यम से निवेश कर सकते हैं, जैसे डिस्ट्रिब्यूटर, निवेश सलाहकार या बैंक आदि।
म्यूचुअल फंड तीन प्रकार होते हैं- इक्विटी म्यूचुअल फंड, डेट म्यूचुअल फंड, हाइब्रिड म्यूचुअल फंड।इक्विटी फंड सीधे शेयर बाजार में पैसा लगाते हैं। वहीं डेट फंड आपका पैसा कंपनियों द्वारा जारी ऋणपत्रों में पैसा लगाते हैं। यह इक्विटी के मुकाबले कम जोखिम भरा होता है। वहीं तीसरे हाइब्रिड फंड में इक्विटी और डेट दोनों का समावेश होता है। इसके अलावा ओपन एंडेड फंड, क्लोज एंडेड फंड, सक्रिय रूप से प्रबंधित फंड, पैसिवली मैनेज्ड फंड।
म्यूचुअल फंड कैसे काम करता है?
इसमें निवेशक एकमुश्त रकम फंड में लगाते हैं। इसके बाद एक तय समय अंतराल पर उस स्कीम से थोड़ा-थोड़ा निवेश इक्विटी स्कीम में ट्रांसफर करते रहते हैं। डेट फंड में एकमुश्त पैसा लगाने से सुरक्षित रिटर्न मिलता रहता है, वहीं एक तय अवधि में आपका पैसा धीरे धीरे ज्यादा रिटर्न देने वाली इक्विटी स्कीम में ट्रांसफर हो जाता है।
छोटी अवधि में केवल ज्यादा रिटर्न के लिए इनमें निवेश करने पर आप नुकसान उठा सकते हैं। इनके साथ बहुत ज्यादा जोखिम होता है। नए निवेशकों को इन स्कीमों में पैसा लगाने की सलाह नहीं दी जाती है। मल्टीकैप म्यूचुअल फंड स्कीमों का सुझाव अक्सर उन निवेशकों को दिया जाता रहा है जो निवेश के साथ थोड़ा जोखिम ले सकते हैं।
इन 5 तरीकों से कर सकते हैं आप अपने घर लेने के सपने को पूरा, जानिए
पढ़ाई पूरी करने बाद हम सभी अपने प्रोफेशनल करियर की शुरुआत करते हैं और यहां से हमारा नौकरी ढूंढने का सिलसिला शुरू हो जाता है। कुछ इंटरव्यू के बाद नौकरी मिल जाती है, लेकिन जैसे-जैसे जिंदगी आगे बढ़ती है, हमारे साथ कई फाइनेंशियल गोल जुड़ते चले जाते हैं।
follow Us On
Haryana Update. खुद की शादी, बच्चे की शिक्षा व स्वास्थ्य पर ध्यान देना, परिवार में भाई-बहन के खर्चों को पूरा करने के लिए सहयोग करना, साथ ही परिवार के दूसरे खर्चों में हम इतने व्यस्त हो जाते हैं कि अपने लिए नया घर अपने पैसे का सही जगह निवेश करने में है समझदारी लेना एक सपना बन जाता है।
कंपनी मुनाफा ला रही है या नहीं?
निवेश के पहले यह भी देख लें कि पिछले दौर में मुनाफा कमाने वाली यह कंपनी कहीं हाल के दिनों में मुनाफे के ट्रैक से उतर तो नहीं गई? अगर कंपनी लगातार मुनाफे में है तो वह निवेश के जरिए बिजनेस बढ़ाने की सोचेगी. यह भी देखना जरूरी है कि कंपनी जिस सेक्टर या प्रोडक्ट से अब तक मुनाफा कमाती रही है, उसकी व्यापक और दूरगामी संभावनाएं क्या हैं
कुछ उदाहरण:
RIL, Infosys और Maruti जैसी कंपनियां सामान्य माहौल में ज्यादातर समय मुनाफा दर्शाती हैं. इन कंपनियों में आप हमेशा नयापन देखेंगे
वहीं नए जमाने की बिजनेस वाली कुछ कंपनियां जैसे Paytm, Zomato, Cartrade Tech को अब तक मुनाफे की तलाश है. यही वजह है इन कंपनियों के शेयर लिस्टिंग के बाद ज्यादातर समय दबाव में नजर आते रहे हैं
शेयर का सिर्फ बाजार भाव नहीं, वैल्यूएशन भी देखें
किसी शेयर का सिर्फ बाजार भाव नहीं, बल्कि यह भी देखें कि उसका वैल्यूएशन कैसा है. हो सकता है जो शेयर पहली नजर में अपनी कम कीमत की वजह से सस्ता लग रहा है, वह दरअसल किसी ज्यादा भाव वाले शेयर की तुलना में महंगा हो. मौजूदा कीमत पर कोई शेयर कितना महंगा या सस्ता है इसका अंदाजा कुछ हद तक P/E यानी प्राइस/अर्निंग रेशियो से लगाया जा सकता है. मोटे तौर पर यह मान सकते हैं कि P/E जितना ज्यादा होगा, शेयर उतना महंगा है.
कंपनी का EPS देखने से यह पता चलता है कि कंपनी के रेवेन्यू, मार्जिन और मार्केट शेयर में बढ़ोतरी हो रही है या नहीं. जिस कंपनी के फाइनेंशियल में ग्रोथ है, उसके शेयर में हाई रिटर्न की गुंजाइश होती है.
कंपनी पर ज्यादा कर्ज तो नहीं
शेयर चुनने से पहले यह भी देखें कि कंपनी पर ज्यादा कर्ज तो नहीं है. कंपनी पर बहुत ज्यादा कर्ज है, तो उसका असर आगे के कामकाज पर पड़ सकता है. क्योंकि कर्ज की भारी लागत न सिर्फ मुनाफे को कम करती है, बल्कि बिजनेस के विस्तार में अड़चन भी पैदा कर सकती है.
अगर कंपनी फ्री कैश फ्लो (Free Cash Flow) जेनरेट कर रही है तो इसका मतलब यह हुआ कि आगे ग्रोथ के मौके अच्छे हैं. लगातार कैश फ्लो जेनरेट करने वाली कंपनी पर अगर कर्ज है, तो भी वो उसे आसानी से चुका सकती है.
अच्छे ग्रुप का नया वेंचर
बाजार में पहले से मजबूती से टिके किसी अच्छे ग्रुप की नई कंपनी बाजार में लिस्ट हो, तो उस पर नजर रख सकते हैं. ग्रुप का मजबूत सपोर्ट नई कंपनी को कामयाब बना सकता है. जैसे भविष्य में अगर Reliance Jio का शेयर बाजार में लिस्ट हो, तो उसकी सफलता की संभावना बहुत अधिक होगी.
शेयर की तलाश के समय कंपनी के मैनेजमेंट का ट्रैक रिकॉर्ड भी देखें. जिन कंपनियों के ऑपरेशन में उनके ओनर खुद शामिल होते हैं, उनकी सफलता की संभावना ज्यादा मानी जाती है. RIL, टाटा ग्रुप की कंपनियां, Wipro, Bajaj Finance और Dabur जैसी कई कंपनियां इस बात की मिसाल हैं.
अधिकतम अंक: 5
न्यूनतम अंक: 1
मतदाताओं की संख्या: 134