1992 में प्रधानमंत्रित्व में इजराइल का दूतावास नई दिल्ली में खोला गया था। जो एक बड़ी सफलता थी। सन 1993 के मुंबई में बम धमाकों के बाद नरसिम्हा राव के शासन में काफी अच्छे से संकट प्रबंधन हुआ।
अचल संपत्तियों की बिक्री - हैदराबाद जोन
बैंक ऑफ महाराष्ट्र कभी भी फोन कॉल/ई-मेल/एसएमएस के माध्यम से किसी भी उद्देश्य हेतु बैंक खाते के ब्यौरे नहीं मांगता।
बैंक सभी ग्राहकों से अपील करता है कि ऐसे किसी भी फोन कॉल/ई-मेल/एसएमएस का उत्तर न दें, और किसी से भी, किसी भी उद्देश्य हेतु अपने बैंक खाते के ब्यौरे साझा न करें। किसी से भी अपने डेबिट/क्रेडिट कार्ड का सीवीवी/पिन साझा न करें।
मेडिकवर अस्पताल, करीमनगर
मेडिकवर अस्पताल, करीमनगर, एक बहु-विशिष्ट अस्पताल है जो विभिन्न विशिष्टताओं और उप-विशिष्टताओं जैसे मूत्रविज्ञान, फिजियोथेरेपी, कार्डियोथोरेसिक सर्जरी में उपचार प्रदान करता है। इसमें एनेस्थीसिया के लिए एक विभाग भी है। अपने उत्कृष्टता केंद्रों के माध्यम से, अस्पताल आर्थोपेडिक्स, तंत्रिका विज्ञान, आपातकालीन देखभाल, महत्वपूर्ण देखभाल, आंतरिक और चिकित्सा के लिए समर्पित उपचार प्रदान करता है।
अस्पताल में मेडिकल टीम अत्यधिक योग्य और प्रशिक्षित है। वे रोगियों को सटीक निदान और उपचार देने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
मेडिकवर अस्पताल, करीमनगर में शीर्ष डॉक्टर
डॉ प्रमोद रेड्डी
पीडियाट्रिक कार्डियक सर्जन, 22 साल का अनुभव
डॉ एआर कृष्णा प्रसाद
कार्डिएक सर्जन, 20 साल का अनुभव
डॉ. पुत्तती वेंकट कमला किशोर
न्यूरोसर्जन , 20 साल का अनुभव
डॉ सदाशिव बाबूराव तमागोंद
कार्डिएक सर्जन, 9 साल का अनुभव
इंफ्रास्ट्रक्चर
मेडिकवर अस्पताल, करीमनगर में 130 बेड, 24*7 क्रिटिकल केयर यूनिट, उन्नत, अच्छी तरह से सुसज्जित आईसीयू, कैथ लैब और 24*7 लैब की क्षमता है। अस्पताल के कुछ चिकित्सा उपकरणों में 1.5 टेस्ला एमआरआई, डुअल स्लाइस सीटी स्कैनर, 500एमए एक्स-रे, फ्रेसेनियस डायलिसिस, 3डी-इको कलर डॉपलर, अल्ट्रासोनोग्राफी और कलर डॉपलर, टीएमटी, ईईजी और ईएनएमजी और एक एंडोस्कोपी सुविधा शामिल है।
राजीव गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे, हैदराबाद से मेडिकवर अस्पताल, करीमनगर तक, रिंग रोड मार्ग या राष्ट्रीय राजमार्ग के माध्यम से यात्रा में चार घंटे तक का समय लग सकता है। एक निजी कार या किराए की कैब सबसे अच्छा विकल्प है।
विजयवाड़ा डोमेस्टिक एयरपोर्ट से भी अस्पताल करीब नौ घंटे। तिरुपति में मरीजों को निजी कार या किराए की कैब से अस्पताल पहुंचने में लगभग आधा दिन लगता है।
खाने-पीने के विकल्पों के लिए, चुनने के लिए बहुत कुछ है। जबकि ठहरने के विकल्प कम हैं और ऊपर की तरफ थोड़े हैं।
विदेशी मुद्रा व्यापारी करीमनगर
Daily Insider Desk
• Fri, 11 Nov 2022 6:51 pm IST
तेलंगाना ईडी छापेमारी: ग्रेनाइट कंपनियों को चीनी कंपनियों से मिली अवैध रकम
नई दिल्ली: चीन की जिस कंपनी से अवैध रकम तेलंगाना स्थित ग्रेनाइट का कारोबार करने वाली कंपनियों को भेजी गई, उस चीनी कंपनी के मालिक का नाम ‘पनामा पेपर्स लीक’ मामले में शामिल था। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने शुक्रवार को दावा किया कि राज्य कल्याण मंत्री गंगुला कमलाकर समेत कई ग्रेनाइट निर्यातकों के विभिन्न परिसर पर छापेमारी के बाद यह जानकारी मिली। संघीय जांच एजेंसी ने विदेशी मुद्रा विनिमय प्रबंधन कानून (फेमा) के विभिन्न प्रावधानों के तहत गत नौ नवंबर को तलाशी अभियान शुरू किया। इसके तहत श्वेता ग्रेनाइट्स, श्वेता एजेंसीज, श्री वेंकटेश्वर ग्रेनाइट प्राइवेट लिमिटेड, पीएसआर ग्रेनाइट लिमिटेड, अरविंद ग्रेनाइट्स, गिरिराज शिपिंग एजेंसीज प्राइवेट लिमिटेड और करीमनगर और हैदराबाद स्थित उनसे संबंधित कंपनियों के कार्यालयों और आवासीय परिसर पर तलाशी ली गई। इन कंपनियों से कथित रूप से जुड़े कमलाकर के परिसर में भी तलाशी ली गई। मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव के नेतृत्व वाली राज्य सरकार में पिछड़ा वर्ग कल्याण और खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति तलाशी के दौरान विदेश में थे, लेकिन बाद में उन्होंने संवाददाताओं से कहा कि वह एजेंसी के साथ सहयोग करेंगे और कहा कि उन्होंने कोई गलती नहीं की है।
नरसिम्हा राव को वास्तव में भारत में आर्थिक सुधारों का जनक कहा जा सकता है : मनमोहन सिंह
पूर्व पीएम मनमोहन सिंह (Manmohan Singh) ने कहा कि वह विशेष रूप विदेशी मुद्रा व्यापारी करीमनगर से खुश हैं कि इसी दिन 1991 में उन्होंने राव सरकार का पहला बजट पेश किया था.
पीवी नरसिम्हा राव का विदेशी मुद्रा व्यापारी करीमनगर जन्म 28 जून, 1921 को करीमनगर में हुआ था. (फाइल फोटो)
पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव (PV Narasimha Rao) की सरकार में वित्त मंत्री रहे मनमोहन सिंह (Manmohan Singh) ने शुक्रवार को कहा कि राव ‘‘माटी के महान सपूत" थे और उन्हें वास्तव में भारत में आर्थिक सुधारों का जनक कहा जा सकता है क्योंकि उनके पास उन सुधारों को आगे बढ़ाने के लिए दृष्टि और साहस था. सिंह बाद में खुद देश के प्रधानमंत्री बने. मनमोहन सिंह कांग्रेस की तेलंगाना इकाई द्वारा आयोजित नरसिंह राव जन्मशताब्दी वर्ष के उद्घाटन समारोह को डिजिटल तरीके से संबोधित कर रहे थे. मनमोहन सिंह ने कहा कि वह विशेष रूप से खुश हैं कि इसी दिन 1991 में उन्होंने राव सरकार का पहला बजट पेश किया था.
यह भी पढ़ें
1991 के बजट की काफी सराहना की जाती है क्योंकि उसी से आधुनिक भारत की नींव रखी गयी और देश में आर्थिक सुधारों को आगे बढ़ाने का खाका तैयार किया गया. उन्होंने याद किया कि नरसिम्हा राव कैबिनेट में वित्त मंत्री के रूप में अपना पहला बजट उन्होंने राजीव गांधी को समर्पित किया था. सिंह ने कहा कि 1991 के बजट ने भारत को कई मायनों में बदल दिया क्योंकि इससे आर्थिक सुधारों और उदारीकरण की शुरूआत हुई.
पूर्व प्रधानमंत्री सिंह ने कहा, "यह एक कठिन विकल्प और साहसी फैसला था और यह संभव इसलिए हो सका क्योंकि प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव ने मुझे चीजों को शुरू करने की आजादी दी, क्योंकि वह उस समय भारत की अर्थव्यवस्था की समस्या को पूरी तरह से समझ रहे थे.'' कांग्रेस नेता ने कहा, "इस दिन, उनके जन्मशती समारोह का उद्घाटन करते हुए, मैं उन्हें श्रद्धांजलि देता हूं, जिनके पास इन सुधारों को आगे बढ़ाने के लिए दृष्टि और साहस था."
मनमोहन सिंह ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की तरह राव को भी देश के गरीबों के लिए बड़ी चिंता थी. सिंह ने यह भी कहा कि कई मायनों में राव उनके "मित्र, दार्शनिक और मार्गदर्शक" थे. उन्होंने कहा कि 1991 में तत्काल कठोर फैसले लिए जाने थे क्योंकि भारत विदेशी मुद्रा संकट का सामना कर रहा था तथा विदेशी विदेशी मुद्रा व्यापारी करीमनगर विदेशी मुद्रा व्यापारी करीमनगर मुद्रा भंडार लगभग दो सप्ताह के आयात के लिए पर्याप्त रह गया था.
सिंह ने कहा, ‘‘राजनीतिक रूप से, यह बड़ा सवाल था कि क्या कोई चुनौतीपूर्ण स्थिति का सामना करने के लिए कठोर निर्णय ले सकता है? यह अल्पमत सरकार थी, जो स्थिरता के लिए बाहरी समर्थन पर निर्भर थी. फिर भी नरसिम्हा राव जी सभी को साथ लेकर चलने और उन्हें अपनी प्रतिबद्धता से सहमत कराने में सक्षम थे. उनका भरोसा पाकर, मैंने उनकी दृष्टि को आगे बढ़ाने विदेशी मुद्रा व्यापारी करीमनगर के लिए अपना काम किया.''
फ्रांसीसी कवि और उपन्यासकार विक्टर ह्यूगो को उद्धृत करते हुए सिंह ने कहा कि उन्होंने एक बार कहा था कि "पृथ्वी पर कोई शक्ति उस विचार को नहीं रोक सकती जिसका समय आ गया है." उन्होंने कहा कि एक प्रमुख आर्थिक शक्ति के रूप में भारत का उदय ऐसा ही विचार था. उन्होंने कहा, "आगे की यात्रा कठिन थी, लेकिन यह पूरी दुनिया को जोर से और स्पष्ट रूप से बताने का समय था कि भारत जागा हुआ है. बाकी बातें इतिहास है. पीछे गौर करें तो नरसिम्हा राव को वास्तव में भारत में आर्थिक सुधारों का जनक कहा जा सकता है."
मनमोहन सिंह ने राव की राजनीतिक यात्रा को भी याद किया जो स्वतंत्रता संग्राम के दिनों से शुरू हुई थी. उन्होंने कहा कि केंद्रीय कैबिनेट मंत्री के रूप में राव ने मानव संसाधन विकास और विदेश जैसे महत्वपूर्ण विभागों को संभाला तथा वह कांग्रेस के एक महत्वपूर्ण सदस्य थे, जिन्होंने दिवंगत इंदिरा गांधी और राजीव गांधी के साथ काम किया था. सिंह ने कहा कि राजीव गांधी की हत्या के बाद राव को कांग्रेस अध्यक्ष चुना गया था और वह 21 जून, 1991 को प्रधानमंत्री पद के लिए स्वभाविक विकल्प बन गए. उन्होंने कहा, "इसी दिन उन्होंने मुझे अपना वित्त मंत्री बनाया था."
पूर्व पीएम सिंह ने कहा कि आर्थिक सुधारों और उदारीकरण के अलावा अन्य क्षेत्रों में भी उनके योगदान को कम कर के नहीं आंका जा सकता है. उन्होंने कहा कि विदेश नीति के संबंध में राव ने चीन सहित अन्य पड़ोसी देशों के साथ संबंधों में सुधार के लिए प्रयास किया और भारत ने दक्षेस देशों के साथ दक्षिण एशिया तरजीही व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर किए.
सिंह ने कहा कि राव ने 1996 में दिवंगत एपीजे अब्दुल कलाम को परमाणु परीक्षण के लिए तैयार होने के लिए कहा था, जिसे बाद में 1998 में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी नीत राजग सरकार द्वारा संचालित किया गया था.
उन्होंने कहा, "वह राजनीति में एक कठिन दौर था. शांत स्वभाव और गहरे राजनीतिक कौशल वाले नरसिम्हा राव जी हमेशा बहस और चर्चा के लिए तैयार रहते थे. उन्होंने हमेशा विपक्ष को विश्वास में लेने की कोशिश की." उन्होंने कहा कि अटल बिहारी वाजपेयी को संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का प्रमुख बनाकर भेजना इसका उदाहरण था.
VIDEO: PM मोदी को मनमोहन सिंह की नसीहत- शब्दों के चयन में सावधानी बरतें
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
देश को दीवालिया होने से बचाया और आतंकियों के हौसले भी तोड़े, 17 लैंग्वेज बोलते थे ये PM
देश के दसवें प्रधानमंत्री पी. वी. नरसिम्हा राव (पामुलापति वेंकट नरसिंह राव) को आज पूरा देश याद कर रहा है। 28 जून 1921 को करीमनगर में जन्में इस राजनेता ने देश की सुरक्षा के लिए अहम फैसले लिए। उन्होंने देश को दीवालिया होने से बचाया और आतंकियों के हौसले भी तोड़े। इनकी खासियत थी कि ये एक दो नहीं बल्कि 17 भाषाएं बोलते थे। पीएम राव को लेकर फेमस राइटर विनय सीतापति ने उन पर ‘हाफ लायन: हाउ पीवी नरसिम्हा राव ट्रांसफार्म इंडिया’ में लिखी है। जिसमें उनसे जुड़े कई बड़े दावे किए हैं। आइए जानें आज इस खास दिन पर देश के दसवें प्रधानमंत्री के जीवन से जुडी कुछ खास बातें.
देश के दसवें पीएम:
1991 पी. वी. नरसिम्हा राव देश के दसवें प्रधानमंत्री हुए थे। इसके अलावा आंध्रप्रदेश के मुख्यमंत्री 4 बार चुने गए थ्ो। दक्षिण भारत से यह पहले प्रधानमंत्री हुए थे।
राजनीति में अनुभव:
पीएम बनने से पहले राजनीति में उनके विविध अनुभव विदेशी मुद्रा व्यापारी करीमनगर जांचे गए थ्ो। शायद इन्हीं वजहों से उन्हें केंद्र सरकार में गृह, रक्षा और विदेश मंत्रालय जैसे मंत्रालयों की जिम्मेदारी दी गई
थी।
बड़े स्तर पर सुधार:
जिस समय ये प्रधानमंत्री हुए थे उस समय देश की आर्थिक स्थिति बहुत गड़बड़ थी। इनके शासन काल में विदेशी निवेश, पूंजी बाज़ार, मौजूदा व्यापार व्यवस्था और घरेलु व्यापार के क्षेत्र बड़े स्तर पर सुधार हुए।
दीवालिया होने बचाया:
इसके बाद देश में मुद्रा स्फीति पर नियंत्रण इंफ्रास्ट्रक्चर के क्षेत्र में निवेश आदि काफी तेजी से बढा था। कई बार ऐसी स्िथतियां आईं जब देश दीवालिया होने की कगार पर था, लेकिन उन्होंने बचा लिया था।।
मार्डन इंडिया के चाणक्य:
इस दौरान वह परेशान नहीं हुए बल्कि बहुत सूझ-बूझ से काम लिया। इसीलिए ये मार्डन विदेशी मुद्रा व्यापारी करीमनगर इंडिया के चाणक्य कहे गए। इन्होंने देश को बड़े आतंकी हमलों से भी कई बार बचाया।
इजराइल का दूतावास:
1992 में विदेशी मुद्रा व्यापारी करीमनगर प्रधानमंत्रित्व में इजराइल का दूतावास नई दिल्ली में खोला गया था। जो एक बड़ी सफलता थी। सन 1993 के मुंबई में बम धमाकों के बाद नरसिम्हा राव के शासन में काफी अच्छे से संकट प्रबंधन हुआ।
नेशनल स्टॉक एक्सचेंज:
1994 में नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एन.एस.इ.) का शुभारंभ हुआ। यह भारत का सबसे बड़ा स्टॉक एक्सचेंज हुआ। उन्हें विदेशी मुद्रा व्यापारी करीमनगर कंप्यूटर प्रोग्रामिंग जैसे विषयों में भी रूचि अधिक होने से वह भारत को हाइटेक बनाने की कोशिश में थे।
इन भाषाओं में पारंगत रहे:
पीएम राव एक नहीं कई भाषाओं के ज्ञानी थे। वह तेलुगु, तमिल, मराठी, हिंदी, संस्कृत, उड़िया, बंगाली और गुजराती अंग्रेजी, फ्रांसीसी, अरबी, स्पेनिश, जर्मन और पर्शियन समेत 17 भाषाएं बोलते थे। संगीत, सिनेमा में उनकी रुचि थी। साहित्य एवं राजनीतिक टिप्पणी लिखने, भाषाएं सीखने, तेलुगू एवं हिंदी भाषा में कविता लिखने एवं साहित्य में भी वह एक्सपर्ट थे।
किताब लिखी गई:
राव देश के हित में बड़ा फैसला लेने से पीछे नहीं हटते थ्ो। फेमस राइटर विनय सीतापति ने विदेशी मुद्रा व्यापारी करीमनगर उन पर ‘हाफ लायन: हाउ पीवी नरसिम्हा राव ट्रांसफार्म इंडिया’ लिखी है। जिसमें दावा किया गया है कि 1992 बाबरी मस्जिद ढहाए जाने के बाद पीएम राव ने आईबी से सोनिया गांधी और उनके घर 10 जनपथ पर नजर रखवाई थी।
अंतिम सांस ली थी:
9 दिसंबर 2004 को उन्हें दिल का दौरा पड़ा। उन्हें अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (नयी दिल्ली) में भर्ती कराया गया। प्रॉपर उपचार होने के बाद भी वह ठीक नहीं हुए। 23 दिसंबर को उन्होंने अंतिम सांस ली थी।
अधिकतम अंक: 5
न्यूनतम अंक: 1
मतदाताओं की संख्या: 588