CTET September 2015 – Paper – I (Child Development and Pedagogy) Answer Key

Q16. बच्चे किस प्रकार से सीखते हैं? नीचे दिए गए कथनों में से कौन-सा इस प्रश्न के विषय में सही नहीं है?
A. बच्चे तब सीखते हैं जब वे संज्ञानात्मक रूप से तैयार होते हैं
B. बच्चे अनेकों प्रकार से सीखते हैं
C. बच्चे सीखते हैं क्योंकि वे स्वाभाविक रूप से प्रेरित होते हैं
D. बच्चे केवल कक्षा में सीखते हैं


Q17. प्राथमिक विद्यालय शिक्षक को अपने शिक्षार्थियों को अभिप्रेरित करने के लिए निम्नलिखित में से किस रणनीति को अपनाना चाहिए?
A. प्रत्येक गतिविधि के प्रेरक के रूप में प्रोत्साहन, पुरस्कार और दंड का उपयोग करना ।
B. बच्चों को उनकी रुचियों के अनुसार अपने लक्ष्य निर्धारित करना और उन्हें पाने के उद्यम में सहायता करना
C. पूरी कक्षा के लिए मानक लक्ष्य निर्धारित करना और उनका उपलब्धि के आकलन के लिए कठोर मानदंड निर्धारित करना
D. प्रत्येक शिक्षार्थी में अंक लाने के लिए स्पर्धा को प्रोत्साहित करना


Q18. निम्नलिखित में से कौन-सा समाजीकरण का एक प्रमुख कारक है।
A. कम्प्यूटर
B. आनुवंशिकता
C. राजनीतिक दल –
D. परिवार


Q19. बच्चा का समूह कार्य देना एक प्रभावी शिक्षण-रणनीति है, क्योंकि
A. छोटे समूह में कुछ बच्चों को दूसरे बच्चों पर अनुमति होती है
B. सीखने की प्रक्रिया में बच्चे एक-दसरे से सीखते हैं आर सहायता भी करते हैं
C. बच्चे अपना काम जल्दी करने में समर्थ होते हैं
D. इससे शिक्षक का काम कम हो जाता है


Q20. एक औसत बुद्धि वाला बच्चा यदि भाषा को पढ़ने एवं समझने में कठिनाई प्रदर्शित करता है तो यह संकेत देता है कि बच्चा …….. का लक्षण प्रदर्शित कर रहा है।
A. लेखन-अक्षमता (डिस्माफिया)
B. गणितीय-अक्षमता (डिस्कैल्कुलिया)
C. गतिसमन्वय-अक्षमता (डिस्प्रैक्सिया)
D. पठन-अक्षमता (डिस्लैक्सिया)


Q21. शैशवकाल की अवधि है:
A. जन्म से 2 वर्ष तक
B. जन्म से 3 वर्ष तक
C. 2 से 3 वर्ष तक
D. जन्म से 1 वर्ष तक


Q22. पियाजे के अनुसार 2 से 7 वर्ष के बीच का एक बच्चा संज्ञानात्मक विकास की ………… अवस्था में है।
A. औपचारिक संक्रियात्मक
B. मूर्त संक्रियात्मक
C. संवेदी-गतिक
D. पूर्व संक्रियात्मक


Q23. विकास …… से ……. की ओर बढ़ता है।
A. जटिल → कठिन
B. विशिष्ट → सामान्य
C. साधारण → आसान
D. सामान्य → विशिष्ट


Q24. जब वयस्क सहयोग से सामंजस्य कर लेते हैं, तो वे बच्चे के वर्तमान स्तर के प्रदर्शन को संभावित क्षमता के स्तर के प्रदर्शन की तरफ प्रगति क्रम को सुगम बनाते हैं, इसे कहा जाता है :
A. सहयोग देना
B. सहभागी अधिगम
C. सहयोगात्मक अधिगम
D. समीपस्थ विकास


Q25. नवीन जानकारी को शामिल करने के लिए वर्तमान स्कीमा (अवधारणा) में बदलाव की प्रक्रिया …………. कहलाती है।
A. आत्मसात्करण
B. समायोजन
C. अहंकेंद्रिता
D. अनूकन


Q26. मध्य बाल्यावस्था में भाषा ………. के बजाय ………. अधिक है।
A. समाजीकृत, अहंकेंद्रित
B. जीववादी, समाजीकृत
C. परिपक्व, अपरिपक्व
D. अहंकाँद्रित, समाजीकृत


Q27. बाल केंद्रित शिक्षा में शामिल है :
A. बच्चों का एक कोने में बैठना
B. प्रतिबंधित परिवेश में अधिगम
C. वे गतिविधियाँ जिनमें खेल शामिल नहीं होते ।
D. बच्चों के लिए हस्तपरक गतिविधियाँ


Q28. कक्षा-अध्यापक ने राघव को अपनी कक्षा में अपने की-बोर्ड पर स्वयं द्वारा तैयार किया गया मधुर संगीत बजाते हुए देखा। कक्षा-अध्यापक ने विचार किया कि राघव में ……… बुद्धि उच्च स्तरीय थी।
A. शारीरिक-गतिबोधक
B. संगीतमय
C. भाषायी
D. स्थानिक


Q29. जब एक शिक्षक यह समझता है कि स्वाभाविक रूप से लड़के गणित में लड़कियों से अच्छे हैं, यह दर्शाता है कि अध्यापक है:
A. लिंग (जेंडर) पक्षपाती
B. शिक्षाप्रद
C. सही दृष्टिकोण वाला
D. नीतिपरक


Q30. समावेशी शिक्षा मानती है कि हमें ………. को ……….. के अनुरूप बदलना है
A. व्यवस्था बच्चे
B. परिवेश परिवार
C. बच्चे परिवेश
D. बच्चे/व्यवस्था

Making Kin from Gold: Dowry, Gender, and Indian Labor Migration to the Gulf

Wright, Andrea. 2020. “Making Kin from Gold: Dowry, Gender, and Indian Labor Migration to the Gulf.” Cultural Anthropology 35, no. 3: 435–461. https://doi.org/10.14506/ca35.3.04.

Abstract

Drawing on ethnographic research in the United Arab Emirates and India, this article explores relationships among Indian kinship, gender, and transnational migration through a focus on gold that migrant men buy for their sisters’ or daughters’ weddings. Gold, used as a key component of dowry, is often considered “traditional” in an Indian setting, but is actually shaped by liberalization, contemporary statecraft, and transnational migration. As migrants purchase gold for their sisters and daughters with money they earn in the Gulf, they express adult masculinity by being dutiful brothers and sons. This examination of Indian labor migration reveals how workers and their families understand migration as a way to build and maintain kinship ties, and how gold bought in the Gulf becomes a kinship substance that informs understandings of gender and family.

संयुक्त अरब अमीरात और भारत में किये हुए मानव-जाति संबंधी शोध के बिना पर यह शोध-पत्र भारतीय रिश्तेदारी, लिंग, और अंतरराष्ट्रीय प्रवास के संबंध का अध्ययन करता है, जिसका केंद्र वह सोना है जो प्रवासी पुरुष अपनी बहन-बेटियों के विवाह के लिए ख़रीदते हैं। सोना, जो कि दहेज का महत्वपूर्ण अंग है, अक्सर भारतीय समाज में एक “प्रथा” की तरह समझा जाता है। मगर इसका मतलब वास्तव में उदारीकरण, समकालीन शासनकाल, और अंतरराष्ट्रीय प्रवास से प्रभावित है। प्रवासी अपनी बहन-बेटियों के लिए खाड़ी देशों से कमाए पैसों से जब सोना ख़रीदते हैं तो वे कर्तव्य पालन करके अपना पुरुषत्व दिखाते हैं। भारतीय प्रवासी श्रमिकों का यह अध्ययन इस बात को दर्शाता है कि कामगार और उनके परिवारवाले इसे रिश्तेदारी बनाने और निभाने का एक तरीक़ा समझते हैं, और इस तरह खाड़ी का सोना एक रिश्तेदारी की वस्तु बन जाता है जो लिंग और परिवार के मतलब पर रोशनी डालता है।

خلاصہ

متحدہ عرب امارات اور ہندوستان کی انسیانیاتی تحقیق پر مبنی یہ تحقیقی مقالہ رشتہ داری ، جنس، اور بین الاقوامی نقل مکانی کے تعلق کا مطالعہ लीडिंग और लैगिंग संकेतक समझाया کرتا ہے جس کا مرکز وہ سونا ہے جو مہاجر مرد اپنی بہن بیٹیوں کی شادی کے لئے خریدتے ہیں۔ سونا جو کہ جہیز کا اہم حصہ ہے، ا کثر ہندوستانی سماج میں ایک "رسم" کی طرح سمجھا جاتا ہے، لیکن اس کو در اصل لبرلائیز یشن ، ہم عصر دور حکومت، اور بین الاقوامی نقل مکانی کے ذریعہ شکل ملی ہے۔ مہاجر اپنی بہن بیٹیوں کے لئے خلیجی ممالک میں کمائے پیسوں سے جب سونا خریدتے ہیں تو وہ فرض ادا کر کے اپنی مردانگی دکھاتے ہیں۔ ہندوستانی مہاجر محنت کشوں پر یہ مطالعہ اس بات کو دکھاتا ہے کہ یہ مزدور اور ان کے خاندان اسے ایک طرح سے رشتہ داری بنانے ، اسے قائم رکھنے کا ایک طریقہ سمجھتے ہیں، اور اس طرح کا سونا رشتہ داری کا ایک سامان بن جاتا ہے، جو جنس اور خاندان کے مطلب پر روشنی ڈالتا ہے۔

Keywords

kinship; gifts; labor; gender; migration; masculinity; रिश्तेदारी; उपहार; श्रमिक; लिंग; प्रवास; पुरुषत्व; رشتہ داری; تحفہ; محنت کش; جنس; نقل مکانی; مردانگی

अंगों के फड़कने से मिलते हैं भविष्य के संकेत, ये हैं शुभ-अशुभ विचार

अंगों के स्फुरण के संबंध में एक विचारणीय बिंदू सामने आता है कि आज के इस इंटरनैट युग में क्या अपनी इन पुरानी बातों को महत्व देंगे। यह तो अपनी-अपनी सोच पर निर्भर करता है किंतु यदि छोटी-छोटी बातों और पुरानी मान्यताओं तथा परम्पराओं की गहराई में जाकर उनका अध्ययन करके समझा जाए तो कहीं न कहीं वैज्ञानिक तथ्य भी प्राप्त हो जाएंगे।

अंग स्फुरणों के फल प्राप्ति के संबंध में कभी-कभी तो फल शीघ्र ही प्राप्त हो जाते हैं किंतु कभी-कभी देर से प्राप्त होते हैं लेकिन यह सत्य है कि प्रत्येक स्फुरण एक सौर मास के अंतर्गत अपने फल को अवश्य ही प्राप्त कर लेता है। अंगों में लगातार स्फुरण ही लाभदायी व फलदायक होता है। क्षणिक स्फुरण का फल बहुत कम प्राप्त होता है।

स्त्रियों के बाएं अंगों का तथा पुरुषों के दक्षिणांगों (दाएं) का फड़कना शुभ माना गया है। अत: उपयुक्त फलितांतर्गत जो भाग दाएं-बाएं में योग्य विभाजित किए जा सकते हैं उनके फल को भी तदनुसार ही समझना चाहिए। जिन भागों में योग्य विभाजन संभव नहीं है उनके फलित स्त्री पुरुष दोनों में समान होंगे।

* सिर का बायां भाग फड़के तो मनुष्य यात्रा करेगा। दायां भाग फड़के तो धन की प्राप्ति होती है।

* दोनों नेत्र साथ फड़कें तो मित्र या बिछुड़े से मिलन व बाईं आंख नाक की ओर से फड़के तो पुत्री प्राप्ति या शुभ कार्य होंगे।

* मूंछ का दायां भाग फड़के तो विजय होती है तथा बायां भाग फड़कने पर झगड़ा होता है।

* कंठ के फड़कने पर आभूषणों की प्राप्ति हो सकती है।

* ऊपरी पीठ फड़कने पर धन मिलता है।

* पेट का ऊपरी भाग फड़के तो हानिकारक व नीचे का भाग फड़कने पर अच्छा सूचक माना जाता है।

* दायां घुटना फड़के तो स्वर्ण की प्राप्ति होती है।

* यदि किसी व्यक्ति के कंधे अथवा कंठ में स्फुरण हो तो व्यक्ति के भोग विलास के साधनों में वृद्धि होगी। ऐसे धन प्राप्ति की आशा भी होती है जिसके पाने की कोई आशा ही न हो।

* वक्ष स्फुरण यदि हो तो विजय प्राप्त होती है। शत्रु नाश होता है, मुकद्दमों में भी विजय श्री मिलती है। बार-बार जिस कार्य में असफलता मिली हो, उसमें भी सफलता प्राप्त होती है।

* कटि स्फुरण से आमोद-प्रमोद में वृद्धि होती है।

* हृदय स्फुरण से मनोवांछित सिद्धि प्राप्त होती है।

* गुदा स्फुरण से वाहन सुख की प्राप्ति होती है।

* आंत अथवा आमाशय स्फुरण से रोग मुक्ति की सूचना मिलती है।

* पीठ का लगातार स्फुरण आगामी लीडिंग और लैगिंग संकेतक समझाया समय में किसी संकट की सूचना देता है।

* भुजाओं के फड़कने से मधुर भोजन व धन प्राप्ति की सूचना मिलती लीडिंग और लैगिंग संकेतक समझाया है। कहा भी गया है कि यदि किसी कंगाल की भुजा 15 दिनों तक फड़के तो वह करोड़पति हो जाता है।

* पाद तलों (पैरों की तली) से यदि स्फुरण हो तो अनायास ही मान प्रतिष्ठा मिलती है।

* नासिका, कटिपाश्र्व, लिंग, अधर, कपोल तथा जंघा में किसी भी भाग के स्फुरित होने पर प्रीतिसुख (प्रेम) प्राप्त होता है अर्थात प्रिय मिलन या किसी ऐसे नजदीकी व्यक्ति से मुलाकात होगी जिसके मिलन से सुख प्राप्त होगा।

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लीडिंग और लैगिंग संकेतक समझाया

बुजुर्गों, दिव्यांगजन और तृतीय लिंग समुदाय के लिए हेल्पलाईन एवं टोल फ्री नंबर शुरू

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की पहल पर समाज कल्याण विभाग द्वारा राज्य स्थापना दिवस से बुजुर्गों, दिव्यांग और तृतीय लिंग समुदाय के लिए हेल्पलाईन नम्बर 155326 और टोल फ्री नम्बर- 1800-233-8989 का संचालन शुरू कर दिया गया है। राज्य भर से बुजुर्ग, दिव्यांग और तृतीयलिंग समुदाय के व्यक्ति प्रतिदिन फोन कर इसका लाभ ले रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि ऐसे वृद्धजन जो घर में अकेले हो और जिनकी संतानें प्रदेश के बाहर कार्यरत हैं, उनके लिए आपात स्थितियों में सहायता के लिए प्रदेश में कोई प्रभावी व्यवस्था नहीं थी। इसे देखते हुए मुख्यमंत्री बघेल ने 01 अक्टूबर को अंतर्राष्ट्रीय वृद्धजन दिवस के अवसर पर छत्तीसगढ़ में बुजुर्गों के लिए एक नवंबर, राज्य निर्माण दिवस से सियान हेल्पलाइन शुरू करने की घोषणा की थी। मुख्यमंत्री बघेल ने कहा है कि राष्ट्र निर्माण में योगदान देने वाले वृद्धजनों की समुचित देखभाल करना हमारा नैतिक दायित्व है। राज्य सरकार बुजुर्गों को हर संभव मदद के लिए प्रतिबद्ध है।
समाज कल्याण विभाग के अधिकारियों ने बताया कि हेल्पलाईन शुरू होने के दिन से ही प्रतिदिन 05 से 06 फोेन हेल्पलाईन नम्बर पर आ रहे हैं। वरिष्ठ नागरिक और दिव्यांग पेंशन, विभागीय योजनाओं की जानकारी ले रहे हैं। साथ ही तृतीय लिंग के व्यक्ति रोजगार और राज्य सरकार द्वारा उन्हें दिए जा रहे लाभों के बारे में पूछ रहे हैं। समाज कल्याण विभाग द्वारा सभी जिलाधिकारियों को हेल्पलाईन और टोल फ्री नम्बर का व्यापक प्रचार-प्रसार करने कहा गया है, जिससे अधिक से अधिक लोग उसका लाभ ले सकंे।
समाज कल्याण विभाग द्वारा वरिष्ठ नागरिकों, दिव्यांगजन और उभयलिंग व्यक्तियों के कल्याण और पुनर्वास के लिए कई योजनाएं और कार्यक्रम संचालित किए जा रहे हैं। हेल्पलाईन और टोल फ्री नम्बर के माध्यम से विभागीय योजनाओं की जानकारी के साथ आपातकालीन सेवाएं, परामर्श, शिकायत, पेंशन भुगतान के निराकरण जैसी कई मदद ली जा सकती है। विभाग से संबंधित जानकारी के लिए जनसामान्य के द्वारा उपरोक्त हेल्पलाईन नम्बर और टोल फ्री नम्बर पर सम्पर्क किया जा सकता है।

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