Global Hunger Index, ग्लोबल हंगर इंडेक्स क्या है, और भारत की रैंकिंग कितनी है
अल्प पोषण या कुपोषित की व्यापकता जो कि आहार ऊर्जा सेवन की पुरानी कमी का सामना करने वाले पापुलेशन के अनुपात का एक उपाय है। देश में 2018 से 2022 में 14.6% से बढ़कर 2019- 2021 में 16.3 परसेंट हो गई थी। इसके बाद 224.3 मिलियन लोगों को भारत में कुपोषित माना गया है।
Global Hunger Index : ग्लोबल हंगर इंडेक्स ने हाल ही में अपनी रिपोर्ट जारी की है, जिसने भारत की चिंता बढ़ा दी है। 121 देशों के लिस्ट में भारत को 107 वां स्थान मिला है। भारत युद्ध ग्रस्त अफगानिस्तान के अलावा दक्षिण एशिया के लगभग सभी देशों से इस लिस्ट में पीछे हैं। ग्लोबल हंगर इंडेक्स यानी जीएचआई वैश्विक क्षेत्रीय और राष्ट्रीय स्तर पर भूख को व्यापक रूप से मापने और ट्रैक करने का एक उपकरण है। ग्लोबल हंगर इंडेक्स सेकोर की गणना 100 अंकों के आधार पर की जाती है, जो कि भूख की गंभीरता को दर्शाता है।
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इन अंको में 0 या जीरो सबसे अच्छा स्कोर है और सबसे खराब 100 से है। भारत का स्कोर 29.1 है जो कि इसे गंभीर श्रेणी में रखता है, पड़ोसी मुल्कों और भारत की तुलना ग्लोबल इंडेक्स रिपोर्ट में अगर पड़ोसी देशों की बात करें तो लगभग सभी देश भारत से भूख के मामले में बेहतर है। श्रीलंका को 74 वें स्थान पर है जहां की आर्थिक स्थिति अभी बहुत खराब है। नेपाल को 81 वां स्थान और पाकिस्तान को 99वें स्थान मिला है। अफगानिस्तान 109 पर है वही भारत 107 पर है अफगानिस्तान की स्थिति भारत से भी बदतर है। इसके अलावा चीन सामूहिक रूप से 1 और 17 के बीच रैंक वाले देश में से एक है। इस ग्लोबल हंगर इंडेक्स रेट में चीन 5 से भी कम है। अगर आप प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं और विशेषज्ञ मार्गदर्शन की तलाश कर रहे हैं, तो आप हमारे जनरल अवेयरनेस ई बुक डाउनलोड कर सकते हैं FREE GK EBook- Download Now. / GK Capsule Free pdf - Download here
भारत में कुपोषित लोगों की संख्या क्या है
अल्प पोषण या कुपोषित की व्यापकता जो कि आहार ऊर्जा सेवन की पुरानी कमी का सामना करने वाले पापुलेशन के अनुपात का एक उपाय है।
देश में 2018 से 2022 में 14.6% से बढ़कर 2019- 2021 में 16.3 परसेंट हो गई थी। इसके बाद 224.3 मिलियन लोगों को भारत में कुपोषित माना गया है। वहीं विश्व स्तर पर कुपोषित लोगों की कुल संख्या 828 मिलयन बताई गई है। Free Daily Current Affair Quiz-Attempt Now with exciting prize
ग्लोबल हंगर इंडेक्स के टॉप 10 देश
रैंक | देश |
1 | बेलोरूस |
2 | बोस्निया और हर्जेगोविना |
3 | चिली |
4 | चीन |
5 | क्रोएशिया |
6 | एस्तोनिया |
7 | हंगरी |
8 | कुवैट |
9 | लातविया |
10 | लिथुआनिया |
107 | भारत |
भारत में बाल मृत्यु दर में कमी आई है
भारत भले ही ग्लोबल इंडेक्स रेट में सबसे पीछे हैं, दुनिया में सबसे अच्छा संकेतक क्या है? लेकिन भारत में अन्य दो संकेतों में सुधार किया है। साल 2014 और 2022 के बीच बाल स्टंटिंग 38.7 परसेंट से घटकर 35.5 हुआ है और इसी तुलनात्मक अवधि में बाल मृत्यु दर भी 4.6% गिरकर 3.3 परसेंट हुई है। 2014 में भारत को ग्लोबल इंडेक्स रिपोर्ट इसको 28.2 था, जो 2022 में 29.1 हुआ है। यह बदली हुई स्थिति भारत के लिए अच्छी नहीं है। सभी प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए इस ऐप से करें फ्री में प्रिपरेशन - Safalta Application
ग्लोबल हंगर इंडेक्स का क्या कहना है
वैश्विक स्तर पर हाल के सालों में भूख के खिलाफ प्रगति काफी हद तक रुक की गई है। दुनिया के लिए साल 2022 का ग्लोबल हंगर स्कोर को मध्यम माना जाता है लेकिन साल 2022 में 18.2 और 2014 में 19.1 से थोड़ा सा ही सुधार हुआ है। यह व्यापक संकट और स्थिति क्लाइमेट चेंज, करोना महामारी के आर्थिक नतीजों जैसे संकटों के कारण हुई है। इसके अलावा यूक्रेन-रूस युद्ध ने भी वैश्विक खाद्य इंधन और उर्वरक की कीमतों में बढ़ोतरी की है और इसके बाद यह उम्मीद की जा रही है कि साल 2023 में भी भूख इसी प्रकार गंभीर होगी।
ग्लोबल हंगर इंडेक्स में क्यों पिछड़ा भारत?
सूचकांक में भारत 119 देशों की सूची में 103वें पायदान पर पहुंच गया है.
हाल ही में आए ग्लोबल हंगर इंडेक्स, 2018 से पता चलता है कि भूख और कुपोषण से निपटने में मोदी सरकार अब भी जूझ दुनिया में सबसे अच्छा संकेतक क्या है? रही है. भारत नाइजीरिया के साथ ग्लोबल हंगर इंडेक्स में 103वें स्थान पर है. इसे भूख के 'गंभीर' स्तर वाले देश के रूप में रखा गया है.दुनिया में सबसे अच्छा संकेतक क्या है?
सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले देशों में बेलारूस, बोस्निया और हर्जेगोविना, चिली, कोस्टारिका, क्रोएशिया इत्यादि हैं. भारत ने 30.5 के ग्लोबल हंगर इंडेक्स स्कोर के साथ खराब प्रदर्शन किया है.
यह स्थिति तब है जब भारत की कुपोषित आबादी में कमी आर्इ है. 2000 में भारत की कुल आबादी का 18.2 फीसदी हिस्सा कुपोषण का शिकार था. 2018 में कुल आबादी का 14.8 फीसदी वर्ग कुपोषण की स्थिति से गुजर रहा है.
ग्लोबल हंगर इंडेक्स के आंकड़े विश्व की सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था भारत पर कई प्रश्न उठाते हैं. 8 फीसदी की दर से बढ़ रही दुनिया की छठी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था क्या इतनी भी सक्षम नहीं है कि वह अपनी आबादी के एक बड़े तबके को भोजन करा सके? क्या हमारी प्रशासनिक और राजनीतिक व्यवस्था आज भी इतनी मजबूत नहीं है कि अपने देश में नागरिकों के भोजन के अधिकार को सुनिश्चित कर सके?
ऐसा नहीं है कि हमने भोजन की उपलब्धता को सुनिश्चित करने के लिए सामाजिक योजनाएं नहीं बनाई हैं. अंत्योदय अन्न योजना, मिड डे मील योजना, अन्नपूर्णा योजना, राशन वितरण प्रणाली जैसी भोजन के अधिकार को सुनिश्चित करने वाली सरकारी सामाजिक दुनिया में सबसे अच्छा संकेतक क्या है? योजनाएं चल रही हैं. वर्ष 2013 में खाद्य सुरक्षा अधिनियम भी परित कर इस स्थिति को सुधारने की कोशिश की गई थी. लेकिन, तमाम प्रयासों के बावजूद ग्लोबल हंगर इंडेक्स की रिपोर्ट भारत के दावों को खारिज करती है.
कुछ बड़े विशेषज्ञों की मानें तो देश में बढ़ रही आर्थिक असमानता की वजह से भी दुनिया में सबसे अच्छा संकेतक क्या है? भुखमरी की समस्या गंभीर हुई है. तेजी से बढ़ रहा भारत आर्थिक रूप से असमानता को भी देख रहा है. अमीर और गरीब के बीच में बढ़ती खाई ने गरीबों को भोजन जैसी बुनियादी आवश्यकता से दूर कर दिया है.
तेजी से बढ़ रही अर्थव्यवस्था में प्रति व्यक्ति आय दर में असमानता भी ग्लोबल हंगर इंडेक्स 2018 में भारत की बिगड़ती स्थिति का एक कारण है. आईएमएफ की रिपोर्ट के अनुसार, प्रति व्यक्ति आय दर के मामले में 200 देशों की सूची में भारत 126वें पायदान पर है.
ब्रिटेन स्थित चैरिटी ऑक्सफैम इंटरनेशनल ने आर्थिक असमानता को कम करने के प्रतिबद्धता सूचकांक में 157 देशों वाली सूची में भारत को 147वां स्थान दिया है. इस इंडेक्स में भारत को असमानता कम करने की प्रतिबद्धता के लिए "बहुत ही चिंताजनक स्थिति" के रूप में चिन्हित किया गया है.
इस रिपोर्ट के अनुसार, भारत 130 करोड़ लोगों का देश है. यहां सबसे अधिक गरीब रहते हैं. इसलिए अगर भारत अपने यहां गरीबी को कम दुनिया में सबसे अच्छा संकेतक क्या है? करता है तो विश्व में गरीबी के स्तर में बड़ी गिरावट देखी जाएगी. बिगड़ी हुई स्थिति का अंदाजा तो इस तथ्य से लगाया जा सकता है कि अभी हाल ही में वर्ल्ड बैंक ने मानव पूंजी सूचकांक जारी किया है. इसमें भारत 157 देशों की सूची में 115वें स्थान पर है.
भारत की ऊंची और टिकाऊ वृद्धि दर हासिल करने की सफलता को तब सही माना जाएगा जब इस आर्थिक वृद्धि का लोगों के जीवन तथा उनकी जरूरतों पर प्रभाव दिखेगा. तेज आर्थिक वृद्धि दर के दौर में पूंजीपतियों ने तो काफी तरक्की की है, लेकिन आज भी एक बड़ा तबका गरीबी में जीवन जी रहा है.
हालांकि, तेज आर्थिक विकास लोगों के जीवन को सुधारने में मदद करता है. तेज आर्थिक वृद्धि दर से प्रति व्यक्ति आय दर में बढ़ोतरी होती है. साथ ही सार्वजनिक राजस्व में भी बढ़त देखी जाती है. इसका उपयोग कहीं न कहीं समाज के विकास में ही होता है. लेकिन, हंगर इंडेक्स की रिपोर्ट से चिंता इसलिए होती है क्योंकि भारत में आर्थिक वृद्धि और सामाजिक प्रगति के बीच जो संबंध है उसका गहरा विश्लेषण लंबे अरसे से भारतीय राजनीति एवं मीडिया में महत्वपूर्ण नहीं रहा है.
विक्रांत सिंह
संस्थापक एवं अध्यक्ष, फाइनेंस एंड इकोनॉमिक्स थिंक काउंसिल, काशी हिंदू विश्वविद्यालय.
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Global Hunger Index 2022: भुखमरी में भारत की रैंकिंग काफी खराब, पाकिस्तान, श्रीलंका भी हमसे आगे
नेशनल डेस्क: वैश्विक भूख सूचकांक 2022 में भारत की स्थिति और खराब हुई है तथा वह 121 देशों में 107वें नंबर पर है जबकि बच्चों में ‘चाइल्ड वेस्टिंग रेट' (ऊंचाई के हिसाब से कम वजन) 19.3 प्रतिशत है जो दुनिया के किसी भी देश से सबसे अधिक है। पड़ोसी देश पाकिस्तान (99), बांग्लादेश (84), नेपाल (81) और श्रीलंका (64) भारत के मुकाबले कहीं अच्छी स्थिति में हैं। एशिया में केवल अफगानिस्तान ही भारत से पीछे है और वह 109वें स्थान पर है। वैश्विक भूख सूचकांक (जीएचआई) के जरिए वैश्विक, क्षेत्रीय और राष्ट्रीय स्तरों पर भूख पर नजर रखी जाती है और उसकी गणना की जाती दुनिया में सबसे अच्छा संकेतक क्या है? है। 29.1 अंकों के साथ भारत में भूख का स्तर ‘‘गंभीर'' है।
भारत 2021 में 116 देशों में 101वें नंबर पर था जबकि 2020 में वह 94वें पायदान पर था। रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनिया में सबसे अधिक भूख के स्तर वाले क्षेत्र, दक्षिण एशिया में बच्चों में नाटापन की दर (चाइल्ड स्टंटिंग रेट) सबसे अधिक है। इसमें कहा गया है, ‘‘भारत में ‘चाइल्ड वेस्टिंग रेट' 19.3 प्रतिशत है जो दुनिया के किसी भी देश में सबसे अधिक है और भारत की बड़ी आबादी के कारण यह इस क्षेत्र के औसत को बढ़ाता है।'' भारत, पाकिस्तान और अफगानिस्तान में बच्चों में नाटापन की दर (चाइल्ड स्टंटिंग रेट) 35 से 38 फीसदी के बीच है और क्षेत्र में अफगानिस्तान में यह दर सबसे अधिक है। भारत में अल्पपोषण की व्यापकता 2018-2020 में 14.6 प्रतिशत से बढ़कर 2019-2021 में 16.3 हो गयी है। इसका मतलब है कि दुनियाभर के कुल 82.8 करोड़ में से भारत में 22.43 करोड़ की आबादी अल्पपोषित है। पांच साल की आयु तक के बच्चों में मृत्यु दर के सबसे बड़े संकेतक ‘चाइल्ड वेस्टिंग' की स्थिति भी बदतर हुई है।
2012-16 में 15.1 प्रतिशत से बढ़कर 2017-21 में यह 19.3 प्रतिशत हो गया है। जीएचआई ने कहा, ‘‘अनुसंधानकर्ताओं ने चार भारतीय राज्यों छत्तीसगढ़, गुजरात, ओडिशा और तमिलनाडु में 2006 से 2016 के बीच नाटेपन की स्थिति में गिरावट के लिए जिम्मेदार कारकों की पड़ताल की।'' रिपोर्ट में कहा गया है कि अनुसंधानकर्ताओं ने पाया दुनिया में सबसे अच्छा संकेतक क्या है? कि स्वास्थ्य एवं पोषण की स्थिति, घरेलू स्थिति (जैसे कि सामाजिक-आर्थिक स्थिति एवं खाद्य सुरक्षा) और मातृत्व कारक (जैसे कि माताओं का स्वास्थ्य और शिक्षा) में सुधार आने के कारण नाटेपन की दर में गिरावट आयी। जीएचआई ने कहा कि दुनिया संघर्ष, जलवायु संकट और यूक्रेन में युद्ध के साथ ही कोविड-19 महामारी के आर्थिक परिणामों के साथ भूख को खत्म करने के प्रयासों में गंभीर चुनौती का सामना कर रही है। रिपोर्ट में आगाह किया गया है कि वैश्विक संकट के बढ़ने पर हालात और बिगड़ सकते हैं। इसमें कहा गया है, ‘‘संभावित समाधान और आवश्यक निवेश का पैमाना ज्ञात और परिमाणित है।
इसके बजाय, समस्या नीति के क्रियान्वयन में है और दुनिया में राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी है।'' भूख सूचकांक में भारत की स्थिति को लेकर सामाजिक कार्यकर्ताओं और नेताओं ने सरकार पर निशाना साधा है। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के वरिष्ठ नेता सीताराम येचुरी ने कहा कि सरकार को 8.5 वर्ष में भारत को अंधकार के इस युग में लाने की जिम्मेदारी लेनी चाहिए। उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘2014 के बाद से वैश्विक भूख सूचकांक में भारत की खतरनाक, तेज गिरावट। मोदी सरकार भारत के लिए विनाशकारी है।
‘बफर स्टाक' से ऊपर बेहद कम खाद्य भंडार की वजह से महंगाई बढ़ रही है। 8.5 वर्ष में भारत को अंधकार के इस युग में लाने की जिम्मेदारी सरकार को लेनी चाहिए।'' कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम ने कहा, ‘‘माननीय प्रधानमंत्री बच्चों में कुपोषण, भूख, नाटेपन और ‘चाइल्ड वेस्टिंग रेट' जैसे वास्तविक मुद्दों से कब निपटेंगे? भारत में 22.4 करोड़ लोगों को अल्पपोषित माना जा रहा है।'' उन्होंने एक अन्य ट्वीट में कहा, ‘‘2014 के बाद से मोदी सरकार के आठ वर्ष में हमारा ‘स्कोर' खराब हुआ है, 16.3 प्रतिशत भारतीय अल्पपोषित हैं जिसका मतलब है कि उन्हें पर्याप्त भोजन नहीं मिलता है। हिंदुत्व, हिंदी थोपना और नफरत फैलाना भूख मिटाने की दवा नहीं है।''
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Corruption Perceptions Index: पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान (Imran Khan) के लिए ये एक झटके की तरह है, क्योंकि उन्होंने भ्रष्टाचार खत्म करने का वादा किया था.
दुनिया की जानी मानी संस्था ‘ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल’ (Transparency International) ने मंगलवार को ‘करप्शन परेसेप्शन इंडेक्स’ (CPI) को जारी किया. इस इंडेक्स में दुनिया के 180 देशों को शामिल किया गया है. इन मुल्कों को इनके यहां पर जारी भ्रष्टाचार के स्तर के आधार पर रैंक दिया गया है. CPI इंडेक्स के मुताबिक, भारत को एक रैंकिंग का फायदा हुआ है और इस तरह वह 180 देशों में 85वें स्थान पर पहुंच गया. दूसरी ओर, पाकिस्तान (Paksitan) की स्थिति बेहद ही खराब रही है. उसका प्रदर्शन सुधरने के बजाय और अधिक खराब हो गया है. पाकिस्तान इस लिस्ट में 124 से गिरकर अब 140वें स्थान पर पहुंच गया है.
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान (Imran Khan) के लिए ये किसी बड़े झटके से कम नहीं है, क्योंकि उन्होंने सत्ता में आने से पहले वादा किया था कि उनकी सरकार भ्रष्टाचार मुक्त देश बनाएगी. ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल ने कहा कि पाकिस्तान 2021 के वैश्विक ‘करप्शन परेसेप्शन इंडेक्स’ में 16 स्थान नीचे खिसक दुनिया में सबसे अच्छा संकेतक क्या है? गया है और 180 देशों में 140वें स्थान पर है. वैश्विक भ्रष्टाचार से निपटने के लिए गठित बर्लिन (Berlin) स्थित गैर-लाभकारी संगठन द्वारा जारी रिपोर्ट में कहा गया कि दुनियाभर में भ्रष्टाचार का स्तर स्थिर है. 86 प्रतिशत देशों ने पिछले 10 सालों में बहुत कम या कोई प्रगति नहीं की है.
पाकिस्तान, भारत और बांग्लादेश का क्या रहा स्कोर
अपने 2021 एक एडिशन में ‘करप्शन परेसेप्शन इंडेक्स’ (CPI) 180 देशों और इलाकों को सार्वजनिक क्षेत्र के भ्रष्टाचार के उनके कथित स्तरों के आधार पर शून्य (अत्यधिक भ्रष्ट) से 100 (बहुत साफ) के पैमाने पर रैंक करता है. 2020 में, पाकिस्तान को CPI में 100 में से 31 स्कोर दुनिया में सबसे अच्छा संकेतक क्या है? मिला थे और 180 देशों में से उसका 124वां स्थान था. ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल के अनुसार, देश का भ्रष्टाचार स्कोर अब घटकर 28 हो गया है, जबकि यह इंडेक्स में कुल 180 देशों में से 140वें स्थान पर है. इसकी तुलना में भारत का स्कोर 40 है और वह 85वें स्थान पर है. वहीं, बांग्लादेश का स्कोर 26 है और वह 147वें स्थान पर है.
सूची में टॉप पर कौन से देश हैं?
इस साल की सूची में दुनिया में सबसे अच्छा प्रदर्शन डेनमार्क (Denmark) का रहा और वह नंबर एक पर है. वहीं, दूसरे नंबर पर फिनलैंड (Finland), तीसरे पर न्यूजीलैंड (New Zealand), चौथे स्थान पर नॉर्वे और पांचवें पर सिंगापुर है. दूसरी ओर, सबसे खराब हाल दक्षिणी सूडान का रहा है और उसे 180 नंबर रखा गया है. उससे पहले सीरिया, सोमालिया, वेनेजुएला और यमन का नंबर आता है. रिपोर्ट में कहा गया है कि जैसे-जैसे भ्रष्टाचार विरोधी प्रयास बढ़ रहे हैं और हालात बिगड़ते जा रहे हैं. वैसे-वैसे मानवाधिकार और लोकतंत्र पर हमले अधिक हो रहे हैं.
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