मैं इस बात से खुश हूं कि हाउसिंग डेवेलपमेंट कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (एचडीएफसी) ने लंदन में इस ऐतिहासिक बॉन्ड को जारी किया। यह लंदन के एक प्रमुख वैश्विक वित्तीय बाजार के रूप में विश्वास मत को प्रस्तुत करता है और यह भी साबित करता है कि ब्रिटेन व्यापार करने के लिए एक महत्वपूर्ण स्थान है। यह सौदा पहले से ही स्थापित यूके एवं भारत के बीच घनिष्ठ आर्थिक संबंधों को विदेशी मुद्रा निवेश विश्वास और मजबूत करता और साथ ही भविष्य में और भी मसाला बॉन्ड के यूके में जारी होने के मार्ग को प्रशस्त करता है। यह भविष्य में और अच्छी गतिविधियों के संकेत देता है। ब्रिटेन व्यापार की ओर उन्मुक्त है और विदेशी निवेश के लिए दुनिया के सबसे आकर्षक स्थानों में से एक है।

भारत का विदेशी मुद्रा भंडार

(प्रारंभिक परीक्षा के लिए – विदेशी मुद्रा भंडार, विशेष आहरण अधिकार, अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के साथ रिज़र्व ट्रेंच)
(मुख्य परीक्षा के लिए, सामान्य अध्यन पेपर 3 - भारतीय अर्थव्यवस्था, मौद्रिक नीति)

चर्चा में क्यों ?

भारतीय रिजर्व बैंक के अनुसार भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 30 सितंबर को 532.66 अरब डॉलर हो गया, जो जुलाई 2020 के बाद से अब तक का सबसे निम्नतम स्तर है।

देश के विदेशी मुद्रा भंडार में लगातार नौवें सप्ताह गिरावट दर्ज की गई।

लंदन स्टॉक एक्सचेंज में विश्व के पहले 'मसाला' बॉण्ड की शुरुआत

विश्व के प्रमुख वित्तीय केंद्र के रूप में लंदन का दर्जा तब और प्रभावी हुआ, जब भारत के बाहर किसी भारतीय कम्पनी द्वारा दुनिया का पहला ‘मसाला’ या रुपया-नामित बॉन्ड लंदन के शेयर बाजार में आज यानी 1 अगस्त 2016 को जारी किया गया।

एक्सचेकर के विदेशी मुद्रा निवेश विश्वास चांसलर फिलिप हैमंड ने हाउसिंग डेवेलपमेंट कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (एचडीएफसी) द्वारा इस ऐतिहासिक सूचीकरण का स्वागत किया। एचडीएफसी भारत के सबसे बड़े बैंकों में से एक है और भारत में आवास के लिए वित्तीय सहायता देने वाला प्रमुख बैंक है।

एचडीएफसी पहली ऐसी कम्पनी है, जिसने इस तरह का बॉन्ड जारी किया है और लंदन में उसके बॉन्ड जारी करने का निर्णय इस ओर स्पष्ट संकेत देता है कि लंदन दुनिया का सर्वश्रेष्ठ वित्तीय केंद्र है।

इस बॉन्ड ने 30 बिलियन भारतीय रुपए यानी 450 मिलियन यूएस डॉलर बटोरे हैं। यह तीन साल में परिपक्व होगा और यह 8.33% की दर से सालाना प्रतिफल देगा। यह चार गुना से ज्यादा ओवरसब्सक्राइब हुआ है जिसमें एशियाई निवेशकों ने खासी रुचि दिखाई है। यह प्रमुख उभरते बाजारों में वित्तीय निवेश के लिए लंदन के एक रणनीतिक साझेदार के रूप में निर्णायक भूमिका को दर्शाता है, जिसका सारा श्रेय उसके वैश्विक निवेश समुदाय को आकर्षित करने वाली गहरी और तरल पूंजी बाजार को जाता है।

एक्सचेकर के चांसलर फिलिप हैमंड ने कहा:

मैं इस बात से खुश हूं कि हाउसिंग डेवेलपमेंट कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (एचडीएफसी) ने लंदन में इस ऐतिहासिक बॉन्ड को जारी किया। यह लंदन के एक प्रमुख वैश्विक वित्तीय बाजार के रूप में विश्वास मत को प्रस्तुत करता है और यह भी साबित करता है कि ब्रिटेन व्यापार करने के लिए एक महत्वपूर्ण स्थान है।

यह सौदा पहले से ही स्थापित यूके एवं भारत के बीच घनिष्ठ आर्थिक संबंधों को और मजबूत करता और साथ ही भविष्य में और भी मसाला बॉन्ड के यूके में जारी होने के मार्ग को प्रशस्त करता है। यह भविष्य में और अच्छी गतिविधियों के संकेत देता है।

ब्रिटेन व्यापार की ओर उन्मुक्त है और विदेशी निवेश के लिए दुनिया के सबसे आकर्षक स्थानों में से एक है।

एशिया के लिए यूके के मंत्री आलोक शर्मा ने कहा:

मैं एचडीएफसी द्वारा विश्व के सबसे पहले रुपया नामित बॉन्ड को जारी करने के लिए लंदन के चुनाव के इस कदम का हृदय से स्वागत करता हूं, जो लंदन के एक प्रमुख वित्तीय केंद्र होने की ओर स्पष्ट संकेत देता है। निवेशकों द्वारा जबर्दस्त मांग भारत के विकास में यूके की महत्वपूर्ण भूमिका का उदाहरण है और यह यूके और भारत के बीच घनिष्ठ आर्थिक संबंधों को और मजबूत करता है। मुझे पूर्ण विश्वास है कि इस कदम से बुनियादी ढांचे के क्षेत्र में भारत में महत्वकांक्षी योजनाओं को समर्थन देने के लिए और अधिक भारतीय कम्पनियां लंदन में पूंजी निवेश करने के लिए आगे आएंगी।

यूके में भारतीय प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की ऐतिहासिक यात्रा की प्रतिबद्धताओं को विस्तारित करने वाली यह शुरुआत इस बात की पुष्टि करती है कि यूके न केवल मजबूत आर्थिक संबंधों में बल्कि ब्रिटेन में 1.5 मिलियन की संख्या में जोशीले प्रवासी भारतीयों के लिए भी भारत का एक स्वाभाविक साझेदार है।

एचडीएफसी के अध्यक्ष दीपक पारेख ने कहा:

लंदन शेयर बाजार में इस बॉन्ड को सूचीबद्ध करना हमारे लिए गौरव का बात है। दुनिया के सबसे बड़े शेयर बाजरों में से एक होने के अलावा लंदन शेयर बाजार की 300 वर्ष पुरानी समृद्ध विरासत है।

विदेशी मुद्रा निवेश विश्वास

लंदन शेयर बाजार वित्तीय साधनों की व्यापक श्रृंखला पेश करके खुद को लीक से हटकर प्रस्तुत करता है और उसे अंतर्राष्ट्रीय निवेशकों का अडिग विश्वास भी प्राप्त है।

हम सूचीबद्ध करने के लिए अन्य बाजारों का भी पता लगा रहे थे लेकिन हमारी जरूरी आवश्यकताओं के प्रति जिस तरह यूकेएलए और लंदन शेयर बाजार ने प्रतिक्रिया दिखाई वह उल्लेखनीय है। इस बात के मद्देनजर, एक भारतीय कम्पनी द्वारा वैश्विक वित्तीय केंद्र में जारी होने वाला यह अपनी तरह का पहला बॉन्ड है, सभी अधिकारी स्पष्टवादी और सहायक थे।

लंदन शेयर बाजार के सीईओ निखिल राठी ने कहा:

लंदन शेयर बाजार विश्व के अपने किस्म के पहले भारतीय व्यावसायिक मसाला बॉन्ड की मेजबानी करने पर सम्मानित महसूस करता है, जो भारतीय वित्त जगत के लिए एक ऐतिहासिक घटना है और वह भारतीय जारी-कर्ताओं के साथ दीर्घकालिक संबंध बनाने के लिए इच्छुक है।

लंदन में सूचीबद्धता की कुशल प्रक्रिया और वैश्विक बाजारों के दोहन के विकल्पों का लाभ उठाकर वैश्विक जारीकर्ता अब बिना विदेशी मुद्रा के जोखिम के विश्व भर में अंतर्राष्ट्रीय वित्त की नवीन प्रणाली और निवेशकों तक पहुंच बना सकते हैं।

हम एचडीएफसी, खासतौर से अध्यक्ष दीपक पारेख, को इस ऐतिहासिक लिस्टिंग विदेशी मुद्रा निवेश विश्वास के लिए बधाई देते हैं: जो कि ब्रिटेन और भारत के बीच वित्तीय साझेदारी में एक प्रमुख सफलता है।

भारत के साथ आर्थिक और व्यापारिक संबंध यूके के लिए प्रमुख प्राथमिकता हैं। यूके किसी अन्य जी20 देश की अपेक्षा भारत में अधिक निवेश करता है, वहीं भारत यूके में निवेश का एक प्रमुख स्रोत है। भारत पहले ही विश्व की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक है और इसका वर्ष 2030 तक तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होना अनुमानित है।

यूके-भारत की वित्तीय साझेदारी में पिछले वर्ष जो मील का पत्थर साबित हुए, उनमें शामिल रहे:

विदेशी मुद्रा भंडार बढ़ा, विदेशी निवेश भी 19383 करोड़

अगस्त तथा सितंबर में निवेशकों के पूंजी निकालने के बाद विशेषज्ञ अक्टूबर में उनके सकारात्मक रूख को शुभ संकेत मान रहे हैं।

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मुंबई। घरेलू पूंजी बाजार में विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) तथा विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) का विश्वास लौट आया है और इस महीने अब तक उन्होंने बाजार में 19383.35 करोड़ रुपए (298.66 करोड़ डॉलर) का निवेश किया है। अगस्त तथा सितंबर विदेशी मुद्रा निवेश विश्वास में निवेशकों के पूंजी निकालने के बाद विशेषज्ञ अक्टूबर में उनके सकारात्मक रूख को शुभ संकेत मान रहे हैं।

विदेशी निवेशकों ने अगस्त में बाजार से 17524.17 करोड़ रुपए तथा सितंबर में 5783.63 करोड़ रुपए निकाले थे। इस बीच अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व की पिछली बैठक के जारी मिनट्स में ब्याज दरों में बढ़ोतरी को लेकर कोई जल्दबाजी नहीं दिखाने के संकेत से घरेलू पूंजी बाजार में बेहतर रिटर्न मिलने विदेशी मुद्रा निवेश विश्वास की उम्मीद में विदेशी निवेशकों के निवेश में मजबूती देखी जा रही है। हालांकि पिछले सप्ताह विदेशी निवेशक शुद्ध लिवाल तो रहे, लेकिन उनका निवेश कुछ कम हुआ है। माना जा रहा है कि वे इस सप्ताह होने वाली फेडरल रिजर्व की बैठक का इंतजार कर रहे हैं। उससे मिलने वाले संकेतों से ही आगे विदेशी निवेश का रुख तय होगा। तब तक वे सतर्कता बरत रहे हैं। अक्टूबर में एफआईआई/एफपीआई ने शेयरों में जहां 5544.96 करोड़ रुपए का निवेश किया, वहीं डेट में उनका निवेश 13838.39 करोड़ रुपए का रहा। इस प्रकार उनका कुल निवेश 19383.35 करोड़ रुपए रहा।

लगातार तीसरे सप्ताह बढ़ा हुआ विदेशी मुद्रा भंडार

देश का विदेशी मुद्रा भंडार लगातार तीसरे सप्ताह बढ़ता हुआ 16 अक्टूबर को समाप्त सप्ताह के दौरान 353.53 अरब डॉलर पर पहुंच गया। सप्ताह के दौरान इसमें 45.8 करोड़ डॉलर की बढ़ोतरी दर्ज की गई। 09 अक्टूबर को समाप्त सप्ताह में यह 353.07 अरब डॉलर रहा था। रिजर्व बैंक द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, विदेशी मुद्रा भंडार का सबसे बड़ा घटक विदेशी मुद्रा परिसंपत्ति 16 अक्टूबर को समाप्त सप्ताह के दौरान 45.25 करोड़ डॉलर बढ़कर 329.97 अरब डॉलर पर पहुंच गया।

RBI Action: वैश्विक मंदी की अटकलों के बीच विदेशी मुद्रा लाने के नियम किए गए आसान, चिंता में क्यों है आरबीआइ

RBI action to boost indian economy वैश्विक मंदी की अटकलों के बीच आरबीआइ ने बड़े फैसले लिए हैं। आरबीआइ (Reserve Bank of India) ने देश में विदेशी मुद्रा लाने के नियमों को आसान बना दिया है। जानें क्‍यों चिंतित है केंद्रीय रिजर्व बैंक.

जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। डालर के मुकाबले लगातार रुपये की घटती कीमत, देश में बढ़ते कारोबार घाटे (निर्यात के मुकाबले आयात पर ज्यादा खर्च) और वैश्विक मंदी की अटकलों के बीच आरबीआइ ने देश में विदेशी मुद्रा लाने के नियमों को आसान बना दिया है। केंद्रीय बैंक ने इस बारे में पांच अहम कदम उठाकर पहली बार यह संकेत दिया है कि विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआइआइ) द्वारा भविष्य में भी पैसा निकाले जाने की संभावना है और इससे रुपये की कीमत और गिरावट आ सकती है।

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चिंता में क्यों हैं आरबीआइ

1-चालू वित्त वर्ष डालर के मुकाबले रुपया 4.1 प्रतिशत गिरा

2-अप्रैल-जून की तिमाही में 61 अरब डालर का हुआ कारोबारी घाटा

3-शेयर बाजार से बाहर निकल रहे हैं विदेशी संस्थागत निवेशक

4-विदेशी मुद्रा भंडार घटकर 593 अरब डालर पर आया

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ईसीबी से कर्ज लेने की सीमा को किया दोगुना

यह भी आश्चर्यजनक है कि अभी कुछ समय पहले तक कारपोरेट घरानों की तरफ से वाह्य वाणिज्यिक कर्ज (ईसीबी) को लेकर बहुत उत्साह नहीं दिखाने वाले आरबीआइ ने अब ईसीबी से कर्ज लेने की सीमा को दोगुना कर दिया है।

केंद्रीय बैंक द्वारा उठाए गए कदम

  • विदेशों से ज्यादा कर्ज ले सकेंगे कारपोरेट
  • घरेलू ऋण बाजार में ज्यादा निवेश कर सकेंगे विदेशी निवेशक
  • प्रवासी भारतीयों से विदेशी मुद्रा में ज्यादा जमा जुटा सकेंगे बैंक

घरेलू मुद्रा बाजार को बचाकर रखने के निर्देश

Train cancelled Today 15 December 2022, Check status of your train

केंद्रीय बैंक ने यह भी कहा है कि वह पूरे हालात पर नजर रखे है और उसकी पूरी कोशिश है कि वैश्विक स्तर पर जो हालात बन रहे हैं उससे घरेलू मुद्रा बाजार को बचाकर रखा जा सके। जो उपाय किए गये हैं उसमें बैंकों को प्रवासी भारतीयों से ज्यादा से ज्यादा विदेशी मुद्रा में जमा राशि जुटाने को कहा गया है।

बैंकों को दिया सुझाव

अभी प्रवासी भारतीयों के लिए लागू विदेशी मुद्रा वाली जमा स्कीमों (एफसीएनआरबी) के तहत बैंक कितनी ब्याज दर दे सकते हैं इसको लेकर सख्त नियम लागू है। इन स्कीमों के तहत जमा की परिपक्वता अवधि के हिसाब से कितना ब्याज दिया जा सकता है, इसकी सीमा तय की गई है। अब केंद्रीय बैंक ने बैंकों से कहा है कि वो 31 अक्टूबर, 2022 तक ब्याज दरों की उक्त सीमा के इतर जमा राशि आकर्षित कर सकते हैं।

फेड ने अपनी बेंचमार्क दर को आधे अंक से बढ़ाकर 4.25% से 4.5% कर दिया। (Photo- AP)

एफपीआइ के लिए खोले दरवाजे

इसी तरह से ऋण बाजार में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआइ) के लिए निवेश के दरवाजे और खोल दिए गए हैं। अभी एफपीआइ के लिए कंपनियों के ऋण प्रपत्रों में कम से कम एक वर्ष के लिए निवेश करने की शर्त लागू है। इस नियम को बदलते हुए केंद्रीय बैंक ने कहा है कि एफपीआइ कारपोरेट ऋण प्रपत्रों के तहत कमर्शियल पेपर, गैर-परिवर्तनीय डिबेंचर्स (एनसीडी) आदि में एक वर्ष से कम अवधि के लिए भी निवेश कर सकते हैं।

FM says govt will work to further bring down inflation

निवेश की शर्तें की आसान

सरकारी प्रतिभूतियों में भी एफपीआइ के लिए निवेश की मौजूदा शर्त को आसान कर दिया गया है। अभी इस श्रेणी में एक वर्ष की परिपक्वता अवधि वाले प्रपत्रों में एफपीआइ के कुल निवेश का 30 प्रतिशत से ज्यादा हिस्सा नहीं लगाया जा सकता। अब इस नियम को हटा दिया गया है यानी अब एफपीआइ ज्यादा राशि सरकारी प्रतिभूतियों में कम अवधि के लिए भी निवेश कर सकेंगे।

IDBI Bank Bid Submission Deadline Extended Till 7 January 2022

कंपनियों को अब विदेश से डेढ़ अरब डालर तक लेने की छूट

एक अहम फैसला ईसीबी को लेकर किया गया है। अभी कंपनियों को आटोमोटिक रूट के जरिये विदेश से 75 करोड़ डालर लेने की छूट है। इस सीमा को बढ़ाकर 1.5 अरब डालर कर दिया गया है। ईसीबी के तहत पहली बार भारतीय कंपनियों को विदेशों से इतनी बड़ी मात्रा में कर्ज लेने की छूट मिली है। यह नियम 31 दिसंबर, 2022 तक लागू होगी। इसके अलावा बैंकों से कहा गया है कि वे भी विदेशों से ज्यादा कर्ज ले सकेंगे ताकि जो कंपनियां ईसीबी से सीधे उधारी नहीं ले सकते हैं, उन्हें वो ज्यादा विदेशी मुद्रा में कर्ज दे सकें। यह नियम 31 अक्टूबर, 2022 तक लागू होगा।

India WPI Data November 2022 decreased to 5.85 Percent

केंद्रीय बैंक ने कहा, विकास संभावनाओं पर नहीं पड़ेगा कोई असर

इन नियमों को लागू करते हुए आरबीआइ ने कहा है कि वैश्विक स्तर पर मंदी के बादल छाए हैं। वित्तीय बाजार में जोखिम बढ़ा है और उभरती बाजार की अर्थव्यवस्थाओं की मुद्राओं पर लगातार गिरावट का दबाव है। केंद्रीय बैंक भारत की अर्थव्यवस्था को लेकर सकारात्मक है और मानता है कि भारत की विकास संभावनाओं पर कोई असर नहीं पड़ा है। हालांकि बढ़ते कारोबारी घाटे और चालू खाता घाटे का बढ़ता स्तर चिंताजनक है। यह भी कहा है कि भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 593.3 अरब डालर है। डालर के मुकाबले रुपया बुधवार को 79.30 के स्तर पर बंद हुआ है।

देश का विदेशी मुद्रा भंडार पहली बार 500 अरब विदेशी मुद्रा निवेश विश्वास डॉलर के पार

मुंबई, 13 जून (भाषा) विदेशी निवेश में तेजी के चलते पांच जून को समाप्त सप्ताह में देश के विदेशी मुद्रा भंडार में 8.22 अरब डॉलर की जोरदार वृद्धि हुई। इसके दम पर देश का विदेशी मुद्रा भंडार इतिहास में पहली बार 500 अरब डॉलर के स्तर को पार कर गया। रिजर्व बैंक के ताजा आंकड़ों में इसकी जानकारी मिली। आंकड़ों के अनुसार, विदेशी मुद्रा आस्तियों में तेज वृद्धि के कारण आलोच्य सप्ताह में देश का विदेशी मुद्रा भंडार 501.70 अरब डॉलर पर पहुंच गया। यह भंडार एक साल के आयात जरूरतों को पूरा करने के बराबर है। इससे पहले 29

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