वास्तव में वे गुजरात में ओडिशा का चेहरा थे। 20 जून की सुबह उनके भारत के व्यापार संबंधी विरोधाभास देहवसान के बाद से ही देश भर से और पार्टी के सभी स्तरों के पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं के साथ साथ अन्य प्रतिष्ठित सरकारी अधिकारियों से शोक संदेशों भारत के व्यापार संबंधी विरोधाभास की वर्षा होने लगी थी। भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ. संबित पात्रा जैसे प्रसिद्ध नेता, भारत सरकार के केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन एवं डेयरी और एमएसएमई राज्य मंत्री श्री प्रताप सारंगी, भुवनेश्वर की सांसद अपराजिता सारंगी, भारत सरकार के पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस और इस्पात मंत्री धर्मेंद्र प्रधान और जनजातीय मामलों के पूर्व केंद्रीय मंत्री जुएल ओराम जैसे देश के बहुत से प्रतिष्ठित लोग इस कद्दावर व्यक्तित्व के निधन से अत्यंत दुखी और शोकाकुल थे और सभी ने इस दुखद घड़ी पर अपनी समवेदनाएं भी व्यक्त की थी।

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भाजपा की ओडिशा राज्य इकाई के वरिष्ठ नेता सुबास गंतायत के निधन पर युवराज पोखरना ने व्यक्त की सवेंदना

Subas Gantayat, senior leader of BJP

भाजपा की ओडिशा राज्य इकाई के वरिष्ठ नेता सुबास गंतायत

नई दिल्ली. ऊर्जावान, मिलनसार और सौहार्दपूर्ण आचरण के साथ साथ आतुरता (व्याकुलता) की भावना से ओतप्रोत होने के बाबजूद, हर क्षण मेरे लिए चिंतित रहने वाले पितृतुल्य और विशुद्ध प्रेम की मूर्ति सुबास गंतायत जी का उनकी कर्कश आवाज के साथ मैं आज भी स्मरण करता हूं। वे मूल रूप से ओडिशा से थे, लेकिन नियति ने गुजरात के सूरत शहर को उनका निवास स्थान और कर्मभूमि के रूप में चुना था। अभी इस आलेख को लिखते समय भी उनकी वही कर्कश आवाज मेरे कानों में गूंज रही है।

जहां तक सार्वजनिक जीवन में उनकी सक्रियता की बात है, तो वे भाजपा की ओडिशा इकाई के राज्य कार्यकारिणी सदस्य थे, आपातकाल के दौरान इंदिरा गांधी की सरकार द्वारा लागू किए गए दुर्दांत नियम मीसा (Maintainance of Internal Security Act) के तहत बंदी बनाये गए थे, लोकतंत्र सेनानी संघ के राष्ट्रीय भारत के व्यापार संबंधी विरोधाभास सचिव, छात्र संगठन एबीवीपी के ओडिशा राज्य के पूर्व राज्य सचिव और सूरत ओडिया वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष भी थे। पेशेवर रूप से उनका कद बहुत बड़ा था, जिसके तहत उन्होंने रिलायंस और अडानी जैसे विशाल औद्योगिक घरानों में वाइस प्रेजिडेंट-कॉर्पोरेट अफेयर्स के पद से अपनी सेवानिवृति ली थी।

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