* बुध, गुरु का उदय तथा पश्चिम का शुक्रास्त चांदी में तेजी लाता है।

जीरा वायदा - दिसम्बर 22 (NJEc1)

जीरा वायदा के लिए हिस्टोरिकल डेटा एक्सेस करें। आपको चुनी हुई तिथि की रेंज के लिए क्लोज़िंग मूल्य, ओपन, हाई, लो, बदलाव एवं प्रतिशत बदलाव मिलेंगे। यह डेटा रोज़ाना, साप्ताहिक एवं मासिक अंतराल पर दिखती है। टेबल के नीचे आपको चुनी हुई तिथियों की रेंज के लिए डेटा सारांश प्राप्त होगा।

उच्चतम : 25,800.00 निम्नतम : 23,420.00 अंतर : 2,380.00 औसत : 24,685.00 बदलें % : 3.18

जीरा वायदा परिचर्चा

जीरे मे अब सारी और संगीन तेजी दीपावली के बाद आयेगी और वो उतराण तक रहेगी, जुलाई, ओगसट मे सामान्य तेजी आ सकति है, लेकिन वो टीकाउ नहि रहेगी, बाद मे फीर से मंदी आ सकति है.

जोखिम प्रकटीकरण: वित्तीय उपकरण एवं/या क्रिप्टो करेंसी में क्या बाहरी दिन तेजी या मंदी का दिन है ट्रेडिंग में आपके निवेश की राशि के कुछ, या सभी को खोने का जोखिम शामिल है, और सभी निवेशकों के लिए उपयुक्त नहीं हो सकता है। क्रिप्टो करेंसी की कीमत काफी अस्थिर होती है एवं वित्तीय, नियामक या राजनैतिक घटनाओं जैसे बाहरी कारकों से प्रभावित हो सकती है। मार्जिन पर ट्रेडिंग से वित्तीय जोखिम में वृद्धि होती है।
वित्तीय उपकरण या क्रिप्टो करेंसी में ट्रेड करने का निर्णय लेने से क्या बाहरी दिन तेजी या मंदी का दिन है क्या बाहरी दिन तेजी या मंदी का दिन है पहले आपको वित्तीय बाज़ारों में ट्रेडिंग से जुड़े जोखिमों एवं खर्चों की पूरी जानकारी क्या बाहरी दिन तेजी या मंदी का दिन है होनी चाहिए, आपको अपने निवेश लक्ष्यों, अनुभव के स्तर एवं जोखिम के परिमाण पर सावधानी से विचार करना चाहिए, एवं जहां आवश्यकता हो वहाँ पेशेवर सलाह लेनी चाहिए।
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ज्योतिष की राय: ग्रहों की चाल देती है चांदी में तेजी-मंदी के संकेत

बहुमूल्य धातु सोना और चांदी में अचानक बहुत तेजी आ जाती है या यह सस्ती हो जाती है। ऐसा क्यों होता है? इसके लिए ज्योतिष में कुछ ग्रहों को कारक माना जाता है। चांदी में तेजी या मंदी निम्र ग्रह योगों के होने पर भी बन सकती है-

तेजी के योग
* बुध या गुरु के वक्री होने पर चांदी के भाव तेज होना संभव है।


* शुक्रवार, शनिवार का चंद्र दर्शन चांदी में तेजी करवा सकता है।


* शुभ ग्रह रहित पुष्प या धनिष्ठा नक्षत्र चांदी में तेजी का कारण बनते हैं।


* बुध-गुरु-शुक्र में से कोई भी ग्रह अस्त होने पर चांदी में तेजी होना संभव है।


* किसी महीने में पांच बुधवार होने पर चांदी में उतार-चढ़ाव आकर तेजी होना संभव है।

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महंगाई या मंदी, किसे रोकना चाहता है US, भारत पर कैसे पड़ेगा असर, समझें

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''बाइडेन एक काल्पनिक दुनिया में हैं, वह अमेरिका की महंगाई को ''पुतिन इन्फ्लेशन'' नाम देना चाहते हैं।'' रूस सरकार की ओर से जब ये प्रतिक्रिया दी गई तब अमेरिका का सेंट्रल बैंक फेड रिजर्व महंगाई या मंदी, दोनों में से किसी एक को चुनने की जद्दोजहद कर रहा था।

हालांकि, अब फेड रिजर्व ने ब्याज दरों में रिकॉर्ड 0.75 क्या बाहरी दिन तेजी या मंदी का दिन है फीसदी की बढ़ोतरी कर यह साफ कर दिया है कि उसका पहला लक्ष्य महंगाई को काबू में लाना है। यह इसलिए भी क्योंकि अमेरिका में महंगाई 40 साल के उच्चतम स्तर पर है। अब यह भी तय माना जा रहा है कि अमेरिकी इकोनॉमी शॉर्ट टर्म मंदी की ओर जा रही है। वहीं, कुछ विश्लेषकों का कहना है कि इकोनॉमी शॉर्ट टर्म के लिए ही सही लेकिन मंदी आ चुकी क्या बाहरी दिन तेजी या मंदी का दिन है है।

वैश्विक मंदी के जोखिम के बीच सबसे ताकतवर इकोनॉमी के रूप में उभरेगा भारत, जानिए क्या हैं कारण

प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के सदस्य संजीव सान्याल ने कहा है कि दुनिया के मंदी में जाने की आशंकाओं के बीच 2022-23 में भारत 7 प्रतिशत की ग्रोथ रेट के साथ सबसे मजबूत अर्थव्यवस्था के तौर पर उभरेगा.

वैश्विक मंदी के जोखिम के बीच सबसे ताकतवर इकोनॉमी के रूप में उभरेगा भारत, क्या बाहरी दिन तेजी या मंदी का दिन है जानिए क्या हैं कारण (Reuters)

दुनिया के मंदी में जाने की आशंकाओं के बीच 2022-23 में भारत 7 प्रतिशत की ग्रोथ रेट के साथ सबसे मजबूत अर्थव्यवस्था के तौर पर उभरेगा. रविवार को प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (Economic Advisory Council to The Prime Minister) के सदस्य संजीव सान्याल (Sanjeev Sanyal) ने ये बात कही है. संजीव सान्याल ने कहा कि 2000 की शुरुआत में बाहरी माहौल जिस तरह से क्या बाहरी दिन तेजी या मंदी का दिन है पॉजिटिव था, जब वैश्विक अर्थव्यवस्था वृद्धि कर रही थी वैसे माहौल में भारत 9 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज कर सकता है. उन्होंने कहा, ‘‘निश्चित ही ऐसा माहौल बनने जा रहा है जहां दुनियाभर के कई देशों को कम वृद्धि का सामना करना पड़ेगा बल्कि वे मंदी में भी जा सकते हैं. इसके कई कारण हैं जिनमें सख्त मौद्रिक नीति से लेकर ऊर्जा की ऊंची कीमतें और यूक्रेन युद्ध की वजह से उत्पन्न व्यवधान.’’

बिगड़ते अंतरराष्ट्रीय हालात को देखते हुए वर्ल्ड बैंक ने घटा दिया था अनुमान

बताते चलें कि वर्ल्ड बैंक ने बिगड़ते अंतरराष्ट्रीय हालात का हवाला देते हुए भारत के वृद्धि दर के अनुमान को अभी हाल ही में घटा दिया था. ताजा अनुमानों के अनुसार, भारतीय अर्थव्यवस्था वित्त वर्ष 2022-23 में 6.5 प्रतिशत की दर से बढ़ेगी, जो जून 2022 के अनुमान से एक प्रतिशत कम है.

सान्याल ने कहा, ‘‘ऐसे हालात में भारत का प्रदर्शन सबसे अच्छा रहेगा, वह चालू वित्त वर्ष में बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के बीच 7 प्रतिशत की जीडीपी वृद्धि दर के साथ सबसे मजबूत रहेगी.’’ उन्होंने कहा कि बीते वर्षों में केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने सप्लाई साइड में जो सुधार किए हैं उनके कारण ही भारत की अर्थव्यवस्था पहले के मुकाबले कहीं अधिक लचीली और जुझारू हुई है.

डॉलर को छोड़कर बाकी करेंसी की तुलना में मजबूत हो रहा है रुपया

उन्होंने कहा कि अगर भारत को वैसा बाहरी माहौल मिल जाए जो 2002-03 से 2006-07 के बीच था, जब वैश्विक अर्थव्यवस्था बढ़ रही थी, वैश्विक मुद्रास्फीतिक दबाव कम थे, वैसी स्थिति में अर्थव्यवस्था 9 प्रतिशत की दर से बढ़ सकती है. सान्याल ने कहा, ‘‘लेकिन अभी ऐसी स्थिति नहीं है जिसे देखते हुए 7 प्रतिशत की वृद्धि को अच्छा प्रदर्शन कहा जाएगा.’’

रुपये के ऐतिहासिक निचले स्तर पर पहुंचने के बारे में सान्याल ने कहा, ‘‘मुझे नहीं लगता कि हमें सिर्फ डॉलर रुपये की विनिमय दर के आधार पर इसे तरजीह देनी चाहिए.’’ सान्याल ने कहा कि बाकी करेंसी की तुलना में डॉलर तेजी से मजबूत हो रहा है. इन परिस्थितियों में डॉलर को छोड़कर अन्य करेंसी की तुलना में रुपया वास्तव में मजबूत हो रहा है.

देश में आर्थिक संकट पर बोले युवा, किसानों की अनदेखी पड़ी भारी, सरकार जल्द दे ध्यान

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वाराणसी. देश में मंदी के हालात को लेकर पत्रिका ने अपने सेग्मेंट ‘डिबेट’ में कुछ युवाओं से चर्चा किया। युवाओं से जाना कि आखिर इस मंदी की स्थिति में वो अपने कैरियर को कितना सेफ मानते हैं। साथ ही चर्चा की गई कि सरकार को इस खतरे से उबरने के लिए क्या ठोस कदम उठाने चाहिए। परिचर्चा के दौरान तकरीबन एक स्वर में छात्रों ने कहा कि सरकार को सबसे पहले किसानों के हित के बारे में सोचना चाहिए। क्यूंकि यह कृषि प्रधान देश है औऱ बिना कृषि उत्पादन ठोस किये यहां के आर्थिक संकट को उबार पाना आसान नहीं है।

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