जोमैटो के शेयर पिछले साल 23 जुलाई 2021 को घरेलू मार्केट में लिस्ट हुए थे। आईपीओ निवेशकों को इसके शेयर 76 रुपये के भाव पर जारी हुए थे और लिस्टिंग के दिन यह 138 रुपये की ऊंचाई तक पहुंच गया था यानी कि पहले ही दिन आईपीओ निवेशकों को करीब 82 फीसदी का मुनाफा हुआ। इसके बाद यह 16 नवंबर 2021 को 169.10 रुपये की ऊंचाई तक पहुंच गया। हालांकि इसकी तेजी कायम नहीं रह सकी और अब यह इश्यू प्राइस से भी करीब 8 फीसदी डिस्काउंट पर है।
Zomato Share Price: रिकॉर्ड लो से 73% रिकवरी लेकिन अभी भी इश्यू प्राइस से नीचे भाव, एक्सपर्ट्स ने दी ये सलाह
पिछले महीने 28 सितंबर 2022 को एमकाय ग्लोबल फाइनेंशियल सर्विसेज ने जोमैटो की कवरेज शुरू की थी और इसका टारगेट प्राइस 90 रुपये फिक्स किया।
Zomato Share Price: दिग्गज ऑनलाइन फूड प्लेटफॉर्म जोमैटो (Zomato) के शेयर आज 7 अक्टूबर को इंट्रा-डे में करीब 7 फीसदी की उछाल के साथ बीएसई पर 70.20 रुपये के भाव पर पहुंच गए। हालांकि इसके बाद प्रॉफिट बुकिंग के चलते यह थोड़ा फिसलकर 69.60 रुपये के भाव पर बंद हुआ है।
जोमैटो के शेयरों में लगातार तीसरे दिन खरीदारी रही है और इस दौरान यह करीब 13 फीसदी मजबूत हुआ है। इसके शेयर 27 जुलाई 2022 को 40.55 रुपये के रिकॉर्ड निचले स्तर पर फिसल गए थे जिसके बाद से अब तक यह करीब 73 फीसदी मजबूत हो चुका है। हालांकि इसके शेयर अभी थमने वाला नहीं है और ब्रोकरेज फर्म एमकाय ग्लोबल फाइनेंशियल सर्विसेज के मुताबिक यह 90 रुपये तक पहुंच सकता है।
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30% मुनाफे का है मौका
पिछले महीने 28 सितंबर 2022 को एमकाय ग्लोबल फाइनेंशियल सर्विसेज ने जोमैटो की कवरेज शुरू की और इसका टारगेट प्राइस 90 रुपये फिक्स किया। इसका मतलब हुआ कि मौजूदा भाव पर निवेश कर 30 फीसदी मुनाफा कमा सकते हैं। ब्रोकरेज फर्म का मानना है कि प्रति व्यक्ति आय में उछाल, ऑनलाइन पहुंच का बढ़ता दायरा और कामकाजी महिलाओं की बढ़ती संख्या के चलते भारत में अगले 10 वर्षों में ऑनलाइन फूड डिलीवरी करीब 7 गुना बढ़ सकता है। जोमैटो का मार्केट शेयर 50 फीसदी है यानी कि ऑनलाइन फूड मार्केट में उछाल का इसे तगड़ा फायदा मिलेगा। ऐसे में इसमें निवेश के लिए ब्रोकरेज फर्म पॉजिटिव है।
जब शेयर मार्केट गिरता है तो कहां जाता है आपका पैसा? यहां समझिए इसका गणित
- शेयर मार्केट डिमांड और सप्लाई के फॉर्मूले पर काम करता है
- अगर कंपनी अच्छा परफॉर्म करेगी तो उसके शेयर के दाम बढ़ेंगे
- राजनीतिक घटनाओं का भी शेयर मार्केट पर पड़ता है असर
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कंपनी के भविष्य को परख कर करते हैं निवेश
आपको पता होगा कि कंपनी शेयर मार्केट में उतरती हैं. इन कंपनियों के शेयरों पर निवेशक पैसा लगाते हैं. कंपनी के भविष्य को परख कर ही निवेशक और विश्लेषक शेयरों में निवेश करते हैं. जब कोई कंपनी अच्छा प्रदर्शन करती है, तो उसके शेयर का मूल्य बढ़ता या घटता क्यों है शेयरों को लोग ज्यादा खरीदते हैं और उसकी डिमांड बढ़ जाती है. ऐसे ही जब किसी कंपनी के बारे में ये अनुमान लगाया जाए कि भविष्य में उसका मुनाफा कम होगा, तो कंपनी के शेयर गिर जाते हैं.
डिमांड और सप्लाई के फॉर्मूले पर काम करता है शेयर
शेयर मार्केट डिमांड और सप्लाई के फॉर्मूले पर काम करता है. लिहाजा दोनों ही परिस्थितियों में शेयरों का मूल्य घटता या बढ़ता जाता है. इस बात को ऐसे लसमझिए कि किसी कंपनी का शेयर आज 100 रुपये का है, लेकिन कल ये घट कर 80 रुपये का हो गया. ऐसे में निवेशक को सीधे तौर पर घाटा हुआ. वहीं जिसने 80 रुपये में शेयर खरीदा उसको भी कोई फायदा नहीं हुआ. लेकिन अगर फिर से ये शेयर 100 रुपये का हो जाता है, तब दूसरे निवेशक को फायदा होगा.
Stock Exchange: जाने, शेयर बाजार में क्या है अपर सर्किट और लोअर सर्किट?
शेयर बाजार में क्या है अपर सर्किट
- भारतीय शेयर बाजार में गुरुवार को कुछ सरकारी बैंकों के शेयरों में भारी तेजी दिखी
- इस दिन कुछ सरकारी बैंकों के शेयरों में भारी तेजी देखी गई
- कुछ बैंकों के कारोबार पर सर्किट ब्रेकर भी लगा
- आपको मालूम है कि क्या होता है सर्किट ब्रेकर
- क्यों घटता-बढ़ता है शेयर का मूल्य?
सामान्य निवेशक इस बात को लेकर कभी कभी बहुत हैरान रहते हैं कि शेयर का मूल्य किस हिसाब से बढ़ता और घटता रहता है। शेयर का मूल्य दो कारणों से बढ़ता या घटता रहता है। पहला कारण शेयर की सप्लाई और डिमांड और दूसरा कारण कंपनी द्वारा मुनाफा कमाना या कंपनी का घाटा। लेकिन, अगर हम स्टॉक ट्रेडिंग में देखें तो शेयर की सप्लाई और डिमांड की वजह से अधिकतर शेयर का मूल्य घटता बढ़ता रहता है। जब भी शेयर की डिमांड बढ़ती है यानी ज्यादा लोग खरीदते हैं तो उसका दाम बढ़ जाता है। और, जब लोग शेयर को बेचना स्टार्ट कर देते हैं तब शेयर का मूल्य घटने लगता है यह इस तरह से काम करता है। - क्या है लोअर सर्किट?
मान लीजिए आपके पास किसी कंपनी का शेयर हैं। किसी वर्ष के दौरान उस कंपनी को किसी कारणवश घाटा लगना शुरू हो जाता है। ऐसे में आप उस कंपनी का शेयर बेचने लगेंगे। ऐसे ही बहुत से लोग जो उस कंपनी के शेयर को लिए होंगे वह भी बेचना शुरू कर देंगे। जब सब बेचना शुरू कर देंगे तो एक ही दिन में उस कंपनी का शेयर शून्य तक पहुंच सकता है। ऐसी स्थिति में शेयर का मूल्य एक निश्चित सीमा तक गिरे इसके लिए NSE तथा BSE स्टॉक एक्सचेंज ने कुछ नियम बनाए हैं। जिनके अंतर्गत जब किसी कंपनी में अचानक सब लोग शेयर बेचना शुरू कर दें तो एक निश्चित सीमा तक ही उस शेयर का मूल्य घटेगा। उसके बाद उस शेयर की ट्रेडिंग बंद हो जाएगी। यह जो मूल्य घटने की सीमा है, उसे ही लोअर सर्किट कहते हैं। - लोअर सर्किट का इस्तेमाल कब होता है?
लोअर सर्किट के तीन चरण होते हैं। यह 10 फीसदी, 15 फीसदी और 20 फीसदी की गिरावट पर लगता है। यदि 10 फीसदी की गिरावट दिन में 1 बजे से पहले आती है, तो बाजार में एक घंटे के लिए कारोबार रोक दिया जाता है। इसमें शुरुआती 45 मिनट तक कारोबार पूरी तरह रुका रहता है और 15 मिनट का प्री-ओपन सेशन होता है। यदि 10 फीसदी का सर्किट दोपहर 1 बजे के शेयर का मूल्य बढ़ता या घटता क्यों है बाद लगता है, तो कारोबार 30 मिनट के लिए रुक जाता है। इसमें शुरुआती 15 मिनट तक कारोबार पूरी तरह रुका रहता है और 15 मिनट का प्री-ओपन सेशन होता है। यदि 2.30 बजे के बाद 10 फीसदी का लोअर सर्किट लगता है, तो कारोबार सत्र के अंत तक यानी 03.30 बजे तक जारी रहता है। - क्या है 15 फीसदी का सर्किट नियम?
यदि 15 फीसदी की गिरावट 1 बजे से पहले आती है, तो बाजार में दो घंटे के लिए कारोबार रोक दिया जाता है। इसमें शुरुआती 1 घंटा और 45 मिनट तक कारोबार पूरी तरह रुका रहता है और 15 मिनट का प्री-ओपन सेशन होता है। यदि 15 फीसदी का सर्किट दोपहर 1 बजे के बाद लगता है, तो कारोबार एक घंटे के लिए रुक जाता है. इसमें शुरुआती 45 मिनट तक कारोबार पूरी तरह रुका रहता है और 15 मिनट का प्री-ओपन सेशन होता है। यदि 2.30 बजे के बाद 15 फीसदी का लोअर सर्किट लगता है, तो कारोबार के अंत तक यह लगा रहता है। - क्या है अपर सर्किट
अपर सर्किट को एक उदाहरण के जरिए समझते हैं। मान लीजिए कि आपके पास किसी कंपनी के शेयर हैं। उस कंपनी को खूब मुनाफा होता है या किसी कारणवश उस कंपनी में निवेशकों की रूचि बढ़ जाती है। ऐसे में उस कंपनी के शेयर का दाम खूब चढ़ने लगता है। ऐसे में किसी कंपनी के शेयर का मूल्य एक ही दिन में आसमान में पहुंच जाएगा। इसी हालत से बचने के लिए शेयर बाजार में अपर सर्किट का प्रावधान है। उस निश्चित मूल्य सीमा तक उस कंपनी के शेयर का दाम पहुंचते ही उसमें अपर सर्किट लग जाएगा और उसकी ट्रेडिंग बंद हो जाएगी। जिस तरह से लोअर सर्किट पर 10, 15 और 20 फीसदी का नियम लागू होता है, वही नियम अपर सर्किट पर भी लागू होता है। - कारोबार रुकने के बाद कब और कैसे शुरू होता है?
सर्किट लगने पर कारोबार रुक जाता है। जब बाजार दोबारा खुलता है तो पहले 15 मिनट का प्री-ओपन सत्र होता है। इसके बाद सामान्य कारोबार शुरू होता है और यह अगला सर्किट लगने या सत्र के अंत (जो भी पहले हो) तक जारी रहता है। - सर्किट का इस्तेमाल क्यों किया जाता है?
सर्किट के स्तर स्टॉक एक्सचेंज द्वारा तय किए जाते हैं। इन्हें निवेशकों और ब्रोकरों के हितों को ध्यान में रख कर लगाया जाता है ताकि उन्हें बाजार के बड़े झटकों से बचाया जा सके। बाजार के उतार-चढ़ाव के दौरान कारोबारियों को करारा झटका लगता है। ऐसी स्थिति में बाजार पर दबाव बढ़ जाता है। - भारतीय शेयर बाजार में कब से हुआ सर्किट का प्रावधान?
भारतीय शेयर बाजार में अपर सर्किट और लोअर सर्किट का इतिहास 28 जून 2001 से शुरू होता है। उसी दिन बाजार नियामक सेबी ने सर्किट ब्रेकर की व्यवस्था की थी। यह व्यवस्था लागू होने के बाद इसका पहली बार इस्तेमाल 17 मई 2004 को हुआ था।
Stock Market में कैसे करें निवेश और किस तरह की बरतें सावधानियां ? जानिए एक्सपर्ट से हर सवालों के जवाब
क्या आप शेयर बाजार में निवेश करना चाहते हैं लेकिन नहीं जानते कि इसकी शुरुआत कैसे हो ? क्या आपको शेयर बाजार की दुनिया जटिल और उलझन भरी लगी लगती है ? क्या किसी और को हुए फायदे और नुकसान का सुनकर आप फैसला नहीं कर पाए हैं कि आपके लिए शेयर बाजार सही रहेगा या नहीं ? तो आज हम आपको बताएंगे शेयर बाजार से जुड़ी हर वो बात साथ ही एक्सपर्ट से जानेंगे की शेयर बाजार में निवेश कैसे करें और क्या सावधानियां बरतें.
Do you want to invest in the stock market but don't know how to start? Do you find the world of stock market complicated and confusing?
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