एएमपी कैपिटल ने स्टरलाइट पावर से किया समझौता

सिडनी स्थित एएमएपी कैपिटल ने भारत में 1 अरब डॉलर लागत से बिजली पारेषण परियोजनाओं के विकास के लिए स्टरलाइट पावर के साथ समझौता किया है। इस समझौते के तहत एक उद्यम की स्थापना की जाएगी। स्टरलाइट पारेषण क्षेत्र की एक अग्रणी निजी कंपनी है। एएमपी कैपिटल का भारत में इस तरह का यह पहला पूंजी निवेश है। इस उद्यम में दोनों कंपनियों की आधी-आधी हिस्सेदारी होगी और प्रत्येक 15 करोड़ डॉलर निवेश करेंगी। इस उद्यम की की मौजूदा परियोजनाओं में स्टरलाइट पावर की चार निर्माणाधीन परियोजनाएं हैं, जो मुख्यत: अक्षय ऊर्जा परियोजनाओं से संबंधित हैं। इन चार परियोजनाओं के मौजूदा वित्त पोषण के साथ इस प्लेटफॉर्म के लिए कुल पंूजीगत आवंटन 1 अरब डॉलर हो जाता है।

स्टरलाइट निवेशकों और उद्योग जगत का आशावाद ने एक बयान जारी कर कहा कि इन परियोजनाओं की पारेषण लाइन की लंबाई करीब 1,800 किलोमीटर है, जो पश्चिमी, दक्षिणी और देश के पूर्वोत्तर क्षेत्रों में है। एएमपी कैपिटल में भारत प्रमुख (इन्फ्रास्ट्रक्चर इक्विटी) शरत गोयल ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि पारेषण क्षेत्र में एएमपी कैपिटल के लिए काफी संभावनाएं हैं। गोयल ने कहा, ‘हम ढांचागत क्षेत्र में लंबे समय से अवसर तलाश रहे हैं। हमें लगता है कि पारेषण क्षेत्र में काफी अवसर उपलब्ध हैं। एएमएपी जैसी निवेशकों के लिए यहां पूंजी निवेश के लिए भरपूर अवसर मौजूद हैं।’

उन्होंने कहा कि पारेषण खंड में मौजूद संभावनाओं का पूर्ण इस्तेमाल नहीं हो पाया हैं और कुछ ही निवेशकों ने इसमें निवेश करने में अब तक दिलचस्पी दिखाई है। उन्होंने कहा, ‘पारेषण के लिए हमें एक अनुभवी साझीदार की तलाश थी। स्टरलाइट पावर ने परियोजनाओं के क्रियान्वयन में श्रेष्ठïता का परिचय दिया है। वित्तीय स्तर पर नए प्रयोग से हम आपस में सहयोग करेंगे और इस खंड में निवेश करेंगे।’ स्टरलाइट पावर के प्रबंध निदेशक प्रतीक अग्रवाल ने कहा कि मौजूदा परियोजनाएं पर्यावरण, सामाजिक एवं निगमित संचालन (ईएसजी) से संबंधित हैं। अग्रवाल ने कहा कि इनकी ज्यादातर क्षमता अक्षय ऊर्जा उत्पादन में इस्तेमाल होगा।

इस प्लेटफॉर्म के तहत सभी परियोजनाएं क्रियान्वयन के चरण में हैं और अगले 12 से 30 महीनों में इनकी शुरुआत हो जाएगी। अग्रवाल ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि इन परियोजनाओं के अलावा एएमपी और स्टरलाइट भविष्य में सभावनाएं तलाशने के लिए भी सिद्धांत रूप से समझौता किया है।

निवेशकों और उद्योग जगत का आशावाद: महामारी के असर से निकलती अर्थव्यवस्था

आंकड़े बताते हैं कि भारतीय अर्थव्यवस्था में तेजी आ रही है। निवेशकों और उद्योग जगत के आशावाद के साथ सरकारी खर्च के चलते भारत वित्त वर्ष 2021-22 में 8.5-10 फीसदी की वृद्धि दर्ज कर सकता है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष और विश्व बैंक ने भारत के विकास लक्ष्यों को इसी दायरे में रखा है। इस लक्ष्य को पूरा करने से अर्थव्यवस्था 50 खरब डॉलर तक और अगले दशक में सौ खरब डॉलर के रास्ते पर बढ़ सकती है।

वित्त वर्ष '22 के लिए नवीनतम सकल मूल्य वर्धित (जीवीए) अनुमान बताते हैं कि इसकी पहली तिमाही में नॉमिनल जीवीए 26.8 फीसदी था, जबकि वित्त वर्ष '21 की पहली तिमाही में यह -20.2 फीसदी था। वित्त वर्ष '21 निश्चित रूप से कोविड महामारी और राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन के चलते याद रहेगा। हालांकि वित्त वर्ष '21 की पहली तिमाही की तुलना में मौजूदा वित्त वर्ष की पहली तिमाही में 31.7 फीसदी की दर से बढ़त के बावजूद देश की नॉमिनल जीडीपी पूर्णतः कोविड पूर्व की स्थिति में नहीं लौट पाई। यह आंशिक रूप से दूसरी लहर के लॉकडाउन के असर के कारण है।

क्षेत्रवार विश्लेषण से पता चलता है कि इस वित्त वर्ष की पहली तिमाही में पिछले वित्त वर्ष की पहली तिमाही की तुलना में कृषि में 11.3 फीसदी की वृद्धि हुई। यह इस क्षेत्र को महत्वपूर्ण बढ़त प्रदान करती है, जिस पर देश के कार्यबल का 43 फीसदी हिस्सा निर्भर है। इस अवधि के दौरान उद्योग क्षेत्र पिछले वर्ष के -38.2 फीसदी की तुलना में 67.1 फीसदी की दर से बढ़ा। भारत के प्रमुख विकास वाहक सेवा क्षेत्र में पिछले वर्ष के -19 फीसदी की तुलना में इस दौरान 17.8 फीसदी की वृद्धि हुई। इस साल विकास के बड़े आंकड़े अगर अतिरंजित लगते हैं, तो ऐसा पिछले साल की भारी गिरावट के कारण है। सेवा क्षेत्र के तहत व्यापार, होटल, परिवहन और संचार से संबंधित उप-क्षेत्र पिछड़ा हुआ है। इसमें महामारी से सबसे बुरी तरह प्रभावित होने वाले कुछ क्षेत्र शामिल हैं-जैसे, हवाई यात्रा, आतिथ्य और होटल, रेस्तरां और भोजनालय। इस साल दूसरी लहर के दौरान इस क्षेत्र को फिर झटका लगा, पर अब यह पटरी पर लौट रहा है।

बैंकिंग उप-क्षेत्र आशाजनक वृद्धि का प्रदर्शन कर रहा है। सितंबर, 2021 तक जमाराशियों में 9.3 फीसदी की वृद्धि हुई है, जबकि उधार 6.7 प्रतिशत की दर से बढ़ा है। ये दरें उत्साहजनक हैं, पर भारत जिस तेज गति से विकास पथ पर लौटना चाहता है, उस लिहाज से कमजोर हैं। सकल गैर-निष्पादित संपत्ति (एनपीए) मार्च, 2018 के 12 फीसदी से घटकर मार्च, 2021 में आठ फीसदी रह गई। अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहित करने में मदद करने वाली रणनीतियां जारी हैं, मसलन, महामारी से पूर्व जो ब्याज दरें थीं, उनमें 1.5-2 फीसदी की कमी आई है। इसी तरह, आवास ऋण पर ब्याज दर महामारी से पहले के 8.5 फीसदी के औसत से 6.5 फीसदी के सर्वकालिक निचले स्तर पर है।

अर्थव्यवस्था से संबंधित व्यापक संकेतक भी उल्लेखनीय हैं। अगस्त में मुद्रास्फीति 5.3 फीसदी थी, जो कम हो रही है; उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) सितंबर में घटकर 4.35 फीसदी रह गया। अगस्त में औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) बढ़कर 11.8 फीसदी पर पहुंच गया। विदेशी मुद्रा भंडार 640 अरब डॉलर के सर्वकालिक उच्च स्तर पर है। पिछले वित्त वर्ष में 82 अरब डॉलर का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश भी एक रिकॉर्ड रहा। कॉरपोरेट सेक्टर भी मजबूती से उबर रहा है। अधिकांश कंपनियों ने फिर रिकॉर्ड गति से कर्ज का भुगतान किया है, और कॉरपोरेट उधारी भी कम हुई है।

कॉरपोरेट टैक्स घटाकर 25 फीसदी करने से उत्साह का माहौल है और उद्योग जगत क्षमता बढ़ाने के लिए पूंजीगत व्यय बढ़ाने की बात कर रहा है। विदेशी व्यापार भी बढ़ रहा है। सितंबर तक हमारा निर्यात 198 अरब डॉलर का था, जो पिछले साल की इसी अवधि में 125 अरब डॉलर का था, यानी इसमें 58 फीसदी की वृद्धि हुई है। हालांकि, इसी अवधि में आयात 151 अरब डॉलर की तुलना में बढ़कर 276 अरब डॉलर हो गया है। व्यापार घाटा पिछले साल के 26 अरब डॉलर के मुकाबले बढ़कर 78 अरब डॉलर हो गया। बढ़ते व्यापार घाटे का मतलब यह है कि विदेशी मुद्रा भंडार पहले की तरह नहीं बढ़ेगा और न ही बैंकिंग प्रणाली में तरलता पहले की तरह उच्च स्तर पर पहुंचेगी। इस समय तरलता 10-11 लाख करोड़ रुपये है। अंततः आर्थिक विकास को बढ़े हुए कर संग्रह में बदलना चाहिए। और कर संग्रह वास्तव में पटरी पर लौट आया है; इस साल अप्रैल से अगस्त तक सकल कर संग्रह पिछले साल के 5.04 लाख करोड़ के मुकाबले 8.59 लाख करोड़ रुपये हो गया, जो प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष करों में उल्लेखनीय वृद्धि के साथ निवेशकों और उद्योग जगत का आशावाद 70 फीसदी की बढ़ोतरी है। केवल वित्त वर्ष 2021 ही नहीं, बल्कि 2020 की तुलना में भी कर संग्रह बढ़ा है, निवेशकों और उद्योग जगत का आशावाद जो तेजी का संकेत है।

अप्रैल-अगस्त में राजकोषीय घाटा पिछले साल के 8.7 लाख करोड़ से घटकर 4.68 लाख करोड़ रुपये रह गया है। सरकारी खर्च के कारण पूंजीगत व्यय में 28 फीसदी की वृद्धि हुई है। राजकोषीय घाटे की प्रवृत्ति, निश्चित रूप से, सरकारी खर्च पर निर्भर करेगी। सरकार ज्यादा खर्च कर सकती है, जिसके परिणामस्वरूप समग्र खर्च, खपत और विकास में वृद्धि होगी, जिससे अंततः आर्थिक विकास में वृद्धि होगी। उच्च उधारी की आशा से भारी तरलता के बावजूद सरकारी प्रतिभूति दरों में वृद्धि हुई है। हालांकि, संकेत हैं कि भारी व्यय के बावजूद सरकारी उधारी बजट से कम हो सकती है। वैश्विक स्तर पर तेल की कीमतों में वृद्धि चिंताजनक है, जिससे भारतीय अर्थव्यवस्था को व्यापक असुविधा हो रही है।

कुल मिलाकर, विकास और राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में वृद्धि के कई संकेतक हैं। व्यापक आशावाद के साथ शेयर बाजार का मूल्यांकन 260 लाख करोड़ रुपये के सर्वकालिक उच्च स्तर पर है, जो वर्तमान जीडीपी 210 लाख करोड़ रुपये से बहुत ज्यादा है। भारतीय शेयर बाजार का पूंजीकरण इस साल शीर्ष चौथे स्थान पर पहुंचने की संभावना है। इस साल सरकारी स्तर पर बड़े सुधार देखे गए और कोविड की बाधा के बावजूद बड़े स्तर पर खर्च बढ़ा है। यह आशावाद पूंजीगत व्यय में प्रवाहित होगा और उम्मीद है कि हम आर्थिक गतिविधियों में बढ़ोतरी देखेंगे।

उद्योग जगत भारत के आर्थिक पुनरुद्धार, विस्तार को लेकर आश्वस्त: सर्वेक्षण

नयी दिल्ली, 14 जनवरी (भाषा) कोविड-19 संक्रमण के मामलों में वृद्धि के बावजूद भारतीय कंपनियों में आशावाद और आत्मविश्वास उच्च स्तर पर है, और उद्योग जगत देश के आर्थिक पुनरुद्धार तथा विस्तार को लेकर सकारात्मक है। एक सर्वेक्षण में यह बात सामने आई। डेलॉयट टच तोमात् सु इंडिया एलएलपी (डीटीटीआईएलएलपी) के बजट से पहले किए गए सर्वेक्षण के अनुसार 75 प्रतिशत से अधिक प्रतिभागी भारत के आर्थिक पुनरुद्धार और विस्तार के बारे में सकारात्मक थे। इस सर्वेक्षण में 10 उद्योगों के कुल 163 लोगों से बात की गई। सर्वेक्षण में आगे कहा निवेशकों और उद्योग जगत का आशावाद गया कि लगभग 91 प्रतिशत प्रतिभागियों (पिछले वर्ष 58 प्रतिशत

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बढ़े हुए आरएंडडी खर्च के लिए मिले इंसेंटिव
सर्वेक्षण के अनुसार लगभग 55 प्रतिशत प्रतिभागियों का मानना है कि इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश के लिए लंबी अवधि के निवेशकों को अतिरिक्त कर प्रोत्साहन मिलने से देश के विकास को बढ़ावा मिल सकता है। वहीं 45 फीसदी प्रतिभागियों का मानना है कि बजट को बढ़े हुए आरएंडडी खर्च के लिए इंसेंटिव की घोषणा पर फोकस करना चाहिए। यह लाइफ साइंसेज, ऑटोमोबाइल, कैपिटल गुड्स, टेक्नोलॉजी और टेलिकम्युनिकेशन जैसे क्षेत्रों के लिए फायदेमंद होगा। लगभग 48 फीसदी प्रतिभागियों का मानना है कि रोजगार को बढ़ावा देने और पर्सनल टैक्स की दर कम करके डिमांड को बूस्ट देने से इंडस्ट्रीज को जरूरी पुश मिल सकता है। उन्हें उम्मीद है कि आगामी बजट में इस पर विचार किया जाएगा।

इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश पर अतिरिक्त कर प्रोत्साहन से विकास को मिलेगा बढ़ावा, जानें आर्थिक पुनरुद्धार को लेकर क्या सोचती हैं भारतीय कंपनियां

सर्वे के लगभग 91 प्रतिशत प्रतिभागियों का मानना है कि ‘आत्मनिर्भर भारत’ पहल और भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा मौद्रिक उपायों ने साथ मिलकर अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने में योगदान दिया।

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झुनझुनवाला को भारत में भरोसा था, देश की क्षमता में विश्वास था

झुनझुनवाला को भारत में भरोसा था, देश की क्षमता में विश्वास था

नयी दिल्ली, 14 अगस्त (एजेंसी) शेयर बाजार के दिग्गज निवेशक राकेश झुनझुनवाला के निधन पर उद्योग जगत की हस्तियों ने शोक जताया। अडाणी समूह के प्रमुख गौतम अडाणी ने कहा कि झुनझुनवाला पूरी पीढ़ी के लिए प्रेरणा थे। अडाणी ने ट्वीट किया कि भारत के सबसे महान निवेशक के असामयिक निधन से बेहद दुखी हूं। झुनझुनवाला ने अपने शानदार विचारों से एक पूरी पीढ़ी को हमारे इक्विटी बाजारों में विश्वास करने के लिए प्रेरित किया। मैं और देश उन्हें सदैव याद रखेंगे। टाटा संस के चेयरमैन एन चंद्रशेखरन ने कहा कि झुनझुनवाला को भारत में भरोसा था और वह देश की क्षमता में विश्वास रखते थे।

मशहूर बैंकर दीपक पारेख ने कहा कि झुनझुनवाला आशावाद के साथ एक प्रसिद्ध हस्ती थे, जिन्होंने भारतीय बाजार को गति दी। बैंकर उदय कोटक ने कहा कि राकेश झुनझुनवाला मेरे स्कूल और कॉलेज के साथी थे, उनके पास वित्तीय बाजारों की अनूठी समझ थी। हम आपको हमेशा याद करेंगे! खनन कारोबारी अनिल अग्रवाल ने ट्विटर पर कहा, मेरा दोस्त और शेयर बाजार का दिग्गज अब नहीं रहा. झुनझुनवाला को हमेशा उस व्यक्ति के रूप में जाना जाएगा जिसने शेयर बाजारों की सार्वजनिक समझ को लोकप्रिय बनाया।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने ट्वीट किया, ‘श्री राकेश झुनझुनवाला अब नहीं रहे। वह जोखिम लेने में काफी साहस दिखाते थे और शेयर बाजार को लेकर उनकी समझ जबर्दस्त थी। मेरी उनके साथ कई बार बातचीत हुई। उनको भारत की ताकत और क्षमता में भरोसा था।'

बाजार विश्लेषकों ने शोक जताते हुए कहा है कि झुनझुनवाला के भीतर मौजूद ऊर्जा उन्हें खास बनाती थी। जेरोधा के संस्थापक निखिल कामत ने ट्वीट किया, ‘आप जैसा कोई कभी भी देखने को नहीं मिलेगा।' एक्सिस सिक्योरिटीज के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) बी गोपकुमार ने कहा, ‘भारत की वृद्धि की कहानी में उन्हें पूरा भरोसा था। उन्होंने हमेशा यह साबित किया कि यदि कोई व्यक्ति अच्छी कंपनियों में अपने निवेश को बनाए रखता है, तो उसकी संपत्ति बढ़ना निश्चित है।' एक अन्य विशेषज्ञ संदीप पारेख ने कहा कि झुनझुनवाला ऐसी हस्ती थे जिनके भाषण सुनकर ऐसे लोगों को भी देश की वृद्धि की कहानी में भरोसा हो जाता था, जो ऐसा नहीं मानते थे।

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