शेयर बाजार में सही तरह से निवेश के द्वारा किसी भी अन्य निवेश की अपेक्षा ज्यादा लाभ कमाया जा सकता है,
Liquidity क्या है?
व्यापार, अर्थशास्त्र या निवेश में, बाजार की liquidity एक बाजार की विशेषता है जिससे कोई व्यक्ति या फर्म परिसंपत्ति की कीमत में भारी बदलाव किए बिना किसी संपत्ति को जल्दी से खरीद या बेच सकता है। liquidity में उस कीमत के बीच व्यापार-बंद शामिल होता है जिस पर एक संपत्ति बेची जा सकती है, और इसे कितनी जल्दी बेचा जा सकता है।
तरलता क्या है? [What is Liquidity? In Hindi]
liquidity cash की त्वरित पहुंच से संबंधित है। व्यक्ति संपत्ति या सुरक्षा रखते हैं, और liquidity उस आसानी को संदर्भित करती है जिसके साथ इन्हें नकदी में बदलने के लिए बाजार में खरीदा या बेचा जा सकता है।
Cash को liquidity का मानक माना जाता है क्योंकि इसे अन्य परिसंपत्तियों में आसानी से बदला जा सकता है। इसे दो तरीकों से मापा जा सकता है - Market Liquidity और Accounting Liquidity.
'तरलता' की परिभाषा [Definition of "Liquidity"] [In Hindi]
Liquidity का अर्थ है कि आप अपने नकदी पर कितनी जल्दी अपना हाथ रख सकते हैं। सरल शब्दों में, liquidity यह है कि जब भी आपको आवश्यकता हो, अपना पैसा प्राप्त करें।
तरलता क्यों महत्वपूर्ण है? [Why liquidity is important?] [In Hindi]
यदि market liquid नहीं हैं, तो संपत्ति या प्रतिभूतियों को नकदी में बेचना या परिवर्तित करना मुश्किल हो जाता है। उदाहरण के लिए, आपके पास 1,50,000 Rs मूल्यांकित एक बहुत ही दुर्लभ और मूल्यवान पारिवारिक विरासत हो सकती है। हालांकि, अगर आपकी वस्तु के लिए बाजार नहीं है (यानी कोई खरीदार नहीं है), तो यह अप्रासंगिक है क्योंकि कोई भी इसके मूल्यांकित मूल्य के करीब कहीं भी भुगतान नहीं करेगा - यह बहुत ही तरल है। ब्रोकर के रूप में कार्य करने और संभावित इच्छुक पार्टियों को ट्रैक करने के लिए नीलामी घर को किराए पर लेने की भी आवश्यकता हो सकती है, जिसमें समय लगेगा और लागतें लगेंगी। Liquid Asset, हालांकि, आसानी से और जल्दी से उनके पूर्ण मूल्य के लिए और कम लागत के साथ बेची जा सकती है। कंपनियों को अपने अल्पकालिक दायित्वों जैसे बिल या पेरोल को कवर करने के लिए पर्याप्त तरल संपत्ति भी रखनी चाहिए या फिर तरलता संकट का सामना करना पड़ता है, जिससे दिवालियापन हो सकता है।
तरल संपत्ति के प्रकार [Type of Liquid Asset] [In Hindi]
Liquid Asset ऐसी संपत्तियां हैं जो व्यवसायों या व्यक्तियों के पास होती हैं, जिन्हें जल्दी से नकदी में परिवर्तित किया जा सकता है। इसमें नकद, marketable securities के साथ-साथ मुद्रा बाजार के साधन शामिल हो सकते हैं। ऐसी सभी संपत्तियां कंपनी की बैलेंस शीट में परिलक्षित होती हैं।
नकद और बचत खाते आमतौर पर तरलता के उच्चतम रूप को बनाए रखते हैं जो कि व्यवसायों या व्यक्तियों के स्वामित्व में हो सकते हैं। निम्नलिखित संपत्तियों को भी आसानी से परिसमाप्त किया जा सकता है -
- Cash
- Cash Evolution
- Accrued Income
- Stocks
- Government Bond
- Promissory Notes
- Account Receivables
- Marketable Securities
- Certificates of Deposits
सबसे अधिक तरल संपत्ति या प्रतिभूतियां क्या हैं? [What are the most liquid assets or securities?] [In Hindi]
नकद सबसे अधिक Liquid Asset है जिसके बाद नकद-समकक्ष हैं, जो money market, CD या Fixed Deposits जैसी चीजें हैं। एक्सचेंजों पर सूचीबद्ध स्टॉक और बॉन्ड जैसी marketable securities अक्सर बहुत तरल होती हैं, और ब्रोकर के माध्यम से जल्दी से बेची जा सकती हैं। सोने के सिक्के और कुछ संग्रहणीय वस्तुएं भी नकदी के लिए आसानी से बेची जा सकती हैं।
लिक्विडिटी प्रदाता कौन हैं: उनके कार्य सिद्धांत?
फ़ोरेक्ष बाजार दुनिया का सबसे तरल व्यापार मंच है, क्योंकि समुदाय पैसे को पूर्ण लिक्विडिटी के साथ एक संपत्ति के रूप में मानता है। फ़ोरेक्ष दैनिक व्यापार की मात्रा $7 बिलियन के करीब है; यही कारण है कि ट्रेडर तुरंत संपत्ति खरीद और बेच सकते हैं। दूसरी ओर, बाजार के खिलाड़ियों की सफलता अत्यधिक लिक्विडिटी प्रदाताओं पर निर्भर करती है। उनकी भूमिकाएं और कार्य सिद्धांत क्या हैं?
लिक्विडिटी प्रदाता कौन हैं? उनकी जिम्मेदारियों में का विश्लेषण
आइए ब्रोकर के दृष्टिकोण से फ़ोरेक्ष लिक्विडिटी प्रदाता की धारणा को स्पष्ट करें। बाजार में 3000 से अधिक ब्रोकरेज कंपनियां शामिल हैं; यही कारण है कि पर्यावरण असाधारण रूप से प्रतिस्पर्धी है। ब्रोकर को ट्रेडर को उनके आदेशों के तत्काल निष्पादन सहित सर्वोत्तम शर्तें प्रदान करने की आवश्यकता है।
जब कोई ब्रोकर लिक्विडिटी प्रदाताओं के साथ सहयोग नहीं करता है, तो ऑर्डर बुक में केवल पंजीकृत व्यापारियों द्वारा रखे गए बिड और आस्क सौदे होते हैं। कभी-कभी, बुक व्यापारियों के ऑर्डर को पूरा नहीं कर पाती है। उदाहरण के लिए, एक व्यापारी 50 यूनिट को खरीदने के इच्छुक, 1.27153 उद्धरणों के साथ GBP/CHF जोड़ी के लिए एक आस्क ऑर्डर देता है। इस बीच, ऑर्डर बुक में संकेतित उद्धरणों के अनुरूप 25 यूनिट के लिए बिड ऑर्डर होता है। १.२७१५ तक १५ और यूनिट, और १.२७१५९ तक १० और यूनिट जैसे, ट्रेडर को बाजार मूल्य से अधिक मुद्रा खरीदना पड़ता था।
सबसे लिक्विड ट्रेडिंग जोड़ियों की बात करें तो ऐसी स्थिति शायद ही संभव हो, लेकिन ट्रेडर बाजार की पूरी क्षमताओं का फायदा उठाते हैं।
यदि हम लिक्विडिटी प्रदाताओं को ध्यान में रखते हैं, तो ये कंपनियां ब्रोकर को शीर्ष बैंकों, हेज फंड और अन्य प्रमुख प्रतिभागियों से जोड़ती हैं। आखिरकार, ब्रोकर की ऑर्डर की किताब अलग-अलग व्यापारिक जोड़े के लिए कई बिड और आस्क सौदे प्राप्त करती है। व्यापारियों को अपने ऑर्डर को आवश्यक उद्धरणों द्वारा तुरंत निष्पादित करने का अवसर मिलता है।
बाजार निर्माताओं और लिक्विडिटी प्रदाताओं के बीच अंतर?
कभी-कभी, लिक्विडिटी फ़ोरेक्ष प्रदाताओं को बाजार-निर्माताओं के रूप में समझा जाता है। ये दो धारणाएं असाधारण रूप से करीब हैं, लेकिन आपको मतभेदों को समझने की जरूरत है।
बाजार-निर्माता फ़ोरेक्ष बाजार के सबसे "रहस्यमय" पात्रों में से हैं। इस श्रेणी में प्रमुख खिलाड़ी या स्वयं ब्रोकरेज कंपनियां दोनों शामिल हो सकते हैं। जब कोई ब्रोकर कोई लिक्विडिटी प्रदाता की सेवाओं का लाभ नहीं उठाता है, तो एक कंपनी बाजार-निर्माता के रूप में कार्य करती है, जो ट्रेडर को बोली लगाने और ऑर्डर मांगने के लिए जोड़ती है। ऐसे मॉडल को फ़ोरेक्ष बाजार में "बी-बुक ब्रोकर" कहा जाता है। "ए-बुक" मॉडल का तात्पर्य ब्रोकर और बैंकों और हेज-फंड जैसे प्रमुख खिलाड़ियों के बीच मध्यस्थ के रूप में लिक्विडिटी प्रदाताओं से है - वे संस्थान इस मॉडल में बाजार-निर्माता हैं।
इसका मतलब कि एक मार्केट-मेकर एक ऑर्डर बुक के लिए जिम्मेदार है जो आस्क और बिड सौदों को पूरा करता है और एक फ़ोरेक्ष फ़ीड प्रदाता के रूप में कार्य करता है, जबकि लिक्विडिटी प्रदाता ब्रोकर को बाजार-निर्माताओं से जोड़ने वाली कंपनियां हैं।
ऐसे खिलाड़ियों को दो मुख्य श्रेणियों में विभाजित किया जाता है: टियर 1 या संस्थागत बाजार निर्माता (सबसे बड़े बैंक और फंड) और छोटे व्यक्तिगत खिलाड़ी जो नवागंतुक ब्रोकर और निजी व्यापारियों के लिए उन्मुख होते हैं।
उच्चतम लिक्विडिटी ब्रोकर के लिए क्यों महत्वपूर्ण है?
फ़ोरेक्ष विशेषज्ञ निम्नलिखित विशेषताओं को उच्च लिक्विडिटी के प्रमुख पेशेवरों के रूप में अलग करते हैं:
स्प्रेड 0 की ओर बढ़ रहा है। जब लिक्विडिटी कम होती है, तो आस्क और बिड की कीमतों के बीच अंतर बढ़ जाता है; इस कारण ट्रेडर को कुछ नुकसान का सामना करना पड़ता है।
मूल्य स्लिपेज। स्थिति तब होती है जब कोई ब्रोकर बाजार मूल्य से ऑर्डर निष्पादित नहीं कर सकता है, और व्यापारियों को अपने ऑर्डर को उच्च या निम्न निष्पादित करने की आवश्यकता होती है।
अंतराल। कम लिक्विडिटी के इस तरह के नकारात्मक प्रभाव का मतलब है कि उद्धरणों की एक पंक्ति में 1 या अधिक पिप्स का अंतर है।
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क्या होते हैं Limit, Market और Day ऑर्डर, शेयर मार्केट में निवेश के लिए क्यों हैं ये महत्वपूर्ण
शेयर खरीदने व बेचने के तरीकों के आधार पर ऑर्डर कई प्रकार के होते हैं लेकिन तीन ऑर्डर प्लेस करने के तरीकों का निवेशक ज्यादा इस्तेमाल करते हैं- मार्केट ऑर्डर लिमिट ऑर्डर और डे ऑर्डर। मार्केट की जरूरत व के अनुसार उनका इस्तेमाल किया जाता है।
नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। मार्केट में निवेश के लिए सबसे जरूरी है इसकी छोटी बारीकियों को समझना। आपको बता दैं कि शेयर खरीदने के भी कई तरीके होते हैं। जब भी आप शेयर मार्केट में शेयर खरीदते हैं तो उसके लिए ऑर्डर प्लेस करना होता है। स्टॉक मार्केट में जब भी हम किसी ब्रोकर के जरिये कोई शेयर खरीदते या बेचते हैं तो इसे ऑर्डर कहा जाता है। बाजार में ऑर्डर प्लेस करने के भी कई विकल्प होते हैं जिनका इस्तेमाल निवेशक अपनी जरूरत के अनुसार करते हैं। आइए जानते हैं कि कुछ प्रमुख ऑर्डर के बारे में-
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कितने प्रकार के होते हैं ऑर्डर
शेयर खऱीदने व बेचने के तरीकों के आधार पर ऑर्डर कई प्रकार के होते हैं, लेकिन तीन ऑर्डर प्लेस करने के तरीकों का निवेशक ज्यादा इस्तेमाल करते हैं- मार्केट ऑर्डर, लिमिट ऑर्डर और डे ऑर्डर। मार्केट की जरूरत व के अनुसार उनका इस्तेमाल किया जाता है।
मार्केट ऑर्डर
जब भी निवेशक किसी स्टॉक के मार्केट प्राइस पर कोई शेयर खरीदते या बेचते हैं तो उसे मार्केट ऑर्डर कहा जाता है। इस तरीके से ऑर्डर प्लेस करने पर लिक्विड स्टॉक्स तुरंत खरीदे या बेचे जाते हैं। हालांकि अक्सर हम जिस कीमत पर ऑर्डर प्लेस करते हैं मार्केट ऑर्डर में उससे प्राइस कुछ कम या ज्यादा हो जाती है। ऐसा बाजार के लगातार घटते बढ़ते रहने के कारण होता है। ऑर्डर प्लेस करने में कुछ समय लगता है तब तक मार्केट प्राइस बदल जाती है। जिससे मार्केट ऑर्डर पर शेयर की कीमतों में कुछ अंतर जरूर ही आ जाता है।
लिमिट ऑर्डर
यह भी शेयर खरीदने व बेचने का एक तरीका है जिसे निवेशकों द्वारा काफी इस्तेमाल किया जाता है। इस प्रकार ऑर्डर प्लेस करने में निवेशक शेयर प्राइस के लिए एक लिमिट सेट करते हैं। जब भी शेयर की कीमतें उस लिमिट पर आती हैं तब आपका ऑर्डर एग्जक्यूट हो जाता है। इस प्रकार आप जो लिमिट सेट करते हैं शेयर सामान्यतः उसी कीमत पर बिकते या खरीदे जाते हैं। अगर शेयर तय लिमिट पर नहीं आते तो वह ऑर्डर एग्जक्यूट नहीं होता।
डे ऑर्डर
डे ऑर्डर में हम एक दिन के लिए ऑर्डर प्लेस करते हैं। यह काफी हद तक लिमिट ऑर्डर की तरह ही होता है। इस प्रकार ऑर्डर प्लेस करने में निवेशक एक लिमिट सेट करते हैं, जिसके बाद अगर उस पूरे दिन शेयर की कीमतें उस लिमिट पर आती हैं तो ऑर्डर एग्जक्यूट हो जाता है। और अगर उस पूरे दिन शेयर की कीमतें तय लिमिट पर नहीं आती तो ऑर्डर एक्सपायर हो जाता है।
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मार्केट कैपिटलाइलेशन के बारे में इन बातों को आपको जानना चाहिए
किसी शेयर को खरीदने में जानकार उसके मार्केट कैपिटलाइजेशन (M-Cap) यानी बाजार पूंजीकरण को देखने की सलाह देते हैं. इसका शेयर की कीमत पर असर पड़ता है. क्या है मार्केट कैपिटलाइजेशन और शेयरों को खरीदने में क्यों पड़ती है इसे देखने की जरूरत, आइए यहां इन तमाम बातों का जवाब जानते हैं.
मार्केट कैपिटलाइजेशन किसी कंपनी के आउटस्टैंडिंग शेयरों के मूल्य को दिखाता है. शेयर की खरीद-फरोख्त के साथ कंपनी का मार्केट कैपिटलाइजेशन बढ़ता-घटता रहता है. आउटस्टैंडिंग शेयर का मतलब उन सभी शेयरों से है जो कंपनी ने जारी किए हैं. यानी जो बाजार में ट्रेडिंग के लिए उपलब्ध हैं. इस तरह मार्केट कैपिटलाइजेशन किसी कंपनी का कुल मूल्य होता है.
इसे कंपनी के कुल आउटस्टैंडिंग शेयरों (बाजार में जारी शेयर) के साथ शेयर के मौजूदा बाजार भाव को गुणा करके निकाला जाता है. मान स्टॉक लिक्विडिटी क्यों महत्वपूर्ण है लेते हैं कि एक कंपनी के 2 करोड़ आउटस्टैंडिंग शेयर हैं. एक शेयर का बाजार भाव 100 रुपये है. इस तरह कंपनी का मार्केट कैपिटलाइजेशन 200 करोड़ रुपये होगा.
यह लिक्विडिटी को नापने का पैमाना भी है. यह कंपनी के शेयर का वह मूल्य है जिसे कभी भी भुनाया जा सकता है. शेयर के मार्केट कैपिटलाइजेशन को देखकर उससे मिलने वाले रिटर्न और उस शेयर से जुड़े जोखिम का अंदाजा लगाया जा सकता है.
बीएसई सेंसेक्स में मार्केटकैप के लिहाज से टॉप 30 शेयर शामिल होते हैं. वहीं, निफ्टी टॉप 50 कंपनियों के शेयरों से बना सूचकांक है. वैसे, तो किसी शेयर में निवेश से पहले मार्केट कैपिटलाइजेशन को देखना अहम है. लेकिन, केवल इस पैमाने को देखकर ही किसी शेयर को चुनना सही नहीं है. इसमें अन्य पहलुओं को भी देखना चाहिए.
(इस पेज की सामग्री सेंटर फॉर इंवेस्टमेंट एजुकेशन एंड लर्निंग (सीआईईएल) के सौजन्य से. गिरिजा गादरे, आरती भार्गव और लब्धि मेहता का योगदान.)
Stock Market की जरुरत क्यों है? Why Stock Market is needed?
Stock Market की जरुरत क्यों है? Why Stock Market is needed?
अगर आपके मन में ये प्रश्न आता है, की Stock Market की जरुरत क्यों है? Why Stock Market is needed? तो आज हम इसी पर चर्चा करेंगे की आखिर ऐसा क्यों है?
आईये अलग अलग नजर से देखते है की स्टॉक लिक्विडिटी क्यों महत्वपूर्ण है STOCK MARKET की जरुरत क्यों है ?
सबसे पहले देखते है – देश की अर्थव्यवस्था की नजर से-
SHARE MARKET देश के अर्थव्यवस्था में खून की तरह है, किसी भी देश का शेयर बाजार उस देश की प्रगति का सूचक होता है , शेयर बाजार देश की औधोगिक प्रगति (Industrial Development) और आर्थिक व्यव स्था (Economy system) की स्थिति के बारे में भी बताता है , वैसे तो STOCK MARKET का देश की प्रगति में बहुत योगदान है, लेकिन इसके कुछ विशेष योगदान है जैसे –
देश की अर्थव्यवस्था में STOCK MARKET का योगदान –
- औधोगिक प्रगति (Industrial Development) के लिए पूंजी की कमी को दूर करना,
- देश में आर्थिक संतुलन ( Economy Stability) प्रदान करना,
- सभी को Stock Market से लाभ उठाने का मौका देना,
- पूंजी बाजार पर नियत्रण – Control On Capital Market
STOCK MARKET की जरुरत – निवेशक की नजर से
STOCK MARKET में SHARES की खरीद और विक्री होती है , और एक शेयर खरीदने वाले को शेयर बेचने वाले और इसी तरह बेचने वालो को खरीदने वाले की जरुरत होती है, और ये सब कुछ STOCK MARKET की मदद से बहुत ही आसानी से हो जाता है, STOCK MARKET के बगैर आम आदमी SHARES खरीदने और बेचने के बारे में सोच भी नहीं सकता, आइये देखते है STOCK MARKET से निवेशक को फायदे-
- MARKET PLACE -शेयर खरीदने और बेचने के लिए एक MARKET PLACE , जो सब लोगो के लिए आसानी से उपलब्ध हो, STOCK EXCHANGE या STOCK MARKET की मदद से आसानी से ऐसा होना संभव है,
- EASY ACCESS TO COMMAN MAN -STOCK MARKET की मदद से आज कोई भी शेयर आप आसानी से कही से भी NTERNET की मदद से खरीद और बेच सकते है,
- LIQUIDITY -STOCK MARKET की वजह से आपको STOCK INVESTMENT में CASH LIQUIDITY का बहुत बड़ा फायदा मिलता है, आप STOCK जब चाहे खरीद और बेच सकते स्टॉक लिक्विडिटी क्यों महत्वपूर्ण है है, और आपको CASH के बदले SHARE या SHARE के बदले CASH आसानी से मिल जाता है,
- DIGITAL STOCK WALLET- STOCK MARKET की वजह से हमें SHARES के रख रखाव को लेकर कोई चिंता करने की जरुरत नहीं, हमारे सभी शेयर STOCK WALLET यानी DEMAT ACCOUNT में बिलकुल सुरक्षित होते है,
- लाभ का मौका –देश का शेयर बाजार हर किसी को मौका देता है की वो STOCK MARKET में निवेश से अच्छा लाभ कमाए, STOCK MARKET की मदद से कोई भी कही से भी निवेश कर सकता है,
STOCK MARKET की जरुरत – उधोगो की नजर से
STOCK MARKET आज हर बड़ी कंपनी के लिए पूंजी प्राप्त करने का सबसे बेहतर विकल्प है, आइये देखते है STOCK MARKET का किसी COMPANY के लिए क्या महत्व है-
- LONG TERM FINANCE – STOCK MARKET द्वारा कंपनी को मिलने वाली पूंजी जब तक कंपनी रहेगी तब तक के लिए है, कंपनी पर किसी तरह की पूंजी वापस करने की कोई जिम्मेदारी नहीं होती, इस लिए कंपनी STOCK MARKET से प्राप्त पूंजी LONG TERM FINANCE होता है,
- पूंजी पे व्याज का बोझ नहीं – STOCK MARKET से प्राप्त पूंजी LONG TERM पूंजी के साथ-साथ, ऐसी पूंजी होती है, जिस पे उसे किसी तरह का कोई व्याज नहीं देना होता, जबकि किसी भी अन्य तरह के LOAN पे कंपनी को व्याज देना पड़ता है,
- LIMITED RISK – STOCK MARKET में LISTED कंपनी में जिस व्यक्ति के पास जितने SHARE होते है, वो व्यक्ति सिर्फ उन शेयर्स के मूल्य तक ही उत्तरदायी होता है, यानी उस कंपनी के शेयर होल्डर्स का रिस्क शेयर्स के मूल्य के हद तक सिमित होता है,
शेयर बाजार में सही तरह से निवेश के द्वारा किसी भी अन्य निवेश की अपेक्षा ज्यादा लाभ कमाया जा सकता है,
आशा है, आप समझ पाए होंगे की Stock Market की जरुरत क्यों है,
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