कंपनी बाजार से कम दाम बेच रही शेयर, खरीदने कम से कम कितने शेयर खरीद सकते हैं? वालों में मच गई होड़, एक ही दिन में 20% चढ़ गया भाव
स्टॉक एक्सचेंज के आंकड़ों से पता चलता है कि अब तक राइट्स इश्यू को 2.16 बिलियन शेयरों के लिए बोलियां मिली हैं। आज सुजलॉन एनर्जी के शेयर 20 प्रतिशत चढ़कर 9.24 रुपये पर बंद हुए।
Suzlon energy share: सुजलॉन एनर्जी (Suzlon energy share) के 1,200 करोड़ रुपये के राइट्स इश्यू को बंद होने से एक दिन पहले बुधवार को लगभग 90 फीसदी सब्सक्राइब किया गया। स्टॉक एक्सचेंज के आंकड़ों से पता चलता है कि अब तक राइट्स इश्यू को 2.16 बिलियन शेयरों के लिए बोलियां मिली हैं, जबकि ऑफर 2.4 बिलियन शेयरों के लिए हैं। आज सुजलॉन एनर्जी के शेयर 20 प्रतिशत चढ़कर 9.24 रुपये कम से कम कितने शेयर खरीद सकते हैं? पर बंद हुए। बता दें कि विंड एनर्जी की देश की सबसे बड़ी कंपनी सुजलॉन एनर्जी का राइट्स इश्यू 11 अक्टूबर को खुला है। इसके इश्यू को 20 अक्टूबर तक सब्सक्राइब किया जा सकता है।
5 रुपये प्रति शेयर पर 2.4 अरब नए शेयर जारी
कंपनी राइट्स इश्यू के जरिए 5 रुपये प्रति शेयर पर 2.4 अरब नए शेयर जारी कर रही है, जिसके बाद सुजलॉन का इक्विटी बेस मौजूदा 10 अरब से करीब 24 फीसदी बढ़कर 12.5 अरब हो जाएगा। कंपनी अपने राइट्स इश्यू से जुटाई गई रकम का उपयोग अपने कर्ज उतारने में करेगी। बता दें कि वर्तमान में कंपनी पर लगभग 3,272 करोड़ रुपये का कर्ज है।
क्या कम से कम कितने शेयर खरीद सकते हैं? है सुजलॉन एनर्जी का ऑफर?
इस राइट्स इश्यू में जिस किसी निवेशक के पास 21 शेयर होंगे वह कंपनी के 5 शेयर खरीद पाएगा। कंपनी की तरफ से राइट्स इश्यू के लिए 5 रुपये प्रति शेयर दाम तय किया गया है। इसमें 3 रुपये प्रति राइट इक्विटी शेयर का प्रीमियम भी शामिल है। बता दें, सुजलॉन एनर्जी के राइट्स इश्यू के 4 अक्टूबर 2022 की तारीख रिकॉर्ड डेट थी। बता दें कि पिछले कई दिनों से शेयरों में तेजी है। पांच कारोबारी दिन में यह शेयर 35.77% तक चढ़ गया।
जब शेयर मार्केट गिरता है तो कहां जाता है आपका पैसा? यहां समझिए इसका गणित
Share market: जब शेयर मार्केट डाउन होता है, तो निवेशकों का पैसा डूबकर किसके पास जाता है? क्या निवेशकों के नुकसान से किसी को मुनाफा होता है. आइए इसका जवाब बताते हैं.
- शेयर मार्केट डिमांड और सप्लाई कम से कम कितने शेयर खरीद सकते हैं? के फॉर्मूले पर काम करता है
- अगर कंपनी अच्छा परफॉर्म करेगी तो उसके शेयर के दाम बढ़ेंगे
- राजनीतिक घटनाओं का भी शेयर मार्केट पर पड़ता है असर
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नई दिल्ली: आपने शेयर मार्केट (Share Market) से जुड़ी तमाम खबरें सुनी होंगी. जिसमें शेयर मार्केट में गिरावट और बढ़त जैसी खबरें आम हैं. लेकिन कभी आपने सोचा है कि जब शेयर मार्केट डाउन होता है, तो निवेशकों का पैसा डूबकर किसके पास जाता है? क्या निवेशकों के नुकसान से किसी को मुनाफा होता है. इस सवाल का जवाब है नहीं. आपको बता दें कि शेयर मार्केट में डूबा हुआ पैसा गायब हो जाता है. आइए इसको समझाते हैं.
कंपनी के भविष्य को परख कर करते हैं निवेश
आपको पता होगा कि कंपनी शेयर मार्केट में उतरती हैं. इन कंपनियों के शेयरों पर निवेशक पैसा लगाते हैं. कंपनी के भविष्य को परख कर ही निवेशक और विश्लेषक शेयरों में निवेश करते हैं. जब कोई कंपनी अच्छा प्रदर्शन करती है, तो उसके शेयरों को लोग ज्यादा खरीदते हैं और उसकी डिमांड बढ़ जाती है. ऐसे ही जब किसी कंपनी के बारे में ये अनुमान लगाया जाए कि भविष्य में उसका मुनाफा कम होगा, तो कंपनी के शेयर गिर जाते हैं.
डिमांड और सप्लाई के फॉर्मूले पर काम कम से कम कितने शेयर खरीद सकते हैं? करता है शेयर
शेयर मार्केट डिमांड और सप्लाई के फॉर्मूले पर काम करता है. लिहाजा दोनों ही परिस्थितियों में शेयरों का मूल्य घटता या बढ़ता जाता है. इस बात को ऐसे लसमझिए कि किसी कंपनी का शेयर आज 100 रुपये का है, कम से कम कितने शेयर खरीद सकते हैं? लेकिन कल ये घट कर 80 रुपये का हो गया. ऐसे में निवेशक को सीधे तौर पर घाटा हुआ. वहीं जिसने 80 रुपये में शेयर खरीदा उसको भी कोई फायदा नहीं हुआ. लेकिन अगर फिर से ये शेयर 100 रुपये का हो जाता है, तब दूसरे निवेशक को फायदा होगा.
कैसे काम करता है शेयर बाजार
मान लीजिए किसी के पास एक अच्छा बिजनेस आइडिया है. लेकिन उसे जमीन पर उतारने के लिए पैसा नहीं है. वो किसी निवेशक के पास गया लेकिन बात नहीं बनी और ज्यादा पैसे की जरूरत है. ऐसे में एक कंपनी बनाई जाएगी. वो कंपनी सेबी से संपर्क कर शेयर बाजार में उतरने की बात करती है. कागजी कार्रवाई पूरा करती है और फिर शेयर बाजार का खेल शुरू होता है. शेयर बाजार में आने के लिए नई कंपनी होना जरूरी नहीं है. पुरानी कंपनियां भी शेयर बाजार में आ सकती हैं.
शेयर का मतलब हिस्सा है. इसका मतलब जो कंपनियां शेयर बाजार या स्टॉक मार्केट में लिस्टेड होती हैं उनकी हिस्सेदारी बंटी रहती है. स्टॉक मार्केट में आने के लिए सेबी, बीएसई और एनएसई (नेशनल स्टॉक एक्सचेंज) में रजिस्टर करवाना होता है. जिस कंपनी में कोई भी निवेशक शेयर खरीदता है वो उस कंपनी में हिस्सेदार हो जाता है. ये हिस्सेदारी खरीदे गए शेयरों की संख्या पर निर्भर करती है. शेयर खरीदने और बेचने का काम ब्रोकर्स यानी दलाल करते हैं. कंपनी और शेयरधारकों के बीच सबसे जरूरी कड़ी का काम कम से कम कितने शेयर खरीद सकते हैं? ब्रोकर्स ही करते हैं.
निफ्टी और सेंसेक्स कैसे तय होते हैं?
इन दोनों सूचकाकों को तय करने वाला सबसे बड़ा फैक्टर है कंपनी का प्रदर्शन. अगर कंपनी अच्छा परफॉर्म करेगी तो लोग उसके शेयर खरीदना चाहेंगे और शेयर की मांग बढ़ने से उसके दाम बढ़ेंगे. अगर कंपनी का प्रदर्शन खराब रहेगा तो लोग शेयर बेचना शुरू कर देंगे और शेयर की कीमतें गिरने लगती हैं.
इसके अलावा कई दूसरी चीजें हैं जिनसे निफ्टी और सेंसेक्स पर असर पड़ता है. मसलन भारत जैसे कृषि प्रधान देश में बारिश अच्छी या खराब होने का असर भी शेयर मार्केट पर पड़ता है. खराब बारिश से बाजार में पैसा कम आएगा और मांग घटेगी. ऐसे में शेयर बाजार भी गिरता है. हर राजनीतिक घटना का असर भी शेयर बाजार पर पड़ता है. चीन और अमेरिका के कारोबारी युद्ध से लेकर ईरान-अमेरिका तनाव का असर भी शेयर बाजार पर पड़ता है. इन सब चीजों से व्यापार प्रभावित होते हैं.
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