व्‍यापार घाटा थामने में मदद
किसी देश की करेंसी जब मजबूत होती है तो उसका निर्यात महंगा और आयात सस्‍ता हो जाता है. यानी आयात ज्‍यादा होने और निर्यात में कमी आने से उसका व्‍यापार घाटा भी बढ़ने लगता है. ऐसे में उस देश के चालू खाते के घाटे पर भी असर पड़ता है. कई बार देश अपनी मुद्रा का अवमूल्‍यन कर निर्यात बढ़ा लेते हैं, जिससे व्‍यापार घाटे की यह खाई भी संकरी हो जाती है और चालू खाते के विदेशी मुद्रा लाभ विदेशी मुद्रा लाभ घाटे का बोझ भी हल्‍का हो जाता है.

भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में जुलाई 2020 के बाद सबसे बड़ी गिरावट दर्ज, बीते साल भर में 116 अरब डॉलर घटा

देश के विदेशी मुद्रा भंडार में रौनक, वित्तवर्ष 2020-21 में 99.2 अरब डॉलर की जोरदार तेजी

Forex reserves News: वित्तवर्ष 2020-21 में चालू खाता सरप्लस 23.9 अरब डॉलर था, जबकि वित्तवर्ष 2019-20 में 24.7 अरब डॉलर का घाटा हुआ था.

देश में विदेशी निवेश वित्तवर्ष 2020-21 में 80.1 अरब डॉलर था. (ज़ी बिज़नेस)

Forex reserves News: देश के विदेशी मुद्रा भंडार (Forex reserves) में, वित्तीय वर्ष 2020-21 के दौरान मूल्यांकन प्रभाव सहित 99.2 अरब डॉलर की वृद्धि हुई है. इससे पिछले वर्ष यह वृद्धि 64.9 अरब डॉलर थी. पीटीआई की खबर के मुताबिक, भारतीय रिजर्व बैंक ने एक रिपोर्ट में कहा कि विदेशी मुद्रा भंडार (Forex reserves) पर मूल्यांकन लाभ, प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले अमेरिकी डॉलर के मूल्य में गिरावट और सोने की कीमतों में बढ़ोतरी का प्रभाव होता है.

वित्तवर्ष 2020-21 में कितनी हुई बढ़ोतरी विदेशी मुद्रा लाभ
खबर के मुताबिक, मूल्यांकन लाभ वर्ष 2020-21 के दौरान 11.9 अरब डॉलर था, जो वर्ष 2019-20 के दौरान 5.4 अरब डॉलर था. वर्ष 2020-21 के दौरान भारत में विदेशी मुद्रा भंडार में बदलाव के स्रोत पर इस रिपोर्ट के मुताबिक, भुगतान संतुलन (मूल्यांकन प्रभावों को छोड़कर) के आधार पर, वित्तवर्ष 2020-21 के दौरान विदेशी मुद्रा भंडार में 87.3 अरब डॉलर की बढ़ोतरी हुई, जबकि वित्तवर्ष 2019-20 के दौरान 59.5 अरब डॉलर की बढ़ोतरी हुई थी.

विदेशी मुद्रा भंडार में फिर आई गिरावट, इस वजह से खाली हो रहा ये 'खजाना'

बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो

by विदेशी मुद्रा लाभ बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो ।।
Published - Saturday, 29 October, 2022

file photo

देश का विदेशी मुद्रा भंडार (Foreign Exchange Reserves) लगातार घटता जा रहा है. 21 अक्टूबर को समाप्त सप्ताह में यह 3.847 अरब डॉलर घटकर 524.52 अरब डॉलर रह गया. मीडिया रिपोर्ट्स में भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के हवाले से बताया गया है कि इससे पिछले सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार 4.50 अरब डॉलर घटकर 528.37 अरब डॉलर रह गया था.

ये है प्रमुख कारण
गौर करने वाली बात ये है कि अक्टूबर 2021 में देश का विदेश मुद्रा भंडार 645 अरब डॉलर के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गया था, लेकिन अब इसमें लगातार गिरावट आ रही है. विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट का मुख्य कारण यह है कि रुपए की गिरावट को थामने के लिए RBI डॉलर बेच रहा है. रिजर्व बैंक द्वारा विदेशी मुद्रा लाभ जारी साप्ताहिक आंकड़ों के अनुसार, 21 अक्टूबर को समाप्त सप्ताह में मुद्रा भंडार का महत्वपूर्ण घटक मानी जाने वाली फॉरेन करेंसी एसेट्स (FCA) 3.593 अरब डॉलर घटकर 465.075 अरब डॉलर रह गईं. बता दें कि FCA कुल विदेशी मुद्रा विदेशी मुद्रा लाभ भंडार का सबसे बड़ा और प्रमुख हिस्सा होता है. इसमें डॉलर के अलावा यूरो, पाउंड और येन जैसी गैर-अमेरिकी मुद्राओं का भंडार होता है. इन सभी गैर-अमेरिकी मुद्राओं की वैल्यू डॉलर के संदर्भ में रखी जाती है और उनमें डॉलर के मुकाबले बढ़ोतरी या गिरावट आने पर फॉरेन करेंसी एसेट्स की वैल्यू में भी बदलाव होता है.

क्या आप बिना खरीदे विदेशी मुद्रा में बिक्री कर सकते हैं?

विदेशी मुद्रा बाजार में किसी भी व्यापार का पक्ष लेना हमेशा संभव होता है। संयुक्त राज्य अमेरिका में रहना और अमेरिकी डॉलर के साथ शुरुआत करना एक व्यापारी को अन्य मुद्राओं के साथ डॉलर के मुकाबले सट्टेबाजी तक सीमित नहीं करता है।

बहुत कम बिकने वाले शेयरों की तरह, एक निवेशक विदेशी मुद्रा उधार ले सकता है और अमेरिकी डॉलर खरीदने के लिए धन का उपयोग कर सकता है। यदि विदेशी मुद्रा में गिरावट आती है, तो अमेरिकी व्यापारी कम अमेरिकी डॉलर के साथ ऋण वापस कर सकता है और लाभ कमा सकता है। यह जटिल लगता है, लेकिन वास्तव में एक मुद्रा जोड़ी का व्यापार किसी अन्य निवेश को खरीदने और बेचने के लिए समान रूप से काम करता है।

एक विदेशी मुद्रा में उधार लेना और दूसरी विदेशी मुद्रा खरीदना भी संभव है। उदाहरण के लिए, एक अमेरिकी व्यापारी जापानी येन को उधार ले सकता है और ऑस्ट्रेलियाई डॉलर खरीदने के लिए धन का उपयोग कर सकता है।

कब खरीदें और बेचें

व्यापारी दांव लगा है कि एक मुद्रा के मूल्य या तो होगा से लाभ कमाने के लिए देखने के लिए सराहना करते हैं या मूल्य कम अन्य मुद्रा के खिलाफ। उदाहरण के लिए, मान लें कि आप अमेरिकी डॉलर खरीदते हैं और यूरो बेचते हैं। इस मामले में, आप शर्त लगा रहे हैं कि यूरो के मुकाबले डॉलर का मूल्य बढ़ जाएगा। यदि आपका दांव सही है और डॉलर का मूल्य बढ़ता है, तो आप लाभ कमाएंगे।

ट्रेडिंग फॉरेक्स सब कुछ दांव पर पैसा बनाने और घाटे को काटने के बारे में है जब बाजार दूसरे रास्ते पर जाता है। फॉरेक्स मार्केट में लीवरेज का उपयोग करके मुनाफे (और नुकसान) को बढ़ाया जा सकता है ।

नए विदेशी मुद्रा व्यापारियों को पहले लाभ कमाने का प्रयास करना चाहिए और केवल निरंतर लाभ कैसे प्राप्त करना सीखने के बाद लीवरेज का उपयोग करना चाहिए।

विदेशी मुद्रा विदेशी मुद्रा लाभ बाजार में कितना खरीदना और बेचना है?

विदेशी मुद्रा बाजार दुनिया का सबसे बड़ा बाजार है। बैंक फॉर इंटरनेशनल सेटलमेंट्स द्वारा आयोजित 2019 त्रैवार्षिक सेंट्रल बैंक सर्वेक्षण के अनुसार, दैनिक कारोबार की मात्रा $ 6.5 ट्रिलियन से अधिक थी।

विशाल ट्रेडिंग वॉल्यूम उत्कृष्ट तरलता के साथ विदेशी मुद्रा बाजार प्रदान करता है । यह तरलता लेन-देन की लागत को कम करके लगातार व्यापारियों को लाभान्वित करती है। सभी ट्रेडिंग ओवर-द-काउंटर हैं, जो ट्रेडों को सप्ताह के दिनों में 24 घंटे बनाने की अनुमति देता है।

Explainer : क्‍यों कोई देश जानबूझकर कमजोर बनाता है अपनी करेंसी, कहां और कैसे होता है इसका फायदा?

डॉलर अभी 22 साल की सबसे मजबूत स्थिति में है.

  • News18Hindi
  • Last Updated : October 24, 2022, 15:30 IST

हाइलाइट्स

अपनी करेंसी को जानबूझकर कमजोर करने का कारनामा हाल में ही चीन दो बार कर चुका है.
एक बार 2015 में चीन ने डॉलर के मुकबाले अपने युआन की कीमत घटाकर 6.22 कर दी थी.
साल 2019 में फिर चीन ने डॉलर के मुकाबले युआन की कीमत घटाकर 6.99 तय कर दी.

नई दिल्‍ली. अमूमन किसी देश की करेंसी के कमजोर होने को उसकी बिखरती अर्थव्‍यवस्‍था का सबूत माना जाता है, लेकिन क्‍या आप जानते हैं कि कुछ देश जानबूझकर अपनी मुद्रा को कमजोर बनाते हैं. एक बारगी तो इस बात पर यकीन करना मुश्किल होता है कि जहां दुनियाभर के देश अपनी मुद्रा को मजबूत बनाने की जुगत में लगे रहते हैं, वहीं कोई देश क्‍यों अपनी करेंसी को कमजोर बनाएगा, लेकिन यही सवाल जब बाजार और कमोडिटी एक्‍सपर्ट से पूछा तो जवाब चौंकाने वाले थे.

आईआईएफएल सिक्‍योरिटीज के कमोडिटी रिसर्च हेड अनुज गुप्‍ता का कहना है कि ज्‍यादातर ऐसे देश अपनी करेंसी को जानबूझकर कमजोर बनाते हैं, जिन्‍हें निर्यात के मोर्चे पर लाभ लेना होता है. यानी अगर किसी देश की करेंसी कमजोर होती है, तो उसी अनुपात में उसका निर्यात सस्‍ता हो जाता है और उद्योगों के पास ज्‍यादा उत्‍पादन के मौके बनते हैं. दरअसल, ऐसा इसलिए होता है क्‍योंकि ज्‍यादातर ग्‍लोबल लेनदेन डॉलर में होता है और जब किसी देश की मुद्रा कमजोर होती है तो उसका उत्‍पादन भी डॉलर के मुकाबले सस्‍ता हो जाता है और ग्‍लोबल मार्केट में उसकी मांग बढ़ जाती है.

यह भी पढ़ें

देश के विदेशी मु्द्रा भंडार में आ रही गिरावट को लेकर विपक्ष ने केंद्र सरकार के खिलाफ हमलावर रुख अख्तियार कर रखा है. कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने विदेशी मुद्रा लाभ कल ही कहा था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को विदेशी मुद्रा भंडार में लगातार हो रही गिरावट को लेकर जवाब देना चाहिए.विदेशी मुद्रा लाभ

कांग्रेस अध्‍यक्ष ने दावा किया कि मौजूदा वित्त वर्ष की पहली छमाही में विदेशी मुद्रा भंडार में 85 अरब डॉलर की गिरावट आई है. खरगे ने ट्वीट करके यह आरोप भी लगाया कि विदेशी मुद्रा में गिरावट डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत में हो रही गिरावट से तेज है. उन्होंने सवाल किया, ‘‘क्या वित्त मंत्री या प्रधानमंत्री को इस स्थिति को लेकर कुछ कहना है?''

ये भी पढ़ें- विदेशी मुद्रा लाभ

'हम नौकरियां नहीं पैदा कर पा रहे. ' : भारतीय इकोनॉमी पर बोले रघुराम राजन

रेटिंग: 4.82
अधिकतम अंक: 5
न्यूनतम अंक: 1
मतदाताओं की संख्या: 879