जापान एवं दक्षिण कोरिया से 75 हजार करोड़ का होगा निवेश ः जयवीर सिंह

-जापान एवं दक्षिण कोरिया से 25 हजार 456 करोड़ रूपये का एमओयू हस्ताक्षरित तथा.

जापान एवं दक्षिण कोरिया से 75 हजार करोड़ का होगा निवेश ः जयवीर सिंह

-जापान एवं दक्षिण कोरिया से 25 हजार 456 करोड़ रूपये का एमओयू हस्ताक्षरित तथा प्रतिष्ठित कम्पनियों ने उद्योग स्थापित करने की दिखाई प्रतिबद्धता

- जापान और दक्षिण कोरिया से कुल 75 हजार करोड़ रूपये का निवेश प्राप्त होगा

लखनऊ : विशेष संवाददाता

प्रदेश के पर्यटन विदेशी मुद्रा कोर्स मंत्री जयवीर सिंह के नेतृत्व में जापान एवं दक्षिण कोरिया गई टीम रोड-शो एवं बिजनेस डीलिंग करने के बाद मुख्यमंत्री से भेंट कर उन्हें रिपार्ट सौंपी। इन दोनों देशों के प्रमुख औद्योगिक घरानों से भारतीय मुद्रा में 25 हजार 456 करोड़ रुपये के एमओयू पर हस्ताक्षर संपन्न कराये गए और विदेशी कम्पनियों ने उद्योग लगाने के प्रति अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त की। जयवीर सिंह ने मुख्यमंत्री को बताया कि फरवरी में दक्षिण कोरिया एवं जापान से 50 हजार करोड़ रुपये का निवेश प्राप्त होने की पूरी सम्भावना है। इस मौके पर पर्यटन मंत्री ने मुख्यमंत्री को जापान से लाया गया एक धार्मिक प्रतीक चिन्ह भेंट किया।

श्री जयवीर सिंह ने बताया कि जापान एवं दक्षिण कोरिया में रोड-शो के दौरान विभिन्न प्रतिष्ठित कम्पनियों से चर्चा के दौरान मुख्यमंत्री योगी के विकास माडल पर विशेष फोकस रहा। दोनों देशों के कम्पनियों को बताया गया कि कानून व्यवस्था एवं अवस्थापना सुविधा की विदेशों में सराहना की जा रही है। प्रदेश में रेल, वायु, सड़क एवं एक्सप्रेस-वे की बेहतर कनेक्टिविटी की वजह से देश-विदेश के निवेशक दिलचस्पी ले रहे हैं। इसलिए जाने माने औद्योगिक घराने के निवेशक चीन से अपना व्यापार समेट कर भारत और उत्तर प्रदेश की ओर रूख कर रहे हैं।

पर्यटन मंत्री ने बताया कि प्रतिनिधि मण्डल ने जापान के एचएमआई होटल ग्रुप और ओरा गु्रप ने होटल परियोजनायें के बारे में विस्तार से चर्चा की। एनटीटी ग्लोबल ने गौतमबुद्ध नगर में 2000 करोड़ रुपये की लागत से डेटा सेंटर स्थापित करने तथा जापान इंडिया इण्डस्ट्री प्रमोशन एसोसिएशन ने गौतमबुद्धनगर में 2500 करोड़ के निवेश से कपड़ा मशीनरी निर्माण इकाई स्थापित करने के लिए एमओयू हस्ताक्षरित किया। जिससे 5000 लोगों को रोजगार मिलेगा। इसके अलावा जापानी कम्पनी निसेंकेन गुणवत्ता मूल्यांकन केन्द्र टोकियो में 10,000 करोड़ रुपये के निवेश हेतु एमओयू किया, इससे 10 हजार लोगों को रोजगार प्राप्त होगा।

पर्यटन मंत्री ने बताया कि वन वर्ल्ड कारपोरेशन ने गौतमबुद्धनगर में 50 एकड़ एरिया में 5000 करोड़ रुपये की लागत से कूड़ा प्रबंधन हेतु एमओयू हस्ताक्षर किया तथा मित्सु एंड कम्पनी ग्लोबल लॉजिस्टिक्स ने अलीगढ़ में 5000 करोड़ की लागत से 200 एकड़ में फैले लॉजिस्टिक्स पार्क विकसित करने हेतु प्रतिबंद्धता दिखाई। इसके अलावा सेको एडवांस लि0 ने यूपी में 200 लोगों के रोजगार सृजन के लिए 850 करोड़ के लिए एमओयू पर हस्ताक्षर किया।

इसके अतिरिक्त चुबु इलेक्ट्रिक पावर, इनोवेशन थ्रू एजर्नी, आईजो कापोरेशन ने भी प्रदेश में निवेश के लिए प्रतिबद्धता दिखाई। उन्होंने बताया कि केके जयपुर के ज्ञान प्रकाश मित्तल ने 4 सितारा होटल की सम्पत्ति सृजित करने के लिए 300 करोड़ रुपये के एमओयू पर हस्ताक्षर किया।

Changes in Indian Higher Education: 12 क्षेत्रीय भारतीय भाषाओं में पढ़ सकेंगे BA, B.Com और B.Sc

भारतीय उच्च शिक्षा, खास तौर पर अंडर ग्रेजुएट पाठ्यक्रमों में एक नया राष्ट्रव्यापी बदलाव आने वाला है. इससे बीए, बीकॉम, और बीएससी जैसे अंडर ग्रेजुएट पाठ्यक्रमों में भाषा बाधा नहीं बन सकेगी. छात्र अपनी मातृभाषा विदेशी मुद्रा कोर्स में ग्रेजुएशन कर सकेंगे.

Changes in Indian Higher Education: 12 क्षेत्रीय भारतीय भाषाओं में पढ़ सकेंगे BA, B.Com और B.Sc

नई दिल्ली, 18 दिसंबर : भारतीय उच्च शिक्षा, विदेशी मुद्रा कोर्स खास तौर पर अंडर ग्रेजुएट पाठ्यक्रमों में एक नया राष्ट्रव्यापी बदलाव आने वाला है. इससे बीए, बीकॉम, और बीएससी जैसे अंडर ग्रेजुएट पाठ्यक्रमों में भाषा बाधा नहीं बन सकेगी. छात्र अपनी मातृभाषा में ग्रेजुएशन कर सकेंगे. इसके लिए बीए, बीकॉम, और बीएससी की सभी पुस्तकें बंगाली, गुजराती, कन्नड़, मलयालम, मराठी, ओडिया, तमिल, तेलुगु आदि क्षेत्रीय भाषाओं में लाने की तैयारी है. ग्रेजुएशन स्तर पर यह पहल पूरी होने के उपरांत इसे पोस्ट ग्रेजुएशन के लेवल पर भी ले जाया जाएगा.

केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय की पहल पर विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने बीए, बीएससी, और बीकॉम में उपयोग की जाने वाले पाठ्यपुस्तकों के अंग्रेजी संस्करण को भारतीय भाषाओं में लाने के लिए भारतीय प्रकाशकों के साथ बातचीत की है. जिन बड़े प्रकाशकों के साथ यह संभावनाएं तलाशी जा रही हैं उनमें पियर्सन इंडिया, नरोसा पब्लिशर्स, वाइवा बुक्स, साइटेक पब्लिकेशन्स, एस. चांद पब्लिशर्स, विकास पब्लिशिंग, न्यू एज पब्लिशर्स, महावीर पब्लिकेशन्स, यूनिवर्सिटीज प्रेस और टैक्समैन पब्लिकेशन्स शामिल हैं. इन सभी के प्रतिनिधियों ने यूजीसी के साथ हुई बातचीत में हिस्सा लिया. यह भी पढ़ें : Maharashtra-Karnataka Border Dispute: प्रधानमंत्री मोदी ने रूस-यूक्रेन युद्ध में मध्यस्थता की, पर महाराष्ट्र-कर्नाटक सीमा विवाद को नजरअंदाज कर रहे- संजय राउत

इनके अलावा इस उच्चस्तरीय महत्वपूर्ण बैठक में ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस, ओरिएंट ब्लैकस्वान और एल्सेवियर के प्रतिनिधियों ने भी भाग लिया. यूजीसी, एनईपी 2020 के एक भाग के रूप में, असमिया, बंगाली, गुजराती, हिंदी, कन्नड़, मलयालम, मराठी, ओडिया, पंजाबी, तमिल, तेलुगु और उर्दू जैसी 12 भारतीय भाषाओं में देश भर के उच्च शिक्षा संस्थानों में स्नातक कार्यक्रमों के लिए सबसे लोकप्रिय पाठ्यपुस्तकों का अनुवाद लाने की दिशा में काम कर रहा है.

यूजीसी चेयरमैन प्रोफेसर एम जगदीश कुमार ने आईएएनएस को बताया कि यूजीसी एक नोडल एजेंसी के रूप में कार्य करेगा जो प्रकाशकों को पाठ्यपुस्तकों की पहचान, अनुवाद उपकरण और संपादन के लिए विशेषज्ञों के संबंध में सभी सहायता और समर्थन विदेशी मुद्रा कोर्स प्रदान करेगा ताकि पाठ्यपुस्तकों को डिजिटल प्रारूप में सस्ती कीमतों पर प्रदान किया जा सके. यूजीसी इसके लिए दो ट्रैक पर काम कर रहा है. जहां बीए, बीएससी और बीकॉम कार्यक्रमों की लोकप्रिय मौजूदा पाठ्यपुस्तकों विदेशी मुद्रा कोर्स की पहचान की जाएगी और उनका भारतीय भाषाओं में अनुवाद किया जाएगा. इसके साथ ही भारतीय लेखकों को गैर-तकनीकी विषयों के लिए भारतीय भाषाओं में पाठ्यपुस्तक लिखने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा.

यूजीसी चेयरमैन के विदेशी मुद्रा कोर्स मुताबिक, यूजीसी आने वाले महीनों में कई पाठ्यपुस्तकों का भारतीय भाषाओं में अनुवाद करने का इरादा रखता है. उन्होंने कहा हम इस बात कि सराहना करते हैं कि इस मुहिम में भाग लेने वाले प्रकाशकों ने इस राष्ट्रीय मिशन में भागीदारी करने में गहरी दिलचस्पी दिखाई है. यूजीसी ने एक रोड मैप तैयार करने और विभिन्न भारतीय भाषाओं में पाठ्यपुस्तकों को लाने की दिशा में काम करने के लिए एक शीर्ष समिति का गठन भी किया है.

यूजीसी चैयरमेन के मुताबिक प्रारंभिक ध्यान बीए, बीएससी और बीकॉम कार्यक्रमों में मौजूदा पाठ्यपुस्तकों के अनुवाद पर होगा, जिसे बाद में पोस्ट ग्रेजुएशन कार्यक्रमों में भी इसे विस्तारित किया जाएगा. यह भी बताया गया कि यूजीसी भारतीय लेखकों और शिक्षाविदों को विभिन्न भारतीय भाषाओं में पाठ्यपुस्तकें लिखने के लिए प्रोत्साहित करेगा विदेशी मुद्रा कोर्स विदेशी मुद्रा कोर्स और उन्हें प्रकाशित करने में प्रकाशकों को शामिल करेगा.

यूजीसी छह से विदेशी मुद्रा कोर्स बारह महीनों में कई पाठ्यपुस्तकों का भारतीय भाषाओं में अनुवाद करने का इरादा रखता है. प्रकाशकों के प्रतिनिधियों ने इस राष्ट्रीय मिशन में भागीदार बनने की इच्छा व्यक्त की है. भारतीय प्रकाश के अलावा यूजीसी बड़े अंतरराष्ट्रीय प्रकाशकों के साथ भी इस विषय पर लगातार चर्चा कर रहा है. यूजीसी ने हाल ही में विली इंडिया, स्प्रिंगर नेचर, विदेशी मुद्रा कोर्स टेलर एंड फ्रांसिस, कैंब्रिज यूनिवर्सिटी प्रेस इंडिया, सेंगेज इंडिया और मैकग्रा-हिल इंडिया के प्रतिनिधियों से भारतीय भाषाओं में अंडरग्रेजुएट अंग्रेजी पाठ्यपुस्तकों को लाने पर चर्चा की है.

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