लिक्विड फंड की अवधि एक से 90 दिनों तक होती है. सबसे उल्लेखनीय बात यह है कि लिक्विड फंडों का शुद्ध परिसंपत्ति मूल्य (एनएवी) स्थिर रहता है और यह दुर्लभतम परिस्थितियों में ही घटता है. इसकी एक और खासियत यह है कि निवेश इकाइयों को बेचने के दो से तीन दिनों के भीतर हमारे खातों में नकद जमा कर दिया जाता है. फिर, 'अल्ट्रा शॉर्ट ड्यूरेशन फंड' हैं, जिनमें सिर्फ तीन से छह महीने की अवधि के लिए निवेश किया जा सकता है. ये अल्ट्रा शॉर्ट फंड कंपनियों को कर्ज मुहैया कराते हैं. ऐसे कारणों से, लिक्विड फंड की तुलना में इन अल्ट्रा शॉर्ट फंडों में थोड़ा जोखिम कारक होता है. हालांकि, अल्ट्रा शॉर्ट निवेश बैंकों में सावधि जमा की तुलना में बराबर या थोड़ा अधिक रिटर्न देगा.

विदेशी निवेश के अनुकूल है भारत

Mutual Funds Investment : अच्छे रिटर्न हासिल करने के हैं ये बड़े फॉर्मूले, नहीं डूबेगा पैसा

By: एबीपी न्यूज़ | Updated at : 02 Jul 2021 02:53 PM (IST)

Investment : म्युचुअल फंड को लेकर कॉमन जानकारी है कि मॉडरेट रिस्क के साथ 5-10 सालों तक किया गया इनवेस्टमेंट आपको 15 प्रतिशत तक रिटर्न देने में सक्षम है. हालांकि निवेश करने से पहले निवेश जोखिम के प्रकार फंड के बारे में पूरी जानकारी लेना बेहद जरूरी है. दरअसल म्युचुअल फंड इक्विटी में इंवेस्ट करते हैं, इसलिए इनकी वोलेटीलिटी अधिक होती है, यानी इसका उतार चढ़ाव, यह वजह है कि फाइनेंस एक्सपर्ट इसमें लॉन्ग टर्म इंवेस्टमेंट की सलाह देते हैं. म्युच्युअल फंड्स में 5 या 10 साल तक किया गया निवेश मुद्रास्फीति या महंगाई की दर के अनुपात में बहुत अच्छे रिटर्न देने वाले होते हैं.

फीचर्स और टाइप
इसमें एक फंड मैनेजर होता है, जो आपके पैसे को अलग-अलग स्टॉक में लगाकर मुनाफा कमाता है और रिटर्न देकर एवज में अपने लिए कुछ अमाउंट कमीशन के तौर पर रख लेता है. फंड हाउस मैनेज करने के लिए ऐसेट मैनेजमेंट कंपनी होती हैं, जैसे एचडीएफसी म्युचुअल फंड एसबीआई म्यूचुअल फंड, आदित्य बिरला म्युचुअल फंड आदि.

पहले फंड का 5 से 10 साल का रिटर्न प्रोसेस चेक करना जरूरी है. कमीशन रेशो भी चेक करना होगा, यह 1-2 प्रतिशत से अधिक नहीं होना चाहिए. एंट्री-एग्जिट लोड भी चेक करना होगा. यानी जब आप निवेश कर रहे हो तब आपका कितना पैसा कट सकता है और मेच्योरिटी के बाद पैसा पाएंगे तो कितना पैसा कटेगा.

ऐसे लगाएं पैसा

एक बार ऑनलाइन या कंसलटेंट के जरिए टारगेट गोल सेट कर केवाईसी कराएं. पैन, आधार और कैंसिल चेक म्युचुअल फंड कंपनी को देकर निवेश के लिए वेबसाइट पर जाकर रजिस्टर करना होगा. घर कर्मचारी आपसे घर आकर जरूरी डॉक्यूमेंट ले लेंगे. दूसरा तरीका है ऑनलाइन, जिसके लिए कई ऐप्स आ चुकी हैं, जिनके जरिए भी निवेश किया जा सकता है.

अंत में कितना फायदा
पहला फायदा, हाई रिटर्न का है, मॉडरेट रिस्क पर भी अच्छी लिक्विडिटी मिलती है. आप कभी भी पैसा डाल सकते हैं और कभी भी पैसा निकाल सकते हैं. नुकसान है, हाई वोलैटिलिटी का. मार्केट के उतार-चढ़ाव के चलते यह -50% भी जा सकता है और इतना ही ऊपर जा सकता है. अगर मान भी लें कि हर साल 15 परसेंट रिटर्न नहीं मिलेगा, लेकिन 5-10 के लंबे पीरियड के बाद एवरेज रिटर्न 13-15% तक मिल जाएगा.

अल्पकालिक निवेश में भी होता है जोखिम, सावधानी से निवेश जोखिम के प्रकार चुनें अपना विकल्प

अगर आप कम समय में निश्चित राशि प्राप्त करना चाहते हैं, तो आप शॉट टर्म इन्वेस्टमेंट प्लान का विकल्प चुन सकते हैं. हालांकि, इसका चयन करते समय सावधानी भी बरतने की जरूरत होती है. आर्बिट्रेज फंड, अल्ट्रा शॉर्ट ड्यूरेशन फंड, मनी मार्केट फंड जैसे विकल्प मौजूद हैं. आप तीन महीने के निवेश का भी विकल्प चुन सकते हैं. कुछ निवेश ऐसे होते हैं, जो पांच साल तक के लिए भी होते हैं.

हैदराबाद : बढ़ती ब्याज दरों को ध्यान में रखते हुए, निवेशकों को अपने विकल्प चुनने में अत्यधिक सावधानी बरतने की आवश्यकता है. खासकर, जब वे एक से पांच साल के अल्पकालिक निवेश के लिए जा रहे हों, तो उन्हें सावधानीपूर्वक सही प्रकार की योजनाओं का चयन करना चाहिए. तभी उनकी गाढ़ी कमाई बच सकेगी और वे निश्चित रिटर्न भी प्राप्त कर सकेंगे. निवेश योजनाओं का चयन करने से पहले, प्रत्येक संभावित निवेशक को अपनी समग्र जरूरतों पर विचार करके वित्तीय लक्ष्य तय करने चाहिए. लंबी अवधि की योजनाओं से अच्छा रिटर्न मिलता है. जबकि, अल्पकालिक निवेश हमें जब भी आवश्यकता महसूस होती है, धन निकालने की सुविधा प्रदान करते हैं. ऐसे में केवल उन्हीं अल्पकालिक निवेशों का चयन करना बहुत महत्वपूर्ण है जो सुरक्षित हैं.

संपत्ति आवंटन के 4 लाभ

एसेट एलोकेशन एक निवेश रणनीति है जिसमें निवेशक कई प्रकार के एसेट क्लास के लिए अपने निवेश डॉलर का एक निश्चित प्रतिशत अलग रखते हैं। उनके पैसे का एक हिस्सा स्टॉक में जा सकता है, जबकि दूसरा प्रतिशत बॉन्ड में जाता है। इस प्रकार का निवेश निवेशकों के लिए कुछ निश्चित लाभ प्रदान करता है।

निवेशकों के प्राथमिक उद्देश्यों में से एक अपने पोर्टफोलियो में विविधता लाना है। संपत्ति आवंटन निवेशकों को नियमों के एक विशिष्ट सेट के अनुसार विविधता लाने की अनुमति देता है। इस रणनीति के साथ, आप अपने सभी अंडे एक टोकरी में नहीं डालेंगे। यदि एक प्रकार की संपत्ति खराब प्रदर्शन कर रही है, तो आपके पास पोर्टफोलियो के प्रदर्शन को बढ़ाने के लिए कई अन्य संपत्तियां हैं। कई मामलों में, स्टॉक खराब प्रदर्शन करेंगे, जबकि भौतिक संपत्ति जैसे सोना और चांदी का मूल्य आसमान छू रहा है। यदि आप लंबी अवधि के निवेश जोखिम के प्रकार प्रदर्शन में रुचि रखते हैं, तो आपको एक विशिष्ट परिसंपत्ति आवंटन के अनुसार अपने पोर्टफोलियो में विविधता लाने की आवश्यकता है।

विभिन्न प्रकार के निवेशकों के लिए विभिन्न स्वर्ण निवेश विकल्प

आप किस तरह के निवेशक हैं? विवेकी, जोखिम लेने वाले, नीतिपूर्ण या आशावादी? हम कैसे निवेश करते हैं यह कई बातों पर निर्भर करता है: उम्र, लिंग, परिवार, अतीत और वर्तमान की आर्थिक परिस्थिति, और भविष्य के लक्ष्य। कुछ लोगों में निवेश करने की / जोखिम लेने की एक अंतर्निहित तृष्णा होती है, जबकि कुछ लोगों में ऐसा बिल्कुल नहीं होता। इन्हीं रवैयों और उम्मीदों का प्रभाव निवेश के प्रति हमारे दृष्टिकोण पर पड़ता है।

यहाँ हम निवेशकों को चार विभिन्न वर्गों में बाँटेंगे जहाँ हर वर्ग की अपनी अलग विचारधारा है। हालाँकि, उनमें व्यावहारिक, भौगोलिक, और सांस्कृतिक भिन्नताएँ हैं, तो भी इन वर्गों में वैश्विक प्रासंगिकता है। आगे पढ़िए और जानिए आप किस प्रकार के निवेशक हैं क्योंकि इससे आपको ही समझने में आसानी होगी कि आपके निवेश पोर्टफोलियो में सोना कहाँ और कैसे आ सकता है।

कम जोखिम में ज्यादा लाभ, पढ़ें कहां और कैसे करें निवेश

low risk high return

इक्विटी के प्रति लोगों में आकर्षण बढ़ गया है. बड़ी संख्या में निवेशक शेयर बाजार से जुड़ रहे हैं और बेहतर रिटर्न पाने की कोशिश में लगे हुए हैं, लेकिन वे बाजार के जोखिम को लेकर चिंतित भी रहते हैं. बाजार के उतार-चढ़ाव के जोखिम को कम करते हुए बेहतर रिटर्न पाने का एक बेहतर विकल्प है एक्सचेंज ट्रेडेड फंड यानी ईटीएफ. पढ़ें गुरजीत सिंह कालरा हेड, ईटीएफ सेल्स, आइसीआइसीआइ प्रू एएमसीई की एक्सपर्ट राय

ईटीएफ उन निवेशकों के लिए इक्विटी में एक्सपोजर लेने का एक उत्कृष्ट, सुविधाजनक, सबसे सस्ता तरीका है, जिनके पास लंबी अवधि के लक्ष्य हैं और बिना ज्यादा जोखिम उठाए इक्विटी में निवेश करना चाहते हैं. ईटीएफ की डायविर्सिफिकेशन इसे व्यक्तिगत स्टॉक की तुलना में कम अस्थिर बनाती है. इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि बाजार के उतार-चढ़ाव के दौरान, प्रत्यक्ष निवेश के विपरीत, इंडेक्स फंड में उतार-चढ़ाव का कम प्रभाव दिखता है.

विदेशी निवेश के अनुकूल है भारत

ईटीएफ में निवेश करके, निवेश जोखिम या अतिरिक्त तनाव के बिना बाजार से जुड़े रिटर्न को प्राप्त किया जा सकता है. इसके अलावा, ईटीएफ स्टॉक एक्सचेंजों में सूचीबद्ध हैं और डीमैट खाते के माध्यम से बाजार के कारोबारी समय में कभी भी खरीदा या बेचा जा सकता है.

बाजार में सीधे निवेश की चुनौती

शेयर बाजार कई कारणों से अस्थिर होता है. ये कारण बाजार की भावनाओं को प्रभावित करते हैं. एक खुदरा निवेशक के लिए, उन सभी कारकों पर अपडेट बने रहना संभव नहीं हो सकता है. तेज निवेश जोखिम के प्रकार और अक्सर नकारात्मक मूल्य परिवर्तनों का निवेशक के इक्विटी निवेश अनुभव पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है. अपेक्षित ज्ञान और अनुभव के बिना, पहली बार निवेश करने वाले निवेशकों को बड़ा नुकसान हो सकता है.

ईटीएफ है समाधान

इस तरह के नकारात्मक अनुभव को कम करने के लिए, ईटीएफ का उपयोग करना एक विवेकपूर्ण निर्णय है. अधिकांश ईटीएफ इंडेक्स फंड होते हैं, यानी वे स्टॉक मार्केट इंडेक्स के समान सिक्योरिटीज रखते हैं. चूंकि वे इंडेक्स होल्डिंग्स को दोहराते हैं, इसलिए वे अंतर्निहित इंडेक्स के समान रिटर्न उत्पन्न करते हैं. उदाहरण के लिए, निफ्टी 50 इंडेक्स ईटीएफ, निफ्टी 50 के सभी शेयरों को इंडेक्स के समान अनुपात में रखता है. नतीजतन, यह निफ्टी 50 इंडेक्स द्वारा उत्पन्न रिटर्न को ही दिखाता है. इसी तरह, बीएसइ 500 ईटीएफ 500 कंपनियों में निवेश करता है और निवेशकों को भी बीएसइ 500 ईटीएफ में निवेश करके उनमें भाग लेने का मौका देता है.

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बढ़ रही ईटीएफ निवेशकों की संख्या

पिछले एक साल से, भारत में निवेशक ईटीएफ को लेकर काफी उत्साहित हैं. ईटीएफ फोलियो की संख्या 19 लाख से बढ़कर 42.5 लाख हो गयी है, और इसी तरह एयूएम 1.5 लाख करोड़ से बढ़ कर 2.8 लाख करोड़ रुपया हो गया है.

मिलता है डायवर्सिफिकेशन का लाभ

ईटीएफ की दुनिया में विभिन्न प्रकार के विकल्प रहते हैं. ऐसे ईटीएफ हैं, जो मार्केट कैप आधारित हैं जैसे निफ्टी ईटीएफ, सेंसेक्स ईटीएफ, मिडकैप ईटीएफ, बीएसई 500 ईटीएफ इत्यादि. इसके अलावा, आइटी, बैंक, हेल्थकेयर इत्यादि जैसे विशिष्ट क्षेत्रों पर आधारित ईटीएफ भी होते हैं. इसका मतलब है कि अगर कोई निवेशक एक सेक्टर पर बुलिश है, जैसे आइटी सेक्टर, और आइटी कंपनियों के एक समूह का एक्सपोजर लेना चाहता है, तो आइटी ईटीएफ में निवेश करने का विकल्प उपलब्ध होता है.

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