कौन हैं ऋषि सुनक? भारत से रिश्ते के फैक्ट्स, फंड मैनेजमेंट से ब्रिटेन के पीएम तक का सफर
लंदन/नई दिल्ली: ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय और स्टैनफोर्ड से स्नातक ऋषि सुनक ब्रिटेन के पहले भारतीय मूल के प्रधानमंत्री हैं. निवेश बैंकर से राजनेता बने 210 वर्षों में सबसे कम उम्र के ब्रिटिश प्रधानमंत्री हैं. यहां उनके और उनके भारत कनेक्शन के बारे में कुछ तथ्य दिए गए हैं.
कौन हैं ऋषि सुनक? जानें भारत से उनके संबंध के बारे में अहम बातें
ब्रिटेन में मची सियासी उथलपुथल के बीच ऋषि सुनक भारतीय मूल के ब्रिटेन के पहले प्रधानमंत्री चुने गए। ऑक्सफॉर्ड विश्वविद्यालय और स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय जैसे दुनिया के नामचीन शिक्षण संस्थानों से शिक्षा हासिल करने वाले ऋषि सुनक का ब्रिटेन की राजनीति में बहुत बड़ा नाम है जो कुछ ही सालों में तेजी से उभरा है।
यहां जानिए ऋषि सुनक और भारत से उनके संबंध के बारे में कुछ अहम जानकारियां-
- 42 वर्षीय सुनक का जन्म ब्रिटेन के साउथेम्प्टन में एक भारतीय परिवार के यहां हुआ था। उनके दादा-दादी का ताल्लुक पंजाब से था।
- फार्मेसिस्ट मां और डॉक्टर पिता के बेटे सुनक ने इंग्लैंड के सबसे प्रसिद्ध स्कूलों में से एक ‘विनचेस्टर’ से पढ़ाई की है। इसके बाद वह आगे की पढ़ाई के लिए ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय गए। उन्होंने ’गोल्डमैन सैक्स ग्रुप इंक’ में काम किया और बाद में अमेरिका के कैलिफोर्निया में स्थित स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय से एमबीए किया। यहीं उनकी मुलाकात अपनी पत्नी अक्षता मूर्ति से हुई, जो इंफोसिस के सह संस्थापक नारायण मूर्ति की बेटी हैं।
- सुनक ने ‘हेज फंड’ (जमा निवेश फंड) प्रबंधक क्रिस होन के‘ टीसीआई फंड मैनेजमेंट’ में लगभग तीन वर्षों तक काम किया और फिर पैट्रिक डीगॉर्स के ‘हेज फंड’ ‘थेलेम पार्टनर्स’ में काम करने लगे।
- उन्होंने अक्षता से 2009 में शादी की और दंपति की दो बेटियां हैं, जिनके नाम कृष्णा और अनुष्का हैं।
- सुनक 2015 में रिचमंड, यॉर्कशायर से संसद सदस्य बने।
- उन्होंने संसद में भगवद् गीता पर सांसद के रूप में शपथ ली।
- फरवरी 2020 में उन्हें ब्रिटेन के कैबिनेट के सबसे महत्वपूर्ण पद, ‘ चांसलर ऑफ एक्सचेकर’ यानी वित्त मंत्री नियुक्त किया गया।
बोरिस जॉनसन के नेतृत्व वाली सरकार में वित्त मंत्री के तौर पर उन्होंने डाउनिंग स्ट्रीट के अपने आवास पर दिवाली पर दीए जलाए। वह शराब का सेवन नहीं करते हैं।
- वह अक्सर अपनी विरासत के बारे में बात करते हैं और बताते हैं कि कैसे उनके परिवार ने उन्हें मूल्यों और संस्कृति के बारे में याद दिलाया।
- जब बोरिस जॉनसन ने कोविड-19 महामारी के कारण पहली बार राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन का ऐलान किया, तो सुनक ने लाखों नौकरियां बचाने के लिए एक व्यापक राहत पैकेज तैयार किया।
जॉनसन के करीबी माने जाने वाले सुनक पूर्व प्रधानमंत्री के व्यक्तित्व से ठीक विपरीत शख्सियत प्रतीत होते रहे।
- सुनक के जब सितारे चमक रहे थे तब ब्रिटेन की पत्रिकाएं उन्हें ‘डिशी ऋषि’ यानी ‘आकर्षक ऋषि’ कहते थे। मगर उनकी पत्नी अक्षता की कर स्थिति और दौलत के साथ-साथ ‘पार्टीगेट’ कांड में उनका नाम आने और लाखों लोगों के लिए कर बढ़ाने के सुनक के कदम की कंजरवेटिव पार्टी के सदस्यों द्वारा आलोचना ने उनकी स्थिति बदली और उन्हें ‘फिशी ऋषि’ यानी ‘संदिग्ध ऋषि’ कहा जाने लगा।
- सुनक दंपति की वित्तीय स्थिति हाल ही में जांच के दायरे में तब आई, जब यह पता चला कि अक्षता अब भी भारतीय नागरिक हैं और उनकी ब्रिटेन में गैर-अधिवासित स्थिति है। इस वजह से उन्हें विदेशी कमाई पर यहां कर नहीं देना पड़ता है और वह भारत वापस जाने की योजना बना रही हैं। अक्षता के गैर-अधिवासी होने की वजह से वह इंफोसिस के शेयर से मिलने वाले लाभांश पर लगभग दो करोड़ पाउंड का कर बचा पाईं।
- इस साल प्रधानमंत्री पद के लिए प्रचार के दौरान सुनक को कई मोर्चों पर आलोचना का सामना करना पड़ा, जिनमें आलीशान घर, महंगे कपड़े और जूते शामिल थे।
- सुनक की कुल संपत्ति 70 करोड़ पाउंड की है। यॉर्कशायर में एक आलीशान बंगले के अलावा, सुनक और उनकी पत्नी अक्षता के पास मध्य लंदन के केंसिंग्टन में और एक संपत्ति है।
- ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था परेशानी का सामना कर रही है। महंगाई उच्च स्तर पर है तथा ब्याज दर हेज फंड क्या हैं बढ़ रही है। यूक्रेन के युद्ध ने इस साल दूसरी बार ऊर्जा पर होने वाले खर्च को बढ़ा दिया। मुद्रा बाजार में स्टर्लिंग (ब्रिटेन में प्रचलित मुद्रा) कमजोर दिख रहा है।
- सुनक का पहला काम ब्रिटेन की अंतरराष्ट्रीय वित्तीय विश्वसनीयता को बहाल करना होगा, क्योंकि निवर्तमान नेता लिज़ ट्रस की बिना कोष मुहैया कराए कर कटौती की योजना और महंगी ऊर्जा मूल्य गारंटी ने बांड बाजार को हिला दिया था।
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ब्रिटेनः 42 साल के ऋषि सुनक ने किया कमाल, जानें इंडिया से क्या है रिश्ता
कंजरवेटिव पार्टी के ‘बैकबेंच’ सांसदों की प्रभावशाली 1922 समिति के अध्यक्ष सर हेज फंड क्या हैं ग्राहम ब्रैडी ने संसद परिसर में घोषणा की कि उन्हें केवल एक नामांकन मिला है, लिहाजा नेतृत्व प्रतियोगिता में ऋषि सुनक विजयी रहे हैं।
पेशेवर मोर्चे पर वित्त मंत्री के रूप में अपने विरोधियों के हमलों का सामना करना पड़ा।
Highlights धर्मनिष्ठ हिंदू के रूप में, सुनक नियमित रूप से मंदिर में जाते हैं। नवंबर 2020 में 11 डाउनिंग स्ट्रीट के अपने कार्यालय-निवास के बाहर दीपावली के दीये जलाने वाले पहले वित्त मंत्री बने। पेशेवर मोर्चे पर वित्त मंत्री के रूप में अपने विरोधियों के हमलों का सामना करना पड़ा।
लंदनः भारतीय मूल के ऋषि सुनक को सोमवार को निर्विरोध सत्तारूढ़ कंजरवेटिव पार्टी का नया नेता चुन लिया गया, जिसके साथ ही उनका ब्रिटेन के प्रधानमंत्री पद पर आसीन होना तय हो गया है। इससे पहले पेनी मॉर्डांट ने कंजरवेटिव पार्टी की नेता बनने की दौड़ से अपना नाम वापस ले लिया। पूर्व वित्त मंत्री सुनक (42) ने आसानी से जीत हासिल की।
कंजरवेटिव पार्टी के 357 सांसदों में से आधे से अधिक सांसदों ने उनका समर्थन किया। पार्टी का नेता बनने के लिए उन्हें कम से कम 100 सांसदों के समर्थन की जरूरत थी। कंजरवेटिव पार्टी के ‘बैकबेंच’ सांसदों की प्रभावशाली 1922 समिति के अध्यक्ष सर ग्राहम ब्रैडी ने संसद परिसर में घोषणा की कि उन्हें केवल एक नामांकन मिला है, लिहाजा नेतृत्व प्रतियोगिता में सुनक विजयी रहे हैं।
ऑक्सफॉर्ड विश्वविद्यालय और स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय जैसे दुनिया के नामचीन शिक्षण संस्थानों से शिक्षा हासिल करने वाले ऋषि सुनक भारतीय मूल के ब्रिटेन के पहले प्रधानमंत्री बनेंगे। यहां उनके बारे में और भारत से उनके संबंध के बारे में कुछ अहम जानकारियां हैं।
- हेज फंड क्या हैं 42 वर्षीय सुनक का जन्म ब्रिटेन के साउथेम्प्टन में एक भारतीय परिवार के यहां हुआ था। उनके दादा-दादी का ताल्लुक पंजाब से था।
- फार्मेसिस्ट मां और डॉक्टर पिता के बेटे सुनक ने इंग्लैंड के सबसे प्रसिद्ध स्कूलों में से एक ‘विनचेस्टर’ से पढ़ाई की है। इसके बाद हेज फंड क्या हैं वह आगे की पढ़ाई के लिए ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय गए। उन्होंने ’गोल्डमैन सैक्स ग्रुप इंक’ में काम किया और बाद में अमेरिका के कैलिफोर्निया में स्थित स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय से एमबीए किया। यहीं उनकी मुलाकात अपनी पत्नी अक्षता मूर्ति से हुई, जो इंफोसिस के सह संस्थापक नारायण मूर्ति की बेटी हैं।
- सुनक ने ‘हेज फंड’ (जमा निवेश फंड) प्रबंधक क्रिस होन के‘ टीसीआई फंड मैनेजमेंट’ में लगभग तीन वर्षों तक काम किया और फिर पैट्रिक डीगॉर्स के ‘हेज फंड’ ‘थेलेम पार्टनर्स’ में काम करने लगे।
- उन्होंने अक्षता से 2009 में शादी की और दंपति की दो बेटियां हैं, जिनके नाम कृष्णा और अनुष्का हैं।
- सुनक 2015 में रिचमंड, यॉर्कशायर से संसद सदस्य बने।
- उन्होंने संसद में भगवद् गीता पर सांसद के रूप में शपथ ली।
- फरवरी 2020 में उन्हें ब्रिटेन के कैबिनेट के सबसे महत्वपूर्ण पद, ‘ चांसलर ऑफ एक्सचेकर’ यानी वित्त मंत्री नियुक्त किया गया। बोरिस जॉनसन के नेतृत्व वाली सरकार में वित्त मंत्री के तौर पर उन्होंने डाउनिंग स्ट्रीट के अपने आवास पर दिवाली पर दीए जलाए। वह शराब का सेवन नहीं करते हैं।
- वह अक्सर अपनी विरासत के बारे में बात करते हैं और बताते हैं कि कैसे उनके परिवार ने उन्हें मूल्यों और संस्कृति के बारे में याद दिलाया।
- जब बोरिस जॉनसन ने कोविड-19 महामारी के कारण पहली बार राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन का ऐलान किया, तो सुनक ने लाखों नौकरियां बचाने के लिए एक व्यापक राहत पैकेज तैयार किया। जॉनसन के करीबी माने जाने वाले सुनक पूर्व प्रधानमंत्री के व्यक्तित्व से ठीक विपरीत शख्सियत प्रतीत होते रहे।
- सुनक के जब सितारे चमक रहे थे तब ब्रिटेन की पत्रिकाएं उन्हें ‘डिशी ऋषि’ यानी ‘आकर्षक ऋषि’ कहते थे। मगर उनकी पत्नी अक्षता की कर स्थिति और दौलत के साथ-साथ ‘पार्टीगेट’ कांड में उनका नाम आने और लाखों लोगों के लिए कर बढ़ाने के सुनक के कदम की कंजरवेटिव पार्टी के सदस्यों द्वारा आलोचना ने उनकी स्थिति बदली और उन्हें ‘फिशी ऋषि’ यानी ‘संदिग्ध ऋषि’ कहा जाने लगा।
- सुनक दंपति की वित्तीय स्थिति हाल ही में जांच के दायरे में तब आई, जब यह पता चला कि अक्षता अब भी भारतीय नागरिक हैं और उनकी ब्रिटेन में गैर-अधिवासित स्थिति है। इस वजह से उन्हें विदेशी कमाई पर यहां कर नहीं देना पड़ता है और वह भारत वापस जाने की योजना बना रही हैं।
अक्षता के गैर-अधिवासी होने की वजह से वह इंफोसिस के शेयर से मिलने वाले लाभांश पर लगभग दो करोड़ पाउंड का कर बचा पाईं। - इस साल प्रधानमंत्री पद के लिए प्रचार के दौरान सुनक को कई मोर्चों पर आलोचना का सामना करना पड़ा, जिनमें आलीशान घर, महंगे कपड़े और जूते शामिल थे।
- सुनक की कुल संपत्ति 70 करोड़ पाउंड की है। यॉर्कशायर में एक आलीशान बंगले के अलावा, सुनक और उनकी पत्नी अक्षता के पास मध्य लंदन के केंसिंग्टन में और एक संपत्ति है। चुनौतियां: - ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था परेशानी का सामना कर रही है। महंगाई उच्च स्तर पर है तथा ब्याज दर बढ़ रही है। यूक्रेन के युद्ध ने इस साल दूसरी बार ऊर्जा पर होने वाले खर्च को बढ़ा दिया।
मुद्रा बाजार में स्टर्लिंग (ब्रिटेन में प्रचलित मुद्रा) कमजोर दिख रहा है। - सुनक का पहला काम ब्रिटेन की अंतरराष्ट्रीय वित्तीय विश्वसनीयता को बहाल करना होगा, क्योंकि निवर्तमान नेता लिज़ ट्रस की बिना कोष मुहैया कराए कर कटौती की योजना और महंगी ऊर्जा मूल्य गारंटी ने बांड बाजार को हिला दिया था।
क्या होते हैं इंटरनेशनल फंड? 1 साल में निवेशकों को 46% तक मिला है रिटर्न
इक्विटी इंटरनेशनल फंडों ने कोरोना संकट में शानदार प्रदर्शन किया है.
इक्विटी इंटरनेशनल फंडों ने कोरोना संकट में शानदार प्रदर्शन किया है.
इक्विटी इंटरनेशनल फंडों ने कोरोना संकट में शानदार प्रदर्शन किया है. वहीं इस सेग्मेंट में लांग टर्म रिटर्न भी बेहद शानदार रहा है. पूरे सेग्मेंट की बात करें तो हेज फंड क्या हैं पिछले कुछ सालों से इंटरनेशनल म्यूचुअल फंड बेहतर प्रदर्शन देते आ रहे हैं. रिटर्न के मामले में टॉप फंड्स में इस कटेगिरी की कई स्कीम शामिल है. अगर आप भी अपना निवेश डाइवर्सिफाई कर बैलेंस रखना चाहते हैं तो इंटरनेशनल फंड को पोर्टफोलियो में शामिल कर सकते हैं. हालांकि निवेशकों को अपने कुल पोर्टफोलियो का 10 फीसदी ही इन फंडों में निवेश करना चाहिए.
क्या हैं इंटरनेशनल फंड?
इंटरनेशनल फंड या ओवरसीज फंड फंड अंतरराष्ट्रीय बाजारों में निवेश करते हैं. इन फंडों का निवेश इक्विटी या डेट में हो सकता है. ये अन्य एसेट क्लास में मसलन कमोडिटीज, रियल एस्टेट आदि में भी निवेश करते हैं. सेबी के नियमों के अनुसार जो म्यूचुअल फंड दूसरे देशों की इक्विटी या इक्विटी रिलेटेड इक्यूपमेंट में 80 फीसदी से अधिक निवेश करते हैं, वह इंटरनेशनल फंड की कटेगिरी में आते हैं.
ग्लोबल मार्केट में निवेश करने का अवसर देने के अलावा ये फंड्स लोगों को जियोग्राफिकल डाइवर्सिफिकेशन हासिल करने में भी मदद करते हैं और कई हेज फंड क्या हैं बार अगर घरेलू करंसी में गिरावट हो तो एक हेज के रूप में काम करते हैं.
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1 साल में बेस्ट रिटर्न देने वाले फंड
मोतीलाल ओसवाल नैसडेक 100 FOF: 46 फीसदी
DSP वर्ल्ड गोल्ड: 45 फीसदी
PGIM इंडिया ग्लोबल इक्विटी अपॉर्चुनिटी: 40 फीसदी
फ्रैंकलिन फीडर US अपॉर्चुनिटी: 33 फीसदी
ICICI प्रू ब्लूचिप इक्पिटी: 25 फीसदी
निप्पॉन इंडिया US इक्विटी अपॉर्चुनिटी: 22 फीसदी
ABSL ग्लोबल इमर्जिंग अपॉर्चुनिटी: 21 फीसदी
निवेश का तरीका
कुछ इंटरनेशनल फंड सीधे इंटरनेशनल इक्विटी में निवेश करते हैं. वहीं कुछ फंड हैं जो इंटरनेशनल इंडेक्स मसलन नैसडैक या एसएंडपी 500 में निवेश करते हैं. कुछ ऐसे भी हैं जो फीडर फंड के रूप में काम करते हैं और इंटरानेशनल मार्केट में एक आइडेंटिफाई म्यूचुअल फंड में निवेश करते हैं. फिर फंड ऑफ फंड्स हैं जो इंटरनेशनल फंड की यूनिट में निवेश करते हैं.
लेकिन ध्यान रहें ये बातें
निवेश के पहले फंड से जुड़े देश के साथ अगर कोई निगेटिव इश्यू यानी रिस्क जुड़ा है तो उसकी जानकारी लें. मसलन जिस देश की इक्विटी में आपका निवेश हैं और वहां जियो पॉलिटिकल टेंशन बढ़ती है तो रिटर्न प्रभावित हो सकता है.
करंसी में होने वाले मूवमेंट का इनके रिटर्न पर असर पड़ता है. मसलन अगर रुपया मजबूत होता है तो इन फंड का रिटर्न घट सकता है. वहीं रुपये के कमजोर होने से इनका रिटर्न बढ़ सकता है.
आपको इन फंडों में निवेश करते समय कुल खर्चों पर नजर रखना भी जरूरी है.
क्या आपको करना चाहिए निवेश
BPN फिनकैप कंसल्टेंट प्राइवेट लिमिटेड के डायरेक्टर एके निगम का कहना है कि इंटरनेशनल फंड के जरिए निवेशक विदेशी शेयर हेज फंड क्या हैं बाजारों में पैसा लगा सकते हैं. इससे निवेशकों को जियोग्राफिकल बेसिस पर भी अपना पोर्टफोलियो डाइवर्सिफाई करने में मदद मिल जाती है. पिछले दिनों की बात करें तो रुपये में कमजोरी की वजह से भी इंटरनेशनल फंडों में अच्छा रिटर्न मिला. रुपये में गिरावट आने पर यह हेज के रूप में काम करते हैं. हालांकि निवेशकों को इन फंडों में 10 फीसदी से ज्यादा निवेश नहीं करना चाहिए. एक और बात का ध्यान रखना जरूरी है कि फंड जिस देश में निवेश करता है, निवेशकों को पैसा लगाने के पहले उस देश से जुड़े रिस्क को जानना जरूरी है.
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