रुपए के मूल्य में गिरावट के मायने
व्यापक व्यापार घाटे के साथ हाल ही में विदेशी मुद्रा भंडार में कमी के कारण भारतीय रुपए के मूल्य में गिरावट दर्ज़ की गई और कुछ ही समय पहले यह अब तक के निचले स्तर पर पहुँच गया। रुपए के मूल्य में हो रही गिरावट आम आदमी से लेकर अर्थव्यवस्था तक सभी के लिये चिंता का विषय बनी हुई है। ऐसे में यह जानकारी होना आवश्यक है कि रुपए के मूल्य में हो रही गिरावट के मायने क्या हैं?
रुपया कमज़ोर या मज़बूत क्यों विदेशी मुद्रा बाजार है? होता है?
- विदेशी मुद्रा भंडार के घटने या बढ़ने का असर किसी भी देश की मुद्रा पर पड़ता है। चूँकि अमेरिकी डॉलर को अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा माना गया है जिसका अर्थ यह है कि निर्यात की जाने वाली सभी वस्तुओं की कीमत डॉलर में अदा की जाती है।
- अतः भारत की विदेशी मुद्रा में कमी का तात्पर्य यह है कि भारत द्वारा किये जाने वाले वस्तुओं के आयात मूल्य में वृद्धि विदेशी मुद्रा बाजार है? तथा निर्यात मूल्य में कमी।
- उदहारण के लिये भारत को कच्चा तेल आदि खरीदने हेतु मूल्य डॉलर के रूप में चुकाना होता है, इस प्रकार भारत ने अपने विदेशी मुद्रा भंडार से जितने डॉलर खर्च कर तेल का आयात किया उतना उसका विदेशी मुद्रा भंडार कम हुआ इसके लिये भारत उतने ही डॉलर मूल्य की वस्तुओं का निर्यात करे तो उसके विदेशी मुद्रा भंडार में हुई कमी को पूरा किया जा सकता है। लेकिन यदि भारत से किये जाने वाले निर्यात के मूल्य में कमी हो तथा आयात कीमतों में लगातार वृद्धि हो रही हो तो विदेशी मुद्रा बाजार है? ऐसी स्थिति में डॉलर खरीदने की ज़रूरत होती है तथा एक डॉलर खरीदने के लिये जितना अधिक रुपया खर्च होगा वह उतना ही कमज़ोर होगा।
विदेशी मुद्रा भंडार क्या है?
प्रत्येक देश के पास दूसरे देशों की मुद्रा का भंडार होता है, जिसका प्रयोग वस्तुओं के आयत –निर्यात में किया जाता है, इसे ही विदेशी मुद्रा भंडार कहते हैं। भारत में समय-समय पर इसके आंकडे भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी किये जाते हैं।
विदेशी मुद्रा भंडार और गोल्ड रिजर्व में फिर छाया गिरावट का दौर
राज एक्सप्रेस। देश में जितना भी विदेशी मुद्रा भंडार और स्वर्ण भंडार जमा होता है, उसके आंकड़े समय-समय पर भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा जारी किए जाते हैं। इन आंकड़ों में उतार-चढ़ाव होता रहता है। काफी समय तक विदेशी मुद्रा भंडार (Foreign Exchange Reserves) में बढ़त दर्ज होने के बाद अब एक बार फिर इसमें बड़ी गिरावट दर्ज की गई है। उधर स्वर्ण भंडार (Gold Reserves) में भी इस बार गिरावट दर्ज हुई है। इस बात का खुलासा RBI द्वारा जारी किए गए ताजा आंकड़ों से हुआ है। बता दें, यदि विदेशी मुद्रा परिस्थितियों में बढ़त दर्ज की जाती है तो, कुल विदेशी विनिमय भंडार में भी बढ़त दर्ज होती है।
विदेशी मुद्रा भंडार के ताजा आंकड़े : 10 जून, 2022 को
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा जारी ताजा आंकड़ों के अनुसार, भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 10 जून 2022 समाप्त सप्ताह में 4.599 करोड़ डॉलर घटकर 596.458 अरब डॉलर पर आ गिरा है। जबकि, 3 जून 2022 समाप्त सप्ताह में 30.6 करोड़ डॉलर घटकर 601.057 अरब डॉलर पर आ गिरा है। वहीं, उससे पहले 27 मई, 2022 को समाप्त सप्ताह में 3.9 बिलियन डॉलर बढ़कर 601.363 अरब डॉलर पर पहुंच गया था। उससे भी पहले देखा जाए तो 20 मई को समाप्त सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार 4.23 अरब डॉलर बढ़कर 597.509 अरब डॉलर पर था। बताते चलें, 27 मई विदेशी मुद्रा बाजार है? को विदेशी मुद्रा भंडार में यह बढ़त लगभग 10 हफ्तों तक लगातार दर्ज हो रही गिरावट के बाद यह दूसरी बार बढ़त दर्ज हुई है। उस समय दर्ज हुई बढ़त के बाद विदेशी मुद्रा भंडार एक बार फिर से 600 अरब डॉलर को पार कर गया था।
गोल्ड रिजर्व विदेशी मुद्रा बाजार है? की वैल्यू :
बताते चलें, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा जारी ताजा आंकड़ों के अनुसार, भारत के गोल्ड रिजर्व की वैल्यू में भी पिछले कुछ विदेशी मुद्रा बाजार है? समय तक लगातार बढ़त दर्ज होने के बाद आज गिरावट दर्ज हुई है। इस प्रकार समीक्षाधीन सप्ताह में गोल्ड रिजर्व की वैल्यू 10 लाख डॉलर की मामूली गिरावट के साथ 40.842 अरब डॉलर पर जा पहुंची है। हालांकि, इससे पहले भी गोल्ड रिजर्व में गिरावट ही दर्ज की गई थी। रिजर्व बैंक (RBI) ने बताया कि, आलोच्य सप्ताह के दौरान IMF के पास मौजूद भारत के भंडार में मामूली वृद्धि हुई। बता दें, विदेशी मुद्रा संपत्तियों (FCA) में आई गिरावट के चलते विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट आई है। RBI के आंकड़ों के अनुसार, विदेशी मुद्रा परिस्थितियों में बढ़त दर्ज होने की वजह से कुल विदेशी विनिमय भंडार में बढ़त हुई है और विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियां, कुल विदेशी मुद्रा भंडार का एक अहम भाग मानी जाती हैं।
आंकड़ों के अनुसार IMF :
रिजर्व बैंक (RBI) के साप्ताहिक आंकड़ों पर नजर डालें तो, विदेशीमुद्रा परिसंपत्तियां, कुल विदेशी मुद्रा भंडार का अहम हिस्सा होती हैं। बता दें, विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियों में बढ़कर होने की वजह से मुद्रा भंडार में बढ़त दर्ज की गई है। इस प्रकार अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (IMF) में देश का मुद्रा भंडार 4 करोड़ डॉलर घटकर 4.985 अरब डॉलर पर पहुंच गया। जबकि, IMF में देश का विशेष आहरण अधिकार (SDR) 2.3 करोड़ डॉलर घटकर 18.388 अरब डॉलर पर आ पंहुचा है।
क्या है विदेशी मुद्रा भंडार ?
विदेशी मुद्रा भंडार देश के रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया द्वारा रखी गई धनराशि या अन्य परिसंपत्तियां होती हैं, जिनका उपयोग जरूरत पड़ने पर देनदारियों का भुगतान करने में किया जाता है। पर्याप्त विदेशी मुद्रा भंडार एक स्वस्थ अर्थव्यवस्था के लिए काफी महत्वपूर्ण होता है। इसका उपयोग आयात को समर्थन देने के लिए आर्थिक संकट की स्थिति में भी किया जाता है। कई लोगों को विदेशी मुद्रा भंडार में बढ़ोतरी का मतलब नहीं पता होगा तो, हम उन्हें बता दें, किसी भी देश की अर्थव्यवस्था के लिए विदेशी मुद्रा भंडार में बढ़ोतरी अच्छी बात होती है। इसमें करंसी के तौर पर ज्यादातर डॉलर होता है यानि डॉलर के आधार पर ही दुनियाभर में कारोबार किया जाता है। बता दें, इसमें IMF में विदेशी मुद्रा असेट्स, स्वर्ण भंडार और अन्य रिजर्व शामिल होते हैं, जिनमें से विदेशी मुद्रा असेट्स सोने के बाद सबसे बड़ा हिस्सा रखते हैं।
विदेशी मुद्रा भंडार के फायदे :
विदेशी मुद्रा भंडार से एक साल से अधिक के आयात खर्च की पूर्ति आसानी से की जा सकती है।
अच्छा विदेशी मुद्रा आरक्षित रखने वाला देश विदेशी व्यापार का अच्छा हिस्सा आकर्षित करता है।
यदि भारत के पास भुगतान के लिए पर्याप्त विदेशी मुद्रा उपलब्ध है तो, सरकार जरूरी सैन्य सामान की तत्काल खरीदी का निर्णय ले सकती है।
विदेशी मुद्रा बाजार में अस्थिरता को कम करने के लिए विदेशी मुद्रा भंडार की प्रभाव पूर्ण भूमिका होती है।
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आरबीआई ने विदेशी मुद्रा लेनदेन पर जारी किए निर्देश, बैंक जल्द कर लें जोखिम से बचाव के उपाय
RBI ने कहा है कि ईसीएआई द्वारा प्रकटीकरण के बिना बैंक ऋण रेटिंग बैंकों द्वारा पूंजी गणना के लिए योग्य नहीं होगी. बैंक ऐसे एक्सपोजर को अनारक्षित मानेंगे. जिन इकाइयों ने विदेशी मुद्रा में लेन-देन के लिये जोखिम से बचाव के उपाए नहीं किये हैं, उन्हें काफी नुकसान उठाना पड़ सकता है.
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई)
gnttv.com
- नई दिल्ली,
- 11 अक्टूबर 2022,
- (Updated 11 अक्टूबर 2022, 9:30 PM IST)
इसका मकसद विदेशी मुद्रा बाजार में होने वाले उतार-चढ़ाव से होने वाले नुकसान को कम करना है.
संशोधित नियम 1 जनवरी, 2023 से प्रभावी होंगे
भारतीय रिजर्व बैंक ने किसी भी इकाई के पर्याप्त सुरक्षा उपाय किए बगैर विदेशी मुद्रा में लेन-देन को लेकर बैंकों के लिए अपने कुछ दिशानिर्देशों में बदलाव किया है. इसका मकसद विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में अत्यधिक उतार-चढ़ाव से होने वाले नुकसान को कम करना है. आरबीआई ने मंगलवार को एक विज्ञप्ति में कहा कि बैंकों को उन सभी प्रतिपक्षकारों के बिना हेज्ड विदेशी मुद्रा एक्सपोजर का आकलन करने की आवश्यकता होगी, जिनके पास किसी भी मुद्रा का एक्सपोजर है.
एसपीडी को प्रथम श्रेणी अधिकृत डीलरों की तरह उपयोगकर्ताओं को विदेशी मुद्रा बाजार की सभी सुविधाएं प्रदान करने की अनुमति देने का निर्णय लिया गया है. यह अनुमति नियमों और अन्य दिशानिर्देशों के अधीन है.
इस साल अब तक डॉलर के मुकाबले रुपया लगभग 11% गिरा है और हाल के हफ्तों में रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है. आरबीआई ने कहा कि बैंकों को कम से कम सालाना सभी संस्थाओं के विदेशी मुद्रा एक्सपोजर (एफसीई) का पता लगाना होगा. संशोधित नियम 1 जनवरी, 2023 से प्रभावी होंगे. आरबीआई के अनुसार यदि किसी इकाई के यूएफसीई से संभावित नुकसान 75% से अधिक है, तो बैंकों को उस इकाई के लिए कुल जोखिम भार में 25 प्रतिशत अंक की वृद्धि प्रदान करने की आवश्यकता होगी.
आरबीआई ने कहा कि "जिन इकाइयों ने विदेशी मुद्रा में लेन-देन के लिये जोखिम से बचाव के उपाए नहीं किये हैं, उन्हें विदेशी विनिमय दरों में अत्यधिक उतार-चढ़ाव के दौरान काफी नुकसान उठाना पड़ सकता है. ये बैंकिंग प्रणाली से लिए गए ऋणों को चुकाने की उनकी क्षमता को कम कर सकते हैं और उनके डिफ़ॉल्ट की संभावना को बढ़ा सकते हैं, जिससे बैंकिंग प्रणाली के स्वास्थ्य पर असर पड़ेगा.''
विदेशी मुद्रा बाजार का संचालन सिद्धांत
फॉरेक्स ट्रेडिंग स्पेस एक वर्चुअल मार्केटप्लेस है जिसे इस क्षेत्र में पेश किए जाने वाले सभी उत्पादों के लिए डिज़ाइन किया गया है। प्रौद्योगिकी प्रदाताओं, तरलता और निवेश निधियों के विशाल नेटवर्क के माध्यम से, और दलाल जो कि विदेशी मुद्रा बाजार है, प्रत्येक डीलर सुरक्षित रूप से सहयोग कर सकता है और बातचीत के लिए सबसे लाभदायक विकल्प चुन सकता है।
विदेशी मुद्रा बाजार के लाभ और लाभ
विदेशी मुद्रा बाजार बनाने की आवश्यकता इस तथ्य के कारण है कि विक्रेताओं और खरीदारों दोनों को एक तीसरे स्वतंत्र सहायक पक्ष की आवश्यकता होती है जो पहले से ही सक्रिय व्यवसाय की बिक्री में सहायता कर सकता है या खरीदार को खोजने में, संभवतः इस व्यवसाय को खरीदने में रुचि रखता है। दशकों से निर्मित एक नेटवर्क तंत्र का उपयोग इस संभावना को काफी बढ़ाने का अवसर प्रदान करता है कि एक सौदा पूरा हो जाएगा और यह सफल होगा।
एक और कठिनाई जो अक्सर विदेशी मुद्रा दलाल-डीलर को बेचने या खरीदने की इच्छा के सामने उत्पन्न होती है, वह है संचार। सभी डेटा की गोपनीयता के कारण, बिक्री के लिए व्यवसायों के बारे में प्रभावी ढंग से जानकारी प्रदान करना अक्सर मुश्किल होता है। इसके अलावा, इसके विपरीत – यदि कोई संभावित खरीदार किसी विशेष सेवा या उत्पाद में रुचि रखता है, तो यह एक नाजुक विषय बन सकता है।
इस मामले में, विदेशी मुद्रा बाजार एक प्रकार का तीसरा पक्ष बन जाता है, जो स्वतंत्र रूप से व्यापार प्रक्रिया में भाग लेता है, संभावित भागीदारों को खोजने में मदद करता है और साथ ही निजी रूप से प्रदान किए गए डेटा की गोपनीयता बनाए रखता है। इस तथ्य के कारण कि यह नेटवर्क काफी व्यापक है, विदेशी मुद्रा उद्योग में बेचे जाने वाले उत्पादों की जानकारी उपलब्ध है और बहुत कुशलता विदेशी मुद्रा बाजार है? से प्रसारित की जाती है। इसके अलावा, जो विक्रेता अपने व्यवसाय को बिक्री के लिए सूचीबद्ध करना चाहते हैं, वे अक्सर ऐसे प्लेटफार्मों की ओर रुख करते हैं।
बाजार में बिक्री के लिए उपलब्ध विदेशी मुद्रा व्यवसाय
डीलर विदेशी मुद्रा बाजार के भीतर निम्नलिखित व्यवसायों का अधिग्रहण कर सकता है:
- विनियमित: FCA, CySec और ASIC दलाल, अपतटीय दलालों द्वारा दिए गए लाइसेंस, और इसी तरह;
- दलाल जिनकी गतिविधियों का लाइसेंस नहीं है और अपतटीय कार्यालय, सॉफ्टवेयर और बिक्री के लिए तैयार विदेशी मुद्रा कंपनियां: सीआरएम सिस्टम, विदेशी मुद्रा व्यवसायों की बिक्री के लिए साइटें, व्यापार कैबिनेट प्रौद्योगिकियां, आदि।
विदेशी मुद्रा व्यापार खरीदने के मुद्दे पर पहुंचने पर, आपको हर चीज के बारे में ध्यान से सोचने और इस क्षेत्र में काम करने वाले विशेषज्ञों से मदद लेने की जरूरत है और विदेशी मुद्रा सौदों को समाप्त करने का अनुभव है।
विदेशी मुद्रा वेब पोर्टल के लिए डोमेन
यदि आप वर्तमान में एक विदेशी मुद्रा ब्रोकरेज, क्रिप्टोक्यूरेंसी एक्सचेंज, भविष्य में अपनी प्रौद्योगिकी फर्म या समाचार संगठन के स्वामित्व वाली साइट के विदेशी मुद्रा बाजार है? लिए एक वेब संसाधन स्थापित कर रहे हैं, तो आप विदेशी मुद्रा उत्पादों या क्रिप्टोक्यूरेंसी उद्योग को बेचने के लिए एक तैयार डोमेन विदेशी मुद्रा बाजार है? भी खरीद सकते हैं। एक तैयार डोमेन आपको उत्कृष्ट एसईओ संकेतक प्रदान करेगा और तदनुसार, आपकी साइट की एक उच्च रैंकिंग, जो उपयोगकर्ताओं के बीच इसकी मान्यता में परिलक्षित होगी।
इसके अलावा, इस उद्योग में काम करने वाले विभिन्न उद्यम वह सब नहीं हैं जिन्हें आप खरीद सकते हैं विदेशी मुद्रा बाजार है? और प्रचलन में ला सकते हैं। आप समय और संसाधनों को बर्बाद किए बिना अपनी ब्रोकरेज गतिविधियों को तुरंत विकसित करने के लिए किसी विशेष क्षेत्राधिकार में तैयार विदेशी मुद्रा दलाल लाइसेंस भी खरीद सकते हैं। इस तरह, आप पहले चरण से ही अपनी ब्रोकरेज क्षमता का एहसास करना शुरू कर सकते हैं, जो आपको भागीदारों को खोजने और ग्राहकों के साथ तेजी से बातचीत करने में सक्षम करेगा।
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क्या होता है विदेशी मुद्रा भंडार, क्या हैं इसके मायने ?
विदेशी मुद्रा भंडार को फॉरेक्स रिजर्व या एफएक्स रिजर्व भी कहा जाता है
कुल मिलाकर विदेशी मुद्रा भंडार में केवल विदेशी बैंकनोट, विदेशी बैंक जमा, विदेशी ट्रेजरी बिल और अल्पकालिक और दीर्घकालिक विदेशी सरकारी प्रतिभूतियां शामिल होनी चाहिए. हालांकि, सोने के भंडार, विशेष आहरण अधिकार (एसडीआर), और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के पास जमा राशि भी विदेशी मुद्रा भंडार का हिस्सा होता है. यह व्यापक आंकड़ा अधिक आसानी से उपलब्ध है, लेकिन इसे आधिकारिक अंतरराष्ट्रीय भंडार या अंतर्राष्ट्रीय भंडार कहा जाता है.
विदेशी मुद्रा भंडार को आमतौर पर किसी देश के अंतरराष्ट्रीय निवेश की स्थिति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होते हैं. आमतौर पर, जब किसी देश के मौद्रिक प्राधिकरण पर किसी प्रकार का दायित्व होता है, तो उसे अन्य श्रेणियों जैसे कि अन्य निवेशों में शामिल विदेशी मुद्रा बाजार है? किया जाएगा. सेंट्रल बैंक की बैलेंस शीट में, घरेलू ऋण के साथ विदेशी मुद्रा भंडार संपत्ति है.
आधिकारिक अंतरराष्ट्रीय भंडार संपत्ति एक केंद्रीय बैंक को घरेलू मुद्रा खरीदने की अनुमति देती है, जिसे केंद्रीय बैंक के लिए लायबिलिटी माना जाता है.
देश का विदेशी पूंजी भंडार 11 जनवरी को समाप्त सप्ताह में 2.68 अरब डॉलर बढ़कर 396.08 अरब डॉलर हो गया, जो 27,671.0 अरब रुपये के बराबर है. विदेशी मुद्रा भंडार पर पाउंड, स्टर्लिग, येन जैसी अंतर्राष्ट्रीय मुद्राओं के मूल्यों में होने वाले उतार-चढ़ाव का सीधा असर पड़ता है.
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