शेयर बाजार के कार्य, विशेषताएँ, लाभ, सीमाये/दोष
शेयर बाजार से आशय उस बाजार से है जहां नियमित कम्पनीयों के अंशपत्र, ऋणपत्र, प्रतिभूति, बाण्ड्स आदि का क्रय विक्रय होता है। शेयर बाजार एक संघ, संगठन या व्यक्तियों की संस्था है जो प्रतिभूतियों के क्रय-विक्रय या लेनदेन के उद्देश्य हेतु सहायक नियमन व नियंत्रण के लिए स्थापित किया जाता है फिर चाहे वह निर्गमीत हो या न हो।
शेयर बाजार के कार्य
1. अनवरत बाजार उपलब्ध कराना- शेयर बाजार सूचीबद्ध प्रतिभूतियों के नियमित एवं सुविधापूर्ण क्रय-विक्रय के लिए एक स्थान है। शेयर बाजार विभिन्न अंशों, ऋणपत्रों, बॉण्ड्स एवं सरकारी प्रतिभूतियों के लिए तात्कालिक एवं अनवरत बाजार उपलब्ध कराता है इसके माध्यम से प्रतिभूतियों के क्रय-विक्रय मे उच्च कोटि की तरलता पाई जाती हैं क्योंकि इसके धारक जब भी चाहें, अपनी प्रतिभूतियों का नकद भुगतान प्राप्त कर सकते हैं।
2. मूल्य एवं विक्रय सम्बन्धी सूचना प्रदान करना-एक शेयर बाजार विभिन्न प्रतिभूतियो के दिन-प्रतिदिन के लेने देन का पूर्ण विवरण रखता है और मूल्य एवं विक्रय की मात्रा की नियमित सूचना प्रेस एवं अन्य संचार माध्यमों को देता रहता है वास्तव मे आजकल आप टी.वी. चैनल जैसे-सी.एन.बी.सी. जी न्यूज, एन.डी.टी.वी. और मुख्य खबरों (हेड लाइन) के माध्यम से विशिष्ट अंशों के विक्रय की मात्रा एवं मूल्यों के सम्बन्ध मे मिनट-मिनट की जानकारी प्राप्तर कर सकते है। यह निवेशकों को उन प्रतिभूतियों के क्रय-विक्रय के सम्बन्ध में शीघ्र निर्णय लेने की सुविधा प्रदान करता है जिनके लेनदेन में वे इच्छुक है।
3. लेनदेन एवं निवेश में सुरक्षा प्रदान करना- शेयर शेयर बाजार में निवेश का क्या मतलब है? बाजार में लनेदेन केवल उनके सदस्यों के मध्य पर्याप्त पारदर्शिता एवं नियमों विनियमों के कठोर मापदंड के अंतर्गत, जिसमें सुपुर्दगी व भुगतान का समय और प्रक्रिया भी निश्चित होती है, संपन्न होते है। यह शेयर बाजार में हुए लेनदेनों को उच्च कोटि की सुरक्षा प्रदान।
4. बचत की गतिशीलता एवं पॅूंजी नियंत्रण में सहायक- शेयर बाजार का कुशल कार्यप्रणाली एक सक्रिय एवं विकासशील प्राथमिक बाजार के लिए उपयोगी वातावरण का सृजन करती है स्कंध बाजार का अच्छा कार्य निष्पादन और अंशों के प्रति रूख नये निर्गमन बाजार को तेजी प्रदान करता है जिससे बचत को व्यावसायिक एवं औद्योगिक उपक्रमो में निवेश करने में गतिशीलता आती है केवल यही नहीं, बल्कि शेयर बाजार अंशों व ऋण-पत्रो के निवेश एवं लेनदेन में तरलता एवं लाभप्रदता प्रदान करता है।
5. कोष का उचित आबंटन- शेयर बाजार लेनदेन प्रक्रिया के फलस्वरूप कोषों का प्रवाह कम लाभ के उपक्रमों से अधिक लाभ के उपक्रमों की ओर होता है और उन्हें विकास का अधिक अवसर प्राप्त होता है अर्थव्यवस्था के वित्तीय स्त्रोतों का इस प्रकार से श्रेष्ठ आबंटन होता है।
क्या शेयर बाजार में निवेश बेहतर: क्या करें निवेशक
बढ़ती मंहगाई, बेरोज़गारी और कमजोर विकास की दर के बीच बढ़ता शेयर बाजार सोचने पर मजबूर करता है कि क्या शेयर निवेश अभी भी बेहतर है. खासकर ऐसे वक्त जब वैश्विक स्थिति डांवाडोल है, बाजार मंदी का संकेत दे रहे हैं और विदेशी निवेशक भारतीय बाजार से पैसा निकाल रहे हैं. भारी उथल पुथल चारों तरफ व्याप्त है.
दूसरी तरफ भारतीय शेयर बाजार में देशी निवेशक भरपूर पैसा लगाते जा रहें हैं जिससे शेयर बाजार मजबूत दिख रहा है. जहां विदेशी निवेशक पैसा निकाल रहे हैं और सुरक्षित जगह अमेरिका में पैसा लगा रहे हैं क्योंकि अमेरिका ने ब्याज दरों में बढ़ोतरी कर दी है.
बढ़ती ब्याज दरों के कारण अमेरिका में ज्यादा निवेश होना न केवल डालर को मजबूत कर रहा है अपितु पूरे विश्व में ब्याज दरों को बढ़ाने के संकेत दे रहा है.
दीर्घ काल में अमेरिका को ही इसका नुकसान भुगतना पड़ेगा शेयर बाजार में निवेश का क्या मतलब है? तब डालर कमजोर भी होगा और अमेरिकन कंपनियों का प्राफिट भी कम होगा, लेकिन फिलहाल भारतीय शेयर बाजार की स्थिति अच्छी नहीं कही जा सकती.
तो सरकार को क्या कदम उठाने होंगे और क्या निवेशक को शेयर बाजार में बने रहना चाहिए कि बाहर हो जाना चाहिए? इसके लिए सबसे पहले इन तथ्यात्मक बिन्दुओं पर ध्यान देना होगा:
१. विदेशी शेयर बाजार में निवेश का क्या मतलब है? संस्थागत निवेशकों (FPI) ने इस महीने में अब तक भारतीय शेयर बाजारों से करीब 6,000 करोड़ रुपए की निकासी की है.
२. अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत में आ रही गिरावट से इस निकासी को बल मिला है.
३. इसके साथ ही FPI ने वर्ष 2022 में अब तक कुल 1.75 लाख करोड़ रुपये की निकासी कर ली है.
४. एफपीआई की गतिविधियों के उतार-चढ़ाव से भरपूर रहने की ही स्थिति दिख रही है.
५. डिपॉजिटरी आंकड़ों के मुताबिक, एफपीआई ने अक्टूबर में अब तक 5,992 करोड़ रुपये की निकासी भारतीय बाजार से कर ली है. इस हिसाब से पिछले कुछ दिनों में उनकी निकासी की मात्रा में थोड़ी गिरावट आई है.
६. जियो-पॉलिटिकल रिस्क बने रहने, मुद्रास्फीति के ऊंचे स्तर और बॉन्ड यील्ड में वृद्धि की उम्मीद से एफपीआई की निकासी का सिलसिला जारी रह सकता है.
७. एफपीआई के निकट अवधि में ज्यादा बिक्री करने की संभावना नहीं है लेकिन डॉलर में कमजोरी आने के बाद ही वे खरीदार की स्थिति में लौटेंगे.
८. इस तरह एफपीआई का रुख अमेरिकी मुद्रास्फीति के रुझान और फेडरल रिजर्व के मौद्रिक नजरिये पर निर्भर करेगा.
९. बाजार विश्लेषकों का मानना है कि एफपीआई की बिकवाली के बावजूद घरेलू संस्थागत निवेशकों और खुदरा निवेशकों के खरीदार बने रहने से शेयर बाजारों को मजबूती मिल रही है.
१०. अगर एफपीआई पहले बेचे गए शेयर को ही आज के समय में खरीदना चाहेंगे तो उन्हें शेयर बाजार में निवेश का क्या मतलब है? उसकी बढ़ी हुई कीमत चुकानी होगी.
यह अहसास नकारात्मक माहौल में भी एफपीआई की बिकवाली को रोकने का काम कर रहा है.
११. सितंबर में एफपीआई ने भारतीय बाजारों से करीब 7,600 करोड़ रुपये की निकासी की थी.
१२. डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत गिरने और अमेरिकी फेडरल रिजर्व के सख्त रुख से एफपीआई के बीच बिकवाली का जोर रहा था.
१३. भारत से संबंधित किसी जोखिम के बजाय डॉलर को मिल रही मजबूती विदेशी निवेशकों की इस निकासी की मुख्य वजह रही है.
१४. बीते सप्ताह डॉलर के मुकाबले रुपया 83 रुपये से भी नीचे पहुंच गया जो कि इसका अब तक का सबसे निचला स्तर है.
१५. एफपीआई ने खास तौर पर वित्त, एफएमसीजी और आईटी क्षेत्रों में बिकवाली की है.
१६. इक्विटी बाजारों के अलावा विदेशी निवेशकों ने ऋण बाजार से भी अक्बूटर में 1,950 करोड़ रुपये की निकासी की है.
उपरोक्त तथ्यों से साफ है कि सरकार को शेयर बाजार और रूपए की मजबूती के लिए ये कदम उठाने होंगे:
१. ब्याज दरें बढ़ाने की बजाय औद्योगिक और कृषि उत्पादन शेयर बाजार में निवेश का क्या मतलब है? को बढ़ाने पर ध्यान देना होगा.
२. डालर पर निर्भरता को कम करने पर जोर देना होगा और इंतजार करना होगा डालर में कमजोरी आने का.
३. सोने के आयात को कम करना होगा.
४. विदेशी निवेशकों को यह समझाने की कोशिश करनी होगी कि वैश्विक दृष्टिकोण से भारत में निवेश बेहतर और सुरक्षित है और इसके लिए धार्मिक उन्माद पर फोकस न करके मजबूत आर्थिक नीतियों पर ध्यान देना होगा.
५. शेयर बाजार में पैसे उगाही की परमीशन सिर्फ और सिर्फ अच्छी असेट बेस एवं लाभ कमाने वाली कंपनियों को दिया जाना चाहिए.
६. कर ढांचे में तर्कसंगतता और सरलीकरण लाने पर जोर देना होगा.
७. आधारभूत संरचना पर खर्च समय पर पूरे हो, इस तथ्य पर ध्यान देते हुए निवेश आकर्षित करना होगा.
८. जिनपिंग के फिर चुने जाने के बाद जरूरी हो गया है कि हम अपनी विदेश नीति में परिवर्तन लाए ताकि अपने पड़ोसियों शेयर बाजार में निवेश का क्या मतलब है? से कूटनीतिक और व्यापारिक संबंधों में सुधार आए.
९. नई टेक्नोलॉजी के उपयोग से आयातित वस्तुओं पर निर्भरता कम करते हुए काले धन को अर्थव्यवस्था में नियंत्रित करना होगा.
१०. भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाना होगा और सरकारी खर्च पर लगाम कसनी होगी.
इसी तरह निवेशक भी फिलहाल शेयर बाजार में सतर्कता से निवेश करें जबतक वैश्विक हालात में कुछ निर्णायक समझौते नहीं हो जाते, खासकर भविष्य में चीन की ताइवान के प्रति क्या नीति होती है और रूस युक्रेन युद्ध रुकने के आसार पैदा होते है कि नहीं. साथ ही सरकार द्वारा आर्थिक नीतियों के प्रति कितनी संवेदनशीलता दिखाई जाती है, उस पर भी शेयर बाजार में पैसे की सुरक्षा निर्भर होगी.
दूसरी बात भारत का हाउसिंग मार्केट वर्तमान में अहम स्टेज में खड़ा है. उम्मीद जताई जा रही है कि भारतीय रिजर्व बैंक के भविष्य में रेपो रेट में बढ़ोतरी के चलते ब्याज दरें 2019 के लेवल से भी ऊपर जा सकती हैं. आरबीआई और नेशनल हाउसिंग बैंक के पास उपलब्ध डेटा के अनुसार भारत में प्रॉपर्टी की एवरेज वैल्यू भी 2023 में तेजी से बढ़ने की संभावना है.
नतीजतन, अगर आप अब तक अपने सपनों का घर खरीदने के प्लान को स्थगित कर रहे हैं तो यह फेस्टिव सीजन आपके लिए सही समय हो सकता है.
मतलब साफ़ है कि फिलहाल पैसा सुरक्षित हो, भले ही आमदनी कुछ कम हो – इस सिद्धांत पर अगले एक वर्ष तक चलना होगा और साथ ही सरकार को भी अपने खर्चे पर नियंत्रण करना होगा. जरुरत से ज्यादा उधारी और पैसे बांटने से बचना होगा लेकिन आने वाले समय में होने वाले चुनाव के मद्देनजर ऐसा कुछ हो पाना संभव प्रतीत नहीं होता दिखता और इसीलिए निवेशक शेयर बाजार के बजाय सरकार द्वारा रजिस्टर्ड प्रतिभुतियों में निवेश करें और रियल एस्टेट में लगाए तो ही बेहतर है.
शेयर बाजार में निवेश करना चाहते हैं, तो जरूरी है Demat Account होना, जानें कैसे खुलता है, क्या होता है चार्ज
How to open a Demat Account : डीमैट खाता खोलने की प्रक्रिया बहुत आसान होती है. इसके लिए सबसे पहले आपको एर फॉर्म ऑनलाइन भरना होता है. जिसके बाद ई वेरिफिकेशन होता है. ये प्रोसेस पूरी होते ही आपका डीमैट खाता खुल जाता है.
Demat Account : शेयर बाजार में ट्रेडिंग करने के लिए जरूरी है डीमैट अकाउंट. (प्रतीकात्मक तस्वीर)
शेयर बाजार में ट्रेडिंग (Share Market Trading) कर पैसा बहुत से लोग बनाना चाहते हैं लेकिन शेयर्स खरीदने और बेचने के लिए जिस डीमैट अकाउंट की जरूरत होती है, उसके बारे में कम ही जानकारी होती है. डीमैट अकाउंट कैसे काम करता है, इस खाते को खोलने के लिए जरूरी कागजात कौन से होते हैं और कितनी फीस डीमैट खाते को खोलने के लिए खर्च करनी पड़ती है. ऐसे बहुत सारे सवालों के जवाब हम आपको इस खबर की मदद से दे रहे हैं क्योंकि शेयर ट्रेडिंग के लिए डीमैट अकाउंट होना जरूरी है, इसके बिना ट्रेडिंग नहीं की जा सकती है.
तो आइए जानते हैं डीमैट खाते से जुड़ी हर जरूरी जानकारी.
क्या होता है डीमैट खाता
यह भी पढ़ें
जिस तरह से बैंक अकाउंट होता है. इसी तरह से डीमैट अकाउंट भी बैंक खाते की तरह काम करता है. शेयर बाजार को रेगुलेट करने वाली संस्था SEBI के साफ निर्देश हैं कि बिना डीमैट खाते के शेयरों को किसी भी अन्य तरीके से खरीदा और बेचा नहीं जा सकता है.
डीमैट खाते की सबसे अच्छी बात होती है ये जीरो अकाउंट बैलेंस के साथ भी खोला जा सकता है. इसमें मिनिमम बैलेंस रखने की जरूरत नहीं होती है. शेयर बाजार में निवेश के लिए निवेशक के पास बैंक अकाउंट, ट्रेडिंग अकाउंट और डीमैट खाता होने चाहिए क्योंकि डीमैट खाते में आप शेयरों को डिजिटल रूप से अपने पास रख सकते है. तो वहीं ट्रेडिंग अकाउंट से मदद से शेयर, म्युचुअल फंड और गोल्ड में निवेश किया जा सकता है.
कैसे खोलें डीमैट खाता
- शेयरों में ऑनलाइन निवेश करने के लिए सबसे ज्यादा जरूरी डीमैट खाता होता है. आप इसे HDFC सिक्योरिटीज, ICICI डायरेक्ट, Axis डायरेक्ट जैसे किसी भी ब्रोकरेज के पास खुलवा सकते हैं.
- ब्रोकरेज फर्म का फैसला लेने के बाद आप उसकी वेबसाइट पर जाकर डीमैट अकाउंट ओपन करने का फॉर्म सावधानी से भरने के बाद उसकी KYC प्रोसेस को पूरा करें.
- KYC के लिए फोटो आईडी प्रूफ, एड्रेस प्रूफ के लिए डॉक्यूमेंट की जरूरत पड़ेगी. जब ये प्रोसेस पूरी हो जाएगा तो उसके बाद इन-पर्सन वेरिफिकेशन होगा. संभव है जिस फर्म से आप डीमैट अकाउंट खुलवा रहे हों, वो अपने सर्विस प्रोवाइडर के दफ्तर आपको बुलवाएं.
- इस प्रोसेस को पूरा होने के बाद आप ब्रोकरेज फर्म के साथ टर्म ऑफ एग्रीमेंट साइन करते है. ऐसा करने के बाद आपका डीमैट अकाउंट खुल जाता है.
- फिर आपको डीमैट नंबर और एक क्लाइंट आईडी दी जाएगी.
कौन खोलेगा डीमैट खाता
इंडिया में डीमैट खाता खोलने का काम दो संस्थाएं करती है. जिसमें पहली है NSDL (National Securities Depository Limited) और दूसरी है CDSL (central securities depository limited). 500 से अधिक एजेंट्स इन depositories के लिए काम करते है, जिनको आम भाषा में डीपी भी कहा जाता है. इनका काम डीमैट अकाउंट खोलना होता है.
जरूरी शर्तें
डीमैट अकाउंट खोलने के लिए सबसे ज्यादा जरूरी शर्त होती है कि जो व्यक्ति शेयर ट्रेडिंग के लिए डीमैट अकाउंट खुलवा रहा हो उसकी उम्र 18 साल से ज्यादा होनी चाहिए. साथ ही इसके लिए उस व्यक्ति के पास पैन कार्ड, बैंक अकाउंट आइडेंटिटी और एड्रेस प्रूफ होना जरूरी है.
दो साल में इस स्टॉक ने दिया 2000% से अधिक का रिटर्न, 1 लाख का निवेश बढ़कर 23 लाख रुपये हुआ!
6 महीने पहले दांव लगाया होगा उसके लाख पर आज 1.76 लाख रुपये रिटर्न मिलेगा। वहीं, जिस निवेशक ने 22 मई 2020 को इस स्टाॅक पर भरोसा जताया होगा उसका रिटर्न अब बढ़कर 23 लाख रुपये हो गया होगा।
शेयर बाजार में पिछले दो साल के दौरान काफी उतार और चढ़ाव देखने को मिला। पहले कोरोना (Corona) और फिर रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से स्टाॅक मार्केट में अनिश्चितता का माहौल बना रहा। लेकिन इस दौरान कुछ स्टाॅक ऐसे थे जिन्होंने निवेशकों को निराश नहीं किया। इसी लिस्ट में राजरतन ग्लोबल वायर लिमिटेड (RajRatan Global wire Limited Share Price) के स्टाॅक शामिल शेयर बाजार में निवेश का क्या मतलब है? हैं। पिछले दो साल का दौरान इस स्टाॅक ने निवेशकों को 2000% से अधिक का रिटर्न दिया है। आइए जानते हैं साल दर साल कैसा रहा है राजरतन ग्लोबल वायर लिमिटेड के शेयर का प्रदर्शन-
तेल बेचने से Wipro तक कैसा रहा अजीम प्रेमजी का सफर? जानिए सबसे बड़े दानवीर की कहानी
राजरतन ग्लोबल वायर लिमिटेड के शेयर का इतिहास
NSE में 22 मई 2020 को इस स्टाॅक की कीमत महज 37.28 रुपये थी। तब से अबतक इस स्टाॅक की कीमत बढ़कर 880 रुपये हो गई है। यानी इस दौरान इस स्टाॅक की कीमतों 2260.52% की उछाल देखने को मिली है। वहीं, साल 2022 की बात करें तो कंपनी के शेयर की भाव 413 रुपये से 880 रुपये तक की छलांग लगाई। यानी निवेशकों को इस दौरान 112.93% का रिटर्न मिला। बीता एक महीना भी निवेशकों के लिए काफी अच्छा रहा है। इस दौरान प्रति शेयर 285.35 रुपये की उछाल देखने को मिली है।
एक लाख का निवेश पर मिला कितना रिटर्न?
जिस किसी निवेशक ने एक महीने पहले इस स्टाॅक पर भरोसा जताया होगा तो उसका एक लाख रुपये का निवेश बढ़कर 1.48 लाख रुपये हो गया होगा। ठीक इसी तरह जिसने 6 महीने पहले दांव लगाया होगा उसके लाख पर आज 1.76 लाख रुपये रिटर्न मिलेगा। वहीं, जिस निवेशक ने 22 मई 2020 को इस स्टाॅक पर भरोसा जताया होगा उसका रिटर्न अब बढ़कर 23 लाख रुपये हो गया होगा। बता दें, कंपनी के 52 सप्ताह का उच्चतम स्तर 896 रुपये और न्यूनतम स्तर 350.42 रुपये रहा है।
(डिस्क्लेमर: यहां सिर्फ शेयर के परफॉर्मेंस की जानकारी दी गई है, यह निवेश की सलाह नहीं है। शेयर बाजार में निवेश जोखिमों के अधीन है और निवेश से पहले अपने एडवाइजर से परामर्श कर लें।)
प्राइमरी और सेकेंडरी मार्केट शेयर बाजार में निवेश का क्या मतलब है? में शेयर बाजार में निवेश का क्या मतलब शेयर बाजार में निवेश का क्या मतलब है? है? क्या अंतर है? कैसे होता है इसमें निवेश
प्राइमरी मार्केट में नए शेयर और बांड जारी किए जाते हैं, जबकि सेकेंडरी मार्केट में पहले से जारी शेयरों और बांडों की बिक्री और खरीद होती है.
यदि आप शेयर मार्केट में निवेश करना चाहते हैं तो आपको पहले प्राइमरी और सेकेंडरी मार्केट के बीच के अंतर को समझना होगा . शेयर मार्केट के एक्सपर्ट आमतौर पर प्राइमरी और सेकेंडरी मार्केट जैसे शब्दों का इस्तेमाल करते हैं . आपने भी प्राइमरी और सेकेंडरी मार्केट के बारे में अक्सर सुना होगा . क्या आप जानते हैं इनका क्या मतलब होता है और इनमें क्या अंतर है ? दरअसल शेयर मार्केट दो तरह के होते हैं – प्राइमरी मार्केट और सेकेंडरी मार्केट . क्या आपको पता है कि दोनों मार्केट एक दूसरे से कैसे अलग हैं ?
प्राइमरी मार्केट
नई सिक्योरिटीज जैसे नए शेयर और बांड प्राइमरी मार्केट में जारी किए जाते हैं . प्राइमरी मार्केट में कंपनियां निवेशकों को शेयर बेचती हैं और पैसा जुटाती हैं . प्राइमरी मार्केट में सीधे कंपनी और निवेशकों के बीच लेनदेन होता है . ऐसे कई अलग – अलग तरीके हैं जिनके माध्यम से एक कंपनी प्राइमरी मार्केट से पूंजी जुटा सकती है . इनमें पब्लिक इश्यू (IPO), प्राइवेट प्लेसमेंट और राइट्स इश्यू शामिल हैं .
जब कोई कंपनी स्टॉक एक्सचेंज के जरिए अपनी कुछ हिस्सेदारी बेचकर पहली बार निवेशकों से पैसा जुटाती है तो उसे ऐसा करने के लिए एक IPO लॉन्च करना पड़ता है . प्राइमरी मार्केट में निवेश करने के लिए आपके पास एक डीमैट अकाउंट होना चाहिए जिसे ब्रोकरेज हाउस या बैंकों के साथ खोला जा सकता है . ऐसा ही एक प्लेटफॉर्म है 5 पैसा ( https://www.5paisa.com/open-demat-account ) जहां आप डीमैट अकाउंट खोल सकते हैं . इस प्रक्रिया के जरिए कंपनी स्टॉक एक्सचेंज में लिस्ट हो जाती है . कंपनी का प्राइमरी मार्केट में प्रवेश ( एंटर ) करने का मुख्य मकसद पैसा जुटाना होता है . प्राइमरी मार्केट में निवेशक केवल शेयर खरीद सकते हैं बेच नहीं सकते . खरीदे गए शेयरों को बेचने के लिए उन्हें सेकेंडरी मार्केट में जाना पड़ता है .
सेकेंडरी मार्केट बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) जैसे स्टॉक एक्सचेंज सेकेंडरी मार्केट हैं , जहां आप IPO के दौरान खरीदे गए शेयरों को बेच सकते हैं . इस मार्केट में किसी लिस्टेड कंपनी के शेयर खरीदे और बेचे जाते हैं . जब हम स्टॉक एक्सचेंज में शेयर खरीदते और बेचते हैं तब हम सेकेंडरी मार्केट में ट्रेडिंग शेयर बाजार में निवेश का क्या मतलब है? कर रहे होते हैं . सेकेंडरी मार्केट में निवेशकों ( खरीदारों और विक्रेताओं ) के बीच पैसे और शेयरों का आदान – प्रदान ( एक्सचेंज ) किया जाता है . कंपनी सेकेंडरी मार्केट में होने वाले लेनदेन ( ट्रांजेक्शन ) में शामिल नहीं है . सेकेंडरी मार्केट को “ आफ्टर मार्केट ” भी कहा जाता है क्योंकि जो शेयर पहले ही जारी किए जा चुके हैं , उनका कारोबार यहां होता है .
अधिकतम अंक: 5
न्यूनतम अंक: 1
मतदाताओं की संख्या: 454