वित्तीय जोखिम प्रबंधन की प्रक्रिया

तीन राष्ट्रीय बैंकों, बैंक ऑफ बड़ौदा, देना बैंक और विजया बैंक के विलय के संदर्भ में भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार ने अंतिम स्वीकृति प्रदान कर दी है। स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के बाद भारत का दूसरे नंबर का सबसे बड़ा ऋणदाता बनाने के उद्देश्य से किए गए इस फ़ैसले को सार्वजनिक क्षेत्र की बैंकिंग व्यवस्था में एक बड़े सुधार की तरह देखा जा रहा है।

यह महत्वपूर्ण फैसला सैद्धांतिक रूप से वित्त मंत्री अरूण जेटली की अध्यक्षता वाली मंत्री स्तरीय समिति की बैठक में कुछ समय पहले किया गया था। समिति का उद्देश्य सरकार बैंकों के विलयन के प्रस्ताव पर ग़ौर करना था। ये विलयन ऐसे समय में हुआ है जब ये बैंक नुकसान और ऋण का बोझ उठाते हैं। श्री जेटली ने कहा कि यह सुझाव देते समय हमने ध्यान रखा कि हम अपेक्षाकृत कमज़ोर बैंकों का विलयन नहीं चाहते हैं। अच्छा प्रदर्शन कर रहे दो बैंकों के थ एक कमज़ोर बैंक को मिलाजा जा सकता है जो अधिक ऋण उलब्ध करवाने वाला एक बड़ा बैंक बने।

बैंक ऑफ बड़ौदा, देना बैंक और विजया बैंक के विलयन से पहले सीबीआई के पांच सहायक बैंकों का भी विलयन हुआ।

बैंकिंग क्षेत्र में जारी वर्तमान सुधारों को लेकर सरकार का विचार है कि तेज़ी से आगे बढ़ती अर्थव्यवस्था की आकांक्षाओं को वैश्विक रूप से मजबूत और प्रतिस्पर्धात्मक बैंकों का सहयोग मिलना चाहिए और साथ ही साझेदारों की रुचि भी बनी रहनी चाहिए। इसी के अनुसार सरकार सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में व्यवहारिकता और द़ढीकरण या सम्मेलन को बढ़ावा दे रही है।

सरकार का कहना है कि बैंक ऑफ बड़ौदा के विलयन से अर्थव्यवस्था के स्तर के अनुरूप कड़ा प्रतिस्पर्धी बैंक उभरेगा। उपभोक्ताओं की संख्या, बाज़ार तक पहुंच और संचालन दक्षता की द़ष्टि से भी इसे सक्षम किया जाएगा।

इसी के साथ सरकार ने इस बात पर भी ज़ोर दिया कि कर्मियों के हितों की रक्षा की जाएगी और ब्रैड इक्विटी को बचाया जाएगा। अगर ज़रुरत पड़ी तो इसे वैश्विक बैंक बनाने के लिए पूंजीगत सहायता भी प्रदान की जाएगी। बैंक क्षेत्र में सुधारों के रूप में विलयन और अधिग्रहण द्वारा सरकार सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को कम करके इनकी संख्या कम कर देगी ताकि वैश्विक स्तर के और बड़े बैंक तैयार किए जा सके और किसी भी बैंक को सरकार को आशा है कि विलयन के बाद जोखिम का बेहतर तरीक़े से सामने करते हुए बैंक संचालन कुशलता बेहतर करते हुए अर्थव्यवस्था को योगदान करेंगे।

विशेषज्ञों का भी मानना है कि बैंकों के समेकन से ऋण व्यवस्था और परिसंपत्तियों का प्रबंधन बेहतर होगा। समेकन से एक ही क्षेत्र में संसधानों की बहुलता से बचाव होता है और नुकसान से बचा जा सकता है।

विशेषज्ञों का मानना है कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के विलयन से संचालन लागत कम होगी। वित्तीय समेकन और भौगोलिक पहुंच का लक्ष्य बड़े सार्वजनिक बैंकों के विलयन और उनकी विशेषज्ञता का लाभ उठाकर बेहतर रूप से हासिल किया जा सकता है।

यह भी महसूस किया गया कि विलयन से ग़ैर प्रचलित संपत्तियों और जोखिम का बेहतर तरीके से प्रबंधन हो पाएगा। बैंकिंग व्यवस्था में मौजूदा व्यापक स्तर की विशेषज्ञता की वजह से छोटे बैंकों में मौजूद अकुशलता दूर की जा सकेगी और साथ ही क्षेत्रीय स्तर पर संचालित बैंकों को अपना भौगोलिक विस्तार करने का भी अवसर मिलेगा।

विशेषज्ञों के अनुसार, विलय से बैंकों की वजह से छोटे बैंक और अधिक उत्पाद तथा सेवाएं उपलब्ध करवा सकेंगे और संपूर्ण बैंक व्यवस्था को इसका लाभ पहुंचेगा। इससे पूरा कारोबारी मानक स्तर ही ऊपर उठेगा।

वैश्विक बाज़ार में भारतीय बैंकों को अधिक पहचान मिलेगी और रेटिंग भी अच्छी होगी। विश्लेषकों का मानना है कि व्यापक पूंजी आधार और उच्च तरलता से सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का बार-बार पूंजीकरण करने का केन्द्रीय सरकार का दबाव भी कम हो जाएगा।

भारत एक प्रमुख वैश्विक अर्थव्यवस्था बनकर उभर रहा है, इसलिए ये बहुत जरूरी है कि भारत ऐसे बड़े और प्रभावी बैंक तैयार करे जो वैश्विक चुनौतियों का सामना कर सकें। इसलिए कहा जा सकता है कि सार्वजनिक बैंकों के विलयन की वर्तमान प्रक्रिया भारतीय अर्थव्यवस्था की बेहतरी के लिए सही दिशा में सही क़दम है।

पंजाब सिंध बैंक में सीधी भर्ती के माध्यम से मुख्य जोखिम अधिकारी और 2 अन्य पद

पंजाब सिंध बैंक सीधी भर्ती के माध्यम से निम्नलिखित पदों के लिए आवेदन आमंत्रित करता है:

पद का नाम: मुख्य जोखिम अधिकारी

आवश्यक योग्यता:

(ii) ग्लोबल एसोसिएशन ऑफ रिस्क प्रोफेशनल्स से वित्तीय जोखिम प्रबंधन में व्यावसायिक प्रमाणन

(iii) PRMIA संस्थान से व्यावसायिक जोखिम प्रबंधन प्रमाणन

(iv) सीएफए संस्थान द्वारा सम्मानित चार्टर्ड वित्तीय विश्लेषक चार्टर धारक

(v) भारत के चार्टर्ड एकाउंटेंट्स संस्थान द्वारा चार्टर्ड एकाउंटेंट के रूप में नामित, या विदेश में समकक्ष

(vi) इंस्टिट्यूट ऑफ़ कॉस्ट एकाउंटेंट्स ऑफ़ इंडिया, या समकक्ष विदेश द्वारा एक लागत और प्रबंधन लेखाकार के रूप में नामित

आवश्यक कार्य अनुभव:

(i) ऐसे विनियमित ऋणदाता में सीआरओ के रूप में दो वर्ष का अनुभव जिसके संबंध में बोर्ड की मंजूरी के साथ सीआरओ की नियुक्ति की नियामक आवश्यकता है।

(ii) एक या अधिक पीएसबी में सहायक महाप्रबंधक या उससे ऊपर के स्तर पर कॉर्पोरेट क्रेडिट और जोखिम प्रबंधन में पांच साल का अनुभव, या एक या अधिक विनियमित ऋण देने वाली इकाई में समान भूमिकाएं और जिम्मेदारियां (बैंक चयन समिति / स्क्रीनिंग की राय में) समिति), कॉर्पोरेट क्रेडिट में एक वर्ष का न्यूनतम अनुभव और जोखिम प्रबंधन में एक वर्ष का अनुभव

(iii) बाजार जोखिम और/या चलनिधि प्रबंधन और/या परिचालन जोखिम की अच्छी समझ, विश्लेषण के संपर्क के साथ एक अतिरिक्त वांछनीय अनुभव होना।

पद का नाम: मुख्य प्रौद्योगिकी अधिकारी

आवश्यक योग्यता:

(i) भारत में एक प्रतिष्ठित सरकारी मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय / संस्थान से कंप्यूटर विज्ञान / सूचना प्रौद्योगिकी / इलेक्ट्रॉनिक्स और संचार / एमसीए / पीजीडीसीए में इंजीनियरिंग स्नातक

आवश्यक कार्य अनुभव:

(i) कम से कम 500 शाखाओं वाले सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक / निजी बैंक / विदेशी बैंक / वित्तीय संस्थान में उप महाप्रबंधक / महाप्रबंधक / या समकक्ष रैंक के रूप में आईटी को संभालने में न्यूनतम 2 वर्ष का कार्य अनुभव। Financleplatform के साथ काम करने वाले उम्मीदवारों को वरीयता दी जाएगी। और, संबंधित क्षेत्रों में 15 साल का अनुभव। उसे बैंकिंग-आईटी से संबंधित क्षेत्रों/आईटी नीति और योजना/वित्तीय नेटवर्कों और अनुप्रयोगों/वित्तीय सूचना प्रणालियों/साइबर सुरक्षा प्रौद्योगिकियों/भुगतान प्रौद्योगिकियों आदि से संबंधित परियोजनाओं में काम करना चाहिए, जिनमें से पांच वर्ष वरिष्ठ में होना चाहिए।

पद का नाम: मुख्य अनुपालन अधिकारी

आवश्यक योग्यता:

(i) उम्मीदवार को एक प्रतिष्ठित सरकारी मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय से स्नातक या समकक्ष डिग्री होना चाहिए और सीएआईआईबी होना चाहिए।

आवश्यक कार्य अनुभव:

(i) उम्मीदवार के पास सहायक महाप्रबंधक के रूप में 3 वर्ष का अनुभव या सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में उप महाप्रबंधक के रूप में या अन्य बैंकिंग या वित्तीय संस्थानों में समकक्ष पदों पर काम करने का अनुभव होना चाहिए और बैंकिंग या वित्तीय सेवाओं में कम से कम 15 वर्षों का समग्र अनुभव होना चाहिए। जिसमें से न्यूनतम 5 वर्ष लेखा परीक्षा/वित्त/अनुपालन/कानूनी/जोखिम प्रबंधन कार्यों में होंगे।

आवेदन भेजने का पता: उम्मीदवार को आवेदन पत्र भरना होगा और उसे महाप्रबंधक (एचआरडी) पंजाब एंड सिंध बैंक, बैंक हाउस, 6 वीं मंजिल, 21-राजेंद्र प्लेस, नई दिल्ली -110008 को भेजना होगा।

पात्रता मानदंड, शुल्क, पैटर्न, अनुलग्नक, पोस्टिंग की जगह आदि से संबंधित अधिक जानकारी के लिए नीचे संलग्नक देखें।

टेबलेट पाकर आगरा यूनिवर्सिटी के छात्रों के खिले चेहरे: कुलपति बोलीं- टेबलेट को ग्रंथ की तरह समझें, ज्ञान बढ़ाने के लिए करें इसका उपयोग

छात्रा को टेबलेट प्रदान करती कुलपति आशु रानी। - Dainik Bhaskar

डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय के आवसीय संस्थान के छात्र-छात्राओं को स्मार्ट फोन और टेबलेट का वितरण किया जा रहा है। गुरुवार को कुलपति ने अलग-अलग कार्यक्रम में इतिहास विभाग और पं. दीनदयाल संस्थान के छत्र-छात्राओं को टेबलेट प्रदान किए। टेबलेट पाकर छात्र-छात्राओं के चेहरे खिल गए।

संस्कृति भवन स्थित सभागार में इतिहास विभाग व समाज विज्ञान संस्थान के छात्रों को स्मार्ट फोन व टेबलेट वितरित किए।

संस्कृति भवन स्थित सभागार में इतिहास विभाग व समाज विज्ञान संस्थान के छात्रों को स्मार्ट फोन व टेबलेट वितरित किए।

संस्कृति भवन में हुआ आयोजन

कुलपति प्रोफेसर आशुरानी ने विश्वविद्यालय के संस्कृति भवन स्थित सभागार में इतिहास विभाग व समाज विज्ञान संस्थान के छात्रों को स्मार्ट फोन व टेबलेट वितरित किए। कुलपति ने कहाकि विद्यार्थी ज्ञान से सम्पन्न हो। जीवन में सफलता प्राप्त करें। टेबलेट को ग्रंथ की तरह समझें। प्रो. सुगम आनंद ने छात्रों को स्वामी विवेकानंद से प्रेरणा लेकर विज्ञान और तकनीक के द्वारा शैक्षिक दक्षता हासिल करने के लिए प्रेरित किया। कार्यक्रम में डीन छात्र कल्याण प्रो. मोहम्मद अरशद ने इलेक्ट्रॉनिक गैजेट के माध्यम से विश्वविद्यालय में अध्ययन करने की बात कही। कार्यक्रम का संचालन प्रो. बी डी शुक्ला ने किया। मंच पर प्रो. अनिल कुमार वर्मा, प्रो. हेमा पाठक, प्रो. रनवीर सिंह आदि उपस्थित रहे।

दीनदयाल संस्थान में वित्तीय प्रबंधन कार्यक्रम का आयोजन और टेबलेट वितरण किया गया।

पंडित दीनदयाल संस्थान में वित्तीय प्रबंधन कार्यक्रम का आयोजन और टेबलेट वितरण किया गया। भारतीय प्रतिभूति विनिमय बोर्ड (सेबी) द्वारा पंडित दीनदयाल उपाध्याय ग्रामीण विकास संस्थान में दो दिवसीय वित्तीय प्रबंधन पर दिनांक 14- 15 दिसंबर को कार्यक्रम का आयोजन किया गया। सेबी के रिसोर्स पर्सन डॉ. नवाबउद्दीन द्वारा छात्रों को निवेश कहां और कैसे किया जाए एवं मार्केट के जोखिम से कैसे बचा जाए, यह विस्तार में समझाया गया। कुलपति प्रो. आशु रानी के द्वारा 22 छात्र-छात्राओं को टेबलेट वितरित किए गए। इस दौरान सभी छात्र-छात्राओं में काफी उत्साह देखने को मिला। कार्यक्रम का आयोजन संस्थान के निदेशक डॉ मनोज कुमार सिंह द्वारा किया गया। कार्यक्रम का संचालन डॉक्टर वर्षा गोयल एवं अवनीश दुबे ने किया।

दिल्ली हाईकोर्ट ने अग्निवीर और नियमित सिपाहियों के अलग-अलग वेतनमान पर केंद्र से जवाब मांगा

अग्निपथ योजना को चुनौती देने वाली याचिकाओं को सुनते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने सेना में नौकरी की प्रकृति समान होने पर भी 'अग्निवीरों' और नियमित सिपाहियों के वेतन में अंतर के बारे में पूछा था, जिस पर केंद्र ने कैडर अलग होने की बात कही. इस पर कोर्ट में कहा कि सवाल कैडर का नहीं, काम और ज़िम्मेदारी का है. The post दिल्ली हाईकोर्ट ने अग्निवीर और नियमित सिपाहियों के अलग-अलग वेतनमान पर केंद्र से जवाब मांगा appeared first on The Wire - Hindi.

अग्निपथ योजना को चुनौती देने वाली याचिकाओं को सुनते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने सेना में नौकरी की प्रकृति समान होने पर भी ‘अग्निवीरों’ और नियमित सिपाहियों के वेतन में अंतर के बारे में पूछा था, जिस पर केंद्र ने कैडर अलग होने की बात कही. इस पर कोर्ट में कहा कि सवाल कैडर का नहीं, काम और ज़िम्मेदारी का है.

(प्रतीकात्मक फोटो: रॉयटर्स)

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने भारतीय सेना में नौकरी की प्रकृति समान होने की स्थिति में ‘अग्निवीरों’ और नियमित सिपाहियों के अलग-अलग वेतनमान पर केंद्र से स्पष्टीकरण मांगा है.

बुधवार को केंद्र सरकार की तरफ से पेश वकील ने जवाब दिया कि अग्निवीर सशस्त्र बलों के नियमित कैडर से अलग कैडर है. इस पर, उच्च न्यायालय ने कहा, ‘अलग कैडर से नौकरी की प्रकृति का जवाब नहीं मिलता, सवाल काम और जिम्मेदारी का है.’

केंद्र सरकार अग्निपथ योजना को चुनौती देने वाली कुछ याचिकाओं पर जवाब दे रही थी.

मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद की पीठ ने केंद्र की तरफ से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) ऐश्वर्या भाटी से कहा, ‘यदि नौकरी की प्रकृति समान है, तो आप अलग-अलग वेतनमान को कैसे उचित ठहरा सकते हैं? बहुत कुछ नौकरी की प्रकृति पर निर्भर करेगा. इस पर निर्देश प्राप्त कर हलफनामे में शामिल करें.’

एएसजी ने जवाब दिया कि अग्निवीर कैडर नियमित कैडर से अलग है, इसलिए उनके नियम और शर्तें और जिम्मेदारियां भी सिपाहियों (सैनिकों) से अलग हैं. जिम्मेदारी एक जैसी नहीं हो सकती और यहां तक कि अग्निवीरों और सामान्य कैडर का काम भी एक जैसा नहीं है.

भाटी ने कहा, ‘अग्निवीर कैडर को अलग कैडर के रूप में बनाया गया है. इसे नियमित सेवा के रूप में नहीं गिना जाएगा. चार साल तक अग्निवीर के रूप में सेवा करने के बाद फिट पाए जाने पर नियमित कैडर की सेवा शुरू होती है.’

उन्होंने कहा कि पहली बार सशस्त्र बलों में अग्निवीरों के रूप में युवा लड़कियों को शामिल किया जा रहा है. जब याचिकाकर्ताओं में से एक के वकील ने कहा कि यह मेडिकल परीक्षण के बिना किया जा रहा है, तो पीठ ने कहा, ‘क्या आपको नहीं लगता कि आपको इस कदम का स्वागत करना चाहिए. इसमें लड़कियां भी आ रही हैं, यह एक स्वागत योग्य कदम है.’

द हिंदू के अनुसार, अग्निपथ योजना के कारण रद्द की गई पिछली भर्ती प्रक्रिया को फिर से शुरू करने के लिए कई उम्मीदवारों ने सशस्त्र बलों को निर्देश की मांग के साथ अदालत का रुख किया है.

इन याचिकाकर्ताओं की तरफ से पेश अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने कहा कि जिस भर्ती प्रक्रिया के लिए उनके मुवक्किलों ने आवेदन किया था, वह लगभग पूरी हो चुकी थी और केवल कॉल लेटर ही आने थे, लेकिन शुरुआत में इसमें देरी हुई और बाद में अधिकारियों ने अग्निपथ योजना की घोषणा के बाद प्रक्रिया रद्द कर दी.

हालांकि, केंद्र ने कहा है कि वायु सेना, सेना और नौसेना द्वारा जारी विभिन्न भर्ती विज्ञापनों के तहत आवेदन करने वाले उम्मीदवारों को कोई नियुक्ति पत्र जारी नहीं किया गया था.

अग्निपथ योजना का बचाव करते हुए केंद्र ने कहा कि इस नीति के लिए बड़ा अध्ययन किया गया और यह ऐसा निर्णय नहीं था जिसे हल्के में लिया गया था और भारत सरकार इस स्थिति के प्रति जागरूक और सचेत थी.

एएसजी ने कहा कि भारतीय सशस्त्र बल दुनिया में सबसे अधिक पेशेवर सशस्त्र बल हैं और जब वे इस तरह के बड़े नीतिगत फैसले ले रहे हों तो उन्हें और अधिक छूट दी जानी चाहिए. भाटी ने कहा कि पिछले दो वर्षों के दौरान कई आंतरिक और बाहरी परामर्श किए गए और हितधारकों के साथ कई बैठकें और कई घंटों तक परामर्श भी आयोजित किए गए.

केंद्र ने आगे कहा कि अधिकारियों के पद के नीचे अब अग्निवीर ही सैनिकों के स्तर पर सशस्त्र बलों में शामिल होने का एकमात्र तरीका है और केवल चिकित्सा अनुभाग को इससे बाहर रखा गया है.

ज्ञात हो कि सशस्त्र बलों में युवाओं की भर्ती के लिए अग्निपथ योजना 14 जून को शुरू की गई. योजना के नियमों के अनुसार, साढ़े 17 से 21 वर्ष की आयु के लोग आवेदन करने के पात्र हैं और उन्हें चार साल के कार्यकाल के लिए शामिल किया जाएगा.

योजना के तहत, उनमें से 25 प्रतिशत की सेवा नियमित कर दी जाएगी. अग्निपथ की शुरुआत के बाद इस योजना के खिलाफ कई राज्यों में विरोध शुरू हो गया. बाद में, सरकार ने 2022 में भर्ती के लिए ऊपरी आयु सीमा को बढ़ाकर 23 वर्ष कर दिया.

पिछली सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं में से एक के वकील ने कहा था कि योजना के तहत भर्ती होने के बाद अग्निवीरों के लिए 48 लाख रुपये का जीवन बीमा होगा, जो पहले के प्रावधान की तुलना में बहुत कम है.

इस योजना को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट के समक्ष कई याचिकाएं दायर की गई थीं, जुलाई महीने में कोर्ट ने उन सभी जनहित याचिकाओं को दिल्ली हाईकोर्ट को स्थानांतरित कर दिया था.

कोर्ट ने केरल, पंजाब एवं हरियाणा, पटना और उत्तराखंड हाईकोर्ट से भी इस योजना के खिलाफ उनके यहां दायर सभी जनहित याचिकाओं को या तो दिल्ली हाईकोर्ट में स्थानांतरित करने या फिर उन पर तब तक फैसला निलंबित रखने को कहा था, जब तक दिल्ली हाईकोर्ट अपना निर्णय नहीं कर लेता.

इससे पहले सोमवार की सुनवाई में हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ताओं से सवाल किया था वित्तीय जोखिम प्रबंधन की प्रक्रिया कि उनके किस अधिकार का उल्लंघन हुआ है. कोर्ट ने यह भी कहा था कि यह योजना स्वैच्छिक है तथा जिन लोगों को इससे कोई समस्या है, उन्हें सशस्त्र बलों में शामिल नहीं होना चाहिए.

इस योजना में करे निवेश और पाए 50,000 रु

NPS Scheme New Update : NPS ( National Pension System ) योजना के तहत, निजी क्षेत्र के कर्मचारी हमेशा सेवानिवृत्ति के बाद की आरामदायक जीवन शैली के लिए ज्यादा पैसा बचाने के लिए संघर्ष करते हैं ! उन्हें अच्छे और आरामदायक भविष्य के लिए रिटायरमेंट प्लानिंग पर ध्यान देना चाहिए ! सेवानिवृत्ति योजना में आय के स्रोतों की पहचान करना, खर्चों का अनुमान लगाना, बचत योजना को लागू करना और संपत्ति और जोखिम का प्रबंधन करना शामिल है ! यह निर्धारित करने के लिए कि सेवानिवृत्ति आय लक्ष्य व्यवहार्य है ! या नहीं, भविष्य के नकदी प्रवाह का अनुमान लगाया जाता है ! एनपीएस योजना ( NPS Scheme ) में निवेश को भविष्य की बचत के लिए सबसे अच्छे विकल्पों में से एक माना जाता है !

NPS Scheme New Update

NPS Scheme New Update

जो लोग 60 साल की उम्र के बाद इस NPS ( National Pension System ) योजना में हर महीने 6,000 रुपये का निवेश करते हैं, वे 50,000 रुपये पेंशन के पात्र हैं ! यानी आपको इस प्लान में हर दिन 200 रुपये से निवेश करना होगा ! इस योजना में निवेशकों को आयकर का भुगतान करने की आवश्यकता नहीं है ! धारा 80 सी रिफंड के अलावा, एनपीएस ( NPS Scheme ) प्रतिभागी अपनी कर योग्य आय से 50,000 रुपये तक का योगदान घटा सकते हैं !

एनपीएस योजना: लंबी अवधि का निवेश

NPS ( National Pension System ) को लंबी अवधि के निवेश के तौर पर देखा जाता है ! आप अपने काम के वर्षों के दौरान योजना में योगदान करते है ! और जब आप सेवानिवृत्त होते है ! तो धनराशि आपको पेंशन ( Pension ) के रूप में वितरित की जाती है ! एनपीएस ( NPS Scheme ) फंड निकालने के लिए वित्तीय जोखिम प्रबंधन की प्रक्रिया निवेशक के पास कई विकल्प होते हैं !

NPS Scheme New Update

NPS ( National Pension System ) फंड निकालने के लिए निवेशक के पास कई विकल्प होते हैं ! पहला यह है कि आप किसी वित्तीय जोखिम प्रबंधन की प्रक्रिया भी समय अपने कुल निवेश का केवल एक हिस्सा ही प्राप्त कर पाएंगे ! शेष राशि सीधे आपके पेंशन फंड में जाएगी ! इस राशि का उपयोग वार्षिकी खरीदने के लिए किया जाएगा ! आपकी पेंशन ( Pension ) उस राशि के समानुपाती होगी जो आप रिटायर होने पर वार्षिकी खरीदने के लिए छोड़ेंगे !

आप 50,000 रुपये मासिक पेंशन कैसे प्राप्त कर सकते हैं?

50,000 रुपये मासिक पेंशन ( Pension ) के लिए आवश्यक वित्तीय व्यय को विभाजित करें ! 24 साल की उम्र में निवेश शुरू करने पर, NPS ( National Pension System ) कैलकुलेटर प्रति माह 6,000 रुपये की बचत करने की सलाह देता है ! यानी आपको प्रतिदिन 200 रुपये का निवेश करना होगा ! वह 60 वर्ष की आयु तक योजना में योगदान देने का इरादा रखता है ! यह योजना ( NPS Scheme ) के लिए 36 साल की बचत प्रतिबद्धता के बराबर है !

दो प्रकार के खाते : NPS Scheme New Update

नेशनल पेंशन स्कीम ( National Pension System ) में दो अकाउंट टियर है ! टियर-1 और टियर-2 ! जिन लोगों ने अभी तक अपना पीएफ जमा नहीं किया है ! लेकिन रिटायर होने की योजना बना रहे है ! उन्हें टियर-1 खाता खुलवाना चाहिए ! इस योजना ( NPS Scheme ) की प्रारंभिक जमा राशि 500 ​​भारतीय रुपये है ! सेवानिवृत्ति के बाद, आप प्रत्येक वर्ष शेष राशि का 60% तक निकाल सकते हैं ! शेष 40% एक खरीद में निवेश किया जाता है !

एनपीएस योजना पर उपलब्ध कर राहत की अधिकतम राशि क्या है?

एनपीएस ( NPS Scheme ) खाताधारक धारा 80सी के तहत 1.5 लाख रुपये तक की आयकर छूट का दावा कर सकते है ! धारा 80सीसीडी के तहत अतिरिक्त 50,000 रुपये उपलब्ध हैं ! NPS ( National Pension System ) योजना में नुकसान यह है ! कि वार्षिकी आय पर कर लगाया जाता है !

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