क्या आपको बड़े निवेशकों का अनुसरण करना चाहिए?

आँख बंद करके बड़े इनवेस्टर्स का अनुसरण नहीं करने के कारण

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1. बड़े निवेशक भी गलतियाँ करते हैं:

लोग सोचते हैं कि अत्यधिक सफल लोग अजेय हैं, वे गलतियाँ नहीं करते हैं। मगर आपको ये बता दें कि सभी निवेशक गलतियां करते हैं।

यहां तक ​​कि महान वारेन बफेट भी गलतियां करते हैं। उन्होंने स्वीकार किया हैं कि प्रमुख खुदरा विक्रेता टेस्को में उनका निवेश एक बहुत बड़ी गलती थी।

सिर्फ इसलिए कि एक बड़े निवेशक ने एक विशेष स्टॉक में निवेश किया है, इसकी कोई गारंटी नहीं है कि यह अच्छा प्रदर्शन ही करेगा।

2. अलग-अलग लोगों की अलग समय सीमा होती है:

एक बड़े निवेशक को आंख मूंदकर नक़ल करने की एक और समस्या यह भी है कि आप यह नहीं जानते कि वह 1 साल या 10 साल बाद कब बेचेगा या वह या वह काफी बड़े समय के लिए खरीद रहा है ।

कई खुदरा निवेशकों के पास अक्सर ऐसी समय सीमा से पहले बेचने के व्यक्तिगत कारण होते हैं जो बड़े निवेशकों की अवधि से कम होते हैं।

संक्षेप में, आपको उनके निवेश की समय सीमा पता नहीं होगी। इसलिए, यह खुदरा निवेशकों के जोखिम को बढ़ाता है।

3. नया निवेश – पोर्टफोलियो का एक छोटा सा हिस्सा:

जब ये बड़े निवेशक किसी कंपनी में एक प्रतिशत या उससे अधिक खरीदते हैं, तो एक संभावना यह भी हो सकती है कि निवेशित धन राशि उनके समस्त पोर्टफोलियो का 10% -15% तक का हिस्सा हो सकती है।

किसी भी चीज़ को बिना जाने नक़ल कर, खुदरा निवेशक अपने पोर्टफोलियो का एक बड़ा हिस्सा उस विशेष स्टॉक में निवेश कर देता हैं।

यदि यह निवेश गलत हो जाता है, तो बड़े निवेशक, बेहतर जानकारी होने के कारण समय पर बाहर निकल जाएंगे। उनकी हिस्सेदारी वैसे भी उनके पोर्टफोलियो का एक छोटा सा हिस्सा होता है। लेकिन जो खुदरा निवेशक है उसे समान जानकारी नहीं होती है और अधिक निवेशित होने के कारण, वह अपने पैसे का एक बड़ा हिस्सा खो सकता है।

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4. वे आपके ज्ञान के बिना प्रवेश कर सकते हैं और बाहर निकल सकते हैं:

यदि कोई बड़ा निवेशक अपने निवेश को प्रकट नहीं करना चाहता है, लेकिन फिर भी एक बड़ा हिस्सा खरीदता है; तो वह कई निवेश कंपनियों का उपयोग करके ऐसा कर सकता है।

यदि प्रत्येक कंपनी एक प्रतिशत से कम हिस्सेदारी खरीदती है, तो दूसरों को बड़े निवेशक का कंपनी में सही प्रतिशत का पता नहीं चलेगा।

स्टॉक में प्रवेश करने पर बड़े निवेशक काफी प्रचार करते हैं। । लेकिन जब वे बाहर निकलते हैं, तो वे आमतौर पर इसके बारे में बात भी नहीं करते हैं।

यह ट्रैक करना अच्छा है कि अन्य बड़े निवेशक क्या कर रहे हैं, लेकिन किसी का अनुसरण करते हुए स्टॉक की योग्यता और जोखिम को समझे बिना आँख बंद करके स्टॉक खरीदना अच्छा नहीं है।

बड़े इनवेस्टर्स

क्लोनिंग रणनीति – दूसरा तरीका:

एक क्लोन बड़े निवेशकों के शेयर विचारों के आधार पर बनाए गए शेयरों का एक बस नया पोर्टफोलियो है।

शेयर बाजार के सभी लोग क्लोनिंग कर रहे हैं लेकिन इसे संघठित तरीके से करना अलग बात है।

क्लोनिंग रणनीति, मोहनीश पबराई द्वारा बनाया गया एक शब्द है।

वह अमेरिकी बाजार में वारेन बफेट जैसे नामी निवेशकों के पोर्टफोलियो का क्लोन बनाते थे और वार्षिक रूप से S&P 500 को सं 2000 से 10 फीसदी से पराजित कर एक बहुत अच्छा ट्रैक रिकॉर्ड कायम किया था।

आप यहां क्लिक करके हमारे क्लोनिंग पर बने वेबिनार को भी देख सकते हैं:

स्टॉक मार्केट की सफलता के लिए अपने तरीके का क्लोनिंग

क्लोनिंग पर विश्लेषण:

अमेरिका में कुछ प्रोफेसर थे जिन्होंने 1975 से 2005 तक के वॉरेन बफेट द्वारा खरीदे गए हर स्टॉक को देखा और उनका विश्लेषण किया।

यदि आपने सार्वजनिक रूप से ज्ञात होने के बाद उस स्टॉक को महीने के अंतिम दिन अधिक कीमत पर खरीदा जो बफेट ने खरीदा था, और बफ़ेट के बेचने के बाद सार्वजनिक रूप से ज्ञात हो जाने के बाद महीने के अंतिम दिन कम दाम पर भी बेचा है तो भी अगर आपने 30 साल तक हर शेयर को इसी तरह खरीदा और बेचा, तो आप एक साल में सूचकांक को 11.5 फीसदी से हरा सकते हैं।

शेयर बाजार में करीब 5500 कंपनियां हैं। खुदरा निवेशक के लिए सभी कंपनियों या सभी उद्योगों का विश्लेषण करना संभव नहीं है।

इसलिए, क्लोनिंग को एक रणनीति के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है क्योंकि बड़े निवेशक, म्यूचुअल फंड प्रबंधकों आदि के पास अच्छे शेयरों को चुनने के लिए अच्छा ज्ञान और अच्छे संसाधन हैं।

आप वॉच लिस्ट बनाने के लिए इस प्रक्रिया का उपयोग कर सकते हैं और इसके बाद आप स्टॉकेज ऐप्प का उपयोग करके प्रमोटर, कंपनी और उद्योग का अध्ययन कर सकते हैं।

समझें IPO का पूरा गणित, ऐसे कर सकते हैं निवेश, बस निवेशकों को क्या जानना चाहिए? ध्यान रखें ये 7 बातें!

aajtak.in

वर्ष 2021 को अगर IPO का साल कहें तो कुछ गलत नहीं होगा. अभी तक मार्केट में करीब 40 से ज्यादा नए IPO लॉन्च हो चुके है, और एक बड़ी लंबी लाइन बाकी है. हालत ये है कि पिछले कुछ हफ्तों में 4 IPO तक एक साथ लॉन्च हुए. अब ऐसे में आपके मन में सवाल होगा कि इनमें निवेश कैसे करें, क्या होता है IPO का गणित, तो बस इसके लिए आपको जाननी है ये 7 बातें.
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IPO असल में क्या है?

सबसे पहले आपको ये जानना होगा कि IPO होता क्या है? देश में कई प्राइवेट कंपनियां काम कर रही हैं. इनमें कई कंपनियां परिवार या कुछ शेयर होल्डर आपस में मिलकर चलाते हैं. जब इन कंपनियों को पूंजी की जरूरत होती है तो ये खुद को शेयर बाजार में लिस्ट कराती हैं और इसका सबसे कारगर तरीका है IPO यानी Initial Public Offer जारी करना.
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IPO में आम जनता बनती है मालिक

शेयर मार्केट में लिस्ट होने के लिए प्राइवेट कंपनी जो IPO लाती है, असल में वो बड़ी संख्या में आम लोगों, निवेशकों और अन्य को कंपनी के शेयर अलॉट करती है. अगर आसान भाषा में समझें तो अब उस कंपनी का मालिक सिर्फ उसे चलाने वाला परिवार या शेयर होल्डर नहीं होते बल्कि वो सब होते हैं जिनको IPO में शेयर अलॉट होता है.
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IPO में अलॉट हुए शेयर की खरीद-फरोख्त

IPO में जो शेयर अलॉट होते हैं, वो आमतौर पर BSE या NSE जैसे स्टॉक एक्सचेंज पर लिस्ट होते हैं. जहां लोग इन शेयरों की आराम से खरीद बिक्री कर सकते हैं. अब समझते हैं कि IPO लाया कैसे जाता है और किसी निवेशक के हितों की सुरक्षा होती है.
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ऐसे लाती है कोई कंपनी IPO

कोई कंपनी अगर IPO लाने का निर्णय करती है तो उसे मार्केट रेग्युलेटर SEBI के नियमों का पालन करना होता है. इन सब नियमों पर खरा उतरने के लिए कंपनी एक मर्चेंट बैंकर नियुक्त करती है, ये बैंकर सेबी में रजिस्टर्ड होता है और वही IPO से जुड़े सारे कंप्लायंस पूरे करके फिर IPO के लिए आवेदन करता है.
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क्या होता है DRHP

जब कोई कंपनी IPO लाती है तो वो सेबी के पास आवेदन करते समय कुछ दस्तावेज जमा कराती है. इसे लोग Draft Red Herring Prospectus (DRHP) नाम से भी जानते हैं. किसी भी कंपनी के IPO का DRHP असल में उस कंपनी, उसके शेयरधारक, उसकी वित्तीय हालत, कंपनी के कामकाज, उसके कानूनी पचड़ों, उस पर कर्ज, IPO से मिलने वाले पैसे के यूज, उससे जुड़े जोखिम वगैरह की जानकारी देता है. सेबी इसका असेसमेंट करती है और अगर सब सही लगता है तभी कंपनी को IPO लाने की अनुमति मिलती है.
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अनुमति मिलने के बाद IPO में आती हैं बोलियां

सेबी से IPO लाने की मंजूरी मिलने के बाद कंपनी अपने शेयरों के लिए बोलियां मंगवाती है. इसमें अलग-अलग तरह के निवेशकों जैसे कि रिटेल, इन्स्टीट्यूशनल के लिए अलग-अलग शेयर रिजर्व रखे जाते हैं. आम तौर पर किसी भी कंपनी का IPO तीन दिन के लिए खुलता है. अब समझते हैं कि IPO में निवेश कैसे कर सकते हैं.
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IPO में निवेश के लिए चाहिए Demat Account

किसी निवेशक को अगर IPO में निवेश करना है तो सबसे पहले उसके पास एक Demat Account होना चाहिए. Demat Account आप किसी भी ब्रोकिंग फर्म से खोल सकते हैं. लेकिन एक्सपर्ट्स की राय है कि हमेशा Demat Account एक जानी-मानी ब्रोकिंग फर्म से खोलना चाहिए. अब लोगों को शेयर अलॉटमेंट पेपर फॉर्म में नहीं बल्कि Demat फॉर्म में होता है, इसलिए IPO में निवेश के लिए Demat Account होना अनिवार्य है. Demat Account में ही आपके शेयर अलॉट होते हैं.
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पेमेंट करना होता है डिजिटल

IPO में निवेश करने के लिए अब आप कोई चेक या कैश पेमेंट नहीं कर सकते हैं. आपके Demat Account से एक खाता लिंक होता है. इसी खाते से आपके IPO के सारे लेनदेन होते हैं. जब तक आपको शेयर अलॉट नहीं हो जाते तब तक खाते में उतनी रकम ब्लॉक रहती है. हर IPO के लिए कंपनी शेयर का एक इश्यू प्राइस और लॉट तय करती है. एक रिटेल इन्वेस्टर एक बार में 2 लाख तक का निवेश ही IPO में कर सकता है.
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ऐसे होते हैं शेयर अलॉट

अब अगर आपने IPO में निवेश कर दिया है तो शेयर का अलॉटमेंट IPO बंद होने के बाद होता है. IPO बंद होने के बाद सभी बिड्स का असेसमेंट होता है और अगर कोई बिड अवैध होती है तो शेयर अलॉट नहीं होता. अगर निवेशकों को क्या जानना चाहिए? किसी IPO को कुल जारी शेयर के मुकाबले कम शेयरों या उतने ही शेयरों की बोली मिलती है तो सभी इन्वेस्टर को उनकी बोली के मुताबिक शेयर अलॉट हो जाते हैं. वहीं जब कोई IPO ओवर सब्सक्राइब्ड होता है तो शेयरों का अलॉटमेंट प्रो-राटा बेस पर होता है. ये आपकी बोली से कम भी हो सकते हैं.
(निवेशकों को क्या जानना चाहिए? Photo : Getty)

Investment Tips: बढ़ती ब्याज दरों में कहां है कमाई का मौका? जानिए इक्विटी और डेट फंड के निवेशकों के लिए क्या है एक्सपर्ट की सलाह

Investment Tips: रिजर्व बैंक ने रेपो रेट बढ़ाकर 5.9 फीसदी कर दिया जो तीन सालों का उच्चतम स्तर है. अभी रेपो रेट में बढ़ोतरी जारी रहने की उम्मीद है. ऐसे में इक्विटी और डेट फंड के निवेशकों को किस स्ट्रैटिजी पर आगे बढ़ना चाहिए इसके बारे में जानते हैं.

Investment Tips: आज एकबार फिर से रिजर्व बैंक ने रेपो रेट में 50 बेसिस प्वाइंट्स की बढ़ोतरी की है. अब रेपो रेट बढ़कर 5.90 फीसदी पर पहुंच गया जो तीन सालों का उच्चतम स्तर है. गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि अभी महंगाई की चिंता बनी रहेगी. ऐसे में निवेशकों को अपने पोर्टफोलियो को बैलेंस करना जरूरी है. अगर आपका पोर्टफोलियो 7 फीसदी से ज्यादा रिटर्न नहीं दे रहा है तो नेट आधार पर आपको नुकसान हो रहा है. अभी निवेश और पोर्टफोलियो को लेकर क्या स्ट्रैटिजी होनी चाहिए इसके बारे में मिराए एसेट की सेल्स प्रमुख सुरंजना बोरठाकुर और मॉर्निंगस्टार की सीनियर ऐनालिस्ट कविता कृष्णन ने जी बिजनेस से खास बातचीत में निवेशकों को बहुमूल्य टिप्स दिए हैं. आइए इसके बारे में जानते हैं.

हर हाल में पोर्टफोलियो डायवर्सिफाई रखें

जब आप अपना पोर्टफोलियो तैयार करते हैं तो इसे डायवर्सिफाई रखने की सलाह दी जाती है. इससे रिस्क घटता है. एक्सपर्ट ने कहा कि अपने पोर्टफोलियो में सभी एसेट क्लास को शामिल करें. इस स्ट्रैटिजी को कभी भूलना नहीं चाहिए. इस समय शेयर बाजार में हलचल है. ऐसे में इक्विटी के मुकाबले डेट एसेट स्थिर है. अगर इक्विटी में ज्यादा उथल-पुथल है और इकोनॉमी में अनिश्चितता की स्थिति बनती है तो गोल्ड की तरफ रुख करना चाहिए.

डेट फंड के निवेशकों को क्या करना चाहिए?

महंगाई चरम पर होने के कारण रेपो रेट में अभी बढ़ोतरी जारी रहेगी. एक्सपर्ट ने कहा कि इंट्रेस्ट रेट में बढ़ोतरी से डेट फंड्स पर नेगेटिव असर होता है. ऐसे में अभी डेट फंड से संभल कर रहें. अगर आपका नजरिया लंबी अवधि के निवेश का है तो डेट फंड से बचें. अगर इसमें निवेश करना ही है तो पोर्टफोलियो में लिक्विड औप अल्ट्रा शॉर्ट ड्यूरेशन फंड को शामिल कर सकते हैं. अगर मीडियम टर्म के निवेशक हैं तो डायनमिक बॉन्ड फंड सही विकल्प है. इंट्रेस्ट रेट में बढ़ोतरी से बैंकिंग सेक्टर को फायदा होगा. ऐसे में बैंकिंग और पब्लिक सेक्टर अंडरटेकिंग्स (PSU) बॉन्ड फंड में निवेश करने की सलाह दी गई है.

इक्विटी फंड के निवेशकों को क्या करना चाहिए?

शेयर बाजार का भविष्य अभी धुंधला है. ग्लोबल ब्रोकरेज फर्म CLSA ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि निफ्टी इंडेक्स में 30 फीसदी तक भारी करेक्शन आ सकता है. इसका कहना है कि इंडियन बॉन्ड और इक्विटी मार्केट अपने ग्लोबल पीयर्स से अलग चल रहा है. अगर इतनी बड़ी गिरावट की आशंका जताई गई है तो निवेशकों को क्या करना चाहिए यह बड़ा सवाल है? एक्सपर्ट्स ने बातचीत में कहा कि इक्विटी में लंबी अवधि के निवेश से फायदा होगा. शेयर बाजार में म्यूचुअल फंड की मदद से निवेश करें और SIP पर फोकस होना चाहिए. SIP महंगाई को मात देने में भी कारगर है और वोलाटिलिटी से भी पोर्टफोलियो को बचाएगा.

'निवेशकों को बाजार में उतार-चढ़ाव से घबराना नहीं चाहिए'

निवेशकों को बाजार-में उतार चढ़ाव से कभी घबराना नहीं चाहिए। अगर मुनाफा कमाना है, तो धैर्य रखकर दोनों ही परिस्थितयों में निवेशरत रहना चाहिए।

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पिछले कुछ हफ्तों में कई स्मॉल और मिड कैप शेयरों ने अपने निचले स्तरों से वापसी की है। कुछ लार्ज कैप शेयरों में भी पॉजिटिव मोमेंटम दिखा है। विदेशी संस्थागत निवेशक काफी पैसा लगा रहे हैं। ग्लोबल सेंटीमेंट पहले कमजोर था, जो अब संभलता दिख रहा है। चीन के प्रति अमेरिका का रुख नरम हुआ है। तमाम देशों में मॉनेटरी पॉलिसी में सख्ती के बजाय नरमी का रुझान दिख रहा है। इसी वजह से निवेश में बढ़ोतरी हो रही है। अभी चुनाव की चर्चा है। निवेशक इसके नतीजे के इंतजार में हैं। निवेशकों को क्या जानना चाहिए? माना जा रहा है कि मौजूदा सरकार के खिलाफ बना रुझान पलट गया है।

आउटलुक कैसा दिख रहा है?

कोर फंडामेंटल्स या अर्निंग्स ग्रोथ से बात बनेगी। 2018-19 के पहले नौ महीनों में प्रॉफिटेबिलिटी में डबल डिजिट ग्रोथ रही है। साथ ही, कुछ सेक्टरों में नरमी भी दिखी है। ऑटोमोबाइल्स और एनबीएफसी के सामने कुछ चुनौतियां हैं। ये हालांकि अस्थायी हैं। चुनाव हो जाने पर फोकस फिर फंडामेंटल्स पर आएगा। मौजूदा उथल-पुथल को शेयरों में चुनिंदा तौर पर निवेश के मौके के रूप में देखा जाना चाहिए।

क्या मिड और स्मॉल कैप शेयरों में टर्नअराउंड सस्ते वैल्यूएशन के कारण आया है और यह फंडामेंटल्स पर आधारित नहीं है?

स्मॉल और मिड कैप कंपनियों की अर्निंग्स ग्रोथ इस वित्त वर्ष के पहले नौ महीनों में दमदार रही है। फंडामेंटल्स में सुधार हुआ है। ऐसा नहीं है कि गिरावट से वैल्यूएशन आकर्षक हो जाने के कारण भाव चढ़े हैं। फंडामेंटल्स का भी योगदान रहा है। यह टर्नअराउंड तभी कायम रहेगा, जब कंपनियों का मुनाफा ठीकठाक बढ़ेगा।

क्या मिड और स्मॉल कैप्स में मौजूदा तेजी 2014 के चुनाव से पहले दिखी रैली की तरह है?

2014 से पहले ऊंची इंफ्लेशन और ज्यादा डेफिसिट के कारण परेशानी की स्थिति थी। अभी काफी बेहतर हालात हैं। मजबूत सरकार और रिफॉर्म्स के कारण इकनॉमिक ग्रोथ तेज होने की उम्मीद पर यह रैली आई। मोटे तौर पर ग्रोथ निराशाजनक रही है। ऐसा नीतियों के कारण नहीं, बल्कि बड़े रिफॉर्म्स के कारण हुआ है। जीएसटी जैसे रिफॉर्म्स से इकनॉमी को तालमेल बैठाने में समय लगता है। अब यहां से ग्रोथ की साफ राह दिखेगी।

क्या निवेशकों को क्या जानना चाहिए? मिड और स्मॉल कैप्स में गिरावट के समय आपने इनमें निवेश रोकने पर विचार किया था?

वैल्यूएशन जब ऊंचे स्तरों पर थे, तो हमने डीएसपी स्मॉल कैप फंड में सब्सक्रिप्शंस रोक दिए थे। निवेशकों की गाढ़ी कमाई के प्रति हमारी फिड्यूसरी रिस्पॉन्सिबिलिटी है। इनमें से किसी भी सेगमेंट में अगर बड़ी गिरावट आए और अवसर दिखें तो हम बढ़-चढ़कर पैसा जुटा सकते हैं। एसआईपी सब्सक्रिप्शन के लिए हमने फंड खोल दिया है, लेकिन एकमुश्त निवेश के लिए यह अब भी बंद है। हमारा मानना है कि निवेश करने लायक शेयरों में ज्यादा गिरावट नहीं आई है। अगर निवेश लायक अच्छी कंपनियों के शेयरों में गिरावट आए तो निवेशकों के लिए बढ़िया मौका बनेगा। हम अपने पोर्टफोलियो कंसॉलिडेट करने की कोशिश कर रहे हैं। पिछड़ रहे शेयरों को हटा दिया गया है और दमदार शेयरों में एलोकेशन बढ़ाया गया है। मिड कैप फंड का आकार 65 शेयरों से घटकर 50 शेयरों पर आ गया है। इसी तरह स्मॉल कैप फंड में अब 88 के बजाय 75 शेयर हैं।

पिछले एक-दो साल में मिड कैप फंड्स में एसआईपी शुरू करने वाले कई लोगों के लिए नेगेटिव रिटर्न की स्थिति बन गई है। आप क्या सलाह दे रहे हैं?

इक्विटीज में निवेश का सफर ऐसा ही है। बाजार में तेजी होने पर निवेशक ज्यादा निवेश करते हैं और मार्केट डाउन होने पर पैसा निकालने लगते हैं। इक्विटी से लंबी अवधि में बेहतर रिटर्न मिलता है। हमारे स्मॉल कैप फंड ने 2008-13 के बीच पांच वर्षों में रिटर्न जेनरेट नहीं किया था। हालांकि सालभर के भीतर ही इसने भरपाई कर ली। अगर निवेशकों ने एक साल इंतजार किया होता तो उन्हें पिछले पांच वर्षों का इनाम मिल गया होता। मुश्किल दौर में निवेशक का मिजाज बदलना नहीं चाहिए।

अच्छे स्मॉल कैप शेयर तलाशते वक्त आप किन चीजों को प्राथमिकता देते हैं?

यह कैटेगरी ऐसी है कि सावधानी हटी, दुर्घटना घटी। तो हमें यह ध्यान रखना होता है कि गलती कम से कम हो। इस सेगमेंट में चुनने जितनी ही अहम बात परे हटाने की है। हम भी मुश्किल में फंसे हैं, लेकिन सोच यही है कि ऐसा कम से कम हो। कुछ शेयरों में अपने निवेश पर हमें नुकसान हुआ, लेकिन अपने गहन विश्लेषण के जरिए हम कई अन्य से बचे भी रहे।

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