सीबीआई ने इंटरपोल अधिकारी बताकर लोगों को ठगने वाले दो व्यक्तियों को गिरफ्तार किया

नयी दिल्ली, 28 सितंबर (भाषा) केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने पश्चिमी दिल्ली में अवैध रूप से एक कॉल सेंटर चलाने वाले दो व्यक्तियों को गिरफ्तार किया है जो कथित तौर पर खुद को इंटरपोल और यूरोपोल का अधिकारी बताकर विदेशी नागरिकों को ठगते थे। अधिकारियों ने बुधवार को यह जानकारी दी।

सीबीआई द्वारा दर्ज प्राथमिकी में कहा गया कि शादीपुर की संकरी गलियों में जयवीर शर्मा नामक एक व्यक्ति कॉल सेंटर चलाता था। प्राथमिकी में कहा गया कि आरोपी विदेशी नागरिकों के सामने खुद को इंटरपोल और यूरोपोल का अधिकारी बताते थे।

तलाशी के दौरान सीबीआई को चार क्रिप्टोकरेंसी वालेट मिले जिनमें कुल 1.30 करोड़ रुपये थे। इसमें ई-वालेट में बिटकॉइन और अन्य क्रिप्टो करेंसी शामिल थी। अधिकारियों ने कहा कि ठगी, विदेशी नागरिकों से पैसों की उगाही और अवैध कॉल सेंटर जैसे मामलों में विजय और विशाल को गिरफ्तार किया गया है।

उन्होंने कहा कि आरोपी लोगों से कहते थे कि उनकी पहचान से संबंधित जानकारी चुरा ली गई है और धन शोधन तथा मादक पदार्थों की तस्करी जैसे अपराधों के लिए उसका इस्तेमाल किया जा रहा है।

इसके बाद आरोपी यह कहकर उन्हें धमकाते थे कि उनके विरुद्ध गिरफ्तारी का वारंट जारी हो गया है और वे गिरफ्तार किये जा सकते हैं।

अधिकारियों ने कहा कि आरोपी पीड़ितों से कहते थे कि गिरफ्तारी से बचने के लिए उन्हें बैंक खातों, क्रिप्टो वालेट या गिफ्ट कार्ड आदि में पैसे जमा कराने होंगे। इस प्रकार पीड़ित भय के कारण गिफ्ट कार्ड आदि खरीद लेते थे।

आरजीएफ,आरजीसीटी का पंजीकरण रद्द करने के विरुद्ध होगी कानूनी लड़ाई: कांग्रेस

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कांग्रेस संचार विभाग के प्रमुख जयराम रमेश ने रविवार देर रात यहां जारी बयान में कहा कि दीपावली से ठीक पहले गृह मंत्रालय ने आरजीएफ और आरजीसीटी दोनों का पंजीकरण रद्द कर दिया है। फाउंडेशन और चैरिटेबल ट्रस्ट के विरुद्ध सरकार ने घिसे-पिटे आरोपों को दोहराने का काम मुद्दों से जनता का ध्यान भटकाने के मकसद से किया है। सरकार बढ़ती कीमतों, बढ़ती बेरोजगारी और औंधे मुंह गिरते रुपए के कारण गहरे संकट से घिरी अर्थव्यवस्था की स्थिति पर जनता के गुस्से को समझती है। इसलिए मुद्दों से भटकाने का काम कर रही है।

उन्होंने कहा कि आरजीएफ को 1991 में पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या के बाद भारतीयों और अन्य राष्ट्रों के बीच सद्भावना का सृजन करने,आईटी और दूरसंचार सहित विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी का उपयोग करके भारत का समावेशी और सतत विकास करने तथा पंचायत, जिला और नगरपालिका स्तर पर महिलाओं, युवाओं और स्थानीय स्वशासन का सशक्तिकरण कर हिंसा तथा बाढ़, सूखा जैसी प्राकृतिक आपदाओं से प्रभावित लोगों विशेषकर विकलांग लोगों को राहत प्रदान करने के मकसद से किया गया था। आरजीएफ ने देश के विभिन्न भागों इन विचारों को बढ़ावा देने के लिए सक्रिय है जिससे लाखों लोग लाभान्वित हुए हैं।

श्री रमेश ने कहा कि इसी तरह से आरजीसीटी उत्तर प्रदेश, हरियाणा और राजस्थान के सबसे गरीब क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करते हुए काम करता है। आरजीसीटी को 2002 में एक पेशेवर रूप से प्रबंधित, गैर-लाभकारी संस्था के रूप में पंजीकृत किया गया था। ट्रस्ट ने उत्तर प्रदेश में महिलाओं के आर्थिक और सामाजिक सशक्तिकरण की दिशा में काम करने के लिए 2002 में राजीव गांधी महिला विकास परियोजना शुरू की, जिसके अंतर्गत एक 'समूह-आधारित' सामाजिक सशक्तिकरण प्रक्रिया का अनुपालन किया गया और प्रभावित क्षेत्रों के 20 लाख से अधिक गरीब परिवारों के जीवन में सुधार किया। इंदिरा गांधी नेत्र अस्पताल और अनुसंधान केंद्र ने लगभग 40 लाख रोगियों को व्यापक और गुणवत्तापूर्ण नेत्र चिकित्सा प्रदान की है, जिसमें 4.5 लाख से अधिक दृष्टि बहाल करने वाली सर्जरी भी शामिल है।

उन्होंने कहा कि इन संस्थाओं ने सभी कानूनों और विनियमों का पूरी तरह से पालन किया है और इनका हर वर्ष ऑडिट होता क्रिप्टोकरेंसी का उपयोग करके ICO घोटाले से कैसे बचें है। आरोपों का समुचित प्रत्युत्तर देकर पंजीकरण रद्द करने के विरुद्ध कानूनी करवाई की जाएगी।

Panipat: क्रिप्टोकरेंसी पर निवेश करना पड़ा महंगा, ठगे 2.09 करोड़ रुपये विदेशी लड़की

Panipat: क्रिप्टोकरेंसी पर निवेश करना पड़ा महंगा, ठगे 2.09 करोड़ रुपये विदेशी लड़की

अकुल ने कहा कि बार-बार रुपये मांगने पर उसे ठगी का अहसास हुआ। इसके बाद उसने अपने पिता से पूरे मामले के बारे में बताया। पिता ने कहा कि उसके साथ ठगी हुई है। अकुल ने पिता के साथ मिलकर साइबर थाना पुलिस को शिकायत दी। शिकायत पर पुलिस ने रिपोर्ट दर्जकर मामले की जांच शुरू कर दी है। हरियाणा के पानीपत में क्रिप्टो करेंसी के नाम पर 2.09 करोड़ रुपये की ठगी का मामला सामने आया है। यहां मॉडल टाउन निवासी युवक से विदेशी लड़की ने क्रिप्टोकरेंसी में निवेश कर मुनाफा कमाने का झांसा दिया और करोड़ों रुपये का चूना लगा दिया। युवक ने पहले निवेश पर 375 रुपये का फायदा हुआ तो उसने 1.22 करोड की रकम निवेश कर दी। इस पर उसको 4.70 करोड़ का प्रॉफिट हुआ लेकिन वह खाते में ट्रांसफर नहीं हुआ। ट्रांसफर से पहले युवक से 1.30 करोड़ का टैक्स मांगा गया। युवक ने 80 लाख रुपये टैक्स दिया लेकिन फिर भी रुपये खाते में नहीं पहुंचे। आरोपी ने और रुपयों की मांग की तो उसे ठगी का अहसास हुआ और पिता के साथ मिलकर पुलिस को शिकायत दी। साइबर थाना पुलिस को दी शिकायत में मॉडल टाउन निवासी अकुल ने बताया कि उसकी 14 जुलाई 2022 को इंस्टाग्राम पर आइलीन नामक महिला से बातचीत हुई। बातचीत के क्रिप्टोकरेंसी का उपयोग करके ICO घोटाले से कैसे बचें दौरान दोनों ने एक-दूसरे के मोबाइल नंबर ले लिए। फोन पर हुई बातचीत के दौरान महिला ने उसे क्रिप्टोकरेंसी में निवेश करने को कहा।

युवती ने निवेश के लिए व्हाट्सएप पर एक लिंक भेजा। लिंक पर क्लिक करने के बाद ऐप स्टोर से कॉइनबेस एप डाउनलोड की। आइलीन ने उसे ऐप के इस्तेमाल के बारे में बताया। अकुल ने ऐप के जरिए 23 जुलाई 2022 को 8500 रुपये का निवेश किया। इस पर उसे 8875 रुपये का लाभ मिला, जो खाते में भी आ गया।

अकुल ने बताया कि 26 जुलाई 2022 को उसने 99852 रुपये का और निवेश किया। आइलीन के कहने क्रिप्टोकरेंसी का उपयोग करके ICO घोटाले से कैसे बचें पर उसने अलग-अलग बैंक खाते, पेटीएम अकाउंट से रुपये ट्रांसफर किए। क्रिप्टोकरेंसी का उपयोग करके ICO घोटाले से कैसे बचें उसने करीब एक करोड़ 22 लाख रुपये का निवेश किया। जब वह राशि अपने बैंक खाते में ट्रांसफर करने लगा तो उसे चार करोड़ 70 लाख रुपये का लाभ दिखाया। साथ ही टैक्स पेय करने का नोटिस भेजा। उस टैक्स की रकम एक करोड़ 30 लाख रुपये थी। इस एवज में उसने 86 लाख रुपये आइलीन के खाते में जमा करवा दिया। इसके बाद कहा गया कि जब तक पूरा टैक्स नहीं भरोगे तब तक पैसा वापस नहीं मिलेगा।

ठगी का अहसास होने पर पिता को बताई आपबीती
अकुल ने कहा कि बार-बार रुपये मांगने पर उसे ठगी का अहसास हुआ। इसके बाद उसने अपने पिता से पूरे मामले के बारे में बताया। पिता ने कहा कि उसके साथ ठगी हुई है। अकुल क्रिप्टोकरेंसी का उपयोग करके ICO घोटाले से कैसे बचें ने पिता के साथ मिलकर साइबर थाना पुलिस को शिकायत दी। शिकायत पर पुलिस ने रिपोर्ट दर्जकर मामले की जांच शुरू कर दी है।

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