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डेली अपडेट्स

सार्क मुद्रा विनिमय ढाँचा | 09 Dec 2022 | प्रारंभिक परीक्षा

हाल ही में भारतीय रिज़र्व बैंक (Reserve Bank of India- RBI) ने सार्क करेंसी स्वैप फ्रेमवर्क के तहत मालदीव मौद्रिक प्राधिकरण (Maldives Monetary Authority- MMA) को 200 मिलियन अमेरिकी डॉलर की मुद्रा विनिमय सुविधा तक विस्तार करने के लिये एक समझौते पर हस्ताक्षर किये हैं।

मुद्रा विनिमय ढाँचा:

  • करेंसी स्वैप अथवा मुद्रा विनिमय का आशय दो देशों के बीच पूर्व निर्धारित नियमों और शर्तों के साथ मुद्राओं के आदान-प्रदान हेतु किये गए समझौते या अनुबंध से है।
  • वर्तमान संदर्भ में, यह सुविधा अल्पकालिक विदेशी मुद्रा तरलता आवश्यकताओं के लिये वित्त पोषण के वैकल्पिक स्रोत के रूप में स्वैप सुविधा प्रदान करता है।
    • वर्ष 2020 में, RBI ने श्रीलंका के साथ 400 मिलियन अमेरिकी डॉलर की मुद्रा विनिमय व्यवस्था पर हस्ताक्षर किये।
    • विनिमय दर जोखिम, जिसे मुद्राजोखिम के रूप में भी जाना जाता है, का आशय विदेशी मुद्रा के विरुद्ध मूल मुद्रा के मूल्य में उतार-चढ़ाव से उत्पन्न होने वाले वित्तीय जोखिम से है।

    सार्क के लिये स्वैप सुविधाओं हेतु रिज़र्व बैंक की रूपरेखा:

      15 नवंबर, 2012 को लागू हुई थी।
    • भारतीय रिज़र्व बैंक 2 बिलियन अमेरिकी डॉलर के समग्र कोष के भीतर एक स्वैप व्यवस्था की पेशकश करता है।
    • स्वैप व्यवस्था का उपयोग अमेरिकी डॉलर, यूरो या भारतीय रुपए में किया जा सकता है। यह रूपरेखा भारतीय रुपए में स्वैप निकासी के लिये कुछ रियायत भी प्रदान करती है।
    • यह सुविधा सभी सार्क सदस्य देशों के लिये उपलब्ध होगी, बशर्ते उन्हें द्विपक्षीय स्वैप समझौतों पर हस्ताक्षर करना होगा।

    दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन

    • स्थापना: दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (The South Asian Association for विदेशीमुद्रातरलता Regional Cooperation-SAARC) की स्थापना 8 दिसंबर,1985 को ढाका में सार्क चार्टर पर हस्ताक्षर के साथ की गई थी।
    • सदस्य देश: अफगानिस्तान, बांग्लादेश, भूटान, भारत ,मालदीव ,नेपाल, पाकिस्तान,श्रीलंका
    • सचिवालय: काठमांडू (नेपाल)
    • उद्देश्य: इस क्षेत्र में आर्थिक वृद्धि, सामाजिक प्रगति, सांस्कृतिक विकास में तेज़ी लाना और सभी व्यक्तियों को गरिमापूर्ण जीवन जीने का अवसर प्रदान करना तथा उनकी क्षमताओं का आकलन करना।

    UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्न

    प्रश्न. भारत के संदर्भ में, मुद्रा संकट के जोखिम को कम करने में निम्नलिखित में से किस/किन कारक/कारकों का योगदान है?(2019)

    डेली अपडेट्स

    मुद्रास्फीति दर: बाज़ार मुद्रास्फीति में परिवर्तन मुद्रा विनिमय दरों में परिवर्तन का कारण बनता है। उदाहरण के लिये दूसरे देश की तुलना में कम मुद्रास्फीति दर वाले देश की मुद्रा के मूल्य में वृद्धि देखी जाती है।

      इसमें निर्यात, आयात, ऋण आदि सहित कुल लेन-देन शामिल हैं।

    उत्पादों के आयात पर अपने विदेशी मुद्रा कोअधिक खर्च करने के कारण चालू खाते में विदेशीमुद्रातरलता घाटा, निर्यात की बिक्री से होने वाली आय से मूल्यह्रास का कारण बनता है और यह किसी देश की घरेलू मुद्रा की विनिमय दर में उतार-चढ़ाव को बढ़ावा देता है।

    सरकारी ऋण: सरकारी ऋण केंद्र सरकार के स्वामित्व वाला ऋण है। बड़े सरकारी कर्ज वाले देश में विदेशी पूंजी प्राप्त करने की संभावना कम होती है, जिससे मुद्रास्फीति बढ़ जाती है।

    इस मामले में,विदेशी निवेशक अपने बॅाण्ड की विक्री खुले बाज़ार में करेंगे, यदि बाज़ार किसी निश्चित देश के भीतर सरकारी ऋण का अनुमान लगाता है। परिणामतः इसकी विनिमय दर के मूल्य में कमी आएगी।

    UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न

    प्रिलिम्स:

    प्रश्न. भुगतान सन्तुलन के संदर्भ में निम्नलिखित में से किससे/किनसे चालू खाता बनता है? (2014)

    1. व्यापार संतुलन
    2. विदेशी संपत्ति
    3. अदृश्य का संतुलन
    4. विशेष आहरण अधिकार

    नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

    (a) केवल 1
    (b) केवल 2 और 3
    (c) केवल 1 और 3
    (d) केवल 1, 2 और 4

    उत्तर: (c)

    व्याख्या:

    • भुगतान संतुलन (BoP) दो मुख्य पहलुओं से बना है: चालू खाता और पूंजी खाता।
    • BoP का चालू खाता वस्तुओं, सेवाओं, निवेश आय और हस्तांतरण भुगतानों के प्रवाह व बहिर्वाह को मापता है। सेवाओं में व्यापार (अदृश्य); माल के रूप में व्यापार (दृश्यमान); एकतरफा स्थानांतरण; विदेशों से प्रेषण; अंतर्राष्ट्रीय सहायता चालू खाते के कुछ मुख्य घटक हैं। जब सभी वस्तुओं और सेवाओं को संयुक्त किया जाता है, तो वे एक साथ मिलकर किसी देश का व्यापार संतुलन (BoT) को दर्शाता है। अतः कथन 1 और 3 सही हैं।
    • BoP का पूंजी खाता किसी देश के निवासियों और बाकी दुनिया के बीच उन सभी लेनदेन को रिकॉर्ड करता है, जो देश के निवासियों या उसकी सरकार की संपत्ति या देनदारियों में बदलाव का कारण बनते हैं
    • निजी अथवा सार्वजनिक क्षेत्रों द्वारा ऋण और उधार; निवेश; विदेशी मुद्रा भंडार में परिवर्तन पूंजी खाते के घटकों के कुछ उदाहरण हैं। अतः कथन 2 और 4 सही नहीं हैं। इसलिये विकल्प (c) सही उत्तर है।

    मेन्स:

    प्रश्न.भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास के लिये प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की आवश्यकता का औचित्य सिद्ध कीजिये। हस्ताक्षरित समझौता ज्ञापनों और वास्तविक एफडीआई के बीच अंतर क्यों है? भारत में वास्तविक एफडीआई बढ़ाने के लिये उठाए जाने वाले उपचारात्मक कदमों का सुझाव दीजिये।

    रिजर्व बैंक ने विदेशी मुद्रा प्रवाह से जुड़े मानकों को उदार बनाया

    मुंबई, छह जुलाई (भाषा) अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपये के मूल्य में गिरावट को थामने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने बुधवार को विदेशी मुद्रा प्रवाह से संबंधित मानकों को उदार बनाने के साथ ईसीबी (विदेशों से वाणिज्यिक उधारी) मार्ग के तहत बाह्य उधारी सीमा दोगुनी कर दी। आरबीआई ने वित्तीय बाजारों के बंद होने के बाद शाम को जारी एक बयान में इन कदमों की घोषणा की। उसने कहा कि पोर्टफोलियो निवेश को छोड़कर बाकी सभी पूंजी प्रवाह स्थिर बना हुआ है और विदेशी मुद्रा का समुचित भंडार होने से बाहरी झटकों को झेलने की सुरक्षा भी मिलती है।

    आरबीआई ने वित्तीय बाजारों के बंद होने के बाद शाम को जारी एक बयान में इन कदमों की घोषणा की। उसने कहा कि पोर्टफोलियो निवेश को छोड़कर बाकी सभी पूंजी प्रवाह स्थिर बना हुआ है और विदेशी मुद्रा का समुचित भंडार होने से बाहरी झटकों को झेलने की सुरक्षा भी मिलती है।

    देश का विदेशी मुद्रा भंडार 24 जून को 593.3 अरब डॉलर था।

    रिजर्व बैंक ने बयान में कहा, ‘‘विदेशी मुद्रा बाजार में व्याप्त अस्थिरता कम करने और वैश्विक झटके को झेलने के लिए विदेशी मुद्रा वित्तपोषण के स्रोतों के विस्तार और विविधीकरण करने के लिए पांच कदम उठाने का फैसला लिया गया है।’’

    इन कदमों में ऋण बाजार में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) के निवेश मानकों को सरल करना और एक वित्त वर्ष में स्वचालित मार्ग से ईसीबी सीमा को 75 करोड़ डॉलर से बढ़ाकर 1.5 अरब डॉलर करना शामिल है।

    ईसीबी व्यवस्था के तहत सभी तरह की लागत की सीमा को भी एक प्रतिशत अंक बढ़ाया जा रहा विदेशीमुद्रातरलता है, बशर्ते कि उधारकर्ता निवेश स्तर की रेटिंग रखता हो। यह व्यवस्था 31 दिसंबर, 2022 तक उपलब्ध रहेगी।

    रिजर्व बैंक ने यह कदम चालू वित्त वर्ष में अबतक डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत में आ चुकी 4.1 प्रतिशत की गिरावट को देखते हुए उठाया है। हालांकि, केंद्रीय बैंक ने कहा कि रुपये में आई यह गिरावट उभरती अर्थव्यवस्थाओं के साथ-साथ कुछ विकसित अर्थव्यवस्थाओं की भी तुलना में ठीक है।

    आरबीआई विदेशी मुद्रा बाजार में तरलता की स्थिति पर लगातार नजर रखे हुए है। मौजूदा समय में डॉलर की तंगी को दूर करने के लिए अपने सभी खंडों में जरूरत पड़ने पर उसने दखल दिया है। यह कदम बाजार के व्यवस्थित संचालन को सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया है।

    रिजर्व बैंक के नए कदमों के तहत प्रवासी भारतीयों की विदेशी जमाओं पर बैंकों की तरफ से दी जाने वाली ब्याज दर की सीमा फिलहाल हटा ली गई है। यह छूट अक्टूबर के महीने तक लागू रहेगी।

    आरबीआई ने बैंकों से कहा है कि एनआरई जमाओं पर दी जाने वाली ब्याज दरें समरूप घरेलू रुपये सावधि जमाओं पर दी जा रही ब्याज दर से अधिक नहीं होंगी। बैंकों को एनआरई सावधि जमाओं पर नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) और सांविधिक तरलता अनुपात (एसएलआर) संबंधी प्रावधानों से भी रियायत दी गई है।

    इसके अलावा केंद्रीय बैंक ने विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) के सरकारी प्रतिभूतियों एवं कॉरपोरेट बांड में निवेश को आकर्षित करने के लिए भी कुछ अहम कदमों की घोषणा की। उसने सात साल एवं 14 वर्ष की अवधि वाली नई-पुरानी सभी सरकारी प्रतिभूतियों को पूर्ण सुगम्य मार्ग (एफएआर) के तहत विशिष्ट प्रतिभूति का दर्जा देने का फैसला किया है।

    एक अन्य राहत सरकारी प्रतिभूतियों एवं कॉरपोरेट ऋण में एफपीआई निवेश के लिए अधिक कारगर अल्पावधि सीमा मानकों के संदर्भ में दी गई है। अक्टूबर, 2015 में लागू हुए ये मानक 31 अक्टूबर तक लागू नहीं होंगे।

    आरबीआई ने यह भी कहा कि एफपीआई सरकारी प्रतिभूतियों एवं कॉरपोरेट बांड जैसे निवेश साधनों की परिपक्वता अवधि बीतने और बिक्री के बाद भी निवेश जारी रख सकते हैं।

    इसके साथ ही आरबीआई ने विदेशी मुद्रा बाजार तक सीधी पहुंच नहीं रखने वाले उधारकर्ताओं के बड़े समूह को विदेशी मुद्रा उधार लेने की सुविधा भी मुहैया कराई है। ऐसी उधारी जुटाने की छूट भी 31 अक्टूबर, 2022 तक उपलब्ध रहेगी।

    भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा विदेशी मुद्रा विनिमय के माध्यम से ताजा तरलता संचार घोषित किया गया

    भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने पहली बार प्रणाली में तरलता बढ़ाने के लिए एक नए टूल का उपयोग करने का निर्णय लिया है, जिसके उपयोग से यह बैंकों से 5 बिलियन डॉलर की स्वैप डील में खरीदेगा जो कि प्रणाली में लगभग 35,000 करोड़ रूपये प्रदान करने में सक्षम है.

    बैंकों को 3 वर्षके बाद RBI से वापस खरीदने की शर्त के साथ RBI के पास डॉलर फंड जमा करना होगा. नीलामी के लिए न्यूनतम बोली का आकार 25 मिलियन $ तय किया गया है और बैंकों द्वारा कई बोली प्रस्तुत करने की अनुमति दी जाएगी. हालाँकि, एकल पात्र संस्था द्वारा प्रस्तुत बोलियों की कुल राशि नीलामी की अधिसूचित राशि से अधिक नहीं होनी चाहिए.

    TOPICS:विदेशीमुद्रातरलता

    • तेलंगाना सरकार.
    • RBI मौद्रिक नीति: .
    • बीएसई को अपने प�.
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    • विश्व बैंक ने 2022.
    • OECD ने चालू वित्त.
    • सरकार ने एनडीडीबी के प्रबंध निदेशक के रूप में मीनेश सी शाह को नियुक्त किया
    • फेडरल रिजर्व की प्रथम उपाध्यक्ष बनीं भारतीय मूल की सुष्मिता शुक्ला
    • ताइवान में 24 घंटे की अल्ट्रा मैराथन में एयर वॉरियर कॉर्पोरल अमर सिंह देवंदा ने छठा विदेशीमुद्रातरलता स्थान हासिल किया
    • अशोक लेलैंड ने नियुक्त किया नया MD and CEO
    • विश्व बैंक की प्रमुख जेंडर टूलकिट लॉन्च की गई
    • भारत सरकार आवास परियोजनाओं को पूरा करने के लिए स्वामी फंड में 5000 करोड़ रुपये का निवेश किया
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    विदेशी मुद्रा कानूनों के उल्लंघनकर्ताओं के खिलाफ कार्रवाई करेगा श्रीलंका

    Sri Lanka

    कोलंबो: सेंट्रल बैंक ऑफ श्रीलंका (सीबीएसएल) ने चेतावनी दी है कि विदेशी मुद्रा लेनदेन पर सभी नियमों का पालन नहीं करने वाली कंपनियों और व्यक्तियों को कड़ी से कड़ी सजा दी जाएगी, विदेशीमुद्रातरलता स्थानीय मीडिया ने सोमवार को इसकी सूचना दी।

    समाचार एजेंसी शिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, सीबीएसएल ने कहा कि देश में मौजूदा संकट में योगदान देने वाला एक प्रमुख कारक बैंकिंग प्रणाली में विदेशी मुद्रा तरलता की कमी है।

    बैंकिंग प्रणाली में पर्याप्त विदेशी मुद्रा तरलता सुनिश्चित करने के लिए केंद्रीय बैंक को निर्यात आय पर समर्पण आवश्यकताओं को लागू करना पड़ा।

    बैंक ने कहा, इन नियामक उपायों की सफलता और इच्छित परिणामों को प्राप्त करने की क्षमता व्यापारिक समुदाय और बैंकिंग प्रणाली के समर्थन और सहयोग पर निर्भर करती है। हालांकि, यह सीबीएसएल के ध्यान में लाया गया है कि कुछ बाजार खिलाड़ी इन नियमों का पूरी तरह से अनुपालन नहीं कर रहे हैं।

    इस तरह की प्रथा, अगर जारी रहती है, तो मुश्किल समय में सरकार से अपेक्षित समर्थन से लोगों को वंचित कर देगी, जबकि समान बोझ बंटवारे के नैतिक दायित्व को कम कर देगी, जो कठिन और असाधारण परिस्थितियों में सभी हितधारकों से अपेक्षित है।

    इन घटनाओं को देखते हुए और राष्ट्र के सर्वोत्तम हित में सीबीएसएल ने अर्थव्यवस्था के सभी हितधारकों को चेतावनी दी कि विदेशी मुद्रा लेनदेन पर सभी नियमों की कड़ाई से निगरानी और अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए सभी प्रयास किए जाएंगे।

    यह कहा, गैर-अनुपालन के किसी भी उदाहरण से सभी लागू कानूनों के प्रावधानों के तहत कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

    श्रीलंका गंभीर आर्थिक संकट से गुजर रहा है और विदेशी भंडार की कमी के कारण आवश्यक वस्तुओं का आयात नहीं हो पा रहा है।

    डिस्क्लेमरः यह आईएएनएस न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ न्यूज नेशन टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज एजेंसी की ही होगी.

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