2 साल के निचले स्तर पर विदेशी मुद्रा भंडार, डॉलर के आगे रेंग रहा रुपया, आप पर क्या असर?
डॉलर के मुकाबले भारतीय करेंसी रुपया ने पहली बार 81 के स्तर को पार किया है। शुक्रवार को कारोबार के दौरान गिरावट ऐसी रही कि रुपया 81.23 के स्तर तक जा पहुंचा था। हालांकि, बाद में मामूली रिकवरी दिखी।
अमेरिका के सेंट्रल बैंक फेड रिजर्व द्वारा ब्याज दर बढ़ाए जाने के बाद भारतीय करेंसी रुपया एक बार फिर रेंगने लगा है। इस बीच, विदेशी मुद्रा भंडार ने भी चिंता बढ़ा दी है। भारत का विदेशी मुद्रा भंडार लगातार सातवें सप्ताह गिरा है और अब यह 2 साल के निचले स्तर पर आ चुका है।
रुपया की स्थिति: डॉलर के मुकाबले रुपया ने पहली बार 81 के स्तर को पार किया है। शुक्रवार को कारोबार के दौरान गिरावट ऐसी रही कि रुपया 81.23 के स्तर तक जा पहुंचा था। हालांकि, कारोबार के अंत में मामूली रिकवरी हुई। इसके बावजूद रुपया 19 पैसे गिरकर 80.98 रुपये प्रति डॉलर के लेवल पर बंद हुआ। यह पहली बार है जब भारतीय करेंसी की क्लोजिंग इतने निचले स्तर पर हुई है।
विदेशी मुद्रा भंडार की स्थिति: आरबीआई के ताजा आंकड़ों के मुताबिक 16 सितंबर को सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार गिरकर 545.652 बिलियन डॉलर पर आ गया। पिछले सप्ताह भंडार 550.871 अरब डॉलर था। विदेशी मुद्रा भंडार का यह दो साल का निचला स्तर है। अब सवाल है कि रुपया के कमजोर होने या विदेशी मुद्रा भंडार के घट जाने की कीमत आपको कैसे चुकानी पड़ सकती है?
रुपया कमजोर होने की वजह: विदेशी बाजारों में अमेरिकी डॉलर के लगातार मजबूत बने रहने की वजह से रुपया कमजोर हुआ है। दुनिया की छह प्रमुख मुद्राओं के समक्ष डॉलर की मजबूती को आंकने वाला डॉलर सूचकांक 0.72 प्रतिशत चढ़कर 112.15 पर पहुंच गया है। डॉलर इसिलए मजबूत बना हुआ है क्योंकि अमेरिकी फेड रिजर्व ने लगातार तीसरी बार ब्याज दर में 75 बेसिस प्वाइंट बढ़ोतरी कर दी है।
दरअसल, ब्याज दर बढ़ने की वजह से ज्यादा मुनाफे के लिए विदेशी निवेशक अमेरिकी बाजार की ओर आकर्षित हो रहे हैं। इस वजह से डॉलर को मजबूती मिल रही है। इसके उलट भारतीय बाजार में बिकवाली का माहौल लौट आया है। बाजार से निवेशक पैसे निकाल रहे हैं, इस वजह से भी रुपया कमजोर हुआ है।
असर क्या होगा: रुपया कमजोर होने से भारत का आयात बिल बढ़ जाएगा। भारत को आयात के लिए पहले के मुकाबले ज्यादा पैसे खर्च करने पड़ेंगे। रुपया कमजोर होने से आयात पर निर्भर कंपनियों का मार्जिन कम होगा, जिसकी भरपाई दाम बढ़ाकर की जाएगी। इससे महंगाई बढ़ेगी। खासतौर पर पेट्रोलियम उत्पाद के मामले में भारत की आयात पर निर्भरता ज्यादा है। इसके अलावा विदेश घूमना, विदेश से सर्विसेज लेना आदि भी महंगा हो जाएगा।
विदेशी मुद्रा भंडार पर असर: रुपया कमजोर होने से विदेशी मुद्रा भंडार कमजोर होता है। देश को आयात के लिए ज्यादा पैसे खर्च करने पड़ते हैं तो जाहिर सी बात है कि खजाना खाली होगा। यह आर्थिक लिहाज से ठीक बात नहीं है।
रुपया और यूरो समेत दुनिया की कई मुद्राओं की हालत क्या यूएसडॉलर का पतन संभव है खस्ता, जानिए क्या है डॉलर के मजबूती का कारण
पिछले कुछ महीनों से रुपये में लगातार गिरावट देखी जा रही है। डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपया समेत कई देशों की करेंसी में इस साल रिकॉर्ड गिरावट दर्ज की गई है तो आइए जानते हैं कि रुपये के अलावा और किन देशों की करेंसी डॉलर के मुकाबले कमजोर हुई है।
नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। अमेरिकी डॉलर (US Dollar) के मुकाबले रुपये की कीमत में लगातार गिरावट (Rupee Price Fall) हो रही है। इन दिनों अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया 80 के करीब पहुंच गया है। लेकिन रुपया अकेली करेंसी नहीं है, जिसका मूल्य डॉलर के मुकाबले कम हो रहा है। दरअसल, इन दिनों दुनिया की सभी प्रमुख मुद्राएं डॉलर के मुकाबले खस्ताहाल हैं। अगर वैश्विक मुद्रा बाजार के आंकड़ों की पड़ताल करें तो पता चलता है कि ग्रीनबैक के मुकाबले अन्य मुद्राओं की तुलना में रुपया कहीं बेहतर स्थिति में है।
रूस-यूक्रेन युद्ध के मद्देनजर उपजे नए भू-राजनीतिक तनावों के बीच उभरते बाजारों की मुद्राएं, डॉलर के मुकाबले लगातार गिर रही हैं। मंदी की आशंका के बीच जीडीपी की चिंता, कच्चे तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव और बढ़ती महंगाई के चलते दुनिया भर में केंद्रीय बैंकों द्वारा सख्त मौद्रिक नीतियां लागू करने के कारण असुरक्षा का जो माहौल बना है, उसमें डॉलर की लिवाली तेज हो गई है और उसकी मांग दिनों-दिन बढ़ती जा रही है। उदारीकरण के बाद दुनिया एक ग्लोबल विलेज की तरह हो गई है, ऐसे में विश्व-व्यवस्था में होने वाली किसी भी हलचल का प्रभाव रुपये सहित अन्य उभरती हुई मुद्राओं पर पड़ना लाजमी है। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआइ) ने अपनी वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट (Financial Stability Report) में कहा है कि रुपये की स्थिति दूसरी करेंसीज की तुलना में अपेक्षाकृत बेहतर है। फरवरी के अंत में यूक्रेन में युद्ध छिड़ने के बाद से आरबीआइ ने रुपये की कीमत को गिरने से रोकने के लिए अपने विदेशी मुद्रा भंडार को खोल दिया है। रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर, माइकल डी पात्रा पहले ही कह चुके हैं कि केंद्रीय बैंक रुपये के मूल्य में किसी भी अप्रत्याशित गिरावट को रोकने के लिए हर संभव प्रयास करेगा।
डॉलर के मुकाबले किसकी क्या है स्थिति
डॉलर के मुकाबले दुनिया की कुछ प्रमुख करेंसीज की बात करें तो यूरो हो या युआन, लीरा हो या ब्रिटिश पाउंड, सबका हाल, बेहाल ही नजर आता है।
टर्किश लीरा
तुर्की की मुद्रा लीरा (Turkish lira) की बात करें तो डॉलर के मुकाबले लीरा में लगातार गिरावट हो रही है। गुरुवार, 14 जुलाई को दिसंबर 2021 के बाद पहली बार लीरा का मूल्य 17.5 प्रति डॉलर तक गिर गया। जुलाई 2021 में एक अमेरिकी डॉलर के मुकाबले लीरा की कीमत 8 के आसपास थी, जो एक साल बाद 16 से ऊपर बनी हुई है।
डॉलर के मुकाबले सम-मूल्य पर खड़ी होने वाली यूरोपीय देशों की मुद्रा यूरो (Euro) की स्थिति भी बहुत अच्छी नहीं है। इस माह डॉलर के मुकाबले यूरो में दो बार जबरदस्त गिरावट देखी गई है। बुधवार, 13 जुलाई को डॉलर के मुकाबले यूरो समानता से स्तर से नीचे आ गया। लगभग दो दशकों में यह पहली बार था, जब यूरो में इतनी गिरावट देखी गई। जुलाई 2021 में एक डॉलर 0.84 यूरो के बराबर था। जबकि जुलाई 2022 में यह लगातार 0.95 यूरो से ऊपर बना हुआ है।
ब्रिटिश पाउंड
15 जुलाई 2021 को एक ब्रिटिश पाउंड (British Pound) की कीमत 1.38 यूएस डॉलर थी जो जुलाई 2022 में घटकर 1.17 यूएस डॉलर रह गई है। मार्च 2020 के बाद पाउंड का यह सबसे न्यूनतम स्तर है। बैंक ऑफ इंग्लैंड द्वारा बार-बार ब्याज दरें बढ़ाने के बावजूद 2022 में स्टर्लिंग में तेजी से गिरावट आई है।
चीनी युआन
15 जुलाई 2021 को एक अमेरिकी डॉलर 6.46 युआन (Renminbi) के बराबर था, जो 15 जुलाई 2022 को 6.79 युआन हो गया। इससे पहले 10 मई 2022 को चीनी युआन में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले बड़ी गिरावट देखने को मिली थी और यह 6.7134 पर पहुंच गया था। जीरो कोविड पॉलिसी के चलते सख्त लॉकडाउन और रियल एस्टेट बाजार में आई मंदी से चीन में आर्थिक विकास की दर बुरी तरह प्रभावित हुई है, ऐसे में युआन के दबाव में क्या यूएसडॉलर का पतन संभव है बने रहने की आशंका जताई जा रही है।
जापानी येन
अमेरिकी डॉलर के मुकाबले जापानी येन (Japanese Yen) भी लगातार कमजोर हो रहा है। 22 जून 2022 को येन 24 साल के रिकॉर्ड निचले स्तर 136.45 प्रति डॉलर तक गिर गया। 2022 में ग्रीनबैक के मुकाबले येन की कीमत में 18 फीसद से अधिक की गिरावट हो चुकी है। 15 जुलाई 2022 एक डॉलर 138.80 येन पर था, जबकि एक साल पहले इसी दिन यह 109.98 युआन पर था।
कनाडियन डॉलर
पिछले एक साल से अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 1.28 के इर्द-गिर्द घूमने वाला कनाडियन डॉलर (Canadian Dollar) भी 14 जून 2022 के बाद से लगातार हिचकोले खा रहा है। फिलहाल, एक अमेरिकी डॉलर के बदले इसके कीमत 1.32 तक गिर गई है।
INR USD Exchange Rate Today: भारत का 100 रुपया अमेरिका में 1.29 डॉलर, 9 मई का एक्सचेंज रेट
भारत के 100 रुपये के बदले में अमेरिका में 1.29 डॉलर मिलेंगे। 9 मई के एक्सचेंज रेट के मुताबिक भारत का एक रुपया अमेरिका के 0.013 डॉलर होगा। अमेरिका का एक डॉलर भारत के 77.40 रुपये होगा।
यूनाइटेड स्टेट्स ऑफ अमेरिका में काफी संख्या में भारतीय लोग ऐसे भी रहते हैं जिन्हें भारत से रुपया आता है जो अमेरिका में डॉलर के रूप में उन्हें मिलता है। छात्र और काफी पहले से यूएस में सेटल हो चुके भी वहां ऐसे काफी लोग हैं जिनका किसी न किसी जरिए ये पैसा भारत से अमेरिका जाता है। वहीं वैश्विक मार्केट में हर रोज डॉलर और रुपयों का भाव ऊपर-नीचे होता रहता है। ऐसे में हम आपको प्रतिदिन एक्सचेंज रेट में दोनों करेंसी का भाव बताते हैं जिससे भारत से आया पैसा यूएस डॉलर में कनवर्ट कराने में आप परेशान ना हो।
आज यानी सोमवार 9 मई को भारत के 100 रुपये अमेरिका में 1.29 डॉलर बराबर हैं। यानी एक भारतीय रुपया, यूएसए के 0.013 डॉलर बराबर है। ऐसे में भारतीय रुपये को कोई डॉलर में बदलना चाहते हैं तो 10 हजार रुपयों के बदले अमेरिका में आपको 129.01 डॉलर मिलेंगे। सोमवार को भारतीय रुपया डॉलर के मुकाबले 77.40 रुपये पर बंद हुआ। बता दें कि पिछले कुछ दिनों से रुपया और डॉलर के भाव में ज्यादा बदलाव नहीं आया है।
भारतीय रुपया ने सोमवार को अपने घाटे को बढ़ाया और अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 60 पैसे की गिरावट के साथ 77.40 के रिकॉर्ड निचले स्तर पर बंद हुआ। अंतरबैंक विदेशी मुद्रा बाजार में, रुपया ग्रीनबैक के मुकाबले 77.17 पर खुला, और अंत में अपने पिछले बंद के मुकाबले 60 पैसे नीचे 77.50 पर बंद हुआ। कारोबारी सत्र के दौरान रुपया अपने जीवनकाल के निचले स्तर 77.52 पर पहुंच गया।
मालूम हो कि मुद्रा विनिमय दर यानी एक्सचेंज रेट देशों के आर्थिक प्रदर्शन, मुद्रास्फीति, ब्याज दर के अंतर और पूंजी के फ्लो पर निर्भर करती है। पिछले बुधवार को बैंकिंग, रियल एस्टेट और ऑटो बिजनेस में नुकसान होने की वजह से शेयरों में गिरावट आई और इसी वजह से भारत के शेयर निचले स्तर पर बंद हुए थे। इसके बाद शनिवार और रविवार को भी थोड़ा बहुत आगे पीछे हुआ।
क्रिप्टोकरेंसी Terra Luna का टूटना, सपनों का बिखरना और नए निवेशकों के लिए जरूरी सीख
पिछले सप्ताह टेरा क्रिप्टोकरेंसी बुरी तरह से गिरी और इसने दुनियाभर के निवेशकों के लगभग 40 बिलियन डॉलर (31 खरब रुपये) देखते ही देखते खाक हो गए.
पिछले सप्ताह टेरा क्रिप्टोकरेंसी बुरी तरह से गिरी और इसने दुनियाभर के निवेशकों के लगभग 40 बिलियन डॉलर (31 खरब रुपये) दे . अधिक पढ़ें
- News18Hindi
- Last Updated : May 17, 2022, 13:44 IST
नई दिल्ली. क्रिप्टोकरेंसी में निवेश इस दिनों काफी फैशन में है. किसी समय पहते तक कुछ हजार में मिलने वाली करेंसी बिटकॉइन की कीमत आज कई लाखों में है. बिटकॉइन तो सबसे बड़ी ब्लू चिप क्रिप्टोकरेंसी है, लेकिन उसके बाद नंबर 2, नंबर 3 और ऐसी ही अन्य करेंसीज़ भी भारत में काफी पॉपुलर हैं. यही वजह है कि भारत में कई करोड़ों रुपये का निवेश क्रिप्टो एसेट्स में है. हालांकि भारतीय रिजर्व बैंक इसे अर्थव्यवस्था के लिए खतरा मानता है.
आज हम बात कर रहे हैं टेरा (Terra) की. पिछले सप्ताह टेरा क्रिप्टोकरेंसी बुरी तरह से गिरी और इसने दुनियाभर के निवेशकों के लगभग 40 बिलियन डॉलर (31 खरब रुपये) देखते ही देखते खाक हो गए. जिन्होंने टेरा में पैसा लगाया था, उनके सपने भी इसी आग के साथ मिट्टी में मिल गए. अब उन्हें कोई उम्मीद नहीं है कि वे अपना पैसा कभी रिकवर कर पाएंगे.
ये था टेरा का काम
टेरा एक पब्लिक ब्लॉकचेन प्रोटोकॉल है, जो एक ऐसा स्टेबलकॉइन्स डिसेंट्रलाइज्ड एल्गोरिदम चलाता है, जोकि यूएस डॉलर और यूरो जैसी करेंसियों के प्राइस की मूवमेंट को ट्रैक करता है. इसमें यूएस डॉलर से लिंक टेरा यूएसडी (TerraUSD) और लूना (Luna) जैसे टोकन शामिल हैं.
टेरा क्रिप्टोकरेंसी ईकोसिस्टम में 9 मई जो तूफान उठा, उसने लूना और टेरा यूएसडी को लगभग शत-प्रतिशत तबाह कर दिया. Coinmarketcap के आंकड़ों के अनुसार, लूना में लगभग 100 प्रतिशत की क्या यूएसडॉलर का पतन संभव है गिरावट आई और टेरा यूएसडी स्टेबलकॉइन ने भी अपनी पूरी कीमत खो दी. जब इस आर्टिकल को लिखा गया, तब तक टेरा यूएसडी $0.00013 पर था.
लोगों की उम्मीदें धराशायी
मनीकंट्रोल ने उन निवेशकों से बात की, जिन्होंने टेरा लूना में निवेश किया था. इस बातचीत में मुख्य रूप से यह उभरकर आया कि इन निवेशकों को अपना पैसा वापस मिलने की कोई उम्मीद अब दिखती नहीं है.
वेंचर कैपिटल फर्म iBC कैपिटल के संस्थापक हितेश मालवीय ने कहा कि उन्होंने लूना को डीलिस्ट होने से एक दिन पहले $4 में खरीदा था और खो सकने लायक एक राशि का निवेश किया था. उन्होंने कहा, “मुझे अब रिकवरी की उम्मीद नहीं है, क्योंकि मेरी खरीद प्राइश बहुत अधिक थी. सप्लाई के बेहद बढ़ जाने से और इसके बाद रिवाइवल प्लान लाए जाने के बाद भी इसकी कीमत फिर से $ 1 तक नहीं पहुंच सकती. इसलिए, मूव-ऑन करना ही बेहतर है.”
इस क्रिप्टोकरेंसी को 2018 में दक्षिण कोरिया के टेराफॉर्म लैब्स (Terraform Labs) द्वारा स्थापित किया गया था. इसके पतन के बाद Binance, CoinDCX, Coinswitch Kuber और Wazir X जैसे क्रिप्टो प्लेटफॉर्म्स ने TerraUSD और Luna को डीलिस्ट कर दिया है मतलब हटा दिया है.
निवेशकों के लिए सीख
टेरा में भारी नुकसान उठाने वाले एक निवेशक ने कहा कि अब कोई फर्क नहीं पड़ता कि लूना फिर से ट्रेड करे या नहीं. अब इसका पुरानी कीमत पर लौटना संभव नहीं लगता. यह अगर अपनी गिरावट के बाद 200 फीसदी भी रिकवर कर ले तो यह 80-100 डॉलर तक कभी नहीं आएगा.
ब्लू चिप में निवेश: इस निवेशक ने अपना दर्द जाहिर करते हुए कहा कि क्या यूएसडॉलर का पतन संभव है केवल लूना के गिरने से ही उसका पोर्टफोलियो 50 फीसदी का नुकसान दिखा रहा है. उनका मानना है कि निवेशकों को बिटकॉइन और इथेरियम जैसे ब्लू चिप टोकन्स में ही निवेश करना चाहिए, जोकि सुरक्षित हैं और लम्बे समय के लिए टिकाऊ हैं.
गिरते चाकू को न पकड़ें: गिरते हुए चाकू या तेजधार वस्तु को पकड़ने की कोशिश नहीं करनी चाहिए. यह आपके हाथ को नुकसान पहुंचा सकता है. कई निवेशकों ने इसे 3-4 डॉलर पर यह सोचकर खरीदा कि यह बहुत गिर चुका है और अब ज्यादा नहीं गिरेगा. एक निवेशक ने बताया कि उसने अपनी बेटी की शादी के लिए 15 लाख रुपये का निवेश किया हुआ था. उसने वह निवेश निकालने के बाद टेरा में पैसा डाला, ये सोचकर कि ये अच्छा मुनाफा देगा. उन्होंने कहा, “मैंने 15 लाख रुपये खो दिये हैं. मैंने अपनी पत्नी तक को नहीं बताया है. मुझे इस बात का अंदाजा नहीं है कि जब उसे पता चलेगा तो क्या होगा.”
ये स्टोरी मनीकंट्रोल पर Murtuza Merchant ने लिखी है. आप पूरी स्टोरी यहां पढ़ सकते हैं – क्लिक करें.
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AUDJPY ट्रेड +100 पिप्स ऑफ़ प्रॉफिट में, डॉलर ने नया वार्षिक उच्च बनाया
मूल्य कार्रवाई व्यापारी अपने AUDJPY शॉर्ट्स का आनंद ले रहे हैं क्योंकि मूल्य लाभ में गहरा गोता लगाता है। इस बीच, डॉलर के बैल वर्ष के लिए एक नया उच्च स्थापित करने के लिए पिछले वार्षिक उच्च स्तर को तोड़ते हैं।
कुछ दिनों के समेकन के बाद, AUDJPY ने आखिरकार अपना पतन शुरू कर दिया है। यह व्यापार वर्तमान में +100 पिप्स लाभ में है क्योंकि कीमत 2020 के नवंबर में वापस बनाए गए स्विंग लो पर सफलतापूर्वक पहुंच गई है। वर्तमान साप्ताहिक मोमबत्ती पिछले दो महीनों के मूल्य कार्रवाई की तुलना में पर्याप्त रूप से बड़ी है, यह दर्शाता है कि आगे लाभ की उम्मीद की जानी चाहिए।
यूएस डॉलर इंडेक्स के लिए सप्ताह की शुरुआत का लक्ष्य इस साल का उच्च स्तर 93.170 था। बाजार में बुल्स को इस हफ्ते इस स्तर को हासिल करने और तोड़ने में कोई परेशानी नहीं हुई। उच्च समय सीमा के आधार पर, अगला उपयुक्त लक्ष्य 93.900 के पास साप्ताहिक प्रतिरोध है। जैसा कि डॉलर एक अपट्रेंड में स्थानांतरित हो गया है, इस स्तर तक एक रैली की संभावना है।
आगे डॉलर में तेजी की उम्मीद के साथ, व्यापारी कम AUD और NZD कीमतों की भविष्यवाणी कर सकते हैं। NZDUSD और NZDJPY के लिए संभावित शॉर्ट का पता लगाया जाना चाहिए क्योंकि दोनों जोड़े काफी कम पुश की तलाश में हैं।
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