Surya Grahan 2022: सूर्य ग्रहण के दौरान भोजन करने को मना क्यों किया जाता है? जानिए इसके पीछे की वजह
सूर्यग्रहण के दौरान भोजन करने से बचने की सलाह दी जाती है, इसके पीछे का सिर्फ धार्मिक ही नहीं बल्कि वैज्ञानिक नजरिया भी जानिए. जानिए विज्ञान इस बारे में क्या कहता है.
By: ABP Live | Updated at : 25 Oct 2022 11:42 AM (IST)
सूर्य ग्रहण के दौरान भोजन करने को मना क्यों किया जाता है?
Surya Grahan 2022: सूर्यग्रहण के दौरान हमें कुछ भी खाने को मना किया जाता है. हिंदू धर्म में ऐसा माना जाता है कि ग्रहण के दौरान भोजन नहीं करना चाहिए और धार्मिक पुराणों में भी इसका उल्लेख है. सूर्यग्रहण के समय भोजन करने को मना करने पर आपके मन में भी यह सवाल आता है कि ऐसा क्यों होता है? सूर्यग्रहण के दौरान भोजन करने से क्या होता है? आइए आज जानते हैं इसके पीछे की वजह और साथ ही वैज्ञानिक महत्व को भी.
शास्त्रों में भी है इसका जिक्र
सूर्य ग्रहण (Solar Eclipse) या चंद्र ग्रहण (Lunar Eclipse) के दौरान सभी लोगों को कुछ भी खाने से बचने की सलाह दी जाती है. इसका जिक्र शास्त्रों में भी है. पवित्र स्कंदपुराण में उल्लेखित है कि सूर्य ग्रहण (Solar Eclipse) के दौरान भोजन करने से स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है. साथ ही स्कंदपुराण में यह भी बताया गया है कि इस दौरान कुछ भी खाने से मनुष्य के सारे पुण्य कर्म भी नष्ट हो जाते हैं
स्नान के बाद ही करना चाहिए भोजन
सूर्य ग्रहण (Solar Eclipse) के बाद स्नान कर के ही कुछ भी खाने की सलाह दी जाती है. ऐसा माना जाता है कि ग्रहण के दौरान बहुत से जीवाणु वातावरण में होते हैं और वे शरीर में चिपक जाते हैं. ऐसे में कुछ भी खाने से पहले स्नान करना जरूरी होता है. ये जीवाणु स्नान करने के बाद ही शरीर से निकलते हैं. इसलिए, सूर्यग्रहण के समय कुछ भी खाने से पहले स्नान करने की मान्यता है.
ग्रहण के दौरान भोजन का वैज्ञानिक महत्व रुझान इतनी जल्दी क्यों मर जाते हैं
ग्रहण (Eclipse) के समय वैज्ञानिक भी भोजन करने से बचने की सलाह देते हैं. खगोलविदों और वैज्ञानिकों का कहना है कि सूर्य ग्रहण या चंद्र ग्रहण के दौरान कुछ हानिकारक विकिरण वातावरण में मिलकर पृथ्वी पर पहुंचती हैं. ग्रहण के समय ये बैक्टीरिया भोजन में जल्दी फैलते है और कई तरह की बीमारियों का कारण बन सकते हैं. इसलिए ग्रहण के दौरान कुछ भी खाने से बचने को कहा जाता है.
भारत में सूर्य ग्रहण का समय
भारत में आज यानि 25 अक्टूबर को सूर्य ग्रहण (Solar Eclipse) आंशिक रूप से शाम करीब 4 बजे दिखाई देगा. जानकारी के अनुसार, सूर्य ग्रहण 2:29 बजे से शाम 6:32 तक रहेगा. इसकी अवधि लगभग 4 घंटे रहेगा. यह ग्रहण दिल्ली, चेन्नई, बेंगलुरु, कोलकाता, उज्जैन, वाराणसी और मथुरा से देखा जा सकता है.
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Published at : 25 Oct 2022 11:42 AM (IST) Tags: Sun Solar Eclipse हिंदी समाचार, ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें abp News पर। सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट एबीपी न्यूज़ पर पढ़ें बॉलीवुड, खेल जगत, कोरोना Vaccine से जुड़ी ख़बरें। For more related stories, follow: Utility-news News in Hindi
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रेगिस्तान में इतनी रेत की क्या हैं सच्चाई, जानिए इससे जुड़े कई अहम बाते
अकसर हमारे मन में आए दिन बहुत से सवाल आते रहते है। जिनका जवाब शायद ही हमे मालूम होता है। तो वही जब भी हम राजस्थान जैसे रेगिस्तानी इलाकों का नाम सुनते है तो हमारे दिमाग में रेगिस्तान के बारे में बहुत सारे सवाल और उत्सुकता होती है। क्योंकि रेगिस्तान को देखने की हर किसी की इच्छा होती है।
तो साथ ही मन में यह सवाल भी आता है की आखिर वहां का तापमान, मौसम और वहाँ पर इतनी रेत कैसे आई? और रेगिस्तान कैसे तैयार हुआ होगा? ऐसे बहुत सारे सवाल हमारे मन में होते है। लेकिन शायद ही किसी को इसका जवाब मालूम होता है। तो चलिए आज के अपने इस पोस्ट में हम आपको बताएंगे की आखिर कैसे रेतो से भरा रेगिस्तान तैयार हुआ है।
वैसे ऐसा भी नही है कि रेगिस्तान में सिर्फ रेत ही हो, पथरीले और बर्फीले रेगिस्तान भी होते है, हालांकि ये बात अलग है कि इनका ज्यादातर हिस्सा रेतीला ही होता है। लेकिन रेगिस्तान में इतनी रेत कहा से आई, क्या रेगिस्तान में वनस्पति उगाई जा सकती है? रेगिस्तान रात में ठंडे और दिन में इतने गर्म क्यों होते है और क्या रेगिस्तान की रेत का इस्तेमाल घर बनाने में किया जा सकता है? तो चलिए जानते है इस बारे में।
सबसे पहले ये जान लेते हैं की इतनी रेट आखिर कहाँ से आई
– दरअसल रेगिस्तान शब्द लेटिन भाषा से निकला है, जिसका मतलब होता है ‘बेकार या उजाड़ी पड़ी जमीन’ आपको बता दे कि रेगिस्तान में पूरे साल में 25 सेंटीमीटर से भी कम बारिश होती है। तो शायद यह बात तो आप जानते ही होंगे कि जो रेगिस्तान होते है वहाँ दिन बेहद गर्म होते है और रात काफी ठंडी होती है। तो अगर किसी चीज़ को बहुत ज्यादा गर्मी से बहुत ज्यादा सर्दी में या ज्यादा सर्दी से ज्यादा गर्मी में या ये कह लीजिए कि इनके तापमान को बदला जाएगा तो वह झड़ने लगता है या उसके जो कण होते है वह झड़ने लगते है।
जैसे अगर किसी रेगिस्तान में बड़ी बड़ी चट्टाने है तो वो दिन के समय काफी ज्यादा गर्म हो जाती है और रात के समय काफी ठंडी हो जाती है और इनके तापमान में बदलाव काफी कम समय मे होता है। इसी वजह से इन चट्टानों के कण झड़ने लगते है और रेत में बदल जाते है। इसके साथ ही रेगिस्तान में जो हवा चलती है उससे भी काफी ज्यादा कर्षण (ट्रैक्शन) पैदा होता है तो इस कारण भी रेगिस्तान में जो भी चीज़ होती है वो धीरे धीरे टूटती रहती है और रेत में तब्दील हो जाती है। यही वजह है कि रेगिस्तान में इतनी सारी रेत है।
क्या रेगिस्तान में वनस्पति उग सकती है? बता दे कि रेगिस्तान में भी वनस्पति होती है, जिसे रेगिस्तानी वनस्पति कहा जाता है, ये बात अलग है कि यह काफी कम, बिना पत्तियों के और कांटेदार होती है। अगर रेगिस्तान में पानी की कमी पूरी की जा सके तो रेगिस्तान की परिस्थितियों के अनुसार कुछ वनस्पति उगाई जा सकती है।
रेगिस्तान दिन में गर्म और रात में इतने ठंडे क्यों होते है? रेगिस्तान दिन में काफी ज्यादा गर्म होते है और जैसे ही रात होती है तो बहुत ठंडे भी हो जाते है। बता दे कि जो चीज़ जितनी जल्दी रुझान इतनी जल्दी क्यों मर जाते हैं गर्म होती है उतनी ही जल्दी ठंडी भी हो जाती है जैसे आप गैस पर पानी गर्म करते है तो उसे गर्म होने में थोड़ा समय लगता है और जब उसे रख देते है तो वह ठंडा भी धीरे धीरे ही होता है जबकि स्टील का बर्तन जितनी जल्दी गर्म होता उतनी ही जल्दी ठंडा भी हो जाता है। बिल्कुल ऐसे ही रेगिस्तान की रेत दिन के समय जितनी जल्दी गर्म होती है यानी जितनी जल्दी ऊष्मा या हीट को अवशोषित करती है, रात के समय वह उतनी ही जल्दी उसे निकल भी देती है ओर ठंडी हो जाती है जिससे रेगिस्तान रात रुझान इतनी जल्दी क्यों मर जाते हैं के समय ठंडा रहता है।
रेगिस्तान की रेत का इस्तेमाल घर बनाने में किया जा सकता है? – रेगिस्तान की रेत का इस्तेमाल कंस्ट्रक्शन के काम मे या घर बनाने में नही किया जा सकता है और इसके पीछे कुछ खास वजह है, जैसे कि निर्माण कार्य में मोटी, बारीक ओर मध्यम रेत का इस्तेमाल होता है, साथ ही प्लास्टर और ढलाई के लिए भी अलग-2 तरह की रेत का उपयोग होता है। लेकिन रेगिस्तान की रेत निर्माण कार्य में इस्तेमाल की जाने वाली सबसे बारीक रेत से भी बारीक होती है जिस कारण यह निर्माण कार्य के लिए सही नही होती है। इसका एक बड़ा कारण यह है कि नदी से जो रेत हमे मिलती है वो खुरदरी होती है इस वजह से यह आपस मे , सीमेंट और दूसरी चीजों को मजबूती प्रदान करती है। जबकि रेगिस्तान की रेत चिकनी, बारीक और गोल होती है जिससे यह निर्माण सामग्री को पकड़ कर नही रख पाती है। इसलिए भी यह इन सब कामों के लिए सही नही होती है।
Vaginal Yeast Infection: वजाइनल यीस्ट इन्फेक्शन का इलाज और बचाव बताते एक्सपर्ट्स
लगभग हर महिला को कम से कम जीवन में एक बार वजाइनल यीस्ट इन्फेक्शन की समस्या होती ही है.
Vaginal Yeast Infection: हम सभी जानते हैं, हमारे देश की अधिकतर महिलाएं अपनी बीमारी और समस्याओं को लेकर लापरवाह से कहीं ज्यादा खामोश रहती हैं या फिर दबी जुबान में किसी दूसरी महिला से उस बारे में संकोच के साथ बात करती हैं. ऐसा खास कर उन बीमारियों में होता है, जो हमारे सेक्सुअल ऑर्गन (sexual organ) से जुड़ी होती है.
वजाइनल यीस्ट इन्फेक्शन ( Vaginal Yeast Infection) ऐसी ही एक बीमारी है, जिससे होने वाली तकलीफों को महिलाएं चुपचाप सहती रहती हैं. इन्फेक्शन की शुरुआत में मां-नानी-दादी के बताए घरेलू इलाज से वजाइनल यीस्ट इंफेक्शन ठीक करने की कोशिश में लगी रहती हैं. जिससे फायदा शायद ही होता हो.
फिट हिन्दी के आज के आर्टिकल में हम एक्सपर्ट्स से जानते हैं, वजाइनल यीस्ट इन्फेक्शन क्यों होता है? इसके लक्षण और कारण क्या हैं? बचाव और इलाज कैसे किया जाता है? क्या सेक्स से वजाइनल यीस्ट इन्फेक्शन हो सकता है? प्रेगनेंसी में वजाइनल यीस्ट इन्फेक्शन हो जाए तो क्या करें?
नए साल के जश्न में 'चीनी' खलल, पूर्णिया के सैलानियों ने कैंसिल कराए ट्रैवल पैकेज और होटल बुकिंग
कोरोना के नए बीएफ.7 वेरिएंट ने नए साल में नेपाल और बंगाल जाने वाले सैलानियों के कदम खींच लिए हैं। पूर्णिया के लोगों ने होटल बुकिंग और ट्रैवल आर्डर भी कैंसिल करा दिए हैं। एक बार फिर लोग चिंतित हो गए है
नए साल के स्वागत में ‘चीनी’ खलल पड़ गयी है। 2023 के जश्न से पहले बीएफ.7 वेरिएंट ने न्यू ईयर में नेपाल और बंगाल जाने वाले सैलानियों के कदम खींच लिए हैं। सैलानियों ने नेपाल की पहाड़ी के साथ बंगाल समेत नार्थ ईस्ट के राज्यों में जाने का इरादा बदल लिया है। पूर्णिया समेत सीमांचल और कोसी के सैकड़ों लोंगों ने क्रिसमस से नए साल तक इन इलाकों में जाकर जश्न मनाने की तैयारी की थी। होटल बुक हो चुका था। मगर अब लोग होटलों की बुकिंग के साथ गाड़ियों के आर्डर कैंसिल कराने लगे हैं।
पूर्णिया में 25 फीसदी लोगों ने ही लिया है बूस्टर डोज
कोरोना की आमद के बीच अब लोग बूस्टर डोज की तलाश में जुट गए हैं। पूर्णिया में 90 फीसदी लोग कोरोना का फर्स्ट डोज तो 70 फीसदी से अधिक लोग सेकंड डोज ले चुके हैं। मगर बूस्टर डोज लेने वालों की संख्या महज 25 फीसदी रुझान इतनी जल्दी क्यों मर जाते हैं ही है। कोरोना की दोबारा धमक के बीच जिला में स्वास्थ्य विभाग के पास टीका भी उपलब्ध नहीं है। जिला मुख्यालय से प्रखंडों तक बने कई रुझान इतनी जल्दी क्यों मर जाते हैं टीकाकरण केंद्रों पर ताले जड़े जा चुके हैं। अस्पतालों में कोरोना की जांच भी नहीं हो पा रही है।
आपको बता दें चीन में लगातार बढ़ते कोरोना के मामलों के लिए जिम्मेदार ओमीक्रोन के सब-वेरिएंट बीएफ.7 के चार मामले भारत में भी सामने आए हैं। जिसके बाद से राज्य के लोगों की चिंता बढ़ गई है। जिसके मद्देनजर बिहार के स्वास्थ्य विभाग ने बुधवार को समीक्षा बैठक की। केंद्र ने नमूनों की जांच करने और जीनोम सिक्वेंसिंग कराने पर जोर दिया है ताकि कोरोना के नये स्ट्रेन की जानकारी मिल सके। आईजीआईएमएस के माइक्रोबायोलॉजी विभाग को नमूना संग्रह करने और जिलों से समन्वय स्थापित करने को कहा है। विभाग के अपर मुख्य सचिव प्रत्यय अमृत ने राज्य स्वास्थ्य समिति व आईजीआईएमएस के पदाधिकारियों के साथ बैठक की।
हर सैंपल की होगी जीनोम सीक्वेंसिंग
बैठक में कहा गया कि जिलों में जहां भी कोरोना की जांच हो रही है, वहां पॉजीटिव केस अगर मिलते हैं तो उनकी जीनोम सिक्वेसिंग कराएं। पीएमसीएच के वरीय चिकित्सक डॉ. बीके चौधरी ने बताया कि नया वेरिएंट बीएफ.7 ओमिक्रोन का ही सब वेरिएंट है। यह काफी संक्रामक है। जितनी जल्दी हो सके लोगों को बूस्टर डोज ले लेना चाहिए। सार्वजनिक स्थलों पर मास्क अनिवार्य कर देना चाहिए। लेागों को को अनावश्यक भीड़ और यात्रा से बचना चाहिए। हल्का लक्षण पर भी जांच कराएं। जरूरत पड़ी तो रेलवे स्टेशनों व बस अड्डों पर रैंडम जांच होगी।
बिहार में कोरोना के मात्र तीन सक्रिय केस पाए गए। इनमें से दो दरभंगा और एक गया का निवासी है। पूरे राज्य से पिछले दो दिनों में एक भी नया केस नहीं मिला है। आईजीआईएमएस के एक वरीय चिकित्सक ने बताया कि ये सभी ओमिक्रॉन के ही सब वेरिएंट हैं, जो म्यूटेंट होकर ज्यादा संक्रामक बन गया है। यह कितना जानलेवा है इस पर अध्ययन हो रहा है। केंद्रीय सचिव ने राज्यों को दिए निर्देश में कहा कि 7 दिनों में भारत में 1200 और विश्वभर में 35 लाख कोरोना के मामले आए हैं। ऐसे में शुरुआती पहचान, आइसोलेशन, ट्रेसिंग, टेस्टिंग, ट्रीटमेंट व संक्रमितों का प्रबंधन पर जोर दें।
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