इससे सस्ता तो ऑनलाइन में है

स्विंग ट्रेडिंग क्या है? इसके फायदे और नुकसान

स्विंग ऑनलाइन ट्रेडिंग के नुकसान ट्रेडिंग क्या है? – स्विंग ट्रेड, स्टॉक का चयन कैसे करें? (Stock selection for swing trading) , फायदे, नुकसान, इंट्राडे ट्रेडिंग और स्विंग ट्रेडिंग में अंतर, स्विंग ट्रेडिंग से जुड़े सवाल और जवाब

स्विंग ट्रेडिंग क्या है, swing trading kya hai

स्विंग ट्रेडिंग, ट्रेडिंग का वो तरीका है जिसमें कुछ दिनों से लेकर कई हफ्तों तक किसी स्टॉक (या किसी फाइनेंसियल इंस्ट्रूमेंट) में निवेश करके प्रॉफिट बनाया जाता है।

स्विंग ट्रेडिंग में स्टॉक का चयन करते समय Technical Analysis के अलावा Fundamental Analysis का भी उपयोग किया जाता है।

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स्विंग ट्रेडिंग क्या है? | Swing Trading in Hindi

आसान भाषा में कहें तो स्विंग ट्रेडिंग में एक से अधिक ट्रेडिंग सत्र में मध्यम या छोटी अवधि के लिए पोजीशन को होल्ड करना होता है, लेकिन आमतौर पर स्विंग ट्रेडिंग में ऑनलाइन ट्रेडिंग के नुकसान ये होल्डिंग पीरियड कई हफ्तों या कुछ महीनों से अधिक नहीं होना चाहिए।

स्विंग ट्रेडिंग का टारगेट कम समय में शेयर का प्राइस बढ़ने पर प्रॉफिट बुक कर लाभ कमाना है। स्विंग ट्रेडिंग में कुछ ट्रेडर काफी ज्यादा उतार-चढ़ाव वाले स्टॉक की तलाश करते हैं, तो कुछ स्टेबल रहने वाले स्टॉक को सेलेक्ट करते हैं लेकिन दोनों ही कंडीशन में टारगेट अल्प अवधि में प्रॉफिट बुक कर लाभ कमाना ही होता है।

एक अच्छा स्विंग ट्रेडर किसी ऑनलाइन ट्रेडिंग के नुकसान एक स्टॉक से बहुत ज्यादा प्रॉफिट की उम्मीद नहीं रखता बल्कि छोटे प्रॉफिट को बुक कर अपने दुसरे स्टॉक की तलाश शुरू कर देता है।

स्विंग ट्रेडिंग के लिए अच्छे स्टॉक का चयन कैसे करें?

एक स्विंग ट्रेडर के तौर पर आपको ये बिल्कुल साफ़ होना चाहिए कि आपको कितने प्रतिशत प्रॉफिट के बाद निकल जाना है, 4 से 15% का प्रॉफिट स्विंग ट्रेडिंग के लिए पर्याप्त है लेकिन ट्रेड लेने से पहले आपको ध्यान रखना है कि आपको केवल ऐसे स्टॉक का चयन करना है जिसका फंडामेंटल स्ट्रांग हो।

आपको स्विंग ट्रेड लेने से पहले रिस्क और रिवॉर्ड रेश्यो को भी ध्यान में रखना होगा। जैसे मान लीजिए आपने कोई ट्रेड लिया जिसमें हर शेयर में आप ज्यादा से ज्यादा 100 रुपए का रिस्क लें सकते हैं और कम ऑनलाइन ट्रेडिंग के नुकसान से कम प्रति शेयर 300 रुपए के प्रॉफिट के बाद ही आप पोजीशन से एग्जिट लेंगें। 100 रुपए का रिस्क लेकर केवल 75 रुपए का प्रॉफिट लेकर निकल जाना बिल्कुल भी बुद्धिमानी नहीं है। आप चाहे तो टोटल इन्वेस्ट किए गए Amount के परसेंटेज के ऑनलाइन ट्रेडिंग के नुकसान आधार पर भी रिस्क और रिवॉर्ड तय कर सकते हैं। यानी तब आपका रिस्क-रिवॉर्ड रेश्यो 1:3 का होना चाहिए।

ऑनलाइन ट्रेडिंग में ऑफ हो रहे रिटेल मार्केट

अतुल शुक्ला कुछ सालों में देश में ऑनलाइन खरीददारी का ग्राफ तेजी से बढ़ा है। इससे इंटरनेट पर माल बेचने वाली कंपनियों का मुनाफा अरबों डालर तक जा पहुंचा है। इधर उपभोक्ताओं को उनके बजट में पसंदीदा सामान मिलने से वे खुश हैं, लेकिन इससे खुदरा व्यवसाय में हड़कंप मच गया है।

ऑनलाइन ट्रेडिंग में ऑफ हो रहे रिटेल मार्केट

जबलपुर। कुछ सालों में देश में ऑनलाइन खरीददारी का ग्राफ तेजी से बढ़ा है। इससे इंटरनेट पर माल बेचने वाली कंपनियों का मुनाफा अरबों डालर तक जा पहुंचा है। इधर उपभोक्ताओं को उनके बजट में पसंदीदा सामान मिलने से वे खुश हैं, लेकिन इससे खुदरा व्यवसाय में हड़कंप मच गया है। जबलपुर ही नहीं, भोपाल, इंदौर, ग्वालियर, उज्जैन जैसे बड़े शहरों से लेकर छोटे शहर तक के व्यावसायियों में ऑनलाइन ट्रेडिंग के कारण भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है। कई दुकानों में तो ताले लगाने तक की नौबत आ गई है।

ऑनलाइन ट्रेडिंग से रिटेल व्यापारियों को हो रहा नुकसान

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कॉन्फिडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स एसोसिएशन ने शुक्रवार को सूरत आए इंडस्ट्रीयल पॉलिसी एण्ड प्रमोशन डिपार्टमेन्ट के निदेशक से ऑनलाइन व्यापार पर अंकुश के लिए नियम बनाने की मांग की है।
कैट के सूरत चैप्टर के अध्यक्ष प्रमोद भगत ने बताया कि शुक्रवार को कई व्यापारी संगठनों के प्रमुख निदेशक सुशील सातपुते से मिले और समस्याएं बताईं। रिटेल व्यापारियों ने कहा कि ऑनलाइन ट्रेडिंग के कारण रिटेल व्यापारियों को नुकसान हो रहा है। ऑनलाइन व्यापार में ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए कैशबैक छूट के साथ सस्ती कीमत में वस्तुएं बेची जाती हंै। कंपनियों के पास ज्यादी पूंजी होने के कारण वे एकसाथ माल खरीदकर सस्ते में बेचती हैं। वहीं, छोटे व्यापारियों का व्यापार दिन लगातार घटता जा रहा है। इसलिए ऑनलाइन ट्रेडिंग के समक्ष रिटेल व्यापारियों का अस्तित्व टिका रहे, ऐसे नियम अमल में लाने चाहिए। कई एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने भी अपनी बातें रखीं। मंडप डेकोरेशन एसोसिएशन ने जीएसटी 18 प्रतिशत से 12 प्रतिशत करने तथा कैटरिंग और बेकरी एसोसिएशन ने 18 से पांच प्रतिशत ड्यूटी करने की मांग की। इसके अलावा हार्डवेयर टूल्स और मिलजीन एसोसिएशन ने ड्यूटी घटाकर 12 प्रतिशत करने की मांग की। इस दौरान 20 से अधिक एसोसिएशन के पदाधिकारी उपस्थित थे।

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