दो दिवसीय इलेक्ट्रिक व्हीकल एवं एडवांस टेक्नोलॉजी पर वेंडर विकास कार्यक्रम शुरू

गुरुग्राम 8 दिसंबर। सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्रालय (एमएसएमई) भारत सरकार के एमएसएमई विकास कार्यालय, करनाल तथा गुरूग्राम द्वारा संयुक्त रूप से लगाए जा रहे दो दिवसीय इलेक्ट्रिक वाहन एवं एडवांस टेक्नोलॉजी पर वेंडर विकास कार्यक्रम का आज उद्योग एवं वाणिज्य विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव आनंद मोहन शरण द्वारा शुभारंभ किया गया। इस कार्यक्रम में 50 से अधिक कंपनियों द्वारा स्टॉल लगाई गई थी जिसका विधिवत् शुभारंभ उन्होंने रिबन काटकर किया। कार्यक्रम में श्री शरण ने एमएसएमई संबंधी योजनाओं आदि पर आधारित पुस्तिका का भी विमोचन किया।

कार्यक्रम में श्री शरण ने कंपनियो द्वारा लगाई गई स्टॉल पर जाकर कंपनियों से आए प्रतिनिधियों का उत्साहवर्धन किया। वेंडर विकास कार्यक्रम के बारे में अपने विचार रखते हुए श्री शरण ने कहा कि एमएसएमई विकास कार्यालय, करनाल द्वारा इस कार्यक्रम के माध्यम से एमएसएमई जगत के लोगों को एक ऐसा मंच प्रदान करने का प्रयास किया गया है उससे हरियाणा में एमएसएमई जगत के लोगो को बड़े पैमाने पर लाभ होगा। उन्होंने कहा कि हरियाणा सरकार द्वारा हाल ही में इलैक्ट्रिक व्हीकल पॉलिसी की घोषणा की गई है जिसमें 13 अलग-2 तरह की योजनाएं हैं और इन योजनाओं से निश्चित तौर पर ही हरियाणा में इलैक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा मिलेगा। इन योजनाओं में कैपिटल सब्सिडी, नेट जीएसटी रिंबर्समेंट, स्टांप ड्यूटी, स्किलिंग शामिल है। इससे इंडस्ट्रीज के बॉयर्स को भी बड़े पैमाने पर लाभ मिलेगा।

उन्होंने स्पष्ट कहा कि वातावरण में प्रदूषण के स्तर को कम करने के लिए ही इलैक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा दिया जा रहा है। पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष इलैक्ट्रिक वाहनों को अत्यधिक बढ़ावा मिला है और लोगों का रूझान इस तरफ बढ़ा है। उन्होंने कहा कि आमजन को इलैक्ट्रिक वाहनों के प्रति प्रेरित करने के लिए इलैक्ट्रिक वाहनों की खरीद करने पर सब्सिडी का प्रावधान किया गया है। इसके अलावा, जो कंपनियां इलैक्ट्रिक वाहन बनाना चाहती हैं , उन्हें भी इन योजनाओं के तहत सब्सिडी दी जाएगी। दो दिवसीय कार्यक्रम के बारे में विचार रखते हुए उन्होंने कहा कि इस कार्यक्रम में मारूति कंपनी द्वारा एडवांस टैक्नोलॉजी पर आधारित अलग-2 तरह के सेशन रखे गए हैं। इस दौरान मारूति सुजुकी इंडिया लिमिटेड कपंनी के पदाधिकारी द्वारा अपने विचार सांझा करते हुए वेंडरों के संशयों को दूर किया जाएगा।

इस मौके पर भारी उद्योग मंत्रालय, भारत सरकार के ज्वाइंट सैक्रेटरी डा. हनीफ कुरैशी ने अपने संबोधन में कहा कि भारत में इलैक्ट्रिक वाहनों का काफी स्कोप है। उन्होंने मंच से भारत सरकार की द्वारा चलाई जा रही अलग-2 योजनाओं के बारे में विस्तार से जानकारी दी। इसके अलावा, उन्होंने ऑटोमोबाइल सैक्टर के लिए चलाई जा रही योजनाओं का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि इलैक्ट्रिक वाहनों में बैटरी की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। वर्तमान में लिथियम की बैटरी चाइना से इंपोई करवाई जाती है, ऐसे में हमारा प्रयास है कि लिथियम बैटरी के विकल्पों पर काम किया जाए। इसके साथ ही उन्होंने पीएलआई योजना के बारे में भी अपने विचार रखे।

कार्यक्रम में स्वागत संबोधन एमएसएमई करनाल के निदेशक संजीव चावला ने कार्यक्रम में पधारे सभी अतिथियों का स्वागत किया। उन्होंने कार्यक्रम में एमएसएमई क्षेत्र से जुड़े उद्योगों के लिए भविष्य में व्यापार की अनेको संभावनाओ पर भी अपने विचार रखे। उन्होंने इलैक्ट्रिक वाहनों को भारत का भविष्य बताया। आईएमएसएमई ऑफ इंडिया के प्रेजीडेंट राजीव चावला ने इस मौके पर अपने विचार रखते हुए कहा कि वर्तमान में किसी भी बिजनेस को शुरू करने का सबसे अनुकूल समय है। उन्होंने हरियाणा के इको सिस्टम को एमएसएमई के लिए सबसे अच्छा बताया। कार्यक्रम में मारूति सुजूकी इंडिया लिमिटेड के सीनियर एग्जीक्यूटिव व्यापार प्रणालियों की विविधता ऑफिसर- सप्लाई चेन एवं एसआईएएम आत्मनिर्भर भारत गु्रप के चेयरमैन सुनील कक्कड़ ने भी मंच से अपने विचार सांझा किए। इस मौके पर हरियाणा स्टेट चैप्टर , पीएचडीसीसीआई के गुरूग्राम कनविनर डा. योगेश भाटिया ने आए हुए अतिथियों का धन्यवाद ज्ञापित किया।

इस कार्यक्रम में संयुक्त निदेशक प्रदीप ओझा , सहायक निदेशक सतपाल, मीनू धीमान, रवि प्रकाश, एम के वर्मा, जिला एमएसएमई केन्द्र गुरूग्राम से सतीश कुमार भी उपस्थित थे।

व्यापार प्रणालियों की विविधता

WEATHER UPDATE: प्रदूषण में कमी आने के बाद भी दिल्ली की हालत ‘बहुत खराब’, जानें आज का AQI

नई दिल्ली: राजधानी में ठिठुरती सर्दी जारी हैं। पहाड़ी इलाकों में बर्फबारी के व्यापार प्रणालियों की विविधता चलते देश के उत्तरी राज्यों में तापमान में गिरावट दर्ज की गई हैं, तो दूसरी और दिल्ली की हवा में उतार-चढ़ाव जारी हैं। बता दें कि आज फिर राजधानी दिल्ली में 300 के पार प्रदूषण स्तर दर्ज किया गया हैं जो बहुत खराब श्रेणी में है, हालांकि कल के मुकाबले प्रदूषण स्तर में मामूली गिरावट देखी गई हैं।

ठिठुरती ठंड के साथ-साथ दिल्ली की हवा में सुधार नहीं हो रहा हैं। किसी दिन मामूली गिरावट दर्ज की जाती हैं तो किसी दिन 400 के पार प्रदूषण स्तर पहुंच जाता हैं। वायु गुणवत्ता एवं मौसम पूर्वानुमान और अनुसंधान प्रणाली (SAFAR) के मुताबिक, आज की वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 337 दर्द किया गया हैं जो बहुत खराब श्रेणी में है। इसके अलावा पहाड़ी इलाकों में बर्फबारी जारी हैं. हालांकि इस बर्फबारी का असर देश के उत्तरी राज्यों में देखने को मिल रहा हैं। बर्फबारी के चलते सर्दी बढ़ती जा रही हैं और तापमान में कमी दर्ज की जा रही हैं।

मौसम विभाग के अनुसार, राजधानी दिल्ली में रात के समय तापमान में गिरावट देखी जा सकती है। इसके अलावा सुबह के समय दिल्ली के कुछ इलाकों में कोहरा होने के साथ-साथ कड़ाके की ठंड भी देखने को मिल सकती है। हालांकि, मौसम विभाग सोमवार को दिल्ली में मौसम साफ रहने का अनुमान जताया है।

व्यापार प्रणालियों की विविधता

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  • suryasamachar.com [Edited by: Surya Team]
  • 08-12-2022 13:42:36 PM

नई दिल्ली: शीतकालीन सत्र 2022 7 दिसंबर से शुरू हो चुका है। आज से संसद का शीतकालीन सत्र शुरू हो गया है। इस सत्र में कुल 17 कार्य दिवस होंगे। संसद के शीतकालीन सत्र के लिए भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार के एजेंडे में 16 नए बिल शामिल हैं। वहीं, लोकसभा में देश में जनसंख्या नियंत्रण कानून बनाने, हरियाणा के खनन श्रमिकों को ध्यान में रखकर अस्पताल खोले जाने और उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों में असमय वर्षा के कारण आई बाढ़ से हुए नुकसान का आकलन कराने की मांग उठी।

व्यापार चिन्ह संशोधन विधेयक, 2022 (The Trade Marks (Amendment) Bill,2022) : इस बिल के जरिए मैड्रिड रजिस्ट्रीकरण प्रणाली में ट्रांसफॉर्मेशन और रिप्लेसमेंट से संबंधित कुछ प्रावधान जोड़े जाएंगे। इस बिल के माध्यम से ट्रेड मार्क आवेदनों की प्रक्रिया को तेजी लाने के लिए कारण बताओ, सुनवाई, व्यापार प्रणालियों की विविधता इलेक्ट्रॉनिक कम्युनिकेशन जैसे विषयों में सुधार किया जाएगा।

(The Geographical Indications of Goods (Registration and Protection) Amendment Bill,2022) : इस विधेयक के जरिए प्रक्रियाओं को सरल बनाने के लिए भौगोलिक उपदर्शन (Geographical Indications) से जुड़े कानून में संशोधन किया जाना है, जिससे ज्यादा से ज्यादा हितधारक इसका लाभ उठा सकें।

बहु-राज्य सहकारी समितियां (संशोधन) विधेयक, 2022 (The Multi-State Cooperative Societies (Amendment) Bill) : केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बहुराज्य सहकारी सोसाइटी (संशोधन) विधेयक, 2022 के मसौदे को मंजूरी दे दी है। इसमें बहुराज्य सहकारिता समिति अधिनियम, 2002 में संशोधन का प्रावधान किया गया है। सरकार द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार इस फैसले से बहुराज्य सहकारी समितियों के संचालन में सुधार होगा। इसके साथ ही पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ेगी। निष्पक्ष और समय पर चुनाव सुनिश्चित करने के लिए चुनाव प्राधिकरण का गठन किया जाएगा। महिलाओं, अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के लिए सीटें आरक्षित की जाएंगी।

छावनी विधेयक, 2022 (The Cantonment Bill, 2022) : यह विधेयक छावनियों को व्यापक लोकतंत्रिकरण, आधुनिकीकरण और दक्षता प्रदान करने के लिए है। इस विधेयक का लक्ष्य छावनियों में जीवन यापन की सरलता को सुगम बनाना भी है।

पुराना अनुदान विधेयक ( विनियमन) 2022 (The Old Grant (Regulation) Bill, 2022) : इस विधेयक में गवर्नर जनरल आदेश द्वारा दी गई जमीन को विनिमित और ट्रांसफर करना शामिल है। इस विधेयक में ऐसी जमीनों के बेहतर प्रबंधन का प्रस्ताव किया गया है। इस बिल का उद्देश्य ऐसी जमीनों पर सरकारी अधिकारों को सुनिश्चित करते हुए जीवनयापन को सरल बनना है।

निरसन और संशोधन विधेयक, 2022 (The Repealing and Amending Bill) : इस विधेयक का उद्देश्य अनावश्यक और अप्रचलित कानूनों को रद्द करना है।

संविधान (अनुसूचित जनजातियां) आदेश (दूसरा संशोधन) विधेयक 2022 (The Constitution (Scheduled Tribes) Order (Second Amendment) Bill,2022) : इस विधेयक का उद्देश्य तमिलनाडु की अनुसूचित जनजातियों की सूची में संशोधन करना है।

संविधान (अनुसूचित जनजातियां) आदेश (तीसरा संशोधन) विधेयक 2022 (The Constitution (Scheduled Tribes) Order (Third Amendment) Bill,2022) : इस विधेयक का मकसद हिमाचल प्रदेश की अनुसूचित जनजातियों की सूची में संशोधन करना है।

संविधान (अनुसूचित जनजातियां) आदेश (चौथा संशोधन) विधेयक 2022 (The Constitution (Scheduled Tribes) Order (Fourth Amendment) Bill,2022) : इस विधेयक का आशय कर्नाटक की अनुसूचित जनजातियों की सूची में संशोधन करना है।

संविधान (अनुसूचित जनजाति) आदेश (पांचवां संशोधन) विधेयक 2022 (The Constitution (Scheduled Tribes) Order (Fifth Amendment) Bill, 2022) : इस विधेयक के माध्यम से छत्तीसगढ़ की अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों की सूची में संशोधन करना है।

राष्ट्रीय दंत चिकित्सा आयोग विधेयक, 2022 (The National Dental Commission Bill) : सरकार इस सत्र में राष्ट्रीय दंत चिकित्सा आयोग विधेयक, 2022 पेश करेगी। इस विधेयक में एक राष्ट्रीय दंत चिकित्सा आयोग स्थापित करने और दंत चिकित्सक व्यापार प्रणालियों की विविधता अधिनियम, 1948 को निरस्त करने का प्रस्ताव है। डेंटल काउंसिल की जगह राष्ट्रीय दंत चिकित्सा आयोग बनाया जायगा।

राष्ट्रीय परिचर्या और प्रसूति विद्या आयोग विधेयक,2022 (The National Nursing and Midwifery Commission Bill) : इस विधेयक में राष्ट्रीय नर्सिंग आयोग (NNMC) को स्थापित करने और भारतीय परिचर्या परिषद अधिनियम 1947 को निरस्त करने का प्रस्ताव है।

वन संशोधन (संरक्षण) विधेयक, 2022 (The Forest (Conservation) Amendment Bill, 2022) : इस विधेयक का आशय वन संरक्षण अधिनियम, 1980 में संशोधन करना है। कहा जा रहा है कि इस विधेयक से गैर-वनक्षेत्रों में वृक्षारोपण को बढ़ावा मिलेगा और वनों को संरक्षण मिलेगा।

तटीय जल कृषि प्राधिकरण (संशोधन) विधेयक 2022 (The Coastal Aquaculture Authority (Amendment) Bill) : इस बिल का लक्ष्य वर्तमान कानून में संशोधन करना है, जिससे तटीय क्षेत्रों में पर्यावरण संरक्षण के सिद्धांतों से समझौता किए बिना विभिन्न हितधारकों पर नियामक अनुपालन बोझ को कम किया जा सके। इस बिल में जल कृषि के सभी कार्यक्षेत्रों और गतिविधियों को शामिल किया जाएगा। इस बिल में क्षेत्रीय जरूरतों और मौजूदा परिस्थितियों के आधार पर नियमों में बदलाव का भी प्रस्ताव है। इससे तटीय जल कृषि फार्मों और अन्य गतिविधियों के पंजीकरण में आने वाली कठिनाइयों को कम करने में आसानी होगी।

उत्तर-पूर्व जल प्रबंधन प्राधिकरण विधेयक, 2022 (The North East Water Management Authority Bill,2022) : इस बिल में ब्रह्मपुत्र बोर्ड को समाप्त करके उसकी जगह उत्तर पूर्व जल प्रबंधन प्राधिकरण (NEWMA) गठित करने का प्रस्ताव है। उत्तर पूर्व जल प्रबंधन प्राधिकरण सिक्किम, पश्चिम बंगाल सहित देश के उत्तर पूर्वी क्षेत्र में ब्रह्मपुत्र और बराक बेसिन के लिए एकीकृत जल संसाधन और बेसिन प्रबंधन संगठन के रूप में कार्य करेगा।

कला क्षेत्र प्रतिष्ठान (संशोधन) विधेयक, 2022 (The Kalakshetra Foundation (Amendment) Bill,2022) : इस विधेयक का उद्देश्य कला क्षेत्र प्रतिष्ठान अधिनियम, 1993 में संशोधन करना है। इस संशोधन से कला क्षेत्र प्रतिष्ठान को प्रमाण पत्र, डिप्लोमा, पोस्ट ग्रैजुएट डिप्लोमा, ग्रैजुएट-पोस्ट ग्रैजुएट, डॉक्टरेट और पोस्ट डॉक्टरेट कोर्स के डिग्री देने के लिए सशक्त करने में मदद मिलेगी। विधेयक के प्रस्तावों से नृत्य, पारंपरिक रंगमंच, नाटक, पारंपरिक संगीत, दृश्य कला, शिल्प कला के क्षेत्रों में अनुसंधान करने को बढ़ावा भी मिलेगा।

एनडीएए को भारत के साथ सहयोग का विस्तार करने की आवश्यकता है : सीनेटर वार्नर

वाशिंगटन, आठ दिसंबर (भाषा) अमेरिका के एक शीर्ष सीनेटर मार्क वॉर्नर ने बुधवार को कहा कि अमेरिका के लिये वार्षिक रक्षा बजट प्रदान करने वाले कानून ‘राष्ट्रीय रक्षा प्राधिकरण अधिनियम’ (एनडीएए) के तहत पेंटागन को उभरती प्रौद्योगिकी, तत्परता और अन्य समान के लिए भारत के साथ अपने सहयोग का विस्तार करने की आवश्यकता है।

सीनेट इंटेलिजेंस कमेटी के अध्यक्ष और सीनेट इंडिया कॉकस के सह-अध्यक्ष वॉर्नर ने कहा कि एनडीएएए रक्षा और विदेश मंत्रालयों को उभरती प्रौद्योगिकी, संयुक्त अनुसंधान एवं विकास, रक्षा व साइबर क्षमताओं और सहयोग को बढ़ाने का निर्देश देते हुए भारत के साथ संबंध गहरे करना जारी रखेगा। इसमें भारत की रूस निर्मित रक्षा उपकरणों पर निर्भरता को कम करना भी शामिल है।

सीनेट और प्रतिनिधि सभा की संयुक्त समिति के एनडीएए के मसौदे को लेकर एक समझौते पर पहुंचने के बाद सीनेटर के कार्यालय ने कहा कि ये प्रावधान भारत के साथ रक्षा साझेदारी के महत्व को रेखांकित करने और रक्षा प्रणालियों में विविधता लाने के लिए भारत के त्वरित प्रयासों का समर्थन करने की दिशा में वॉर्नर की कोशिशों का समर्थन करते हैं।

इसे अभी कांग्रेस के दोनों सदन में औपचारिक रूप से पारित किया जाना बाकी है।

यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।

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मिन्हाज मर्चेंट का कॉलम: जलवायु परिवर्तन का संबंध खानपान की आदतों से भी है

मिन्हाज मर्चेंट, लेखक, प्रकाशक और सम्पादक - Dainik Bhaskar

मिस्र के शर्म-अल-शेख में हाल में हुई सीओपी-27 समिट के दौरान जलवायु परिवर्तन से सम्बंधित हर विषय पर ब्योरेवार बात की गई, केवल एक ही विषय को छोड़ दिया गया। जबकि वह सबसे जरूरी था- पर्यावरण पर हो रहे दुष्प्रभावों के लिए सबसे ज्यादा जिम्मेदार मांस उद्योग। यूनाइटेड नेशंस फूड एंड एग्रीकल्चर ऑर्गेनाइजेशन या एफएओ के मुताबिक दुनिया के कार्बन उत्सर्जन में अकेले मांस उद्योग का योगदान 15 प्रतिशत है।

बीबीसी बताती है कि बीफ से सर्वाधिक ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन होता है। यूनिवर्सिटी ऑफ एबेर्डीन की मार्गरेट गिल का कहना है कि पोल्ट्री के बजाय कैटल से अधिक मीथेन गैस उत्पन्न होती है। लेकिन अगर मांस, पोल्ट्री और मछली उद्योग की समूची खाद्य शृंखला पर नजर डाली जाए तो आप पाएंगे कि पर्यावरण का नाश करने वाले समस्त कार्बन और मीथेन उत्सर्जन में इनका कुल योगदान लगभग 30 प्रतिशत है।

यूरोप और अमेरिका के लोगों को अब यह बात समझ आने लगी है कि पशु-आधारित भोजन पर्यावरण के लिए कितना नुकसानदेह होता है। जबकि इन दोनों ने ऐतिहासिक रूप से सबसे ज्यादा प्रदूषण फैलाया है। ब्रिटेन में आज लगभग 70 लाख लोग शाकाहारी बन गए हैं। यह उसकी कुल आबादी का दस प्रतिशत है। इनमें भी छह लाख लोग तो वीगन हैं, यानी उन्होंने दूध या उससे निर्मित उत्पादों का सेवन भी बंद कर दिया है।

अमेरिका में भी पांच प्रतिशत आबादी शाकाहारी हो चुकी है। चीन में यह संख्या चार प्रतिशत से कम है। एफएओ की रिपोर्ट कहती है, भारत में आज भी दुनिया में सबसे कम मांस का सेवन किया जाता है। प्लांट-बेस्ड भोजन स्वास्थ्य के लिए तो अच्छा होता ही है, मांस-आधारित खाद्य-शृंखला को कम करने से हम कार्बन उत्सर्जन में भी कमी ला सकते हैं।

फोर्ब्स में डेविड वेटर की एक रिपोर्ट के मुताबिक, मांस के लिए किसी पशु की हत्या करने में जो अनैतिकता छिपी है, उसके बारे में सदियों से बहस की जा रही है। लेकिन हाल के सालों में इसमें जलवायु-परिवर्तन का परिप्रेक्ष्य भी जुड़ गया है, जिसके बाद मांसाहारी और दुविधा में पड़ गए हैं। जलवायु-वैज्ञानिकों ने चेताया है कि कैटल और डेयरी फार्मिंग पर्यावरण के लिए घोर नुकसानदेह है और इसमें उत्पादन की हर प्रक्रिया में ग्रीनहाउस गैसों का भारी मात्रा में उत्सर्जन होता है।

पिछले महीने कार्बन बीफ नामक यूके की एक क्लाइमेट चेंज वेबसाइट ने एक डाटा जारी किया, जिसमें बताया गया कि मांस और दूध उद्योग हर साल 7.1 गीगाटन ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन करता है। यह मानव-जनित उत्सर्जनों का 14.5 प्रतिशत है। इसमें भी बीफ का योगदान सबसे बढ़कर है। एक किलो बीफ के उत्पादन के लिए 60 किलो ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन होता है, यानी भेड़ के मांस से दोगुना अधिक।

मवेशियों से उत्पन्न होने वाली मीथेन गैस कार्बन डाय ऑक्साइड की तुलना में 34 गुना अधिक प्रभावी होती है। साथ ही मांस उद्योग के द्वारा जंगलों की कटाई आदि भी की जाती है, ताकि मवेशियों के लिए चारे का बंदोबस्त कर सकें। बीफ उत्पादन से मुनाफा कमाने के लिए चीन जैसे देश में हजारों वर्गकिमी के वर्षावन नष्ट कर दिए गए हैं, जो जैव-विविधता से भरे थे और पारिस्थितिकी तंत्र के लिए केंद्रीय महत्व के थे।

एक नई रिपोर्ट के मुताबिक दक्षिण अमेरिका के 40 प्रतिशत वर्षावन भी अब डी-फोरेस्टेशन के खतरे की जद में हैं। प्लांट-आधारित भोजन की ओर पूरी दुनिया का रुख तो अभी सुदूर भविष्य की बात है, लेकिन जलवायु-परिवर्तन के जो विनाशाकारी परिणाम होने जा रहे हैं, उन्होंने अनेक बहसों को जन्म दे दिया है। दुनिया व्यापार प्रणालियों की विविधता नेट-जीरो का लक्ष्य अर्जित करने के लिए क्लीन-एनर्जी की ओर बढ़ रही है, लेकिन जीवनशैली सम्बंधित परिवर्तन लाना बहुत मुश्किल है। भोजन की आदतें आसानी से छूटती नहीं।

वैसे में यही रास्ता सूझता है कि लोगों को प्लांट-आधारित मांस का विकल्प दिया जाए। यह न केवल एक बड़ी आबादी का भरण-पोषण कर सकता है, बल्कि खाद्य प्रणाली, पर्यावरण और स्वास्थ्य के लिए भी अच्छा है। भारत में पहले ही यह ट्रेंड गति पकड़ने लगा है। क्रिकेटर विराट कोहली और अभिनेत्री अनुष्का शर्मा प्लांट-आधारित मांस को प्रचारित कर चुके हैं। ब्लू ट्राइब, वकाव, अर्बन प्लैटर, इमेजिन मीट्स जैसे अनेक ब्रांड्स भी मीट-सब्स्टिट्यूट पेश कर रहे हैं।

मांस के लिए किसी पशु की हत्या करने में जो अनैतिकता छिपी है, उसके बारे में सदियों से बहस की जा रही है। हाल के सालों में इसमें जलवायु-परिवर्तन के खतरों का परिप्रेक्ष्य भी जुड़ गया है।

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