- निवेशक को उसकी यूनिट पर रीट-इनविट कंपनी की ओर से ब्याज या लाभांश दिया जाता है। तो यह राशि टैक्स स्लैब के अनुसार आयकर के तहत होगी। निवेशक को रिटर्न भरते समय अन्य स्रोत से कमाई में इसका जिक्र करना होगा। टैक्स दर सिलेब के अनुसार है, जो अधिकतम 30 फ़ीसदी होगी।
- यूनिट बेचने पर लाभ हुआ, तो कैपिटल गेन टैक्स देना होगा। निवेशक ने यूनिट खरीदने के 3 साल के भीतर इसे बेचा है तो मुनाफे पर 15 फ़ीसदी कम अवधि का पूंजीगत लाभ कर देना होगा। अगर 3 साल बाद यूनिट वेट से हैं तो 1 लाख से ज्यादा के मुनाफे पर 10 फ़ीसदी लंबी अवधि का पूंजीगत लाभ कर लगेगा।
Mutual Funds vs Shares: आपके लिए क्या है निवेश का बेहतर तरीका? जानिए पूरी डिटेल
Mutual Funds vs Shares: अगर आप शेयर बाजार में पैसा लगाना चाहते हैं तो सीधा स्टॉक खरीद सकते हैं जिसके लिए डीमैट अकाउंट जरूरी है. इसके अलावा म्यूचुअल फंड की मदद से भी बाजार में पैसा निवेश किया जा सकता है. दोनों में कौन बेहतर है, यह आपके लक्ष्य और रिस्क लेने की क्षमता पर निर्भर करता है.
Mutual Funds vs Shares: शेयर बाजार में निवेश का दो प्रमुख तरीका है. पहला तरीका है कि आप सीधा डीमैट अकाउंट से शेयर खरीदें और लंबी अवधि के निवेशक बनें. दूसरा तरीका है कि आप म्यूचुअल फंड की मदद से बाजार में SIP करें और लंबी अवधि में आपको मोटा रिटर्न मिलेगा. निवेश का दोनों तरीका बेहद दो तरह के निवेशक पॉप्युलर है. आपके लिए इसमें कौन तरीका ज्यादा सुटेबल है, यह इस बात पर निर्भर करता है कि आफकी बाजार को लेकर समझ कितनी है. अगर समझदारी से निवेश का फैसला नहीं किया तो आपका पैसा डूब भी सकता है.
कब करें सीधा शेयर बाजार में निवेश?
अगर आप शेयर बाजार में दिलचस्पी रखते हैं और बाजार के उठापटक को समझते हैं तो सीधा स्टॉक में निवेश किया जा सकता है. स्टॉक में निवेश के लिए आपके पास डीमैट अकाउंट होना जरूरी है. डीमैट अकाउंट की मदद से स्टॉक खरीद और बेच सकते हैं. आपको कहां निवेश करना, किस सेक्टर में निवेश करना है और किस कंपनी का स्टॉक खरीदना है, यह आपका निजी फैसला होगा. हालांकि, बाजार के जानकारों की राय लेना जरूरी होता है. आप सीधा स्टॉक में निवेश करेंगे तो संभव है कि आपक रिटर्न ज्यादा मिले. दूसरी तरफ स्टॉक के गिरने पर नुकसान भी मोटा होगा.
ट्रेडर हैं या निवेशक?
बाजार में निवेश से पहले रिसर्च करना जरूरी होता है. स्टॉक के निवेशक दो तरह के होते हैं. पहला ट्रेडर होते हैं, जिनका यहा पेशा होता है. दूसरा आप धीरे-धीरे स्टॉक में निवेश करें और लंबी अवधि के निवेशक बनें. इस बात को ध्यान में रखना जरूरी है कि स्टॉक के प्रदर्शन से आपके पोर्टफोलिय पर डायरेक्ट असर होता है, ऐसे में यह आपके लिए इमोशनल जर्नी होती है.
किनके लिए है म्यूचुअल फंड?
जो निवेशक शेयर बाजार में निवेश करना चाहते हैं, लेकिन उन्हें इसके बारे में कम जानकारी है या फिर वे रिस्क नहीं लेना चाहते हैं तो म्यूचुअल फंड बेहतर विकल्प है. म्यूचुअल फंड में आपका पैसा फंड मैनेजर निवेश करता है जिसके पास निवेश और बाजार का लंबा अनुभव होता है. म्यूचुअल फंड का एक और फायदा ये है कि आपका पैसे अलग-अलग असेट्स, अलग-अलग सेक्टर और अलग-अलग स्टॉक में निवेश किया जाता है. डायवर्सिफिकेशन के कारण आपका पोर्टफोलियो बैलेंस्ड रहता है.
कैसे पता करें आपके लिए कौन बेहतर?
आपके लिए दोनों में कौन बेहतर विकल्प है? यह एक कठिन प्रश्न है. हालांकि, यह पूरी तरह आपके लक्ष्य और रिस्क पर निर्भर करता है. अगर निवेश की शुरुआत कर रहे हैं तो म्यूचुअल फंड बेहतर विकल्प माना जाता है. म्यूचुअल फंड में भी इक्विटी फंड का रिस्क ज्यादा होता है, जबकि डेट फंड में रिस्क कम होता है. अगर आप नए हैं और कम रिस्क दो तरह के निवेशक उठाना चाहते हैं तो एक्सचेंज ट्रेडेड फंड भी निवेश का शानदार विकल्प है. दोनों में कई समानताएं भी हैं.
निवेश कर अमीर बनने के ये हैं 10 बेहतरीन विकल्प
सचाई यह है कि कम जोखिम के साथ बेहतरीन रिटर्न नहीं कमाया जा सकता. वास्तव में जहां रिटर्न अधिक होगा, वहां जोखिम भी अधिक होगा.
निवेश के किसी विकल्प को चुनते वक्त आपको जोखिम उठाने की अपनी क्षमता के बारे में जानना-समझना जरूरी है. कुछ निवेश ऐसे हैं जिनमें लंबी अवधि में अधिक जोखिम के साथ अधिक रिटर्न का मौका मिलता है.
निवेश के वास्तव में दो तरीके हैं-वित्तीय और गैर वित्तीय निवेश विकल्प.
इसे भी पढ़ें: कैसे ट्रांसफर करें PPF अकाउंट?
वित्तीय प्रोडक्ट में आप शेयर बाजार से संबद्ध विकल्प (शेयर, म्यूचुअल फंड) चुन सकते हैं या फिक्स्ड इनकम (PPF, बैंक FD आदि) के विकल्प चुन सकते हैं. गैर वित्तीय निवेश विकल्प में सोना, रियल एस्टेट आदि आते हैं. ज्यादातर भारतीय निवेश अब तक निवेश के इसी गैर वित्तीय निवेश विकल्प का प्रयोग करते रहे हैं.
हम आपको यहां बता रहे हैं निवेश के शीर्ष 10 विकल्प:
शेयरों में निवेश
हर किसी के लिए शेयरों में सीधे निवेश करना आसान नहीं है. इसमें रिटर्न की कोई गारंटी भी नहीं है. सही शेयरों का चुनाव मुश्किल काम है, इसके साथ ही शेयर की सही समय पर खरीदारी और सटीक वक्त पर निकलना महत्वपूर्ण है. निवेश के अन्य विकल्पों की तुलना में शेयर में लंबी अवधि में रिटर्न देने की क्षमता सबसे अधिक होती है.
इक्विटी म्यूचुअल फंड
म्यूचुअल फंड की यह कैटेगरी शेयरों में निवेश से ही रिटर्न कमाती है. सेबी के निर्देश के मुताबिक जो म्यूचुअल फंड स्कीम अपने फंड का 65% शेयरों में निवेश करती है, वह इक्विटी म्यूचुअल फंड कहलाती है. इसमें एक फंड मैनेजर होता है जो पर्याप्त रिसर्च के बाद निवेश के लायक शेयर चुनता है और उसमें निवेश करता है.
इक्विटी स्कीम बाजार पूंजीकरण या सेक्टर के हिसाब से अलग हो सकती हैं. इस समय इक्विटी म्यूचुअल फंड का एक, तीन या पांच साल का रिटर्न 15फीसदी सालाना के हिसाब से रहा है.
डेट म्यूचुअल फंड
म्यूचुअल फंड की यह कैटेगरी उन निवेशकों के लिए सही दो तरह के निवेशक है जो निवेश से गारंटीड रिटर्न कमाना चाहते हैं. ये म्यूचुअल फंड कॉरपोरेट बांड्स, सरकारी सिक्योरिटीज, ट्रेजरी बिल्स, कमर्शियल पेपर आदि में निवेश से रिटर्न कमाती है. इस समय डेट म्यूचुअल फंड का एक, तीन या पांच साल का रिटर्न 6.5, 8 और 7.5 फीसदी सालाना के हिसाब से रहा है.
नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS)
नेशनल पेंशन सिस्टम (nps) का प्रदर्शन पिछले कुछ सालों में अच्छा रहा है. बहुत कम फीस स्ट्रक्चर भी इसे निवेश का आकर्षक विकल्प बनाता है. बाजार से जुड़े उत्पादों में देश में यह सबसे कम खर्च वाला प्रोडक्ट है. निकासी संबंधी नियमों में बदलाव और अतिरिक्त टैक्स-छूट की वजह से भी यह निवेशक की पसंद में शामिल हो गया है.
एनपीएस बच्चों की शिक्षा, शादी, घर बनाने या किसी मेडिकल इमरजेंसी की स्थिति में आंशिक निकासी की सुविधा देता है. इसमें हालांकि रिटायरमेंट के बाद भी आपको निवेश में बने रहना जरूरी होता है. यह वास्तव में शेयर, FD, कॉरपोरेट बांड, लिक्विड फंड और सरकारी निवेश विकल्प का मिला जुला रूप है.
इस समय NPS का एक, तीन या पांच साल का रिटर्न 9.5, 8.5 और 11 फीसदी सालाना के हिसाब से रहा है.
पीपीएफ
देश में निवेशकों के बीच पीपीएफ सर्वाधिक लोकप्रिय बचत योजनाओं में से एक है. इनकम टैक्स कानून के सेक्शन 80C के तहत किसी एक वित्त वर्ष में आप पीपीएफ में 1.5 लाख रुपये के निवेश पर टैक्स छूट प्राप्त कर सकते हैं.
निवेश के इस विकल्प की सबसे अच्छी बात यह है कि यह आपको EEE (निवेश के वक्त करमुक्त, ब्याज पर करमुक्त, निवेश भुनाने पर करमुक्त) का लाभ देता है.
निवेश के इस विकल्प में सरकारी गारंटी इसकी लोकप्रियता को और बढ़ा देती है.
बैंक FD
बैंक या पोस्ट ऑफिस में कराई जाने वाली टैक्स सेविंग FD से आप निवेश के वक्त सेक्शन 80C के तहत टैक्स बचा सकते हैं. यह निवेश का सुरक्षित और गारंटीड रिटर्न वाला विकल्प है. इस पर मिलने वाले ब्याज पर आपको इनकम टैक्स स्लैब के हिसाब से टैक्स चुकाना पड़ता है.
डिपाजिट इंश्योरेंस एवं क्रेडिट गारंटी कॉर्पोरेशन के हिसाब से आपकी एक लाख रुपये तक की जमा रकम बीमित है.
सीनियर सिटीजन सेविंग स्कीम (SCSS)
पोस्ट ऑफिस की तरफ से बेस्टसेलर के रूप में यह स्कीम रिटायर्ड लोगों के लिए निवेश का पसंदीदा स्रोत है. यह सेवानिवृत लोगों के लिए आय का नियमित स्रोत भी है. इस स्कीम की अवधि पांच साल है जिसे तीन साल के लिए और बढ़ाया जा सकता है.
इसमें हालांकि प्रति व्यक्ति 15 लाख रुपये की अधिकतम निवेश सीमा है. यह 60 दो तरह के निवेशक साल से अधिक उम्र के निवेशकों के लिए ही खुली है, हालांकि सेना से रिटायर मेंट लेने वाले लोगों के लिए उम्र की कोई सीमा नहीं है.
विशेषज्ञों का मानना है कि जीवन भर की बचत को पार्क करने और उस पर कमाई के हिसाब से यह स्कीम बेहतरीन है. यह सेवानिवृत लोगों की जरूरत के हिसाब से बनाया गया है.
रिजर्व बैंक के टैक्सेबल बांड्स
पहले इस स्कीम में आठ फीसदी सालाना का ब्याज मिलता था जिसे सरकार ने बदल कर अब 7.75 फीसदी ब्याज वाला विकल्प बना दिया है. इस बांड में पांच साल के लिए निवेश किया जा सकता है.
रियल एस्टेट
खुद के रहने के हिसाब से घर खरीदना अब निवेश के लिहाज से भी आकर्षक विकल्प बनकर उभरा है. अगर आपको रहने की जरूरत नहीं है तो आप निवेश के हिसाब से भी दूसरा घर खरीद सकते हैं. निवेश के इस विकल्प में आपको सिर्फ प्रॉपर्टी की लोकेशन और वहां मौजूद सुविधाओं का ध्यान रखने की जरूरत है.
इसमें निवेश से आप पूंजी में इजाफा और किराये से आमदनी, दो तरीके से रिटर्न कमा सकते हैं.
सोना
निवेश का यह विकल्प सदियों से भारतीयों की पसंद में शामिल है, पहनने के लिए खरीदी जाने वाली ज्वेलरी से लेकर निवेश के रूप में खरीदे गए सिक्के और बार तक, सोना बिना किसी संदेह के भारतीयों की पसंद में सबसे ऊपर है. अब आप पेपर गोल्ड के रूप में भी सोने में निवेश कर सकते हैं.
गोल्ड ETF में निवेश करना और भुनाना दोनों ही शेयर बाजार के जरिये होता है.
आप क्या करें
निवेश के कुछ विकल्प शेयर बाजार से संबद्ध हैं तो कुछ निश्चित ब्याज वाले हैं. आप जोखिम लेने की अपनी क्षमता के हिसाब से ही रिटर्न की उम्मीद रखें.
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शेयर बाजार से पैसा बनाने के कारगर टिप्स, निवेश से पहले ध्यान रखें ये 7 बातें
7 simple ways to make money in stocks: शेयर बाजार में खासकर दो तरह के ट्रेडर होते हैं. एक जो फंडामेंटल पर फोकस रखते हैं और दूसरे जो अटकलों पर फैसला करते हैं.
Stock Market Investment Tips: शेयर बाजार से अगर पैसा बनाना चाहते हैं, कुछ खास बातों का जरूर ध्यान रखना चाहिए. आमतौर पर शेयर बाजार में पैसा लगाने वाले यह सोचते हैं कि वो कम समय में तगड़ा मुनाफा कमा लेंगे. कई बार ऐसा होता है कि कुछ घंटे में शेयर से मोटा मुनाफा हो जाता है. इससे उलट दो तरह के निवेशक भारी नुकसान भी उठाना पड़ जाता है. बहरहाल, यह जान लें कि इक्विटी में ट्रेडिंग उतनी आसान भी नहीं है, जितनी आम निवेशक समझते हैं. बाजार में आपको अनुशासन और धैर्य की जरूरत पड़ती है. मार्केट में निवेश से पहले अच्छी तरह रिसर्च कर लेनी चाहिए. ऐसे 7 ऐसे आसान टिप्स जानते हैं, जिनको फॉलो कर बाजार से अच्छी कमाई की जा सकती है.
फंडामेंटल मजबूती का रखें ध्यान
शेयर बाजार में खासकर दो तरह के ट्रेडर होते हैं. एक जो फंडामेंटल पर फोकस रखते हैं और दूसरे जो अटकलों पर फैसला करते हैं. दोनों में बुनियादी फर्क स्टॉक की कीमत पर उनका नजरिया रहता है. फंडामेंटल निवेशक हमेशा से कंपनी की मजबूती पर ध्यान देता है न कि शेयर की कीमत पर. हमेशा फंडामेटल मैथड पर निवेश की कोशिश करनी चाहिए. बाजार से पैसा बनाने का यह अच्छा तरीका है.
कही-सुनी या दूसरों को देखकर न बनाएं स्ट्रैटजी
शेयर बाजार में इक्विटी की खरीद-बिक्री को लेकर किसी खास तरह की सोच में न रहे. कई ट्रेडर्स स्टॉक खरीदने या बेचने का फैसला ज्यादातर उनके जानकारों के प्रभाव में आकर करते हैं. अगर उनके आस-पास के सभी लोग किसी खास स्टॉक में निवेश कर रहे हैं, तो एक वह ट्रेडर भी उसी स्टॉक में निवेश करता है. इस तरह की स्ट्रैटजी से बचना चाहिए. लॉन्ग टर्म में यह स्ट्रैटजी सही नहीं है. दुनिया के दिग्गज निवेशक वारेन बफेट ने जब दूसरे लालची हो जाएं तो डरने की जरूरत है, वहीं जब जब दूसरे डर रहे हो, तो आप लालची बन जाएं.
बाजार में कभी भी जल्दबाजी न करें
स्टॉक मार्केट में कभी भी जल्दबाजी न करें. शेयर के दाम बढ़ने से पहले खरीदना और गिरने से पहले तुरंत बेचने का फैसला नुकसान करा सकता है. ज्यादातर निवेशक यह मानते हैं कि ट्राइंग टू टाइम इन मार्केट सही स्ट्रैटजी नहीं है. ऐसा इसलिए क्योंकि किसी भी स्टॉक में सटीक टॉप और बॉटम का अंदाजा लगाना दो तरह के निवेशक मुमकिन नहीं है. अगर बाजार से पैसा कमाना है, तो इस तरह की स्ट्रैटजी से बचें.
निवेश में अनुशासन जरूरी
बाजार में अनुशासन बहुत जरूरी है. बाजार के इतिहास देखें तो बुल मार्केट में भी अधिकांश निवेशकों में डर होता है. शेयर बाजार में भारी उतार-चढ़ाव के चलते निवेशक अपनी कमाई डुबो देते हैं, वो भी तब जब मार्केट में बुलिश ट्रेंड रहा. यानी, तेजी का दौर रहा. इसलिए निवेशकों को निवेश को लेकर अनुशासन भरा रवैया रखना चाहिए. अगर लॉन्ग टर्म में कमाई करना चाहते हैं, तो निवेश का सिस्टमेटिक अप्रोच होना जरूरी है.
बाजार में अपना सरप्लस फंड ही लगाएं
अकसर यह सुनने में आता है कि शेयरों में निवेश के चलते कोई व्यक्ति भारी कर्ज में फंस गया. अगर आप शेयर बाजार में निवेश की शुरुआत कर रहे हैं तो हमेशा सरप्लस फंड ही निवेश करें. सरप्लस दो तरह के निवेशक फंड से मतलब कि जो आपके पास आपके खर्चों और अन्य जरूरतों को पूरा करने के बाद बचता है. अगर आपको मुनाफ होने लगता है, तो आप उस पैसे को दोबारा निवेश करेंगे. कभी भी लोन या कर्ज लेकर निवेश न करें.
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भावनाओं पर काबू रखें
बाजार में हमेशा भावनाओं में बहकर फैसला नहीं करना चाहिए. अगर आपका शेयर खरीदने-बेचने को लेकर दो तरह के निवेशक इमोशंस पर कंट्रोल नहीं है तो आप भारी नुकसान करा सकते हैं. जब बाजार में तेजी रहती है तो ट्रेडर्स ज्यादा आकर्षित होते हैं और उस चक्कर में गलत शेयरों में पैसा लगा बैठते हैं. डर और लालच, ये दो ऐसे फैक्टर हैं, जिन पर शेयर में ट्रेडिंग के दौरान कंट्रोल होना चाहिए.
लक्ष्य हासिल करने लायक रखें
शेयर बाजार में निवेश को लेकर एक वास्तविक गोल रखें. निवेशकों को हमेशा लगता है कि उन्होंने जो निवेश किया है वह बेस्ट रिटर्न देगा. लेकिन अगर आपका फाइनेंशियल गोल रियलस्टिक नहीं है तो आप परेशानी में फंस सकते हैं. बाजार में कभी भी समान रिटर्न की उम्मीद न करें.
(नोट: स्टॉक मार्केट के ये टिप्स ब्रोकरेज फर्म मोतीलाल ओसवाल के ब्लॉग से लिया गया है.)
रिपोर्ट: रीट-इनविट से करें शेयर बाजार में सुरक्षित निवेश
सरकारी योजनाओं सहित सुरक्षित निवेश वाली अधिकतर बचत में ब्याज दरें काफी कम हो गई हैं और इक्विटी में जोखिम का डर है। रीट और इनविट जैसे नए विकल्प इस तरह के छोटे निवेशकों को शेयर बाजार में भी सुरक्षा की गारंटी देते हैं। यह विकल्प किस तरह का काम करता है और छोटे निवेशक कैसे इसका चुनाव करें, पूरी जानकारी देती प्रमोद तिवारी की रिपोर्ट-
10 हजार के निवेश से बड़ी परियोजनाओं में हिस्सा
आईआईएफएल सिक्योरिटीज के वाइस प्रेसिडेंट अनुज गुप्ता का कहना है कि छोटे निवेशकों के लिए अब बड़ी परियोजनाओं में पैसे लगाना आसान हो गया है। रियल एस्टेट इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट (रीट) व बुनियादी ढांचा निवेश ट्रस्ट (इनविट) से जुड़ी कंपनियां बड़े प्रोजेक्ट के लिए धन जुटाने की मंशा से आईपीओ लाती हैं।
आईपीओ से जुटाया गया धन आवासीय और वाणिज्यिक इमारतों, सड़क, पुल, बिजली ग्रिड या अन्य बुनियादी निर्माण से जुड़ी परियोजनाओं में लगता है। आईपीओ की कीमत 10 से 15 हजार रुपये होती है। परियोजनाओं से मिला लाभ ही निवेशकों का रिटर्न होता है।
पोर्टफोलियो बनाने में मददगार
रीट-इनविट निवेश का नया विकल्प होने के कारण यहां पैसे लगाने से पहले रिसर्च करना जरूरी होता है। आपको देखना होगा कि कंपनियां जुटाई गई पूंजी को किस तरह की परियोजना में निवेश करती हैं। यहां से रिटर्न की कितनी गुंजाइश है। अन्य सुरक्षित योजनाओं में ब्याज कम हो रहा है तो यह ज्यादा ब्याज दिलाने के साथ पोर्टफोलियो में विविधता लाने में भी मददगार हो सकता है। -कार्तिक जावेरी, निदेशक (वेल्थ मैनेजमेंट), ट्रांसेंड कंसल्टिंग
दो तरह से देना होगा टैक्स
- निवेशक को उसकी यूनिट पर रीट-इनविट कंपनी की ओर से ब्याज या लाभांश दिया जाता है। तो यह राशि टैक्स स्लैब के अनुसार आयकर के तहत होगी। निवेशक को रिटर्न भरते समय अन्य स्रोत से कमाई में इसका जिक्र करना होगा। टैक्स दर सिलेब के अनुसार है, जो अधिकतम 30 फ़ीसदी होगी।
- यूनिट बेचने पर लाभ हुआ, तो कैपिटल गेन टैक्स देना होगा। निवेशक ने यूनिट खरीदने के 3 साल के भीतर इसे बेचा है तो मुनाफे पर 15 फ़ीसदी कम अवधि का पूंजीगत लाभ कर देना होगा। अगर 3 साल बाद यूनिट वेट से हैं तो 1 लाख से ज्यादा के मुनाफे पर 10 फ़ीसदी लंबी अवधि का पूंजीगत लाभ कर लगेगा।
बांड और म्यूचुअल फंड से ज्यादा रिटर्न
रीट और इनविट के जरिए बाजार में आए आईपीओ ने पिछले 1 साल में सरकारी बांड, एफडी दो तरह के निवेशक और डेट म्युचुअल फंड से भी ज्यादा रिटर्न दिया है। कंपनियां रिटर्न को हर तिमाही या समय में लाभांश के रूप में देती हैं।
90 प्रतिशत मुनाफा निवेशकों में बांटा जाता है रीट इनविट में
रीट से जुटाई 80 फ़ीसदी रकम को मुनाफे वाली परियोजना में लगाया जाता है और रिटर्न की 90 फ़ीसदी राशि निवेशकों में बंट जाती है।
3.85 लाख करोड़ के आईपीओ में अवसर
इंडिया ग्रिड और पावर ग्रिड जैसे इनविट से बाजार को उत्साह मिला है। दोनों आईपीओ ने अब तक शानदार प्रदर्शन किया है। अगले दो-तीन साल में 3.85 लाख करोड़ के रीट और इनविट बाजार में सूचीबद्ध होंगे। सरकार भी बुनियादी परियोजनाओं में 115 लाख करोड़ रुपये निवेश का लक्ष्य लेकर चल रही है।
विस्तार
सरकारी योजनाओं सहित सुरक्षित निवेश वाली अधिकतर बचत में ब्याज दरें काफी कम हो गई हैं और इक्विटी में जोखिम का डर है। रीट और इनविट जैसे नए विकल्प इस तरह के छोटे निवेशकों को शेयर बाजार में भी सुरक्षा की गारंटी देते हैं। यह विकल्प किस तरह का काम करता है और छोटे निवेशक कैसे इसका चुनाव करें, पूरी जानकारी देती प्रमोद तिवारी की रिपोर्ट-
10 हजार के निवेश से बड़ी परियोजनाओं में हिस्सा
आईआईएफएल सिक्योरिटीज के वाइस प्रेसिडेंट अनुज गुप्ता का कहना है कि छोटे निवेशकों के लिए अब दो तरह के निवेशक बड़ी परियोजनाओं में पैसे लगाना आसान हो गया है। रियल एस्टेट इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट (रीट) व बुनियादी ढांचा निवेश ट्रस्ट (इनविट) से जुड़ी कंपनियां बड़े प्रोजेक्ट के लिए धन जुटाने की मंशा से आईपीओ लाती हैं।
आईपीओ से जुटाया गया धन आवासीय और वाणिज्यिक इमारतों, सड़क, पुल, बिजली ग्रिड या अन्य बुनियादी निर्माण से जुड़ी परियोजनाओं में लगता है। आईपीओ की कीमत 10 से 15 हजार रुपये होती है। परियोजनाओं से मिला लाभ ही निवेशकों का रिटर्न होता है।
पोर्टफोलियो बनाने में मददगार
रीट-इनविट निवेश का नया विकल्प होने के कारण यहां पैसे लगाने से पहले रिसर्च करना जरूरी होता है। आपको देखना होगा कि कंपनियां जुटाई गई पूंजी को किस तरह की परियोजना में निवेश करती हैं। यहां से रिटर्न की कितनी गुंजाइश है। अन्य सुरक्षित योजनाओं में ब्याज कम हो रहा है तो यह ज्यादा ब्याज दिलाने के साथ पोर्टफोलियो दो तरह के निवेशक में विविधता लाने में भी मददगार हो सकता है। -कार्तिक जावेरी, निदेशक (वेल्थ मैनेजमेंट), ट्रांसेंड कंसल्टिंग
दो तरह से देना होगा टैक्स
- निवेशक को उसकी यूनिट पर रीट-इनविट कंपनी की ओर से ब्याज या लाभांश दिया जाता है। तो यह राशि टैक्स स्लैब के अनुसार आयकर के तहत होगी। निवेशक को रिटर्न भरते समय अन्य स्रोत से कमाई में इसका जिक्र करना होगा। टैक्स दर सिलेब के अनुसार है, जो अधिकतम 30 फ़ीसदी होगी।
- यूनिट बेचने पर लाभ हुआ, तो कैपिटल गेन टैक्स देना होगा। निवेशक ने यूनिट खरीदने के 3 साल के भीतर इसे बेचा है तो मुनाफे पर 15 फ़ीसदी कम अवधि का पूंजीगत लाभ कर देना होगा। अगर 3 साल बाद यूनिट वेट से हैं तो 1 लाख से ज्यादा के मुनाफे पर 10 फ़ीसदी लंबी अवधि का पूंजीगत लाभ कर लगेगा।
बांड और म्यूचुअल फंड से ज्यादा रिटर्न
रीट और इनविट के जरिए बाजार में आए आईपीओ ने पिछले 1 साल में सरकारी बांड, एफडी और डेट म्युचुअल फंड से भी ज्यादा रिटर्न दिया है। कंपनियां रिटर्न को हर तिमाही या समय में लाभांश के रूप में देती हैं।
90 प्रतिशत मुनाफा निवेशकों में बांटा जाता है रीट इनविट में
रीट से जुटाई 80 फ़ीसदी रकम को मुनाफे वाली परियोजना में लगाया जाता है और रिटर्न की 90 फ़ीसदी राशि निवेशकों में बंट जाती है।
3.85 लाख करोड़ के आईपीओ में अवसर
इंडिया ग्रिड और पावर ग्रिड जैसे इनविट से बाजार को उत्साह मिला है। दोनों आईपीओ ने अब तक शानदार प्रदर्शन किया है। अगले दो-तीन साल में 3.85 लाख करोड़ के रीट और इनविट बाजार में सूचीबद्ध होंगे। सरकार भी बुनियादी परियोजनाओं में 115 लाख करोड़ रुपये निवेश का लक्ष्य लेकर चल रही है।
अधिकतम अंक: 5
न्यूनतम अंक: 1
मतदाताओं की संख्या: 386