(b) शिक्षार्थियों को अपने विचार प्रकट करने का अवसर प्रदान करना

ध्यान आपको अत्यधिक सोचने की प्रवृत्ति से बचाता है

हम आइंस्टीन, प्लेटो, आर्किमिडीज, मैरी क्यूरी, चार्ल्स डार्विन, विलियम शेक्सपियर जैसे विचारकों की प्रशंसा करते हैं। इन बुद्धिमान, मौलिक और सहज लोगों ने अपनी प्रभावशाली सोच के साथ दुनिया के तौर-तरीकों को बदल दिया। हालांकि, सोचने -विचारने को एक सकारात्मक लक्षण माना जाता है, लेकिन अत्यधिक सोचने की प्रवृत्ति को अच्छा नहीं माना जाता ।

अत्यधिक सोच (ओवरथिंकिंग) अर्थात दिमाग में ज़रूरत से ज्यादा विचारों का होना | अत्यधिक सोच-विचार से मन में स्पष्टता की कमी हो जाती है | साथ ही यह आपको एक तार्किक समाधान प्राप्त करने में बाधक होता है | यह केवल जुनूनी, आक्रोशपूर्ण और अनावश्यक सोच का कारण बनता है। अत्यधिक सोच आपका दृष्टिकोण भी प्रभावित करती है। आप जानते हैं कि आप अतीत को नहीं बदल सकते हैं और भविष्य कोई भी नहीं जानता । फिर भी, मन विचारों के चक्रव्यूह में खो जाता है। याद रखें, आपकी पिछली गलतियों से सीखने या फिर उन पर सनकी होने में बस थोड़ा सा ही अंतर है|

ध्यान का अभ्यास आपका दृष्टिकोण सही रखता है

अत्यधिक सोच आपके मन को अनावश्यक विचारों से ग्रस्त कर सकती है। ऐसे में आप तनाव, संदेह, पश्चाताप और विकृत मानसिकता के शिकार हो सकते हैं । इनमें से कुछ भी आपको शांतिपूर्ण या सुखी जीवन नहीं जीने देता है। ध्यान आपको विशाल दृष्टिकोण देता है, जिससे आपको इस बात की सजगता होती है कि जीवन एक विशाल चित्र है। और जब आप कुछ विशाल खोजने के लिए तत्पर होते हैं तो आप छोटे-छोटे संकेतो को जोड़कर जीवन में कुछ बड़ा प्राप्त करने का मार्ग पा लेते हैं |

अधिकांश समय, हम अपने जीवन की परेशानियों के लिए किसी और को दोष देकर शांत हो जाना चाहते हैं | बहुत से लोगों के लिए दूसरों पर उंगली उठाकर, समस्याओं से निपटना आसान हो जाता है | ध्यान वास्तव में आपको दूसरों में दोष ढूँढने जैसे नकारात्मक लक्षणों से मुक्ति पाने में मदद करता है। सजगतापूर्वक ध्यान करें । यह आपकी अत्यधिक सोच को नियंत्रित करने में अद्भुत रूप से कारगर होगा। सजगता द्वारा आप नकारात्मक विचारों को दूर करने में सक्षम होंगे और परम सत्य की खोज में आगे बढ़ेंगे।

अपने मन को अनावश्यक भावनाओं से मुक्त रखें

अत्यधिक सोच इस बात का संकेत है कि कोई चीज़ आपको लगातार परेशान कर रही है। अपनी इस बेचैनी की तह तक जाएं और इससे सीधे निपटें। ध्यान आपके मन को शांत करने में मदद करता है। आप कुशलतापूर्वक और स्पष्ट रूप से व्यवस्थित, कार्यों को प्राथमिकता देने और परिस्थितियों का विश्लेषण करने में सक्षम होंगे। एक बार जब आप समस्या को पहचान लेते हैं, तो आप इसे ठीक करने पर काम कर सकते हैं।

अत्यधिक सोच आपके शब्दों, कार्यों, और विचारों के प्रति आपके ज़रूरत से ज्यादा लगाव की अभिव्यक्ति है। हम लोगों और रिश्तों में बहुत अधिक रम गए हैं | बात-बात पर निर्णयात्मक और तर्कपूर्ण रहने की हमारी प्रवृत्ति हमें आलोचनावादी और अति-विश्लेषणात्मक बनाती है।

मोदी की माहौल बिगाड़ने की प्रवृत्ति को अटल जी पहचान गये थे !

वरिष्ठ साहित्यकार सुन्दर लोहिया का यह लेख (This article by senior litterateur Sundar Lohia) हस्तक्षेप पर “अटल जी की नज़र में नरेन्द्र मोदी” (Atalji’s opinion on Narendra Modi) शीर्षक से 10 जून 2013 को प्रकाशित हुआ था। वर्तमान समय में पाठकों की बहस के लिए उक्त लेख का संपादित रूप पुनर्प्रकाशित

भाजपा पैराशूट पर गुजरात के मुख्यमन्त्री नरेन्द्र मोदी (Gujarat Chief Minister Narendra Modi) की उड़ान में पार्टी के दो संस्थापक नेताओं के समृति चिन्ह के तौर पर पोस्टर से फोटो तो गायब ही थे लेकिन भाषणों में भी विस्मृत करने से एक सवाल पैदा होता है कि क्या यह पार्टी अटल जी समर्थित राजधर्म के स्थान पर मोदी द्वारा प्रचारित राजधर्म स्वीकार कर रही है।

मोदी को गुजरात के मुख्यमंत्री पद से हटाना चाहते थे अटल जी !

सन 2002 के गुजरात नरसंहार (Gujarat massacre of 2002) के कारण अटल बिहारी वाजपेयी काफी परेशान थे। उस समय के गोवा चिंतन शिविर (Goa आप प्रवृत्तियों की पहचान कैसे करते हैं? Contemplation Camp) के बारे में जो तथ्य आज सामने आ रहे हैं उनके अनुसार अटल जी, मोदी को मुख्यमन्त्री के पद से हटाने के पक्ष में थे और तत्कालीन गृह मंत्री लालकृष्ण आडवाणी (The then Home Minister LK Advani) उन्हें बचाने में पार्टी हित देख रहे थे। अब पार्टी को लगता है कि उसके हित नरेन्द्र मोदी के हाथों सुरक्षित रह सकते हैं तो उन्होंने मोदी को कमान और मोदी को इस काबिल बनाने के लिये आडवाणी को सम्मान (respect for Advani) का नारा दिया है।

एक तरह से इस पूरे प्रकरण में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के अपने प्रचारक की कुर्सी बचाने के उपलक्ष्य में पिचासी वर्षीय अडवानी को बैठक में न आने का अध्यक्षीय आदेश भिजवा कर उनका शायद समुचित सम्मान किया है।

CTET 2022: सीटेट परीक्षा में शामिल होने से पूर्व, पर्यावरण पेडगॉजी के इन सवालों पर नजरें जरूर डालें

EVS Pedagogy Model Test Paper For CTET: देश के अलग-अलग राज्यों में केंद्र सरकार के द्वारा संचालित किए जाने वाले केंद्रीय विद्यालयों में शिक्षकों की नियुक्ति हेतु प्रतिवर्ष केंद्रीय शिक्षक पात्रता परीक्षा आप प्रवृत्तियों की पहचान कैसे करते हैं? आयोजित की जाती है जिसे हम सीटेट के नाम से जानते हैं किंतु इस वर्ष सीबीएसई बोर्ड के द्वारा इस परीक्षा के आयोजन को लेकर संशय की स्थिति बरकरार है देखा जाए तो दिसंबर का पहला पखवाड़ा बीत चुका है किंतु अभी तक परीक्षा के आयोजन की तिथि घोषित नहीं की गई है

बता दें कि: नोटिफिकेशन के अनुसार यह परीक्षा दिसंबर से जनवरी माह के मध्य ऑनलाइन सीबीटी मोड़ पर आयोजित की जानी थी उम्मीद है जल्द ही परीक्षा का आयोजन किया जाएगा यदि आप भी पात्रता परीक्षा में भाग लेने वाले हैं तो, यहां हम परीक्षा के लिए उपयोगी पर्यावरण शिक्षण के प्रश्नों (EVS Pedagogy Model Test Paper For CTET) को लेकर आए हैं, जिन्हें आपको एक बार जरूर पढ़ना चाहिए.

ईवीएस पेडगॉजी सबसे अधिक पूछे जाने वाले इन सवालों के जवाब, क्या? आप जानते हैं—CTET 2022 EVS Pedagogy Model Test Paper

1. रोहन अपने मामा के घर ट्रेन से जाने की तैयारी कर रहा है, यह रोहन का किस प्रकार सहायता करेगा-

(a) छुट्टी का सही सदुपयोग

(b) अवलोकन क्षमता में विस्तार

(c) विषय की गहन समझ

(d) इनमें से कोई नहीं

Ans- b

2. शिक्षक शिक्षण का कार्य करते समय परिवेश की घटनाओं को रूचिकर ढंग से प्रस्तुत करता है। शिक्षक का शैक्षणिक उद्देश्य है-

(a) परिभाषाओं की स्पष्ट व्याख्या

(b) कठिन शब्दावली की परिवेश के साथ व्याख्या

(c) अमूर्त अवधारणा को विडियो द्वारा समझाना

(d) कठिन विषय वस्तु को सरलता के साथ पढ़ाना

Ans- d

3. प्राथमिक कक्षाओं में पर्यावरण अध्ययन पढ़ाने के लिए निम्नलिखित में से कौन-सा उद्येश्य सम्बन्धित आप प्रवृत्तियों की पहचान कैसे करते हैं? है-

Legend newsLegend news

ये मात्र कहावत नहीं एक सच्‍चाई है कि अपराधी हमेशा न सिर्फ कानून-व्‍यवस्‍था का अनुपालन कराने वालों से दो कदम आगे चलते हैं बल्कि अपनी सोच से ये भी साबित करते हैं कि जहां जाकर पुलिस-प्रशासन के सोच-विचार की शक्ति जवाब दे जाती है, वहां से वह सोचना शुरू करते हैं।
परंपरागत अपराधों की बात छोड़ भी दें तो फिलहाल पुलिस-प्रशासन के लिए साइबर अपराध एक बड़ी चुनौती बने हुए हैं। चूंकि इस अपराध का दायरा किसी देश की सीमा तक सीमित नहीं है इसलिए इससे जुड़े अपराधी कहीं भी बैठकर अपराध को अंजाम दे सकते हैं। यही कारण है कि पुलिस-प्रशासन के साथ-साथ साइबर अपराधियों ने देश की जांच एजेंसी सीबीआई (CBI) से लेकर अमेरिका की जांच एजेंसी एफबीआई (FBI) तक की काबलियत पर गहरा प्रश्‍नचिन्‍ह लगा दिया है और उन्हें यह विचार करने पर मजबूर कर दिया है कि आखिर इनसे निपटा कैसे जाए।
घोर आश्‍चर्य की बात यह है कि इन साइबर अपराधों को अंजाम देने वाले तत्व उस जमात से आते हैं जिन्‍हें सामान्‍य तौर पर जाहिल और गंवार समझा जाता है। शिक्षा के नाम पर इनके पास कोई डिग्री या डिप्‍लोमा नहीं होता, और न ही इन्‍हें इसकी कोई जरूरत महसूस होती है। तकनीकी शिक्षा से इनका दूर-दूर तक कोई वास्‍ता नहीं है लेकिन इनके कारनामे दांतों तले उंगली दबाने पर बाध्‍य कर देते हैं।
देश में सक्रिय साइबर अपराधियों की बात करें तो मात्र चार राज्यों के चंद जिलों तक इनका नेटवर्क फैला हुआ है, किंतु इनके शिकार दुनिया के किसी भी कोने में मिल जाएंगे।
बताया जाता है कि साइबर ठगों के 'जामताड़ा गैंग' का अब तेजी से विस्तार हो रहा है क्योंकि कानून के हाथ इनके सामने बहुत ओछे पड़ रहे हैं।
सूत्रों से प्राप्‍त जानकारी के अनुसार उत्तर प्रदेश का मथुरा, राजस्थान का भरतपुर तथा हरियाणा का मेवात क्षेत्र साइबर अपराधियों का बड़ा गढ़ बन चुका है और यहां सक्रिय अपराधियों के जाल में फंसकर बड़े-बड़े समझदार लोग भी अपनी दौलत गंवा चुके हैं।
यहां यह जान लेना जरूरी है कि राजस्‍थान के भरतपुर और हरियाणा के मेवात क्षेत्र से यूपी के मथुरा की सीमा जुड़ी हुई है इसलिए इस त्रिकोणीय गिरोह का गठजोड़ 'जामताड़ा गैंग' के लिए बहुत मायने रखता है।
यूपी पुलिस ने पिछले कुछ महीनों के अंदर ही साइबर क्राइम से ताल्‍लुक रखने वाले जिन मामलों की जांच की है, उनमें कम से कम 400 केस के तार इसी गिरोह से जुड़े मिले हैं।
यूपी साइबर सेल के अधिकारी बेझिझक स्‍वीकार करते हैं कि ये ठग पैसे ऐंठने में इस कदर विशेषज्ञ हो चुके हैं कि समझदार से समझदार व्‍यक्‍ति इनके जाल में फंस जाता है। कई ठग तो अपने संभावित शिकार से फर्राटेदार अंग्रेजी में बात करते हैं और इसलिए महानगरों के लोग भी इनके झांसे में आने से बच नहीं पाते।
गौरतलब है कि हाल ही में लखनऊ का एक कारोबारी सेक्सटॉर्शन का शिकार हुआ था। उसने सोशल मीडिया पर एक महिला की फ्रेंड रिक्वेस्ट एक्सेप्ट की। उसके बाद उसके वॉट्सऐप पर एक वीडियो कॉल आई। 15 सेकंड की वीडियो कॉल में लड़की ने अपने कपड़े उतारे और अश्लील बातें कीं। फिर कॉल काट दी। कुछ मिनट बाद ही इस कारोबारी को दूसरी कॉल आई और उससे कहा गया कि या तो 30 लाख रुपये दे दो अन्‍यथा उसकी वीडियो चैट सोशल मीडिया पर डाल दी जाएगी। हालांकि इन आरोपियों को मेवात से धर दबोचा गया लेकिन पिछले एक वर्ष में करीब 300 लोगों ने साइबर सेल से इस तरह की शिकायत की है। इनमें उत्तर प्रदेश लोकसेवा आयोग के एक सीनियर अधिकारी भी शामिल हैं।
और कौन-कौन से तरीके अपनाते हैं साइबर ठग?
इसके अलावा ये ठग ई-कॉमर्स साइट्स और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर सक्रिय लोगों को जमकर चपत लगाते हैं। ठग पहले तो अखबारों और ऑनलाइन वेबसाइटों पर प्रकाशित विज्ञापनों को खंगालते हैं। वो खुद को आर्मी या पैरा मिलिट्री से जुड़ा शख्स बताकर अपने शिकार को भरोसे में लेते हैं। यहां तक कि वो अपना फर्जी बैज नंबर, बटालियन का नाम, पोस्टिंग की जगह भी बताते हैं और आईडी लगी यूनिफॉर्म में अपनी तस्वीर भेजते हैं।
मथुरा और भरतपुर के ठग अक्सर उन लोगों को टार्गेट करते हैं जो सेकंड हैंड बाइक, कार, गैजेट या रोजमर्रा के सामानों की खरीद या बिक्री का विज्ञापन डालते हैं। हाल ही में एक रिटायर्ड बैंक मैनेजर को 5 लाख रुपये का चूना लगा था। उन्होंने एक महीना पुराने डबल डोर फ्रिज को 50 हजार में बेचने का विज्ञापन दिया था। उनका भरोसा जीतने के लिए ठग ने खुद को आर्मी पर्सन बताकर उनके अकाउंट में 100 रुपये डाल दिए। उसके बाद उसने कहा कि चूंकि वह सीमाई इलाके में तैनात है, इसलिए वहां नेटवर्क की दिक्कत है और पेमेंट नहीं हो पा रहा है। उसने एक क्यूआर कोड भेजा। जैसे ही क्यूआर कोड स्कैन किया, उनके खाते से 5 लाख रुपये निकल गए।
ठगों की साजिश समझिए
दरअसल, ये साइबर ठग जानते हैं कि राज्यों की सीमाओं के आसपास से फोन कॉल को ट्रेस करना बड़ा मुश्किल काम होता है। वहां कभी किसी राज्य का तो कभी किसी राज्य का टेलिकॉम नेटवर्क पकड़ लेता है। इसीलिए ठगों ने मथुरा, भरतपुर और मेवात क्षेत्र को अपना प्रमुख अड्डा बनाया है। तीन राज्यों के ठगों का यह गठबंधन, मोबाइल नेटवर्क के लिए एक ऐसा ब्लैक स्पॉट बना देता है जो पुलिस के लिए किसी अंधेरी सुरंग में हाथ-पैर मारने जैसा साबित होता है। इससे ठगों के फोन की सही लोकेशन पता नहीं चल पाती। सूत्रों के मुताबिक ठगों का गिरोह पूर्वोत्तर के राज्यों से फर्जी आईडी पर थोक में सिम कार्ड ले आता है। ये ठग बार-बार सिम बदलते रहते हैं जिससे पुलिस को उनका पता लगा पाना और भी कठिन होता है।
ठगी से बचने के लिए क्या करें?
➤ सबसे पहले सोशल मीडिया अकाउंट्स को प्राइवेट मोड में डालें।
➤ ऑनलाइन अपनी पहचान छिपाने के लिए वीपीएन का इस्तेमाल करें।
➤ खासकर मोबाइल पर एंटी-मालवेयर जरूर इंस्टाल करें।
➤ गांठ बांध लें कि पैसे लेने के लिए क्यूआर कोड स्कैन करने की जरूरत नहीं पड़ती है। अगर कोई आपको पैसे देने के लिए आपसे ही क्यूआर कोड स्कैन करने को कह रहा है तो समझ लीजिए 100% ठगी की कोशिश है।
➤ कभी क्यूआर कोड स्कैन करके कोई ऐप डाउनलोड न करें। सिर्फ गूगल और ऐपल प्ले स्टोर से ही ऐप डाउनलोड करें।
➤ क्यूआर कोड स्कैन कर भी लिया तो खुलने वाली वेबसाइट के यूआरएल पर गौर कीजिए। अगर सब ठीक लगे तभी अपना बैंक अकाउंट डीटेल डालिए। थोड़ी सी भी शंका हो तो बिल्कुल मत डालिए।
➤ क्यूआर कोड से पेमेंट मांगने वाली कंपनी के डीटेल अच्छे से देखें। यानी, आपका पेमेंट कहां जाएगा, यह ठीक से परख लें।
➤ क्यूआर कोड स्कैन करके किसी वेबसाइट पर जाने की आदत छोड़ दें। ब्राउजर में टाइप करके वेबसाइट पर जाने की आदत डालें।
और सबसे अहम बात ये कि आपके साथ कोई फ्रॉड तभी संभव है जब आप किसी न किसी किस्‍म के लालच में पड़ते हैं। लाचली प्रवृत्ति ठगों का काम आसान बना देती है।
मथुरा यूं तो भगवान श्रीकृष्‍ण की पावन जन्‍मस्‍थली एवं लीला स्‍थली है किंतु उसकी भौगोलिक स्‍थिति साइबर ठगों के लिए बेहद मुफीद साबित हो रही है और इसीलिए 'जामताड़ा गैंग' ने अपने विस्‍तार के लिए इसे चुना है।
अब देखना यह है कि स्‍थानीय पुलिस इनसे कैसे निपटती है और भविष्‍य में भी क्या ये ठग इसी प्रकार अपने मकसद में कामयाब होते हैं, या पुलिस कोई ऐसा हथियार ईजाद करती है जिससे धर्म की नगरी पर इनके द्वारा लगाया गया कलंक किसी तरह मिटाया जा सके।
-Legend News

Fake OTP Delivery Scam: हो जाएं सावधान! ऑनलाइन शॉपिंग से हो सकता है बैंक अकाउंट खाली, स्कैमर्स ने निकाला ये गजब का तरीका

Fake OTP Delivery Scam

Amazon और Flipkart जैसी ई-कॉमर्स साइटों ने ऑनलाइन डिलीवरी धोखाधड़ी से लड़ने के लिए वन टाइम पासवर्ड (OTP) डिलीवरी सत्यापन प्रक्रिया शुरू की है। इस प्रक्रिया में, ग्राहकों से कहा जाता है कि वे अपने डिलीवरी पैकेज की जांच करें और फिर पैकेज की प्राप्ति की पुष्टि करने के लिए अपने फोन पर प्राप्त ओटीपी को डिलीवरी एजेंटों के साथ साझा करें।

जहां ओटीपी डिलीवरी नकली डिलीवरी पर ऑनलाइन धोखाधड़ी को रोकने का एक सुरक्षित तरीका बन गया, वहीं दूसरी तरफ इसने ओटीपी पैकेज डिलीवरी घोटाले के एक और ऑनलाइन धोखाधड़ी का मार्ग प्रशस्त किया।

स्कैमर्स जो हमेशा लोगों को लक्षित करने के नए तरीकों की तलाश में रहते हैं, वे अब डिलीवरी एजेंट के रूप में लोगों से पैसे चुरा रहे हैं। कई रिपोर्ट किए गए मामलों के अनुसार, ये स्कैमर डिलीवरी एजेंट के रूप में दरवाजे पर पहुंचते हैं और डिलीवरी से पहले लोगों से ओटीपी मांगते हैं। एक बार जब कोई व्यक्ति ओटीपी साझा करता है, तो स्कैमर उनके फोन का क्लोन बना लेते हैं या बैंक खातों जैसे उनके संवेदनशील डेटा तक पहुंच प्राप्त कर लेते हैं।

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