Market capitalisation का formula

शेयर मार्केट में क्या होती हैं Large, Mid और Small Cap कम्पनियां

Stock Market में कंपनियों को मुख्य रूप से तीन कैटेगरी में बांटा गया है जो लार्ज मिड और स्मॉल कैप कंपनियों के नाम से जाने जाते हैं। पर आप जानते हैं कि असल में इनका मतलब क्या है और निवेश में इसका क्या महत्व है? पूरी जानकारी नीचे देखें।

नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। स्टॉक मार्केट में कंपनियों को उनके कैपिटल या कैप के आधार पर बांटा गया है। कैप का मतलब कैपिटलाइजेशन से होता है। बता दें कि किसी भी कंपनी के शेयरों की संख्या को उनकी मार्केट वैल्यू से मल्टीप्लाई करने पर उस कंपनी की कैपिटलाइजेशन को निकाला जाता है। साथ ही, इसी तरह से कंपनियों का कैपिटलाइजेशन शेयर मार्केट द्वारा निर्धारित उनकी वैल्‍यू को बताता है। कैपिटलाइजेशन के आधार पर इन कंपनियों को मुख्य तीन कैटेगरी यानि लार्ज कैप, मिड कैप और स्मॉल कैप में रखा गया है। अगर आप भी शेयर बाजार में दिलचस्पी रखते हैं और इनमें निवेश करने का मन बना रहे हैं, तो सबसे पहले आपको लार्ज कैप, मिड कैप और स्मॉल कैप के बारे में जरूर जानना चाहिए।

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जिन कंपनियों की मार्केट कैपिटलाइजेशन 2,000 करोड़ रुपए से कम होती है, वो स्‍मॉल कैप की कैटेगरी में रखें जाते है। इन कंपनियों की भविष्य में मिड कैप बनाने की बहुत संभावना होती है। स्मॉल-कैप कंपनियां हाई रिस्‍क और हाई रिटर्न स्टॉक इन्वेस्टमेंट हैं। इनकी ग्रोथ बहुत तेजी से होती है, लेकिन अगर चीजें ठीक न हो तो बड़ा नुकसान हो सकता है।

मिड कैप कंपनी

आमतौर पर जिस कंपनी का मार्केट वैल्यू करीब 2,000 करोड़ रुपए से लेकर 10,000 करोड़ रुपए तक होता है, वो कंपनी मिड कैप की कैटेगरी में आती है। मिड कैप कंपनियों में बड़े आकार की कंपनी बनने का दमखम होता है। इसमें इन्वेस्टमेंट से ज्यादा रिटर्न पाने का मौका होता है। अगर आप शेयर मार्केट में इन्वेस्टमेंट करने का मन बना रहे हैं, तो आपको एक बार कंपनी की कैटेगरी देख कर ही आप अपना इन्वेस्टमेंट कर सकते है। जिसको आपको बाद में पछताना नहीं पड़े।

लार्ज कैप कंपनी

दरअसल, जिस कंपनी का मार्केट कैपिटलाइजेशन 10,000 करोड़ रुपए से अधिक होती है, तो उन्हें लार्ज कैप कैटेगरी में रखा जाता है। वहीं, लार्ज कैप होने के कारण इन कंपनियों की मार्केट में मजबूत पकड़ होती है। लार्ज कैप में मार्केट के उतार-चढ़ाव का असर मिड कैप और स्माल कैप की तुलना में कम से कम होता है। बता दें कि, मार्केट करेक्शन पर इसमें ज्यादा अस्थि‍रता देखने को नहीं मिलती, इसकी ग्रोथ संतुलित होती है। एक्सपर्ट के मुताबिक, इस कैप में इन्वेस्टमेंट को सुरक्षित मानते हैं। हालांकि, भारत की ज्यादातर लार्ज कैप कंपनियां वर्ल्‍ड रैंकिंग में मिड कैप या स्‍मॉल कैप कंपनियां हो जाती हैं इसलिए दुनिया भर में उन्हीं कंपनियों को लार्ज कैप का दर्जा मिलता है जिसका मार्केट कैप करीब 10 अरब डॉलर से ज्यादा होता है।

जीडीपी अनुपात के लिए मार्केट कैप

मंडी सकल घरेलू उत्पाद के अनुपात की सीमा एक राष्ट्र में सार्वजनिक रूप से कारोबार किए गए और देश द्वारा विभाजित सभी शेयरों के कुल मूल्य के माप को संदर्भित करती है।सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी)। बाजार पूंजीकरण से जीडीपी अनुपात को बुफे संकेतक के रूप में भी जाना जाता है। इसका उपयोग यह जांचने के तरीके के रूप में किया जाता है कि क्या देश का शेयर बाजार ऐतिहासिक औसत की तुलना में कम या अधिक है। यह पूरे देश के लिए मूल्य मूल्यांकन गुणक का एक रूप भी है।

Market Cap to GDP Ratio

वारेन बफे ने एक बार कहा था कि बुफे संकेतक शायद सबसे अच्छा एकल उपाय है जहां मूल्यांकन किसी भी समय होता है। एक कारण उन्होंने ऐसा इसलिए मार्केट कैप क्या है? कहा क्योंकि यह सभी शेयरों के मूल्य को समग्र स्तर पर देखने और फिर उस मूल्य की देश के कुल उत्पादन जो कि जीडीपी है, से तुलना करने का एक सरल तरीका है। यह मूल्य-से-बिक्री-अनुपात से निकटता से संबंधित है। यह उच्च स्तर का मूल्यांकन है।

मार्केट कैप से जीडीपी अनुपात के बारे में महत्वपूर्ण बिंदु

यदि आप मार्केट कैप को जीडीपी अनुपात में समझना चाहते हैं, तो समझें कि मूल्यांकन में मूल्य/बिक्री या ईवी/बिक्री का उपयोग मूल्यांकन के मीट्रिक माप के रूप में किया मार्केट कैप क्या है? जाता है। कंपनी के मूल्यांकन को ठीक से समझने के लिए मार्जिन और ग्रोथ जैसे अन्य तत्वों को भी ध्यान में रखना होगा। यह बफर इंडिकेटर की व्याख्या के अनुरूप है जो पूरी तरह से समझ में आता है क्योंकि यह समान अनुपात के बारे में है। हालाँकि, यह पूरे देश के लिए है न कि केवल एक कंपनी के लिए।

बुफे संकेतक की सीमाएं

अब आप जानते हैं कि संकेतक एक महान उच्च-स्तरीय मीट्रिक है, हालांकि, मूल्य/बिक्री अनुपात भी काफी कच्चा है। ऐसा इसलिए है क्योंकि यह व्यावसायिक लाभप्रदता को ध्यान में नहीं रखता है, लेकिन केवल शीर्ष-पंक्ति राजस्व का आंकड़ा है, जो भ्रामक हो सकता है।

इसके अलावा, अनुपात लंबे समय से अधिक चलन में रहा है, जिसके कारण पैसा निवेश करना है और उचित औसत अनुपात क्या होना चाहिए, यह सवाल है। बहुत से लोग मानते हैं कि औसत 100% से अधिक है, जो इंगित करता है कि एक बाजार का मूल्य अधिक है, कुछ अन्य लोग हैं जो मानते हैं कि नया सामान्य 100% के करीब है।

अंत में, अनुपात प्रारंभिक सार्वजनिक पेशकश (आईपीओ) के रुझानों से प्रभावित होता है। यह उन कंपनियों के प्रतिशत से भी प्रभावित होता है जिनका सार्वजनिक रूप से कारोबार होता है। यदि सब कुछ समान है और सार्वजनिक बनाम निजी कंपनियों के प्रतिशत में बड़ी वृद्धि हुई है, तो बाजार पूंजीकरण से जीडीपी अनुपात में वृद्धि होगी, भले ही मूल्यांकन के दृष्टिकोण से कुछ भी नहीं बदला है।

जीडीपी से मार्केट कैप का फॉर्मूला

जीडीपी अनुपात के लिए मार्केट कैप = एक राष्ट्र में सभी सार्वजनिक शेयरों का मूल्य ÷ राष्ट्र का सकल घरेलू उत्पाद × 100

देश के अनुसार मार्केट कैप से जीडीपी अनुपात

दिसंबर 2020 के मध्य के लिए भारत का वर्तमान कुल बाजार पूंजीकरण जीडीपी अनुपात 72.35% है। अपेक्षित भविष्य का वार्षिक रिटर्न 8% है।

Is Market Capitalisation the Same as Market Value

यदि आपने शेयर बाजार में नया-नया कदम रखा है या फिर आप सीखने के इछुच्क है, तो आपने मार्केट कैप या market value के बारे में जरूर सुना होगा या फिर जो लोग शेयर मार्केट में काम करते हैं उनके मुंह से market value या market cap का नाम अवश्य सुना ही होगा।

क्या आप को भी confusion है कि market value और market cap अलग अलग है या फिर एक ही है? यदि इसके बारे में आपको जानकारी नहीं है तो यह पोस्ट आपके लिए मददगार साबित होगी। इस लेख के जरिए आज हम is market cap the same as market value के बारे में बताने वाले हैं, तो आप हमारे साथ इस लेख के अंत तक जरूर बने रहे।

Table of Contents

Market cap क्या है? (What is Market Cap?)

Market cap की फुल फॉर्म market capitalization होती है। मार्केट कैप का अर्थ होता है कि कंपनी की मार्केट में क्या कीमत है। इसे हिंदी में बाजार पूंजीकरण भी कहते हैं।

आइए, इसे आसान शब्दों से समझने की कोशिश करते हैं। जब हम शेयर मार्केट में किसी कंपनी का शेयर खरीदते हैं तो वहां पर हमें उस कंपनी के 1 शेयर की कीमत का पता चलता है। यदि हमें पूरी कंपनी की कीमत जाननी हो तो उसके लिए मार्केट capitalisation का उपयोग किया जाता है।

Market capitalisation का formula

Market capitalisation का formula

Market capitalisation का formula

किसी भी कंपनी का मार्केट capitalisation पता करने के लिए हमें उस कंपनी के outstanding shares को उसी कंपनी के शेयर के मार्केट के rate को multiply करना पड़ेगा।

मान लीजिए, किसी कंपनी के मार्केट में outstanding shares शेयर्स 13 करोड़ के हैं और उसका मार्केट में दाम ₹60 है तो उस कंपनी के मार्केट capitalisation इस प्रकार से निकालेंगे:-

Market cap = outstanding shares × market share price

Market cap = 13 crore × 60

Market cap = 780 crore

जाने के इस कंपनी का मार्केट capitalisation 780 करोड रुपए है। इस formula के द्वारा किसी भी कंपनी का मार्केट capitalisation निकाला जा सकता है।

परंतु आप यदि इतनी calculation नहीं भी करना चाहते तो आज के समय में यह सहूलियत है कि आप ऑनलाइन ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म पर आसानी से किसी भी कंपनी का मार्केट कैप देख सकते हैं।

Capitalisation के प्रकार (Types of Capitalisation)

क्योंकि हर कंपनी का market cap अलग-अलग होता है, तो इसीलिए इन्हें slabs के अनुसार वर्गीकृत किया गया है। यह निम्न प्रकार से होते हैं :-

  1. Large cap company
  2. Midcap company
  3. Small cap company

Large cap company

जब किसी कंपनी का मार्केट कैप 10 हज़ार करोड या 10000 करोड से ऊपर होता है, तो वह लार्ज कैप या large capitalisation कंपनी मानी जाती है। ऐसी कंपनियां बहुत बड़ी scale पर अपना बिजनेस कर रही होती है, यानी कि यह बहुत पुरानी बहुत सालों से काम कर रही होती है, जैसे टाटा स्टील, आईटीसी इत्यादि। यह ऐसी कंपनियां है जो 100 साल से भी ज्यादा पुरानी है। ऐसी कंपनियों में निवेश करना कम जोखिम भरा माना जाता है और यह कंपनी भरोसेमंद भी ज्यादा होती है। इनके टूटने के chances भी काफी कम होते हैं। यह अपने investors को हमेशा अच्छा return देकर जाती है।

Midcap company

ऐसी कंपनियां जिनका मार्केट केपीटलाइजेशन 500 करोड से लेकर 10000 करोड तक का हो, तो वह मिडकैप कंपनियों में गिनी जाती है। यह भी पुरानी कंपनियां ही होती है पर यह थोड़ी जोखिम भरी होती है और लार्ज कैप कंपनियों से छोटे होते हैं, परंतु यदि आप इन कंपनियों में लंबे समय के लिए निवेश करेंगे तो आप अच्छा रिटर्न पा सकते हैं।

Small cap company

Small को company वह कंपनियां होती है, जिनका मार्केट capitalisation 500 करोड से कम होता है। यह कंपनियां बिज़नस मे छोटी होती है और यह कंपनी बहुत थोड़े समय पहले ही शुरू हुई हो सकती है। इस तरह की कंपनी में इनवेस्ट करना mid cap कंपनियों और large cap से कहीं ज्यादा जोखिम भरा होता है। यह कंपनी बहुत कम समय में बहुत जल्दी बड़ या घट सकती है। इसलिए इनमें निवेश सोच समझ कर करना चाहिए।

Market value क्या है? (What is Market Value?)

Market value, stock market के अनुसार किसी company की value को represent करती है। यह वह price है जो assets को marketplace मे मिलेगा।

Is market capitalisation the same as the market value

यदि हम बात करें कि क्या market capitalisation और मार्केट market value same है? जी हां, मार्केट केपीटलाइजेशन और मार्केट वैल्यू same ही होता है और दोनों को ऊपर बताए गए फार्मूले के अनुसार calculate किया जाता है।

निष्कर्ष

दोस्तों आज के इस लेख में हमने आपको बताया कि Is market capitalisation the same as market value. हमें उम्मीद है कि अब आपको market captialization और मार्केट वैल्यू के बारे मे clarification हो गयी होगी।

यदि यह लेख आपके लिए मददगार साबित हुआ हो। तो इसे अपने दोस्तों के साथ भी जरूर शेयर करें। यदि इस लेख से संबंधित कोई प्रश्न आपके मन में है तो हमें कमेंट करके जरूर बताएं।

Market Cap: सेंसेक्स की टॉप 10 में से आठ कंपनियों का मार्केट कैप 42,173 करोड़ रुपये बढ़ा, इन शेयरों ने कराई कमाई

Market Cap: बीता हफ्ता सेंसेक्स के कारोबार के लिहाज से भले ही थोड़ा गिरावट में रहा हो लेकिन टॉप 10 में से 8 कंपनियों का मार्केट कैपिटलाइजेशन अच्छा बढ़ा है.

Market Cap: सेंसेक्स की टॉप 10 में से आठ कंपनियों का मार्केट कैप 42,173 करोड़ रुपये बढ़ा, इन शेयरों ने कराई कमाई

Market Cap: सेंसेक्स की टॉप 10 में से आठ कंपनियों के मार्केट कैपिटलाइजेशन (मार्केट कैप) में बीते सप्ताह 42,173.42 करोड़ रुपये की बढ़ोतरी हुई. सबसे अधिक फायदे में आईसीआईसीआई बैंक, इन्फोसिस और टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस) रहीं. बीते सप्ताह बीएसई का 30 शेयरों वाला सेंसेक्स 131.56 अंक या 0.21 फीसदी के नुकसान में रहा है.

सबसे ज्यादा फायदे में रहा आईसीआईसीआई बैंक
सप्ताह के दौरान आईसीआईसीआई बैंक का मार्केट कैपिटलाइजेशन 9,706.86 करोड़ रुपये बढ़कर 6,41,898.91 करोड़ रुपये पर पहुंच गया. इन्फोसिस के मार्केट वैल्यूएशन में 9,614.89 करोड़ रुपये की बढ़ोतरी हुई और यह 6,70,264.99 करोड़ रुपये रहा. टीसीएस का मार्केट कैपिटलाइजेशन 9,403.76 करोड़ रुपये बढ़कर 12,22,781.79 करोड़ रुपये पर पहुंच गया.

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जानें और शेयरों में कितना मिला फायदा
भारती एयरटेल की बाजार हैसियत 5,869.21 करोड़ रुपये के उछाल के साथ 4,65,642.49 करोड़ रुपये और एचडीएफसी की 3,415.33 करोड़ रुपये की बढ़ोतरी के साथ 4,85,234.16 करोड़ रुपये रही. एचडीएफसी बैंक का मार्केट वैल्यूएशन 1,508.95 करोड़ रुपये बढ़कर 8,99,489.20 करोड़ रुपये पर पहुंच गया. एसबीआई का मूल्यांकन 1,383.32 करोड़ रुपये की वृद्धि के साथ 5,37,841.73 करोड़ रुपये रहा. अडानी एंटरप्राइजेज का मार्केट कैपिटलाइजेशन 1,271.1 करोड़ रुपये की बढ़ोतरी के साथ 4,58,263.35 करोड़ रुपये रहा.

रिलायंस और एचयूएल रहे नुकसान में
समीक्षाधीन बीते हफ्ते में मार्केट कैप क्या है? रिलायंस इंडस्ट्रीज और हिंदुस्तान यूनिलीवर (एचयूएल) को छोड़कर बाकी आठ कंपनियों के मार्केट कैपिटलाइजेशन में बढ़ोतरी दर्ज की गई है. इनमें एचडीएफसी बैंक, भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) और एचडीएफसी शामिल हैं. टॉप 10 शेयरों में से 8 स्टॉक्स के इस रुख के उलट रिलायंस इंडस्ट्रीज की बाजार हैसियत 22,866.5 करोड़ रुपये घटकर 17,57,339.72 करोड़ रुपये रह गई. हिंदुस्तान यूनिलीवर का मूल्यांकन 4,757.92 करोड़ रुपये घटकर 5,83,462.25 करोड़ रुपये रह गया.

जानें टॉप 10 में कौन रहा नंबर वन
शीर्ष 10 कंपनियों की सूची में रिलायंस इंडस्ट्रीज पहले स्थान पर कायम रही. उसके बाद क्रमश: टीसीएस, एचडीएफसी बैंक, इन्फोसिस, आईसीआईसीआई बैंक, हिंदुस्तान यूनिलीवर, एसबीआई, एचडीएफसी, भारती एयरटेल और अडानी एंटरप्राइजेज का स्थान रहा.

मिड-कैप और स्मॉल-कैप फंड्स में क्या अंतर है?

मिड-कैप और स्मॉल-कैप फंड्स में क्या अंतर है?

अगर आप सोच रहे हैं कि क्या मिड-कैप और स्मॉल-कैप फंड एक ही चीज़ है, तो आपको पक्का अक्टूबर 2017 में जारी किया गया SEBI का प्रोडक्ट कैटिगराइजेशन सर्कुलर देखना चाहिए जो जून 2018 में लागू हुआ था। ये दो अलग-अलग प्रकार के इक्विटी म्यूचुअल फंड्स हैं जो अलग-अलग तरह की कंपनियों में निवेश करते हैं, उनके बाजार के आकार पर, और इसलिए उनका अलग-अलग जोखिम-रिटर्न प्रोफाइल होता है।

भारत में अलग-अलग एक्सचेंजों पर कई सार्वजनिक रूप से सूचीबद्ध कंपनियां हैं। मिड-कैप बाजार कैपिटलाइज़ेशन के आधार पर 101 वीं से 250 वीं कंपनी को रेफर करता है (बाजार कैपिटलाइज़ेशन = सार्वजनिक रूप से सूचीबद्ध शेयरों की संख्या * हर शेयर की कीमत), जबकि बाजार कैपिटलाइज़ेशन में 251 वीं कंपनी से लेकर आगे तक की कंपनियों को स्मॉल कैप कहा जाता है।

एक मिड-कैप फंड उन मिड-कैप कंपनियों में निवेश करता है, जिनमें ज़्यादा विकास की क्षमता होती है, लेकिन उनमें स्मॉल कैप से जुड़े जोखिम नहीं होते हैं क्योंकि ये कंपनियां पहले से ही एक निश्चित स्केल और स्थिरता पा चुकी होती हैं। आप हमारे एक लेख में मिड-कैप म्यूचुअल फंड्स के बारे में ज़्यादा जानकारी पढ़ सकते हैं:
mutualfundssahihai.com/hi/what-are-mid-cap-funds

स्मॉल-कैप फंड उन स्मॉल-कैप कंपनियों में निवेश करता है जो फिलहाल ज़्यादा संभावित विकास चरण से गुजर रही हैं, लेकिन उतने ही जोखिम से भी भरी हैं। ज़्यादा स्थिर लार्ज-कैप शेयरों के विपरीत, स्मॉल-कैप शेयर कहीं ज़्यादा अस्थिर हो सकते हैं। इसलिए मिड-कैप फंड्स में लार्ज-कैप की तुलना में ज़्यादा रिटर्न देने की क्षमता होती है जो स्मॉल-कैप फंड कैटेगरी की तरह बहुत जोखिम भरे नहीं होते हैं। लेकिन उनमें अभी भी थोड़ा बहुत जोखिम होता है जो लार्ज-कैप फंड्स की तुलना में ज़्यादा है।

मिडकैप और स्मॉल कैप फंड्स जिस तरह के शेयरों में निवेश करते हैं, उसे देखते हुए मिडकैप और स्मॉल कैप फंड्स दोनों ही कम से मीडियम समय अवधि में जोखिम भरे होते हैं। ये फंड्स युवा निवेशकों के लिए सही होते हैं अगर वे अपने लॉन्ग टर्म गोल जैसे रिटायरमेंट, बच्चों की पढ़ाई आदि के लिए योजना बनाना चाहते हैं क्योंकि वे 5-7 साल की समय सीमा में इन फंड्स की अस्थिरता को सहन कर सकते हैं। इस अस्थिरता का कारण यह है कि ब्लूचिप शेयरों के विपरीत, इन फंडों के पोर्टफोलियो में शेयर अभी भी शुरुआती विकास चरण में हैं और ब्लूचिप शेयरों के स्थिर विकास चरण तक नहीं पहुंचे हैं।

लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि 20 या 30 साल के सारे युवा निवेशकों को अपने पोर्टफोलियो में ये फंड्स रखने चाहिए। मीडियम से ज़्यादा जोखिम में दिलचस्पी ना रखने वाले युवा निवेशक को इनसे बचना चाहिए और इसकी बजाय ज़्यादा स्थिर लार्ज-कैप फंड्स से जुड़े रहना चाहिए या मल्टीकैप फंड्स में निवेश करना चाहिए, जिनका समान रेशो में लार्ज कैप, मिडकैप और स्मॉल कैप में एक्सपोजर है।

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