योजनाएं
सिविल सेवा परीक्षाओं में सफलता प्राप्त करने पर प्रोत्साहन योजना
इस योजना अन्तर्गत मध्यप्रदेश में निवासरत पिछडे वर्ग के अभ्यार्थियों को संघ लोक सेवा आयोग एवं अखिल भारतीय सिविल सेवा परीक्षा में सफलता प्राप्त करने पर प्रोत्साहन स्वरूप वित्तिय सहायता प्रदान की जाती है। अधिक जानकारी के लिए सिविल-सर्विस-एग्जाम जायें |
मुख्यमंत्री आर्थिक कल्याण योजना
योजनान्तर्गत जिले के पिछड़ावर्ग के युवाओं के लिए स्वयं का उद्योग/सेवा/व्यवसाय स्थापित करने हेतु बैंकों के माध्यम् से ऋण एवं मार्जिन मनी प्रदाय की जाती है। परियोजना लागत:- राशि रुपयें 50,000/-तक की ऋण राशि प्रदाय की जाती है। मार्जिन मनी:- परियोजना लागत की 50 प्रतिशत (अधिकतम रू. 15000/-)
मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना
योजनान्तर्गत जिले के पिछड़ा वर्ग तथा अल्पसंख्यक वर्ग के युवाओं के लिए स्वयं का उद्योग/सेवा/व्यवसाय स्थापित करने हेतु बैंकों के माध्यम् से ऋण एवं मार्जिन मनी प्रदाय की जाती है। परियोजना लागत:- राशि रुपयें 50,000 से अधितम रुपयें 10.00 लाख तक का ऋण राशि प्रदाय की जाती है। मार्जिन मनी:- परियोजना लागत की 30 प्रतिशत (अधिकतम 2.00 लाख) व्याज अनुदान:- परियोजना लागत का 5 प्रतिशत की दर से (अधिकतम राशि…
स्वच्छ भारत अभियान
सर्वव्यापी स्वच्छता के कवरेज के प्रयासों में तेजी लाने के लिए और स्वच्छता पर बल देने के लिए प्रधानमंत्री ने दिनांक 2 अक्टूबर, 2014 को स्वच्छ भारत मिशन की शुरूआत की थी। दो उप मिशन, स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) और स्वच्छ भारत मिशन (शहरी) के लिए मिशन समन्वयकर्त्ता पेयजल और स्वच्छता मंत्रालय के सचिव हैं। दोनों मिशनों का उद्देश्य महात्मा गांधी की 150वीं वर्षगाँठ को सही रूप में श्रद्धांजलि देते…
मिड डे मील योजना
मध्य प्रदेश मध्याह्न भोजन कार्यक्रम प्रबंधन प्रणाली इस स्कीम के लक्ष्य भारत में अधिकांश बच्चों की दो मुख्य समस्याओं मार्जिन स्तर क्या है मार्जिन स्तर क्या है अर्थात् भूख और शिक्षा का इस प्रकार समाधान करना है :- सरकारी स्थानीय निकाय और सरकारी सहायता प्राप्त स्कूल और ईजीएस व एआईई केन्द्रों तथा सर्व शिक्षा अभियान के तहत सहायता प्राप्त मदरसों एवं मकतबों में कक्षा I से VIII के बच्चों के पोषण स्तर में सुधार करना लाभवंचित वर्गों के…
SEBI ने किए मार्जिन के नियमों में बदलाव
राज एक्सप्रेस। यदि आप शेयर बाजार में अपना पैसा लगाते है तो, हो सकता है, ये खबर आपके काम की हो। दरअसल, सिक्युरिटी एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ़ इंडिया (SEBI) द्वारा मार्जिन के नियमों में बदलाव किया गया है। इन नियमों में हुए बदलावों को देखते हुए लगता है कि, शेयर बाजार को मार्जिन की मार झेलना पड़ सकती है।
मार्जिन में किया गया बदलाव :मार्जिन स्तर क्या है
बता दें, SEBI द्वारा मार्जिन के नियमों में किए गए बदलाव के बाद से कैश सेग्मेंट में भी अपफ्रंट मार्जिन लगेगा। साथ ही कैश सेग्मेंट में कम से कम 22% मार्जिन वसूला जाएगा। बताते चलें, यदि कोई भी ग्राहक इनका इस्तेमाल करना चाहेगा तो, वो T+2 सेटलमेंट के बाद ही इन पैसों को प्राप्त कर सकेगा। सरल शब्दों में समझे तो, शेयर बाजार से शेयर खरीदने वाला कोई भी यूजर आपने शेयर बेचने के 2 दिन बाद ही नए शेयर खरीद पाएंगे। इसका सीधा असर मार्जिन स्तर क्या है BTST या STBT के वॉल्यूम पर पड़ने की आशंका जताई जा रही है।
होल्डिंग के शेयर पर मार्जिन :
वहीं, अब से यदि कोई यूजर होल्डिंग के शेयर बेचना चाहता हैं तो, उसे मार्जिन लगेगा। NSE, BSE द्वारा शनिवार को इस बारे में सम्पूर्ण जानकारी FAQ जारी जार साझा की गई। बता दें, मार्जिन से जुड़े लागू किए गए नए नियम 1 अगस्त से कई चरणों में लागू होने शुरू हो जाएंगे। इस मामले में जानकारों का भी कहना है कि, NSE-BSE को ब्रोकर्स, ट्रेडर्स की मुश्किलों के कारण को समझना चाहिए।
ब्रोकर्स के संगठन ने जताई चिंता :
गौरतलब है कि, इन नियमों में बदलाव पर ब्रोकर्स के संगठन ANMI ने चिंता जताई है। ब्रोकर्स के संगठन ने चिंता जताते हुए SEBI को बताया है कि, इन नए नियमों से ब्रोकर्स और ग्राहकों को सेयर मार्केट में पैसा लगाने पर दिक्कते आएंगी। मार्जिन कलेक्शन का यह तरीका मुश्किल साबित होगा। इतना ही नहीं ANMI ने डिलिवरी के बेचने पर मार्जिन को लेकर भी जताई चिंता जताई है। डिलिवरी वाले शेयरों पर कोई मार्जिन नहीं होनी चाहिए। 5 लाख रुपए तक के सौदों पर कोई मार्जिन ना हो।
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पढ़िए, ऐसा क्या करने जा रही है सरकार जिससे काफी सस्ती हो जाएंगी दवाइयां
एक सरकारी अधिकारी ने पीटीआई को यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि केमिस्ट और थोक कारोबारी कुछ दवाओं पर 2,000-3,000 प्रतिशत तक ऊंचा मार्जिन वसूल रहे हैं, इसलिए खुदरा व्रिकेताओं के लिए दवाओं की लागत तथा इनके ब्रिकी मूल्य में काफी अंतर है।
अधिकारी ने कहा, हम इसी निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि इस विसंगतिपूर्ण मार्जिन पर लगाम लगाए जाने की जरूरत है.. हमें कोई सीमा तय करनी होगी। अब हम इस पर विचार कर रहे हैं कि यह स्तर क्या होना चाहिए। औषधि विभाग के अधीन समिति ने यह मार्जिन सीमा 35 प्रतिशत तय करना प्रस्ताव किया है। हम इस पर भी विचार कर रहे हैं। कारोबारी मार्जिन वह मार्जिन होता है, जो कि थोक व्रिकेता और खुदरा व्रिकेता दवाएं बेचकर कमाते हैं।
सरकार ने पिछले साल औषधि विभाग में संयुक्त सचिव की अध्यक्षता में एक समिति गठित की थी। इस समिति में प्रमुख उद्योग मंडलों, गैर सरकारी संगठनों, राष्ट्रीय दवा कीमत प्राधिकार व भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग के सदस्य शामिल थे। समिति ने 35 प्रतिशत मार्जिन का सुझाव दिया है।
सूत्रों के अनुसार प्रधानमंत्री कार्यालय ने औषधि विभाग से इस मुद्दे के समाधान को कहा था। जरूरी दवाओं की राष्ट्रीय सूची के दायरे में कुल 680 दवाएं आती हैं।
Share Market: NIFTY 50, म्यूचुअल फंड, इक्विटी में करना है निवेश? जानें तरीके
Share Market: म्यूचुअल फंड में निवेश करने के फायदे क्या हैं ?
शेयर मार्केट (Share Market) का नाम लेते ही सबके मन में एक ही सवाल आता है क्या पैसे डूब तो नहीं जाएंगे ? मार्केट में निफ्टी (Nifty) की बात करें तो 52 हफ्तो में ये उच्चतम 18887.60 तक गया वहीं 52 हफ्तो में निफ्टी का सबसे कम स्तर 15183.40 का था. वहीं 52 हफ्तों में सेंसेक्स (Sensex) 63583.07 के स्तर पर उच्चतम था और सबसे निचला स्तर 50921.22 पर रहा.
शेयर मार्केट में निवेश करने के लिए होड़ लगी है. लेकिन मार्केट की जानकारी लिए बिना काफी लोग अपना नुकसान भी करा लेते हैं. तो चलिए समझते है कि क्या है शेयर मार्केट और इसमें कैसे इंवेस्ट करते हैं.
घबराइए मत हम आपको आसान भाषा में समझाएंगे कि आखिर ये निफ्टी 50, म्यूचुअल फंड, इक्विटी और लिक्विड फंड क्या है और इनके फायदे-नुकसान क्या हैं?
निफ्टी 50
निफ्टी नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (National Stock Exchange) पर लिस्टेड 50 प्रमुख कंपनी के शेयरों का सूचकांक (Index) है. NIFTY दो शब्द से मार्जिन स्तर क्या है बना है पहला नेशनल और दूसरा फिफ्टी. निफ्टी का मतलब नेशनल स्टॉक एक्सचेंज है और Fifty उन कंपनियों के समूह के बारे में बताता है जो नेशनल स्टॉक एक्सचेंज पर लिस्टेड टॉप पचास शेयर हैं. यहां आप अपनी मन पसंदीदा कंपनी जैसे अडानी पोर्ट्स, बजाज ऑटो, एयरटेल, एचडीएफसी, एसबीआई, टाटा मोर्टस और विप्रो के शेयर खरीद सकते हैं. जितना बाजार अच्छा प्रदर्शन करेगा उसका पोर्टफोलियो उतना ही हरा नजर आएगा.
लिक्विड फंड (Liquid Fund)
लिक्विड फंड एक प्रकार का डेट फंड (Debt Fund) होता है. ये मार्जिन स्तर क्या है आपके पैसों को डेट और मनी मार्केट में जैसे कमर्शियल पेपर, कॉल मनी, सरकारी सिक्यॉरिटी, ट्रेजरी बिल में निवेश करता है. इस फंड में 91 दिनों की मैच्योरिटी पीरियड होती है. अब ये सवाल मार्जिन स्तर क्या है आता है कि लिक्विड फंड में निवेश करने से क्या फायदा होगा? तो लिक्विड फंड में इंवेस्ट करने से आपको अधिक लिक्विडिटी मिलती है, एग्जिट करने पर कोई फीस नहीं लगती, कम जोखिम और अधिक रिटर्न मिलता है.
लिक्विड फंड के फायदे (Benefit of Liquid Fund)
कम व्यय अनुपात (Low Expense Ratio)
नो लॉक-इन पीरियड (No Nock-in Period)
बेहतर रिटर्न (Good Return)
अत्यधिक तरल (इससे निवेशक के द्वारा लगाए गए पैसो में तेजी से बदलाव होता है. ये कम या ज्यादा हो सकता है.
कम जोखिम (Low Risk)
लिक्विड फंड के नुकसान (Disadvantages of Liquid Funds)
लिक्विडिटी रिस्क (इस निवेश में ये देखा जाता है कि निवेशक का निवेश बाजर के जोखिम के निर्भर होता है.)
Petrol Diesel Cheap: सरकार मार्जिन स्तर क्या है ने लिया ये बड़ा फैसला, क्या कम होंगे तेल के दाम? पढ़ें
Petrol Diesel Cheap: वैश्विक तेल की कीमतों में गिरावट के बाद सरकार ने घरेलू उत्पादित कच्चे तेल के साथ-साथ डीजल और एटीएफ के निर्यात पर लगाए गए अप्रत्याशित लाभ कर को घटा दिया है। 15 दिसंबर के आदेश में कहा गया है कि तेल एवं प्राकृतिक गैस निगम (ओएनजीसी) जैसी कंपनियों द्वारा उत्पादित कच्चे तेल पर लेवी को 4,900 रुपये प्रति टन से घटाकर 1,700 रुपये प्रति टन कर दिया गया है। बता दें कि जमीन से पंप किए गए कच्चे तेल को परिष्कृत किया जाता है और पेट्रोल, मार्जिन स्तर क्या है डीजल और एविएशन टर्बाइन फ्यूल (एटीएफ) जैसे ईंधन में परिवर्तित किया जाता है।
सरकार ने डीजल के निर्यात पर कर को 8 रुपये प्रति लीटर से घटाकर 5 रुपये प्रति लीटर और एटीएफ के विदेशी शिपमेंट पर 5 रुपये से 1.5 रुपये प्रति लीटर कर दिया है। नई कर दरें 16 दिसंबर से प्रभावी हैं। कर की दर नवंबर से वैश्विक कच्चे तेल की कीमतों में 14 प्रतिशत की गिरावट को शो करती है।
घरेलू कच्चे तेल के उत्पादन पर 23,250 रुपये प्रति टन (यूएसडी 40 प्रति बैरल) अप्रत्याशित लाभ कर भी लगाया गया था। तब से पेट्रोल पर निर्यात कर समाप्त कर दिया गया है। पिछले दो हफ्तों में तेल की औसत कीमतों के आधार पर हर पखवाड़े कर मार्जिन स्तर क्या है दरों की समीक्षा की जाती है।
कोस्ट को लेकर समझे पूरी डिटेल्स
दिसंबर में भारत द्वारा आयात किए जाने मार्जिन स्तर क्या है वाले कच्चे तेल की भराई औसतन 77.79 अमेरिकी डॉलर प्रति बैरल थी, जबकि पिछले महीने यह 87.55 अमेरिकी डॉलर थी। अक्टूबर में यह औसतन 91.70 डॉलर प्रति बैरल था। इसी तरह, डीजल की कीमत भी नवंबर के 123.18 डॉलर और अक्टूबर के 133.52 डॉलर से घटकर इस महीने 104.86 डॉलर प्रति बैरल पर आ गई है।
सरकार तेल उत्पादकों द्वारा 75-76 डॉलर प्रति बैरल की सीमा से ऊपर मिलने वाली किसी भी कीमत पर होने वाले अप्रत्याशित मुनाफे पर कर लगाती है। ईंधन निर्यात पर लेवी दरार या मार्जिन पर आधारित है जो रिफाइनर विदेशी शिपमेंट पर कमाते हैं। ये मार्जिन मुख्य रूप से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तेल की कीमत और लागत के बीच का अंतर है।
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