पी/बी अनुपात = बाजार मूल्य प्रति शेयर / बुक वैल्यू प्रति शेयर

शेयर बाजार में PE रेश्यो क्या है। What is PE ratio in hindi

PE रेश्यो क्या है? शेयर बाजार में invest करने वाले प्रत्येक व्यक्ति को आपने इस PE रेश्यो के बारे बात करते हुए कभी ना कभी तो सुना होगा। इसीलिए आज हम शेयर बाजार में पीई क्या है आपको अच्छे से इस concept को explain करेंगे ताकि आप लोग अच्छे से जान सके की PE रेश्यो क्या है और शेयर बाजार में इसका कितना महत्व है।

जो भी लोग शेयर बाजार में invest करते है उन्होंने value investing के बारे में बहुत सुना होगा। क्योंकि शेयर बाजार के सभी धुरंधर invest करने से पहले value investing को जरूर ध्यान में रखते है। तो आप समझो की जो PE रेश्यो है वो ही value investing का आधार होती है। यह हमें बताती है की कोई कंपनी कितनी सस्ती और कितनी महंगी है। अब आप PE रेश्यो का महत्व तो समझ ही गए होंगे। इसीलिए अब हम PE रेश्यो के concept को आसान भाषा में समझते है।

PE रेश्यो क्या है –

PE रेश्यो = कंपनी के एक शेयर का वर्तमान मूल्य / EPS ( earning per share )

आप PE रेश्यो के फार्मूला से बहुत कुछ समझ गए होंगे। परन्तु चलो हम इसे विस्तार से समझते है। ताकि हमें इस महत्वपूर्ण रेश्यो के बारे कोई संदेह ना रहे। इस रेश्यो को समझने के लिए शेयर बाजार में पीई क्या है सबसे पहले हमें इसके पीछे के concept को समझना जरूरी है। PE रेश्यो मतलब price to earning रेश्यो मतलब आप किसी कम्पनी के एक share को खरीदने के लिए उसके एक share के प्रॉफिट से कितना गुना पैसा लगा रहे हो। वही अनुपात PE रेश्यो कहलाता है।

चलो अब इसे विस्तार से समझते है। मान लो tata motors शेयर बाजार में पीई क्या है के एक share की फिलहाल कीमत 400 रूपये है। और उसका प्रॉफिट प्रति share 40 रूपये है। तो tata motors की PE रेश्यो 400/40=10 है। मतलब हम tata motors के एक शेयर को खरीदने के लिए उसके एक शेयर के प्रॉफिट से 10 गुना ज्यादा पैसा दे रहे है। अब अगर यही शेयर 600 रूपये का हो जाता है और प्रॉफिट उतना ही मतलब 40 ही रहता है तो इसका PE 600/40=15 हो जायेगा। मतलब PE ज्यादा हो गया है और शेयर महंगा हो गया है। अब लोगों की उम्मीदें कम्पनी से ज्यादा हो गई है तभी तो वो इसके शेयर को ज्यादा कीमत पर खरीदने को तैयार हो गए है।

अब हम इसको ज्यादा विस्तार से समझते है किसी भी कम्पनी का PE रेश्यो कैसे निकालते है। सबसे पहले हम कम्पनी की total वैल्यूशन देखते है। जैसे की tata motors की total वैल्युएशन 40000000 है और इसके total शेयर 100000 है तो हम इसकी total वैल्यूशन को total शेयर से भाग कर देंगे जिससे उसके एक शेयर की कीमत निकल आएगी जैसे की – 40000000/100000= 400

अब EPS निकलने के लिए इसका एक साल का प्रॉफिट देखते है और उसको total शेयर से भाग दे देते है जैसे – tata motors का प्रॉफिट 4000000 है तो इसको total शेयर से भाग कर देंगे। जैसे 4000000/100000=40 मतलब इसका एक शेयर से होने वाला प्रॉफिट 40 है।

अब इसका PE रेश्यो होगा = एक शेयर का current price / EPS ( एक शेयर से होने वाला प्रॉफिट )। मतलब हमारा PE रेश्यो होगा = 400/40=10

EPS ( earning per share ) क्या होता है

किसी भी एक शेयर पर किसी कम्पनी को एक वित्तीय वर्ष में जितना लाभ होता है वही EPS कहलाता है।

PE रेश्यो कितना होना चाहिए –

अब समझते है जैसे हम x कम्पनी में 1000 रूपये लगाते है और हमें 100 रूपये का प्रॉफिट होता है तो हमारा PE रेश्यो – 1000/100=10 होगा। मतलब हमें 1 रुपया कमाने के लिए 10 रूपये invest करने पड़े। दूसरे शब्दों में हम कह सकते है की किसी भी कम्पनी में 1 रुपया कमाने के जितने पैसे हमें लगाने पढ़ते है वही उस कम्पनी का PE रेश्यो कहलाता है। आमतौर पर शेयर बाजार में PE रेश्यो 10 से 30 तक लिया जाता है। हालांकि PE रेश्यो 10 से कम और 30 से ज्यादा भी हो सकता है परन्तु यह ज्यादातर 10 से 30 के बीच ही माना जाता है। किसी भी कम्पनी का PE रेश्यो जितना कम हो उतना अच्छा माना जाता है। इसे समझना आसान है की 1 रुपया कमाने के लिए 10 रूपये लगाना ज्यादा बेहतर है या 20 रूपये। इसीलिए सभी समझदार इन्वेस्टर कम PE वाली कम्पनीयों में invest करना ज्यादा अच्छा समझते है। मगर PE के साथ – साथ बहुत से दूसरे factor भी है जिनको हमें पैसा invest शेयर बाजार में पीई क्या है करते समय ध्यान में रखना चाहिए। जिनके बारे में हम दूसरे articles में discuss करेंगे।

शेयर बाजार में PE रेश्यो का महत्व –

PE रेश्यो क्या है ! इतना तो आप समझ ही गए होंगे की शेयर बाजार में PE रेश्यो का कितना बड़ा महत्व है। हर समझदार इन्वेस्टर invest करने से पहले PE रेश्यो का सहारा लेता है। जिस भी कंपनी का जितना भी कम PE होता है उसमे invest करना उतना ही अच्छा माना जाता है। PE रेश्यो को value investing का मुख्य स्तम्भ माना जाता है। हम किसी भी कम्पनी का PE रेश्यो देखकर उस कम्पनी के बारे में बहुत कुछ जान सकते है।

Induvisual कम्पनी के अलावा शेयर बाजार का PE भी होता है जो की प्रत्येक इन्वेस्टर को invest करने से पहले जरूर देखना चाहिए। ज़ब भी बाजार में enter करने के लिए बाजार का PE जितना भी कम हो उतना अच्छा होता है। निफ़्टी – फिफ्टी की 50 कम्पनीयो का PE check करने के लिए आप NSE की ऑफिसियल साइट पर जा सकते हो।

PE Ratio Kya Hota Hai ? और Share Ka PE Ratio Kitna Hona Chahiye ?

यदि आप स्टॉक मार्केट यानि शेयर मार्केट में इन्वेस्टमेंट करते है तो आपको ये जानना अति आवश्यक है की PE Ratio Kya Hota Hai ?, PE Ratio Meaning, PE Ratio Formula Kya Hota Hai ?, PE Ratio Kitna Hona Chahiye ? और PE के आधार पर निवेश के महत्वपूर्ण तथ्य क्या – क्या होते है।

यदि आप किसी स्टॉक को लम्बी अवधी के लिए खरीद रहे है तो आपको ये पता होना चाहिए की आप जो स्टॉक खरीद रहे है वो बहुत महंगा तो नहीं है अगर आप बिना इसके मूल्यांकन के स्टॉक में इन्वेस्टमेंट करते है तो आपका नुकसान हो सकता है। आपको किसी भी स्टॉक में इन्वेस्ट करने से पहले उस स्टॉक का फंडामेंटल एनालिसिस करना बहुत जरूरी है। इसका मूल्य आपको स्टॉक का PE Ratio चेक करने पर पता चलेगा।

इसके लिए आपको ये भी जानना होगा EPS Kya Hota Hai ?

PE Ratio Kya Hota Hai ? (What is PE Ratio in Hndi)

PE Ratio Full Form होता है Price to Earning Rartio. PE Ratio Meaning in Hindi इसका मतलब है कीमत से कमाई का अनुपात, इससे स्टॉक के मूल्य का पता चलता है, की वर्तमान में स्टॉक के प्रति शेयर मूल्य के आधार पर भविष्य में होने वाली कमाई के प्रत्येक रुपये का आकलन होता है। PE Ratio शेयर के वर्त्तमान की कीमत को समझाने में मदद करता है और इसकी अनुमानित प्रति शेयर की कमाई के सापेक्ष इसकी कीमत के आधार पर वृद्धि का अनुमान लगाया जाता है।

उदाहरण : माना किसी शेयर का PE 15 है तो इसका मतलब की इस स्टॉक में आपको भविष्य में 1 रूपये कमाने के लिए वर्तमान में आपको 15 रूपये खर्च करने होंगे |

P/E Ratio निकालने का सूत्र ( PE Ratio Formula)

किसी स्टॉक की वर्तमान प्रति शेयर मार्केट मू ल्य में प्रति शेयर आय (E.P.S.) से भाग देने पर PE Ratio निकलता है |

PE Ratio = Per Share Price / E.P.S.

जहाँ E.P.S.= Earning per share = Total Profit of the company/Number of total share of the company

किसी कंपनी के कुल प्रॉफिट में कुल शेयर की संख्या से भाग देने पर E.P.S. निकलता है |

TTM E.P.S. से तात्पर्य है की पिछले एक वर्षो में कंपनी का प्रदर्शन कैसा रहा है | कंपनी के शेयर होल्डर्स को प्रति शेयर कितना रिटर्न मिला है |

PE के आधार पर निवेश के महत्वपूर्ण तथ्य (PE Ratio Kitna Hona Chahiye)

मॉर्केट के कथनानुसार अगर किसी कंपनी का फंडामेंटल्स और उसके रिजल्ट बेहतर है तथा उसका P/E Ratio 10 से 15 के बीच है तो यहाँ पर स्टॉक खरीदना भविष्य के लिए एक अच्छा निवेश माना जाता है क्योकि 15 के नीचे स्टॉक undervalued माना जाता है | यदि स्टॉक का PE Ratio 20 से 30 के बीच या उसके ऊपर है तो यहाँ पर प्रॉफिट बुक करना एक अच्छा माना जाता है क्योकि 30 के ऊपर का PE Ratio overvalued स्टॉक माना जाता है |

यदि किसी कंपनी का शेयर खरीदना है, तो उस कंपनी के PE को चेक करे यानि जिस सेक्टर में कंपनी है। कंपनी के PE Ratio को Sector PE और Strong Peer कंपनी से तुलना करे, की कही कंपनी का PE Ratio इन दोनों की तुलना में ज्यादा तो नहीं है | बहुत ज्यादा PE वाले स्ट्रांग फंडामेंटल के शेयर में आप शार्ट टर्म में कई गुना रिटर्न की उम्मीद नहीं कर सकते। यदि किसी कंपनी का PE Ratio 10 से नीचे है तो उसका E.P.S. सही होना चाहिए |

कंपनी का PE Ratio हमेशा प्रॉफिट के आधार पर बदलता रहता है | बहुत ज्यादा स्ट्रांग फंडामेंटल और ब्रांडिंग वाले शेयर जैसे आईटी कम्पनिया, टेक्नोलॉजी से सम्बंधित कम्पनिया, और दूरसंचार कंपनियों का PE टेक्सटाइल या विनिर्माण क्षेत्रों वाली कंपनियों से अधिकतर ज्यादा ही होता है | कुछ कम्पनिया देश की अर्थव्यस्था यदि तेजी से बढ़ रही है तो उसका उन्हें लाभ मिलता है जिससे कंपनियों के भविष्य में ग्रोथ करने की सम्भावना अधिक होती है जिससे उनका शेयर बाजार में पीई क्या है PE Ratio अधिक होता है जिसके लिए निवेशक उसे सभी मूल्य पर खरीदना चाहते है | घाटे में चल रही कंपनी का P/E Not Applicable लिखा होता है या निगेटिव रहता है |

स्टॉक खरीदने से पहले Nifty/Sensex का PE Ratio देखे उसके बाद उसके रेंज में आने का इंतजार करे और फिर मजबूत फंडामेंटल और कम P/E वाले शेयर में निवेश करे |

वर्तमान स्टॉक के मौजूदा ट्रेडिंग वैल्यू P/E को चेक करने के लिए ऑनलाइन किसी भी वित्तीय वेबसाइट से इकट्ठा किया जा सकता है।

एक महत्वपूर्ण निवेश निर्णय लेने से पहले कंपनी या क्षेत्र के बारे में पूरी तरह से शोध किया जाना चाहिए |

Nifty का PE Ratio से सम्बंधित डाटा

1999 में जब निफ़्टी का PE Ratio 12 था तब मार्केट के ऊपर जाने पर निवेशकों को 105 % का रिटर्न मिला था | 2003 में जब P/E Ratio 11 था तब रिटर्न 116 % का मिला था | 2008 में मार्केट क्रैश होने के बाद बॉटम बना और उस समय PE 10 था वहाँ से प्रति वर्ष रिटर्न 130 शेयर बाजार में पीई क्या है % का मिला |

जब फ़रवरी 2000 में PE Ratio 28 था तो वहाँ से मार्केट गिरने पर रिटर्न निगेटिव 53 % था | और जब जनवरी 2008 में मार्केट अपने टॉप पर था और उस समय किसी ने खरीदारी की होगी तो उस वर्ष उसे नेगेटिव 64 का रिटर्न मिला होगा | इसीलिए हमेशा निवेश के पहले मार्केट का ट्रेंड देखना चाहिए की मार्केट लगातार बहुत ज्यादा तो नहीं बढ़ गया बिना किसी करेक्शन के |

नोट:आपको किसी भी स्टॉक में निवेश करने के लिए केवल उस कंपनी के कम/अधिक PE Ratio के आधार पर नहीं करना चाहिए बल्कि उसके उच्च फंडामेंटल्स, भविष्य में ग्रोथ करने की सम्भावना और उस कंपनी पर अपनी खुद की अच्छी तरीके से शोध करने के बाद ही करना चाहिए |

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  • News18Hindi
  • Last Updated : October 26, 2022, 07:35 IST

हाइलाइट्स

दिवाली बलिप्रतिपदा के मौके पर आज बुधवार 26 अक्‍तूबर को ट्रेडिंग नहीं होगी.
नेशनल स्‍टॉक एक्‍सचेंज (NSE) और बॉम्‍बे स्‍टॉक एक्‍सचेंज (BSE) आज नहीं खुलेंगे.
आज देश के कई हिस्‍सों में गोवर्धन पूजा का त्‍योहार भी मनाया जा रहा है.

नई दिल्‍ली. भारतीय शेयर बाजार (Stock Market) में निवेश की तैयारी कर रहे लोगों के लिए बड़ा अपडेट है. दिवाली बलिप्रतिपदा के मौके पर आज बुधवार 26 अक्‍तूबर को ट्रेडिंग नहीं होगी और दोनों ही प्रमुख स्‍टॉक एक्‍सचेंज, नेशनल स्‍टॉक एक्‍सचेंज (NSE) और बॉम्‍बे स्‍टॉक एक्‍सचेंज (BSE) आज नहीं खुलेंगे.

शेयर बाजार की ओर से दी गई जानकारी के अनुसार, दोनों ही एक्‍सचेंज पर हर कारोबारी सत्र में सुबह 9.15 बजे से दोपहर 3.30 बजे तक होने वाली ट्रेडिंग आज बंद रहेगी. बलिप्रतिपदा दिवाली के चौथे दिन मनाया जाता है. यह त्‍योहार हिंदूचंद्र मास कार्तिक के शुक्ल पक्ष की प्रथम तिथि को मनाया जाता है. इसे राजा बलि पर भगवान विष्‍णु की विजय के रूप में मनाया जाता है. आज देश के कई हिस्‍सों में गोवर्धन पूजा का त्‍योहार भी मनाया जा रहा है.

क्‍या-क्‍या आज रहेंगे बंद
बीएसई के अनुसार, आज के दिन एक्‍सचेंज पर इक्विटी सेग्‍मेंट, इक्विटी डेरिवेटिव सेग्‍मेंट और एसएलबी सेग्‍मेंट के साथ करेंसी डेरिवेटिव सेग्‍मेंट व इंटेरेस्‍ट रेट डेरिवेटिव सेग्‍मेंट में कोई ट्रेडिंग नहीं की जाएगी. इसके अलावा आज नए डेट सेग्‍मेंट में भी कोई ट्रेडिंग नहीं की जाएगी. आज रिपोर्टिंग, सेटलमेंट एंड ट्रेडिंग और ट्राई पार्टी रेपो व कमोडिटी डेरिवेटिव सेग्‍मेंट में ट्रेडिंग बंद रहेगी.

शाम को खुलेगा यह एक्‍सचेंज
आज मल्‍टीकमोडिटी एक्‍सचेंज ऑफ इंडिया लिमिटेड (MCX) भी सुबह के सत्र में बंद रहेगा. यह देश का पहला लिस्टिंग एक्‍सचेंज है. हालांकि, एमसीएक्‍स पर शाम के सत्र में ट्रेडिंग होगी और यह शाम 5 बजे से रात 11.55 बजे तक खुला रहेगा. कमोडिटी डेरिवेटिव सेग्‍मेंट में भी सुबह के सत्र में कारोबार बंद रहेगा, लेकिन शाम के सत्र में यहां भी ट्रेडिंग शुरू हो जाएगी.

नवंबर में भी बंद रहेगा शेयर बाजार
अक्‍तूबर में दो तीन दिन बंद रहने के बाद नवंबर में भी एक दिन शेयर बाजार नहीं खुलेगा. एक्‍सचेंज से मिली जानकारी के अनुसार, 8 नवंबर को गुरुनानक जयंती के मौके पर बीएसई और एनएसई दोनों ही एक्‍सचेंज पर ट्रेडिंग नहीं होगी. इससे पहले अक्‍तूबर में 5 तारीख को दशहरा के मौके पर शेयर बाजार बंद रहा तो 24 तारीख को दिवाली के दिन भी सुबह कोई ट्रेडिंग नहीं हुई. हालांकि, दिवाली पर शाम को करीब एक घंटे के लिए मुहूर्त ट्रेडिंग पर बाजार खुला.

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मूल्य-से-पुस्तक अनुपात - पी/बी अनुपात

मूल्य-से-पुस्तक अनुपात कंपनी के को मापता हैमंडी इसके संबंध में कीमतपुस्तक मूल्य. अनुपात दर्शाता है कि शुद्ध संपत्ति में प्रत्येक डॉलर के लिए इक्विटी निवेशक कितना भुगतान कर रहे हैं। कुछ लोग इसे मूल्य-इक्विटी अनुपात के रूप में जानते हैं। मूल्य-से-पुस्तक अनुपात इंगित करता है कि किसी कंपनी का परिसंपत्ति मूल्य उसके स्टॉक के बाजार मूल्य के बराबर है या नहीं। इस कारण से, यह मूल्य स्टॉक खोजने के लिए उपयोगी हो सकता है। ज्यादातर कंपनियों से बनी कंपनियों का मूल्यांकन करते समय यह बहुत उपयोगी होता हैचल परिसंपत्ति, जैसे वित्त,बीमा, निवेश और बैंकिंग फर्म।

Price-to-book

पी / बी अनुपात उस मूल्य को दर्शाता है जो बाजार सहभागियों को इक्विटी के बुक वैल्यू के सापेक्ष कंपनी की इक्विटी से जोड़ता है। एक शेयर का बाजार मूल्य एक भविष्योन्मुखी मीट्रिक है जो कंपनी के भविष्य को दर्शाता हैनकदी प्रवाह. इक्विटी का बुक वैल्यू है aलेखांकन ऐतिहासिक लागत सिद्धांत के आधार पर उपाय, और इक्विटी के पिछले जारी करने को दर्शाता है, किसी भी लाभ या हानि से संवर्धित, और लाभांश और शेयर बायबैक द्वारा कम किया गया।

फॉर्मूला बुक करने की कीमत

कंपनियां मूल्य-से-पुस्तक अनुपात का उपयोग फर्म के बाजार की तुलना बुक वैल्यू से करने के लिए प्रति शेयर मूल्य को बुक वैल्यू प्रति शेयर से विभाजित करके करती हैं। बुक वैल्यू, आमतौर पर किसी कंपनी के पर स्थित होती हैबैलेंस शीट "स्टॉकहोल्डर इक्विटी" के रूप में, कुल राशि का प्रतिनिधित्व करता है जो कंपनी द्वारा अपनी सभी संपत्तियों को समाप्त करने और अपनी सभी देनदारियों को चुकाने पर छोड़ी जाएगी।

मूल्य-से-पुस्तक का सूत्र है:

पी/बी अनुपात = बाजार मूल्य प्रति शेयर / बुक वैल्यू प्रति शेयर

इस समीकरण में, प्रति शेयर बुक वैल्यू = (कुल संपत्ति - कुल देनदारियां) / बकाया शेयरों की संख्या

यह अनुपात यह भी इंगित करता है कि यदि कंपनी तुरंत दिवालिया हो जाती है तो क्या आप बहुत अधिक भुगतान कर रहे हैं। कम पी/बी अनुपात का मतलब यह हो सकता है कि स्टॉक का मूल्यांकन नहीं किया गया है। हालांकि, इसका मतलब यह भी हो सकता है कि कंपनी में मौलिक रूप से कुछ गड़बड़ है। अधिकांश अनुपातों की तरह, यह उद्योग द्वारा भिन्न होता है।

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