- डिविडेंड का एक्स डेट और रिकॉर्ड डेट होता है. एक्स डेट उस तारीख को कहते हैं, जब डिविडेंड एलिजिबिलिटी एक्सपायर हो रही हो. यानी कि अगर किसी कंपनी ने 13 सितंबर एक्स डेट फिक्स किया है तो उस दिन पर या उस दिन के बाद स्टॉक खरीदने वालों को डिविडेंड नहीं मिलेगा.
Dividend- डिविडेंड
क्या होता है डिविडेंड?
डिविडेंड (Dividend) यानी लाभांश कंपनी की आय के कुछ हिस्से का उसके शेयरधारकों के एक वर्ग के बीच वितरण है। शेयरधारकों को कितना डिविडेंड मिलेगा यह कंपनी के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स द्वारा निर्धारित किया जाता है। लाभांश अदा करने वाली कंपनियों के साधारण शेयरधारक आम तौर पर तब तक पात्र होते हैं जब तक कि लाभांश-पूर्व तिथि से पहले उनके पास स्टॉक होता है। लाभांश का भुगतान नकदी या अतिरिक्त स्टॉक के रूप में किया जा सकता है। लाभांश का भुगतान सार्वजनिक रूप से सूचीबद्ध कंपनियों द्वारा निवेशकों को उनके पैसे को वेंचर में रखने के पुरस्कार स्वरूप किया जाता है। लाभांश पेआउट की घोषणा आम तौर पर किसी कंपनी की स्टाॅक कीमत में आनुपातिक वृद्धि या कमी के साथ की जाती है।
डिविडेंड से संबंधित मुख्य बातें
डिविडेंड की स्वीकृति अनिवार्य रूप से शेयरधारकों के वोटिंग अधिकारों द्वारा होनी चाहिए। हालांकि नकदी लाभांश सबसे आम हैं लेकिन लाभांशों को शेयरों या अन्य संपत्ति के रूप में भी जारी किया जा सकता है। कंपनियों के साथ साथ, विभिन्न म्युचुअल फंड और एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड (ईटीएफ) भी लाभांश का भुगतान करते हैं। लाभांश शेयरधारकों को किसी कंपनी की इक्विटी में उनके निवेश के लिए भुगतान किया जाने वाला Dividend पॉलिसी क्या है सांकेतिक भुगतान है और यह साधारणतया कंपनी के शुद्ध लाभ से उत्पन्न होता है। कभी कभार कंपनियां तब भी लाभांश का भुगतान करती हैं जब उन्हें अनुकूल लाभ Dividend पॉलिसी क्या है प्राप्त न हुआ हो। ऐसा वे नियमित लाभांश अदा करने के कंपनी के स्थापित ट्रैक रिकॉर्ड को बनाये रखने के लिए करती हैं। बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स (निदेशक मंडल) लाभांश देने की विभिन्न समय सीमाओं और विभिन्न पेआउट दरों को चुन सकते हैं। इसे मासिक, त्रैमासिक या वार्षिक रूप से अदा किया जा सकता है।
Special Dividend क्या होता है, कंपनी के कौन-से निवेशक उठा सकते हैं इसका फायदा, यहां जानें डीटेल
Special Dividend: कंपनी की ओर से तिमाही नतीजों के दौरान निवेशकों के लिए डिविडेंड का ऐलान किया जाता है. ऐसा नहीं है कि सभी कंपनी डिविडेंड देती हैं लेकिन जो कंपनियां देती हैं वो अलग-अलग तरह से डिविडेंड देती है.
Special Dividend: शेयर बाजार में लिस्टेड कंपनियां हर तिमाही अपने नतीजे पेश करती है. इन तिमाही नतीजों के दौरान कंपनी अपने बिजनेस एक्सपेंशन और कॉरपोरेट एक्शन को लेकर जानकारी देती है. बता दें कि मौजूदा समय में तिमाही नतीजों का सीजन चल रहा है और इस Dividend पॉलिसी क्या है दौरान बाजार में लिस्टेड कंपनियां अपनी दूसरी तिमाही के नतीजे पेश कर रही हैं. हालांकि कुछ कंपनियां नतीजों के साथ-साथ कंपनियां कई बार निवेशकों को खुश करने के लिए डिविडेंड का भी ऐलान करती हैं. एक वित्त वर्ष में कंपनी कई तरह से अपने निवेशकों को डिविडेंड देती है. इसमें डिविडेंड, अंतरिम डिविडेंड, फाइनल डिविडेंड और स्पेशल डिविडेंड शामिल होते हैं. कंपनी डिविडेंड अपने प्रॉफिट में से देती है. डिविडेंड को हिंदी मे लाभांश कहते हैं और लाभ के अंश के तौर पर ही इसे दिया जाता है. यहां जानते हैं कि कंपनी स्पेशल डिविडेंड कब और किन निवेशकों को देती है.
स्पेशल डिविडेंड क्या होता है?
डिविडेंड और स्पेशल डिविडेंड के बीच एक बस यही फर्क है कि स्पेशल डिविडेंड के जरिए निवेशकों को कंपनी की ओर से ज्यादा अमाउंट दी जाती है. स्पेशल डिविडेंड एक नॉन-रिकरिंग पेमेंट है, जो कि रेगुलर डिविडेंड की तरह हर तिमाही नहीं दिए जाते हैं. बता दें कि स्पेशल डिविडेंड हमेशा लिक्विड फॉर्म में दिया जाता है.
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बता दें कि स्पेशल डिविडेंड कंपनी की ओर से एक ही बार दिया जाता है. स्पेशल डिविडेंड अलग इवेंट्स जैसे असाधारण मुनाफा, एसेट सेल और दूसरी तरह के विंडफॉल इवेंट के दौरान दिए जाते हैं. हाल ही में आईटी सेक्टर की दमदार कंपनी टेक महिंद्रा ने अपने निवेशकों के लिए 360 फीसदी के स्पेशल डिविडेंड का ऐलान किया था.
डिविडेंड के दौरान ये तारीख होती हैं अहम
डिविडेंड के दौरान निवेशकों को कई सारी डेट्स का ध्यान रखना पड़ता है. इसमें डिविडेंड डिक्लेरेशन डेट, रिकॉर्ड डेट, एक्स डिविडेंड डेट, डिविडेंड पेआउट डेट जैसे तारीखें शामिल होती हैं. सबसे पहले डिविडेंड डिक्लेरेशन डेट होती है और इस दिन कंपनी के बोर्ड की ओर से डिविडेंड का ऐलान होता है. इसके बाद रिकॉर्ड डेट अहम होती है. रिकॉर्ड डेट का मतलब ये है कि इस तक कंपनी के पास रिकॉर्ड होता है कि किन निवेशकों के पास कंपनी के शेयर हैं.
इसके अलावा एक्स डिविडेंड डेट भी काफी अहम है. ये डेट बताती है कि इस दिन से पहले निवेशकों के डीमैट अकाउंट में कंपनी के शेयर होने चाहिए. वहीं डिविडेंड पेआउट डेट वो होती है, Dividend पॉलिसी क्या है जिस दिन डिविडेंड का भुगतान किया जाता है.
Share Market Tips: निवेश के पहले कम्पनी की Dividend History देखना है बेहद महत्वपूर्ण
नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। शेयर मार्केट में निवेश के पहले हर निवेशक उस कम्पनी के बारे में अच्छी तरह से रिसर्च करते हैं। ये रिसर्च कम्पनी के फायदे, नुकसान, उनके भविष्य, कर्ज आदि के बारे में होती है। किसी कम्पनी के बारे में पूरी जानकारी प्राप्त करने के बाद उसमें निवेश करने से आप बेहतर निर्णय ले सकते हैं। इसी रिसर्च के क्रम में एक महत्वपूर्ण हिस्सा है डिविडेंड का। अगर आप भी किसी कम्पनी के शेयर में निवेश करना चाहते हैं तो उसके डिविडेंड हिस्ट्री को अच्छे से समझना बेहद जरूरी है।
क्या है डिविडेंड
डिविडेंड यानी लाभांश कम्पनी के मुनाफे को उसके शेयर धारकों के बीच बांटने को कहते हैं। जब कोई कम्पनी मुनाफे में होती है तो वह अपने शेयर धारकों को अपने मुनाफे का कुछ हिस्सा देती है। यह लाभांश हर शेयरधारक को उनके द्वारा खरीदे गये शेयरों की संख्या के अनुपात में होता है।
कई तरीके से कम्पनियां करती हैं डिविडेंड का वितरण
अपना डिविडेंड शेयर धारकों के बीच वितरित करने के लिए कम्पनियां कई तरीके अपनाती हैं। अक्सर डिविडेंड नकदी के रूप में उनके बैंक खाते में डाल दिया जाता है। इसके अतिरिक्त डिविडेंड के लिए कम्पनियां म्युचुअल फंड, एक्सचेंज ट्रेडेड फंड आदि के द्वारा भी अपने शेयर धारकों को लाभांश प्रदान करती Dividend पॉलिसी क्या है हैं।
अगर कम्पनियां डिविडेंड दे रही हैं तो इसका मतलब है कि उनका कैश फ्लो अच्छा है, वो कम्पनी फायदे में है। ऐसे में इन कम्पनियों में पैसा लगाना Dividend पॉलिसी क्या है आपके लिए फायदे का सौदा हो सकता है। ऐसी कम्पनियां आमतौर पर फंडामेंटल रूप से मजबूत होती हैं और लम्बे समय तक अपने शेयर धारकों को अच्छा रिटर्न दे सकती हैं।
क्या है डिविडेंड पे आउट रेश्यो और शेयरधारकों के लिए इसे समझना क्यों Dividend पॉलिसी क्या है है जरूरी?
डिविडेंड पे आउट रेश्यो से पता चलता है कि कंपनी ने आय में से कितना पैसा शेयरधारकों को दिया.
डिविडेंड शेयर मार्केट में कमाई का काफी प्रचलित तरीका है. कई बार ऐसा होता है कि कंपनियां शेयरों में गिरावट को रोकने या फ . अधिक पढ़ें
- News18Hindi
- Last Updated : September 18, 2022, 08:20 Dividend पॉलिसी क्या है IST
कंपनी द्वारा शेयरधारकों को मुनाफे का एक हिस्सा दिया जाना डिविडेंड कहलाता है.
डिविडेंड पे आउट रेश्यो यह बताता है कि कंपनी ने आय के मुकाबले कितना लाभांश शेयरधारकों दिया.
आप प्रति शेयर डिविडेंड को प्रति शेयर या से भाग कर के भी पे आउट रेश्यो निकाल सकते हैं.
नई दिल्ली. कंपनियां जब मुनाफे में से कुछ हिस्सा अपने शेयरधारकों को देती हैं तो उसे डिविडेंड यानी लाभांश कहा जाता है. इसके जरिए कंपनियां निवेशकों को शेयरों में निवेश के लिए आकर्षित करती हैं. डिविडेंड भी शेयर मार्केट में कमाई का काफी प्रचलित तरीका है. हालांकि, डिविडेंड देना कंपनियों के लिए कोई अनिवार्य नहीं होता है. इसी डिविडेंड से जुड़ा एक और टर्म है डिविडेंड पे आउट रेश्यो.
इस महीने आ सकते हैं कुछ चर्चित कंपनियों के डिविडेंड
LIC Housing Finance
फाइनेंशियल सेक्टर की बड़ी पीएसयू कंपनी एलआईसी हाउसिंग फाइनेंस इस महीने अपने शेयरहोल्डर्स को डिविडेंड यील्ड दे सकती हैं. BSE के मुताबिक, कंपनी ने प्रति Dividend पॉलिसी क्या है शेयर पर 8.50 रुपये का डिविडेंड देने की घोषणा की है. कंपनी के शेयर 13 सितंबर को दोपहर 3.30 बजे 436.50 रुपये पर बंद हुए. इसमें 1.05 अंक या 0.24% की तेजी दर्ज हुई थी. इसका एक्स-डेट 19 सितंबर, 2022 है.
Zee Entertainment
मीडिया कॉन्गलोमरेट ज़ी एंटरटेनमेंट प्रति शेयर 3 रुपये का डिविडेंड देगी. इसका एक्स डेट 15 सितंबर और रिकॉर्ड डेट 16 सितंबर है. इसका शेयर इस दौरान 0.24% या 0.65 अंक की तेजी के साथ 271 रुपये प्रति शेयर पर दर्ज हुआ.
Southern Gas Limited
सदर्न गैस लिमिटेड प्रति शेयर 50 रुपये का डिविडेंड यील्ड देगा. इसका एक्स और रिकॉर्ड डेट दोनों ही 15 सितंबर हैं.
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